//जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर छ.ग.//
प्रकरण क्रमांक CC/2013/39
प्रस्तुति दिनांक 18/02/2013
विजय शंकर यादव पिता श्री राम कुमार यादव,
उम्र 32 वर्ष, निवासी-ग्राम नवागांव,
पो. नारायणपुर, तह. व जिला-दूर्ग छ.ग.
पिन. 491340 हाल निवास-चंद्रपुरी चौक
पो. बैतलपुर, तहसील पथरिया
जिला-मुंगेली छ.ग. ......आवेदक/परिवादी
विरूद्ध
शाखा प्रबंधक महोदय,
चोलामंडलम एमएस जनरल इंश्योरेंश कंपनी लिमिटेड
निवासी- सेकंड फ्लोर,
डेयर हाउस, 2 एन.एस.सी. बोस रोड,
चेन्नई पिन 600001 .........अनावेदक/विरोधीपक्षकार
आदेश
(आज दिनांक 25/05/2015 को पारित)
१. आवेदक विजय शंकर यादव ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक चोला मण्डलम इंश्योरेंस कंपनी के विरूद्ध बीमा दावे को अस्वीकार कर सेवा में कमी के आधार पर पेश किया है और अनावेदक बीमा कंपनी से बीमा दावा की राशि 3,37,500/-रू. को ब्याज एवं क्षतिपूर्ति के साथ दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक अपने ट्रक क्रमांक सी.जी.04 डी.सी. 9966 का दिनांक 19.04.2012 से 18.04.2013 तक का बीमा अनावेदक बीमा कंपनी से करवाया था । दिनांक 02.06.2012 को बीमा अवधि के दौरान उक्त वाहन ग्राम कसडोल बलौदा बाजार के पास ट्रक क्रमांक सी.जी. 04 जी. 5623 के लापरवाही पूर्वक चालन के कारण दुर्घटना होने से क्षतिग्रस्त हो गया । आवेदक अपने उकत ट्रक का सुधार कार्य सन गैरेज, सिरगिट्टी में करवाया, जहॉं 3,37,500/-रू. का खर्च आया, जिसके भुगतान हेतु उसने बीमा दावा अनावेदक के कार्यालय में पेश किया, जिसे अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा वाहन का वैध फिटनेस सर्टिफिकेट न होने के आधार पर निरस्त कर दिया गया । अत: यह अभिकथित करते हुए कि अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा पूर्णत: अवैधानिक एवं उपभोक्ताओं के हित विरूद्ध कार्य किया गया, जिसके कारण उसे मानसिक एवं आर्थिक क्षति पहुंची आवेदक ने यह परिवाद पेश करते हुए अनावेदक बीमा कंपनी से वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
3. अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा जवाबदावा पेश कर परिवाद का विरोध इस आधार पर किया गया कि दुर्घटना दिनांक को आवेदक के पास दुर्घटनाग्रस्त वाहन का वैध फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं था, जिसके कारण उनके द्वारा आवेदक का दावा उचित रूप से निरस्त किया गया और सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई । उक्त आधार पर उन्होंने परिवाद निरस्त किये जाने का निवेदन किया है ।
4. उभय पक्ष अधिवक्ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया ।
5. देखना यह है कि क्या अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा आवेदक का बीमा दावा अस्वीकार कर सेवा में कमी की गई है \
सकारण निष्कर्ष
6. इस संबंध में कोई विवाद नहीं कि आवेदक का प्रश्नाधीन वाहन दुर्घटना दिनांक को अनावेदक बीमा कंपनी के यहॉ बीमित था, यह भी विवादित नहीं है कि अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा आवेदक का बीमा दावा दिनांक 18.09.2012 को वैध फिटनेस सर्टिफिकेट के अभाव में निरस्त कर दिया गया था ।
7. आवेदक अपने परिवाद के समर्थन में शपथ पत्र के अलावा प्रश्नाधीन वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट भी पेश किया है, जिसके अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि आवेदक के प्रश्नाधीन वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट दिनांक 24.05.2012 से दिनांक 25.05.2013 तक की अवधि के लिए वैध था, जबकि दुर्घटना उक्त अवधि में दिनांक 02.06.2012 को घटित हुई थी। इस प्रकार आवेदक द्वारा प्रस्तुत फिटनेस सर्टिफिकेट से यह स्पष्ट होता है कि घटना दिनांक आवेदक के पास प्रश्नाधीन दुर्घटनाग्रस्त वाहन का वैध फिटनेस सर्टिफिकेट था ।
8. अनावेदक बीमा कंपनी की ओर से यद्यपि यह कहा गया है कि आवेदक द्वारा प्रश्नाधीन वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट बाद में बनवाया गया था, जबकि आर.टी.ओ. द्वारा उक्त वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट दिनांक 29.06.2012 से दिनांक 28.06.2013 तक की अवधि के लिए जारी किया गया था, एवं दुर्घटना उसके पूर्व दिनांक 02.06.2012 को घटित हुई थी, किंतु अपने इस कथन के समर्थन में अनावेदक बीमा कंपनी की ओर से ऐसा कोई आर.टी.ओ. का दस्तावेज भी पेश नहीं किया गया है, जिससे कि दर्शित हो सके कि आवेदक द्वारा प्रश्नाधीन वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट दुर्घटना के बाद में बनवाया गया था और दुर्घटना दिनांक वह वैध नहीं था।
9. उपरोक्त कारणों से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा आवेदक का दावा प्रश्नाधीन वाहन के फिटनेस सर्टिफिकेट के अभाव में अनुचित रूप से निरस्त किया गया और इस प्रकार अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा आवेदक का बीमा दावा अस्वीकार कर सेवा में कमी की गई ।
10. जहॉं तक क्षतिपूर्ति का संबंध है आवेदक ने अपने परिवाद के साथ वाहन सुधार कार्य का बिल पेश कर यह बताया है कि उसे अपने वाहन के सुधार कार्य में 3,37,500/-रू. खर्च करना पडा, आवेदक की ओर से पेश किए गए उक्त बिल का अनावेदक बीमा कंपनी की ओर से कोई खण्डन नहीं किया गया है और न ही सर्वेयर रिपोर्ट पेश किया गया है, फलस्वरूप हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि आवेदक अपने द्वारा प्रस्तुत किए गए बिल के आधार पर अनावेदक बीमा कंपनी से क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी है, तदानुसार हम आवेदक के पक्ष में अनावेदक बीमा कंपनी के विरूद्ध निम्न आदेश पारित करते हैं :-
अ. अनावेदक बीमा कंपनी, आवेदक को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर बीमा दावा राशि के रूप में 3,37,500/-रू. (तीन लाख सैंतीस हजार पांच सौ रूपये) अदा करेगा ।
ब. अनावेदक बीमा कंपनी, आवेदक को क्षतिपूर्ति के रूप में 25,000/- रू.(पच्चीस हजार रू.)की राशि भी अदा करेगा ।
स. अनावेदक बीमा कंपनी, आवेदक को वादव्यय के रूप में 2,000/- रू.(दो हजार रू.) की राशि भी अदा करेगा।
आदेश पारित
(अशोक कुमार पाठक) (प्रमोद वर्मा)
अध्यक्ष सदस्य