Chhattisgarh

Bilaspur

CC/12/85

SMT. SYAM BAI - Complainant(s)

Versus

B.M. BAJAJ ALLIANZE JENERAL INSURANCE CO. LTD. - Opp.Party(s)

SHRI DUSYANT KASYAP

03 Jun 2015

ORDER

District Consumer Dispute Redressal Forum
Bilaspur (C.G.)
Judgement
 
Complaint Case No. CC/12/85
 
1. SMT. SYAM BAI
TALAPARA BILASPUR
BILASPUR
CHHATTISGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. B.M. BAJAJ ALLIANZE JENERAL INSURANCE CO. LTD.
CHHATTISGARH COMPLEX INFORNT OF GEETA LOGE
BILASPUR
CHHATTISGARH
2. B.M. GOLDEN MULTI SERVICES CLUB LTD
G.T.F.S. PODDAR COURT 18 RAVINDRA SARANI KOLKATA
KOLKATA
BANGAL
3. B.M. GOLDEN MULTI SERVICES
RAMA TRAD CENTRE INFORNT OF RAJIV PLAZA BUSH STAND BILASPUR
BILASPUR
CHHATTISGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK PRESIDENT
 HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA MEMBER
 
For the Complainant:
SHRI SUSYANT KASHYAP
 
For the Opp. Party:
NA1 SHRI DINESH VARMA
NA 2 AND 3 SHRI K.K KAUSHIK
 
ORDER

//जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर छ.ग.//

 

                                                                                         प्रकरण क्रमांक  c c/85/2012   

                                                                                           प्रस्‍तुति दिनांक  25/05/2012

श्रीमती श्‍याम बाई कर्ष

पति स्‍व. श्री घासीराम कर्ष 

उम्र 62 वर्ष, निवासिनी ग्राम जैजैपुर

तह. व जिला जांजगीर-चांपा (छ.ग.) 

हाल मुकाम तालापारा बिलासपुर

तह0 व जिला बिलासपुर छ0ग0                      ......आवेदिका/परिवादी

                   विरूद्ध

  1. श्रीमान शाखा प्रबंधक,  

              बजाज एलायंस जनरल इंश्‍योरेंश कंपनी लिमि. 

              शाखा कार्यालय, छत्‍तीसगढ काम्‍पलेक्‍स (गीता लॉज)

के सामने बिलासपुर (छ.ग.)   

 

  1. श्रीमान शाखा प्रबंधक,    

          गोल्‍डन मल्‍टी सर्विसेस क्‍लब लिमि.

          जी.टी.एफ.एस. पोद्दार कोर्ट

          18 रविन्‍द्र सारानी कोलकाता 700001   

  

     3. श्रीमान शाखा प्रबंधक, 

     शाखा कार्यालय गोलडन मल्‍टी सर्विसेस

    रामा ट्रेड सेंटर, राजीव प्‍लाजा के सामने,

     बस स्‍टेण्‍ड बिलासपुर (छ.ग.)             .........अनावेदकगण/विरोधीपक्षकार

 

 

                               आदेश

            (आज दिनांक 03/06/2015 को पारित)

 

१. आवेदिका  श्रीमती श्‍याम बाई ने उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदकगण के विरूद्ध बीमा दावा को अस्‍वीकार कर सेवा में कमी के लिए पेश किया है और अनावेदकगण से बीमा दावा की राशि 50,000/. रूपये को ब्‍याज एवं क्षतिपूर्ति के साथ दिलाए जाने का निवेदन किया है ।

2. परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदिका का पति स्‍वर्गीय घासीराम अपने जीवन काल में अनावेदक क्रमांक 2  के माध्‍यम से अनावेदक क्रमांक 1 से दिनांक 15.04.2006 से 14.11.2011 तक की अवधि के लिए ग्रुप  पर्सनल एक्सीडेंट इंश्‍योरेंस पॉलिसी लिया था, जिसके तहत  दुर्घटना में बीमाकर्ता की मृत्‍यु होने पर नॉमिनी को 50,000/-रू. प्राप्‍त होना था, दिनांक 12.08.2007 को बीमा अवधि में आवेदिका के पति की मृत्‍यु नहर में गिर जाने के कारण आई चोटों से हो गई । नॉमिनी होने के नाते आवेदिका ने अनावेदकगण के समक्ष दिनांक 27.12.2007 को बीमा दावा प्रस्‍तुत किया, जिसे अनावेदकगण की ओर से दिनांक 29.08.2008 को दस्‍तावेजों की अपर्याप्‍तता के आधार पर निरस्‍त कर दिया गया और दावे का समुचित निराकरण नहीं किया गया, फलस्‍वरूप  आवेदिका द्वारा इस फोरम के समक्ष परिवाद प्रस्‍तुत किया गया, जिसमें न्‍यायालय द्वारा 13.06.2011 को यह आदेश पारित किया गया कि आवेदिका के वांछित दस्‍तावेजों के साथ पुन: दावा अनावेदक बीमा कंपनी के समक्ष प्रस्‍तुत करने पर बीमा कंपनी उक्‍त दावे का निराकरण दो माह की अवधि के भीतर करेगा, जिस आदेश के परिपेक्ष्‍य में आवेदिका द्वारा पुन: दावा आवेदन अनावेदक बीमा कंपनी के समक्ष पेश किया गया, किंतु बीमा कंपनी द्वारा उसका निराकरण नहीं किया गया अत: उसने अनावेदकगण की इस सेवा में कमी के लिए पूर्व वादकारण के आधार पर  पुन: यह परिवाद पेश करना बताया है ।

