Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/1485

Iffco Tokio General Insurance Co - Complainant(s)

Versus

Ayub Khan - Opp.Party(s)

Ashok Mehrotra

19 Jan 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/1485
( Date of Filing : 30 Aug 2010 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Iffco Tokio General Insurance Co
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Ayub Khan
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 19 Jan 2019
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(सुरक्षित)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1485/2010

(जिला मंच, कानपुर नगर द्धारा परिवाद सं0-952/2006 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29.7.2010 के विरूद्ध)

IFFCO TOKIO General Insurance Co. Ltd., Palm Court, 4th Floor, Plot No. 28/04, Sector-14, Sukhrali Chowk, Mehrauli, Gurgaon-122001.

                                                 ........... Appellant/Opp. Party

Versus    

1-     Ayub Khan, S/o Late Latif Khan, R/o Village Kharauti, Post Kamalpur, P.S. Maharajpur, District-Kanpur.

     …….. Respondent/ Complainant

2-     IFFCO, Regional Manager, Kanpur Division, 3A-101, Azad Nagar, Nawabganj, Kanpur.

3-     Sachiv, Saghan Sehkari Samiti, Sarsaul, Kanpur Nagar.

            …….. Respondents/ Opp. Parties      

समक्ष :-

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य

मा0 गोवर्धन यादव, सदस्‍य

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता      : श्री अशोक मेहरोत्रा

प्रत्‍यर्थी सं0-1 के अधिवक्‍ता  : श्री ओ0पी0 श्रीवास्‍तव

दिनांक :-20-02-2019                                       

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय    

प्रस्‍तुत अपील परिवाद संख्‍या-952/2006 में जिला मंच, कानपुर नगर द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांकित 29.7.2010 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी मृतका श्रीमती अहमदी का उत्‍तराधिकारी है। श्रीमती अहमदी ने सचिव, साधन सहकारी समिति सरसौल, जिला कानपुर से दिनांक

-2-

28.9.2004 को 30 बोरी यूरिया व 20 बोरी डी0ए0पी0 खाद कुल 17,160.00 रू0 इफको कम्‍पनी से खरीदा था। श्रीमती अहमदी द्वारा किया गया यह क्रय अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा संकट हरण बीमा योजना से आच्‍छादित था। इस योजना के अन्‍तर्गत इफको कम्‍पनी द्वारा निर्मित खाद की प्रत्‍येक 50 किलो की बोरी क्रय किए जाने पर क्रेता की दुर्घटना में मृत्‍यु हो जाने पर क्रय किए जाने की तिथि से 12 माह की अवधि के मध्‍य क्रेता के नामित अथवा विधिक उत्‍तराधिकारी 4,000.00 रू0 प्रति बोरी के हिसाब से क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा। क्षतिपूर्ति की यह धनराशि अधिकत्‍म 1,00,000.00 रू0 होगी। श्रीमती अहमदी की मृत्‍यु दिनांक 29.6.2005 को छत से गिर जाने के कारण हुई थी, जिसकी सूचना थाने में दी गई और मृत शरीर का पंचनामा भी कराया गया तथा बीमा दावा बीमा कम्‍पनी को प्रेषित किया गया, किन्‍तु बीमित धनराशि की अदायगी बीमा कम्‍पनी द्वारा नहीं की गई। अत: क्षतिपूर्ति मय ब्‍याज की अदायगी हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया।

अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी ने जिला मंच के समक्ष प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया। अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के कथनानुसार क्रेता श्रीमती अहमदी की मृत्‍यु किसी दुर्घटना में होना प्रमाणित नहीं है। बल्कि उनकी मृत्‍यु अधिक उम्र के कारण ऑख की रोशनी की समस्‍या तथा सामान्‍य दुर्बलता के कारण हुई। अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी का यह भी कथन है कि क्रेता की मृत्‍यु की सूचना दाह संस्‍कार से पूर्व नहीं दी गई, जिसके कारण जॉच नहीं करायी गई। शव विच्‍छेदन आख्‍या भी प्रस्‍तुत

-3-

नहीं की गई और न ही कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट सम्‍बन्धित थाने में दर्ज की गई। कथित घटना के 28 दिन बाद थाने में सूचना प्रेषित की गई। अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी का यह कथन है कि प्रश्‍नगत क्रय से सम्‍बधित मूल रसीद भी बीमा दावे के साथ दाखिल नहीं की गई। ऐसी परिस्थिति में बीमा दावा भुगतान हेतु न पाये जाने के कारण बीमा दावे का भुगतान नहीं किया गया तथा अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी ने अपने पत्र दिनांकित 25.8.2005 द्वारा बीमा दावे का भुगतान अस्‍वीकार कर दिया। प्रश्‍नगत योजना की शर्त सं0-10 के अन्‍तर्गत बीमा दावा अस्‍वीकार किए जाने की स्थिति में 12 माह के अन्‍दर वाद न्‍यायालय में योजित किया जाना आवश्‍यक था, अन्‍यथा दावा समाप्‍त होना माना जायेगा। प्रस्‍तुत प्रकरण में बीमा दावा अस्‍वीकार किए जाने के 12 माह के अन्‍दर परिवादी जिला मंच के समक्ष योजित नहीं किया गया।

