//जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर छ.ग.//
प्रकरण क्रमांक CC/2012/59
प्रस्तुति दिनांक 11/04/2012
अभय राम गौर, उम्र 34 वर्ष,
आत्मज श्री दुजराम सूर्यवंशी,
निवासी ग्राम पो. सेवार,
थाना चकरभाठा, तहसील बिल्हा,
जिला बिलासपुर छ.ग. ......आवेदक/परिवादी
विरूद्ध
- सेंट्रल बैंक ऑफ इण्डिया,
शाखा सेवार द्वारा श्रीमान शाखा प्रबंधक
पता ग्राम पो. सेवार,
थाना चकरभाठा, तहसील बिल्हा,
जिला बिलासपुर छ.ग.
- सेंट्रल बैंक ऑफ इण्डिया,
आंचलिक कार्यालय
द्वारा श्रीमान मुख्य प्रबंधक
पता कार्यालय 9, अरेरा हिल्स
भोपाल म.प्र. 462011
- सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया मुख्य कार्यालय
द्वारा श्रीमान मुख्य प्रबंधक,
पता – कार्यालय चन्द्रमुखी,
नरिमन प्वाईंट, मुम्बई (महाराष्ट्र) 400021 .........अनावेदकगण/विरोधीपक्षकारगण
आदेश
(आज दिनांक 22/06/2015 को पारित)
१. आवेदक अभय राम गौर ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदकगण के विरूद्ध सेवा में कमी के आधार पर पेश किया है और अनावेदकगण से अपने बचत खाते से अवैध रूप से आहरित 88,704/-रू.की राशि को ब्याज एवं क्षतिपूर्ति के साथ दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक का अनावेदक बैंक की शाखा क्रमांक 1 में बचत खाता क्रमांक 1502 स्थित है, जिसमें आवेदक समय समय पर राशि जमा करता रहा, अगस्त 2010 में आवेदक को अनावेदक बैंक स्थित खाते का स्टेटमेंट निकालने पर पता चला कि उसके खाते में केवल 24,000/-रू. जमा है, जबकि उक्त खाते में दिनांक 05.07.2010 को 1,12,704/-रू. जमा था । आवेदक द्वारा इस बात की शिकायत तत्कालीन शाखा प्रबंधक से की गई किंतु उसके द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई, फलस्वरूप आवेदक आंचलिक कार्यालय में भी शिकायत किया , जहॉ उसे आश्वस्त किया गया कि उसके बचत खाते से बैंक के किसी कर्मचारी द्वारा धोखाधडी कर राशि आहरित किया गया है, जो उसके खाते में जमा कर दिया जावेगा, । दिनांक 09.01.2012 को आवेदक जब अनावेदक क्रमांक 1 के पास राशि जमा होने के संबंध में जानकारी लेने गया, तो उसे बताया गया कि पुलिस जॉच की कार्यवाही चल रही है, अत: उसे कोई राशि प्राप्त नहीं हो सकती, फलस्वरूप यह अभिकथित करते हुए कि अनावेदक बैंक द्वारा अपने आश्वासन से पीछे हटते हुए उसकी शिकायत पर कोई कार्यवाही न करते हुए कदाचरणयुक्त व्यवसाय कर हुए सेवा में कमी की गई, यह परिवाद पेश कर अनावेदक बैंक से वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया गया है ।
3. अनावेदक क्रमांक 1 ने जवाबदावा पेश कर अपने बैंक में आवेदक का बचत खाता होना तो स्वीकार किया, साथ ही उसके खाते से प्रश्नाधीन राशि अवैध रूप से आहरित होना भी स्वीकार किया, किंतु उसने विरोध इस आधार पर किया कि आवेदक के बचत खाता से राशि का अवैध आहरण उनके बैंक के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संतोष कुमार द्वारा अपने मामा शंकर वर्मा एवं शंभु वर्मा के साथ मिलकर किया गया है, जिसकी रिपोर्ट पर पुलिस द्वारा अपराध पंजीबद्ध कर चालान न्यायालय पेश किया गया है, जो विचाराधीन है, अत: परिवाद अपरिपक्व होने के आधार पर अनावेदक बैंक आवेदक के परिवाद को प्रचलन योग्य नहीं होना प्रकट किया, साथ ही यह भी प्रकट किया, कि आवेदक द्वारा परिवाद में संबंधित दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी एवं अन्य आरोपियों को पक्षकार नहीं बनाया गया है । अत: इस आधार पर भी परिवाद प्रचलन योग्य नहीं । इस प्रकार अनावेदक क्रमांक 1 सेवा में कमी से इंकार करते हुए आवेदक का परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने का निवेदन किया है ।
4. अनावेदक क्रमांक 2 व 3 मामले में एकपक्षीय रहे उनके लिए कोई जवाब दावा दाखिल नहीं किया गया है ।