3. अनावेदक क्रमांक 1 बीमा कंपनी की ओर से जवाब पेश कर परिवाद का विरोध इस आधार पर किया गया कि आवेदिका द्वारा उन्‍हें घटने की सूचना तत्‍काल नहीं दी गई । साथ ही कहा गया है कि आवेदिका के पति की मृत्‍यु शराब के नशे में होने के कारण घटित हुई, जिस तथ्‍य को आवेदिका द्वारा अपने परिवाद में छिपाया गया है । उक्‍त आधार पर अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा आवेदिका के परिवाद को अनावश्‍यक तंग एवं परेशान करने वाला होना अभिकथित करते हुए निरस्‍त किए जाने का निवेदन किया गया है ।

4. अनावेदक क्रमांक 2 व 3 की ओर से संयुक्‍त जवाब पेश कर यह तो स्‍वीकार किया गया कि आवेदिका के पति  उनके माध्‍यम से अनावेदक बीमा कंपनी से प्रश्‍नाधीन पॉलिसी क्रय किया था, किंतु विरोध इस आधार पर किया गया है कि आवेदिका द्वारा बीमा दावा के समर्थन में वांछित दस्‍तावेज पेश नहीं किया गया था ।   

      5. उभय पक्ष अधिवक्‍ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया ।

6. देखना यह है कि क्‍या आवेदिका, अनावेदकगण से वांछित अनुतोष प्राप्‍त करने की अधिकारिणी है \

                      सकारण निष्‍कर्ष

7. इस संबंध में कोई विवाद नहीं कि आवेदिका का पति स्‍व0घासीराम अपने जीवन काल में अनावेदक क्रमांक 2 एवं 3 के जरिए अनावेदक क्रमांक 1 के पास से ग्रुप पर्सनल एक्‍सीडेंट इंश्‍योरेंस पॉलिसी प्राप्‍त किया था, जिसमें उसने आवेदिका को नॉमिनी बनाया था। पॉलिसी के तहत दुर्घटनात्‍मक मृत्‍यु होने पर नॉमिनी को 50,000/-रू. की क्षतिपूर्ति प्राप्‍त होने का तथ्‍य भी मामले में विवादित नहीं है । साथ ही यह भी विवादित नहीं है कि आवेदिका के पति की मृत्‍यु दिनांक 12.08.2007 को गिरने से आई चोटों के कारण हो गई।    

8. आवेदिका का कथन है कि दिनांक 12.08.2007 को उसके पति की मृत्‍यु नहर में गिर जाने के कारण आई चोटों से हुई, जबकि इसके विपरीत अनावेदक बीमा कंपनी का कथन है कि आवेदिका के पति की मृत्‍यु शराब सेवन की वजह से हुई थी ।

9. आवेदिका द्वारा यद्यपि अपने परिवाद में यह उल्‍लेख किया गया है कि उसके पति के शव परीक्षण रिपोर्ट में भी दुर्घटनात्‍मक चोटों से मृत्‍यु होना बताया गया है, किंतु ऐसा कोई परीक्षण रिपोर्ट उसके द्वारा मामले में पेश नहीं किया गया है, जबकि अनावेदक बीमा कंपनी के अनुसार दुर्घटना समय आवेदिका का पति शराब के नशे में था, जिसके कारण ही दुर्घटना घटित हुई थी, उसने इस बात का उल्‍लेख आवेदिका के पति के शव परीक्षण रिपोर्ट में भी होना बताया है, जिसका कि कोई विरोध आवेदिका की ओर से मामले में नहीं किया गया है और न ही खण्‍डन में मृतक का शव परीक्षण रिपोर्ट प्रस्‍तुत किया गया है ।

10. फलस्‍वरूप आवेदिका की ओर से साक्ष्‍य के अभाव में यह स्‍पष्‍ट नहीं हो पाता कि उसके पति की मृत्‍यु ऐसी दुर्घटनात्‍मक चोटों से हुई, जिसके लिए उसका पति किसी प्रकार  दायी नहीं था, कहने का तात्‍पर्य उक्‍त कथित दुर्घटना के लिए आवेदिका का पति किसी भी रूप में जिम्‍मेदार नहीं था ।

11. उपरोक्‍त कारणों से हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचते हैं कि आवेदिका अपना परिवाद प्रमाणित करने में असफल रही है । अत: उसका परिवाद निरस्‍त किया जाता है ।

12. उभय पक्ष अपना अपना वादव्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

आदेश पारित

 

 

               (अशोक कुमार पाठक)                                 (प्रमोद वर्मा)

                       अध्‍यक्ष                                                 सदस्‍य

 

 

 

 

                                                                                                             

 

 

 
 
[HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA]
MEMBER

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