Uttar Pradesh

StateCommission

A/2005/2166

U P S R T C - Complainant(s)

Versus

B K Saxena - Opp.Party(s)

Gyan Singh Chauhan

25 Jul 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2005/2166
( Date of Filing : 13 Feb 2005 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. U P S R T C
a
...........Appellant(s)
Versus
1. B K Saxena
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 25 Jul 2024
Final Order / Judgement

                                              (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-2166/2005

(जिला आयोग, लखीमपुर-खीरी द्वारा परिवाद संख्‍या-223/2002 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14.11.2005 के विरूद्ध)

                                    

1.    असिस्‍टण्‍ट रिजनल मैनेजर, उत्‍तर प्रदेश रोडवेज कारपोरेशन, गोला गोरखनाथ जिला लखीमपुर खीरी।

2.    रिजनल मैनेजर, उत्‍तर प्रदेश रोडवेज ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन, बरेली, जिला बरेली।

3.    डिविजनल प्रधान प्रबंधक (मध्‍य जोन) लखनऊ उत्‍तर प्रदेश रोडवेज ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन।

अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम

ब्रह्म कुमार सक्‍सेना (मृतक)

1/1. श्रीमती सरोज सक्‍सेना पत्‍नी स्‍व0 श्री ब्रह्म कुमार सक्‍सेना।

1/2. जितेन्‍द्र सक्‍सेना पुत्र स्‍व0 श्री ब्रह्म कुमार सक्‍सेना।

निवासीगण मोहल्‍ला भुइफोरवानाथ लखीमपुर खीरी।

       प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी/विधिक उत्‍तराधिकारीगण

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित     : श्री जी.एस. चौहान की सहायक

                                                       श्रीमती मंजू देवी।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक:  25.07.2024

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.          परिवाद संख्‍या-223/2002, ब्रम्‍ह कुमार सक्‍सेना बनाम सहायक क्षेत्रीय प्रबन्‍धक उत्‍तर प्रदेश परिवहन निगम तथा दो अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, लखीमपुर-खीरी द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14.11.2005 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

2.         विद्वान जिला आयोग ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया है कि वह ई.पी.एफ. की धनराशि अंकन 4,50,000/-रू0 9 प्रतिशत साधारण वार्षि‍क ब्‍याज के साथ 30 दिन के अन्‍दर परिवादी को अदा की जाए तथा मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 5,000/-रू0 एवं वाद व्‍यय के रूप में अंकन 1,000/-रू0 भी अदा करने के लिए आदेशित किया गया।

3.         परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने दिनांक 1.4.1964 को परिवहन निगम में लीपिक के पद पर सेवा प्रारम्‍भ की थी तथा दिनांक 31.7.2002 को सेवानिवृत्‍त हुए। सेवा अवधि के दौरान परिवादी के वेतन से विभाग के नियमों के अनुसार दिनांक 31.7.2002 तक अंकन 4,50,000/-रू0 ई.पी.एफ. का तथा अंकन 1,80,000/-रू0 ग्रेच्‍युटी का तथा अंकन 80,000/-रू0 नकदीकरण व अंकन 15,000/-रू0 बीमा राशि का लाभ सेवानिवृत्ति के समय देय था, परन्‍तु विपक्षीगण द्वारा परिवादी को देय राशि का भुगतान नहीं किया गया।

4.         विपक्षीगण का यह कथन है कि अदेयता प्रमाण पत्र प्राप्‍त होने के पश्‍चात देय राशि अदा की जाती है। परिवादी द्वारा सेवानिव‍ृत्ति के 4 माह पश्‍चात यह प्रमाण पत्र दिया गया, इसलिए भुगतान में विलम्‍ब हुआ और चूंकि परिवादी को सेवानिवृत्ति के भुगतान किए जाने हैं, इसलिए उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय नहीं है।

5.         पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि नजीर, शिव कुमार जोशी बनाम रीजनल प्राविडेंट कमिश्‍नर में यह व्‍यवस्‍था दी गई है कि ई.पी.एफ. का सदस्‍य उपभोक्‍ता की श्रेणी में आता है, इसलिए उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय है। चूंकि विपक्षीगण द्वारा परिवादी को देय राशि का भुगतान नहीं किया गया है, इसलिए उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।

6.         अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता की सहायक अधिवक्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

7.         अपीलार्थीगण की ओर से यह बहस की गई है कि अंकन 4,50,000/-रू0 के भुगतान का आदेश बगैर किसी गणना के दिया गया है। यह फण्‍ड प्रोविडेंट कमिश्‍नर के पास जमा है, जिस पर नियमों के अनुसार ब्‍याज देय होता है, इसलिए उपभोक्‍ता आयोग को ब्‍याज अदा करने का आदेश देने का अधिकार नहीं है।

8.         अपील के ज्ञापन में परिवादी को देय राशि के संबंध में इंकार नहीं किया गया है, केवल यह कथन किया गया है कि यह राशि प्रोविडेंट कमिश्‍नर के पास जमा है, जिस पर नियमों के अनुसार ब्‍याज देय होता है, इसलिए उपभोक्‍ता आयोग को अतिरिक्‍त ब्‍याज देने के लिए आदेश देने की आवश्‍यकता नहीं है, यह तर्क केवल उस सीमा तक ग्राह्य किए जाने योग्‍य है कि जब तक परिवादी/मृतक के विधिक उत्‍तराधिकारियों को देय राशि की देय तिथि तक ब्‍याज की गणना की जानी थी, परन्‍तु देय तिथि तक यह राशि अदा नहीं की गई तब ब्‍याज की राशि स‍ुनिश्‍चित करने का अधिकार उपभोक्‍ता आयोग में निहित है, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्‍तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

9.         प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

           प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

 

   (सुधा उपाध्‍याय)                         (सुशील कुमार)

 सदस्‍य                                सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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