राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-429/2021
विजय सिंह पुत्र स्व0 श्री शिशुपाल सिंह
बनाम
भारतीय जीवन बीमा निगम व अन्य
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री सर्वेश्वर मेहरोत्रा
प्रत्यर्थीगण के अधिवक्ता : श्री संजय जायसवाल
दिनांक :- 18.12.2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/परिवादी द्वारा इस आयोग के सम्मुख उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, सम्भल द्वारा परिवाद सं0-92/2019 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.03.2021 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी के स्व0 पिता श्री शिशुपाल सिंह विपक्षीगण के अधिकृत बीमा अभिकर्ता थे तथा विपक्षी सं0 1 की शाखा में अभिकर्ता के रूप में कार्य कर रहे थे, जिनका अभिकर्ता कोर्ड 2561-362 था। अपीलार्थी/परिवादी के स्व0 पिता का ग्रुप इंश्योरेंस विपक्षीगण के द्वारा बीमा एजेन्सी के साथ ही किया गया था, जिसका प्रीमियम प्रत्येक वर्ष समय पर विपक्षीगण के द्वारा परिवादी के स्व0 पिता को मिलने वाले कमीशन में से काट लिया जाता था। इस प्रकार अपीलार्थी/परिवादी के स्व0 पिता का ग्रुप इंश्योरेंस नियमानुसार चल रहा था तथा मृत्यु के वक्त प्रभावी था। सितम्बर 2015 को बीमा धन 4,00,000/-रू0 के लिए प्रीमियम 726/-रू0 तथा अगस्त 2016 में बीमा धन 5,00,000/-रू0 के लिए प्रीमियम 1725/-रू0 कमीशन बीमा से काटा गया, जैसा कि आर0टी0आई0 एक्त के तहत विपक्षी सं0 2 द्वारा दिनांक 16.11.2018 में दर्शायी गयी बीमा प्रीमियम की धनराशि से स्पष्ट है। सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत प्रार्थना पत्र दिनांक 25.02.2019 मे परिवादी द्वारा माह सितम्बर 2016 में कमीशन बिल में से काटी गयी 1725/-रू0 की प्रीमियम राशि के अनुसार रिस्कवर की धनराशि मालूम की गयी थी, जिसका दिनांक 25.03.2019 को कोई भी स्पष्ट जवाब विपक्षी सं0 2 द्वारा नहीं दिया गया। दिनांक 30.01.2018 को केवल 1,00,000/-रू0 का भुगतान मृत्यु दावे के रूप में परिवादी को किया गया है, जो कि गलत एवं नियमों के विरूद्ध है। परिवादी द्वारा कानूनी नोटिस अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षीगण को इस आशय से भेजा गया कि वह परिवादी के स्व0 पिता शिशुपाल सिंह के जीवन पर ग्रुप बीमा पॉलिसी की शेष धनराशि 4,00,000/-रू0 का भुगतान नियमानुसार कर देवें, परंतु विपक्षीगण द्वारा बीमित धनराशि का नियमानुसार भुगतान नहीं किया गया, जिस कारण यह परिवाद योजित किया गया है।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र में कथन किया गया है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद संस्थित करने का कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं होता है एवं कथन किया गया है कि परिवादी के पिता स्व0 शिशुपाल सिंह का ग्रुप इंश्योरेंस नियमानुसार चल रहा था। किसी बीमित व्यक्ति की मृत्यु के उपरान्त मृतक के उत्तराधिकारियों अथवा नामित व्यक्तियों का दायित्व है कि वे बीमित व्यक्ति की मृत्यु की सूचना तत्काल विपक्षी के कार्यालय को दे साथ ही बीमा धनराशि लेने हेतु औपचारिकताओं को पूर्ण करें, लेकिन अपीलार्थी/परिवादी ने अपने दायित्वों का समय पर निर्वहन नहीं किया और औपचारिकताएं पूर्ण नहीं की। विपक्षी द्वारा रूपये 4,00,000/-रू0 अदेय प्रीमियम 1086/-रू0 काटकर शेष राशि 3,98,914/-रू0 का भुगतान नेफ्ट के माध्यम से दिनांक 25.10.2019 को परिवादी के खाता सं0- 84260154551615 आई0एफ0एस0सी0 पूयी एच बी ओ एस यूपीजीबीएस में कर दिया गया है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवादी का परिवाद खारिज किया है।
जिला उपभोक्ता आयोग के प्रश्नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/परिवादी की ओर से यह अपील योजित की गई है।
जिला उपभोक्ता आयोग ने अपने निष्कर्ष मे उल्लेख किया है कि परिवादी ने ऐसा कोई कथन परिवाद पत्र एवं शपथ पत्र मे नहीं किया है कि उसने बीमा धन प्राप्त किये जाने के संबध में समस्त आवश्यक प्रपत्रों सहित बीमादावा विपक्षी के कार्यालय में कब प्रस्तुत किया। विपक्षी द्वारा दाखिल पेमेंट बाउचर दिनांक 25.10.2019 के अवलोकन से विदित होता है कि विपक्षी द्वारा अपीलार्थी/परिवादी के खाते में मु0 3,98,914/रू0 क्रेडिट कर दी गयी है।
हमारे द्वारा पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता के कथनों को सुनने के पश्चात तथा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि सम्मत है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलीय स्तर पर नहीं पायी गई, तद्नुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)(सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 1