5. उभय पक्ष अधिवक्ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया ।
6. देखना यह है कि क्या आवेदक, अनावेदक बैंक से वांछित अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है \
सकारण निष्कर्ष
7. आवेदक का बचत खाता क्रमांक 1502 अनावेदक बैंक की शाखा क्रमांक 1 में स्थित होने का तथ्य मामले में विवादित नहीं है । साथ ही उक्त खाते से आवेदक के प्रश्नाधीन राशि का अवैध आहरण होने का तथ्य भी मामले में विवादित नहीं है ।
8. अनावेदक बैंक का कथन है कि आवेदक के बचत खाता से प्रश्नाधीन राशि का अवैध आहरण उनके बैंक के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संतोष कुमार द्वारा अपने मामा शंकर वर्मा एवं शंभु वर्मा के साथ मिलकर किया गया है, जिसकी रिपोर्ट पर पुलिस द्वारा अपराध पंजीबद्ध कर चालान न्यायालय में पेश किया गया है, जो विचाराधीन है, अत: परिवाद अपरिपक्व होने के आधार पर प्रचलन योग्य नहीं है । यह भी कहा गया है कि आवेदक द्वारा अपने परिवाद में उपरोक्त आरोपियों को पक्षकार नहीं बनाया गया है, इस प्रकार प्रकरण में असंयोजन दोष भी है, फलस्वरूप भी परिवाद प्रचलन योग्य नहीं है ।
9. जहॉं तक आवेदक द्वारा परिवाद में तथाकथित आरोपियों को पक्षकार नहीं बनाए जाने का संबंध है, अनावेदक बैंक का ऐसा कथन नहीं है कि आवेदक अपने खाते में प्रश्नाधीन राशि उन आरोपियों के माध्यम से राशि जमा किया था । ऐसी स्थिति में उन आरोपियों को आवेदक द्वारा अपने परिवाद में पक्षकार नहीं बनाये जाने से कोई असंयोजन दोष उत्पन्न नहीं होता । अत: इस संबंध में अनावेदक बैंक की आपत्ति निरस्त की जाती है ।
10. जहॉं तक अनावेदक बैंक की ओर से उठायी गई इस आपत्ति का संबंध है कि तथाकथित आरोपियों के विरूद्ध चालान न्यायालय में लंबित है, फल्रस्वरूप परिवाद अपरिपक्व होने से प्रचलन योग्य नहीं । इस संबंध में यहॉं पर यह उल्लेख किया जाना आवश्यक प्रतीत होता है कि प्रश्नगत मामला आवेदक एवं अनावेदक बैंक के मध्य का है । बैंक के ग्राहक, बैंक से युक्तियुक्त त्वरित एवं विश्वसनीय सेवा की अपेक्षा रखते हैं । अनावेदक बैंक का ऐसा कोई कथन नहीं है कि आवेदक के खाते से प्रश्नाधीन राशि के अवैध आहरण में स्वयं आवेदक की किसी प्रकार की कोई लापरवाही शामिल है । इसके अलावा अनावेदक बैंक की ओर से ऐसा भी कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया है, जिससे दर्शित हो कि उनके सेवा प्रदान करने में असफलता के पीछे उनकी उपेक्षा शामिल नहीं है, जबकि अनावेदक बैंक के कथन से ही यह प्रकट होता है कि स्वयं आवेदक बैंक की लापरवाही की वजह से ही उनके दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को आवेदक के खाते से राशि आहरण का अवसर मिला, जिसके लिए अनावेदक बैंक अपने दायित्व से मुकरने में सक्षम नहीं ।
11. उपरोक्त कारणों से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि प्रश्नगत मामले में अनावेदक बैंक द्वारा आवेदक को युक्तियुक्त त्वरित एवं विश्वसनीय सेवा प्रदान न कर सेवा में कमी की गई, अत: हम अनावेदकगण के विरूद्ध अनावेदक के पक्ष में निम्न आदेश पारित करते हैं :-
अ. अनावेदक बैंक, आवेदक को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर उसके बचत खाते में अवैध रूप से आहरित राशि 88,704/-रू. (अठ्यासी हजार सात सौ चार रूपये) जमा करेगा । साथ ही उक्त रकम पर आवेदन दिनांक 11.04.2012 से जमा तिथि तक 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी अदा करेगा ।
ब. अनावेदक बैंक, आवेदक को मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 25,000/- रू.(पच्चीस हजार रू.) की राशि भी अदा करेगा ।
स. अनावेदक बैंक, आवेदक को वादव्यय के रूप में 2,000/- रू.(दो हजार रू.) की राशि भी अदा करेगा।
आदेश पारित
(अशोक कुमार पाठक) (प्रमोद वर्मा)
अध्यक्ष सदस्य