राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या- 790/2016
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता फोरम, प्रथम लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-244/2014 में पारित आदेश दिनांक 16.03.2016 के विरूद्ध)
The Managing Director Indian Railway Catering & Tourism Corporation Ltd, 9th Floor, Bank of Baroda Building, 16 Parliament Street New Delhi 110001.
..............अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
B.B.Srivastava, R/o 12/596 Indira Nagar Lucknow 226016
..........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : -
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : व्यक्तिगत रूप से।
दिनांक:29.11.2017
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 244/2014 बी0बी0 श्रीवास्तव बनाम मैनेंजिग डायरेक्टर इण्डियन रेलवे कैटरिंग एण्ड टूरिज्म कारर्पोरेशन लि0 में जिला फोरम प्रथम लखनऊ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 16.03.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुये विपक्षी को आदेशित किया है कि वह 4,615/-रू0 परिवादी को 9% ब्याज सहित परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक अदा करे। इसके साथ ही जिला फोरम ने यह भी आदेशित किया है कि विपक्षी परिवादी को 2,000/-रू0 वाद व्यय प्रदान करे और आदेश का अनुपालन 01 मास के अन्दर करे।
जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील उपरोक्त परिवाद के विपक्षी मैनेजिंग डायरेक्टर आई0आर0सी0टी0सी की ओर से प्रस्तुत की गयी है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। प्रत्यर्थी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए है।
मैंने प्रत्यर्थी के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश, मेमो अपील तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने दिनांक 13.10.2013 को जगाधारी हरियाणा से लखनऊ के लिए रेल के ई-टिकट बुक कराये, परन्तु यात्रा की तिथि दिनांक 12.12.2013 को ट्रेन छूट गयी तब स्टेशन मास्टर द्वारा बताया गया कि 10 दिन के अन्दर वह टी.डी.आर, टिकट की धनराशि के रिफंड के लिए प्रस्तुत कर सकता है। उसके बाद उसने टिकट की जमा धनराशि के रिफंड हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया परन्तु उसे न तो टिकट की धनराशि वापिस की गयी, न ही कोई सूचना दी गयी।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी को दिनांक 14.12.2013 को पत्र भेजा परन्तु कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ। उसने पुन: सूचना के अधिकार के अन्तर्गत दिनांक 09.01.2014 को प्रश्नगत धनराशि के रिफंड की स्थिति जानने हेतु पत्र भेजा फिर भी कोई जानकारी नहीं दी गयी। अत: विवश होकर उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत कर टिकट की धनराशि के रिफंड का अनुतोष चाहा है साथ ही क्षतिपूर्ति व वादव्यय भी मांगा है।
जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत कर कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने 3 टिकट वर्तिका श्रीवास्तव के माध्यम से जगाधारी हरियाणा से लखनऊ की यात्रा के लिए बुक कराये थे जिसके रिफंड के लिए उसे आनलाइन टी.डी.आर निश्चित समय के अन्दर प्रस्तुत करना चाहिए था परन्तु अभिलेख के अनुसार टी.डी.आर रेलवे की नियमावली के अनुसार प्रस्तुत नहीं किया गया है।
लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से यह भी कहा गया है कि कन्फर्म टिकट के रिफंड के सम्बन्ध में टी.डी.आर ट्रेन की रवानगी के 03 घण्टे के अन्दर प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है परन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी ने टी.डी.आर निर्धारित समय के बाद प्रस्तुत किया है। ऐसी स्थिति में न तो उसके टी.डी.आर को पंजीकृत किया गया है और न ही कमर्शियल मैनेजर/रिफंड आई.आर.सी.टी.सी. का इसमें कोई रोल है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से कहा गया है कि कोई वादहेतुक उत्पन्न नहीं हुआ है और विपक्षी ने सेवा में कोई कमी नहीं की है।
जिला फोरम ने उभयपक्ष के अभिकथन पर विचार करने के उपरांत यह निष्कर्ष निकाला है कि सम्बन्धित रेलवे स्टेशन के स्टेशन मास्टर ने प्रत्यर्थी/परिवादी को 10 दिन के अन्दर टी.डी.आर प्रस्तुत करने को कहा और प्रत्यर्थी/परिवादी ने टी.डी.आर दिनांक 14.12.2013 को यात्रा की तिथि दिनांक 12.12.2013 के 10 दिन के अन्दर प्रस्तुत कर दिया है। प्रत्यर्थी/परिवादी को उसके टिकट की धनराशि वापिस न कर अपीलार्थी/विपक्षी ने सेवा में त्रुटि की है। अत: जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए उपरोक्त प्रकार से निर्णय और आदेश पारित किया है।
अपीलार्थी की ओर से अपील की सुनवाई के समय कोई उपस्थित नहीं हुआ है परन्तु मेमो अपील में आक्षेपित निर्णय और आदेश को त्रुटिपूर्ण बताया गया है।
प्रत्यर्थी/परिवादी का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के अनुकूल है।
भारतीय रेलवे बोर्ड द्वारा जारी नोटिफिकेशन दिनांक 06.06.2013 का रूल 5(2) इस प्रकार है कि
"No Refund shall be granted on the reserved ticket if it is surrendered for cancellation after two hours of the actual departure of the train."
परिवाद पत्र की धारा-4 के कथन से यह स्पष्ट है कि दिनांक 12.12.2013 को ट्रेन छूटने के बाद प्रत्यर्थी/परिवादी ने स्टेशन मास्टर से सम्पर्क किया है तो उन्होंने 10 दिन के अन्दर टिकट की धनराशि की वापसी हेतु टी.डी.आर प्रस्तुत करने हेतु कहा जबकि भारतीय रेलवे बोर्ड के नोटिफिकेशन दिनांक 06.06.2013 के नियम 7(a)(9) में प्राविधान है कि कन्फर्म ई-टिकट की धनराशि का रिफंड ऐसी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जाएगा जब रिफंड का अनुरोध ट्रेन छूटने के वास्तविक समय के 03 घण्टे के बाद किया जाएगा। अत: यह स्पष्ट है कि स्टेशन मास्टर ने प्रत्यर्थी/परिवादी को गलत सूचना दिया है जिसके आधार पर वह समय से अपने ई-टिकट की धनराशि के रिफंड हेतु टी.डी.आर प्रस्तुत नहीं कर सका है। स्टेशन मास्टर द्वारा गलत सूचना नियम विरूद्ध प्रत्यर्थी/परिवादी को दी गयी है। निश्चित रूप से यह सेवा में त्रुटि है ऐसी स्थिति में जिला फोरम ने जो टिकट की धनराशि ब्याज सहित वापिस करने का आदेश अपीलार्थी/विपक्षी को दिया है वह अनुचित व विधि विरूद्ध नहीं कहा जा सकता है। जिला फोरम ने जो 2,000/-रू0 वादव्यय प्रत्यर्थी/परिवादी को प्रदान किया है वह भी उचित है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर मैं इस मत का हूं कि अपील बल रहित है और निरस्त किये जाने योग्य है। अत: अपील निरस्त की जाती है।
उभयपक्ष अपील में अपना-अपना वादव्यय स्वयं वहन करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
सुधांशु श्रीवास्तव, आशु0
कोर्ट नं0-1