प्रत्‍यर्थी सं0-2 ने अपने प्रतिवाद पत्र में स्‍वयं को अनावश्‍यक रूप से पक्षकार बनाया जाना अभिकथित किया है।

प्रश्‍नगत निर्णय के अनुसार प्रत्‍यर्थी सं0-3 ने अपने प्रतिवाद पत्र में श्रीमती अहमदी की मृत्‍यु दिनांक 29.6.2005 को छत से गिर जाने के कारण 8.30 बजे होना स्‍वीकार किया तथा यह भी स्‍वीकार किया कि श्रीमती अहमदी उसकी संस्‍था की सदस्‍या थी तथा नियमत: लेन-देन करती थी। उसके द्वारा परिवादी के दावे को भेजा गया था।

जिला मंच ने परिवादी का दावा स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी को निर्देशित किया कि निर्णय के 30 दिन के अन्‍दर बीमा से सम्‍बन्धित धनराशि 1,00,000.00 रू0 तथा वाद व्‍यय के रूप में 5,000.00 रू0

-4-

परिवादी को अदा करें, अन्‍यथा वाद प्रस्‍तुत करने के दिन से लेकर सम्‍पूर्ण क्षतिपूर्ति की अदायगी के दिन तक परिवादी 10 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा।

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर अपील योजित की गई है।

हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अशोक मेहरोत्रा तथा प्रत्‍यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री ओ0पी0 श्रीवास्‍तव के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया है। जिला मंच द्वारा इस तथ्‍य की अनदेखी की गई कि कथित क्रेता श्रीमती अहमदी की कथित दुर्घटना में मृत्‍यु हुई और मृत्‍यु को प्रमाणित करने हेतु प्रश्‍नगत बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत आवश्‍यक शव विच्‍छेदन आख्‍या प्रस्‍तुत नहीं की गई और न ही खाद क्रय से सम्‍बन्धित मूल रसीद दाखिल की गई। मूल रसीद के आधार पर ही क्रेता तथा उसके द्वारा नामित व्‍यक्ति की पहचान होना सम्‍भव है। परिवाद के साथ कथित क्रय से सम्‍बन्धित रसीद की जो छायाप्रति दाखिल की गई हैं, उसमे नामित व्‍यक्ति का हस्‍तलेख अलग से बाद में जोड़ा गया है। क्रय से सम्‍बन्धित दो भिन्‍न-भिन्‍न रसीदें प्रस्‍तुत की गई हैं। कथित दुर्घटना में हुई मृत्‍यु को प्रमाणित करने हेतु जो पंचनामा प्रस्‍तुत किया गया है, वह पंचनामा स्‍वीकार किए जाने योग्‍य नहीं है, क्‍योंकि यह पंचनामा पुलिस की मौजूदगी में तैयार नहीं किया गया। अपीलार्थी की ओर से

-5-

यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि एक ही अस्‍पताल के दो मृत्‍यु प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत किए गये थे, इन मृत्‍यु प्रमाण पत्र में मृत्‍यु का कारण अलग-अलग दर्शित किया गया है। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि श्रीमती अहमदी अविवाहित थी तथा श्री आमिर खान की पुत्री थी। परिवादी ने स्‍वयं को श्रीमती अहमदी का भतीजा बताते हुए दावा प्रेषित किया, जबकि रजिस्‍ट्रार जन्‍म-मृत्‍यु द्वारा जारी किए गये मृत्‍यु प्रमाण पत्र में मृतका के पति का नाम स्‍व0 श्री लतीफ खान दर्शित है। स्‍वयं परिवादी ने बीमा दावे के पुनर्विचारण हेतु प्रस्‍तुत प्रार्थना पत्र में स्‍वयं को मृतका का पुत्र होना दर्शित किया गया है। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि बीमा दावा दिनांक 25.8.2005 को अस्‍वीकार कर दिया गया। बीमा पालिसी की शर्त के अन्‍तर्गत परिवाद बीमा दावा अस्‍वीकार किए जाने की तिथि से अधिकत्‍म 12 माह के अन्‍दर योजित किया जाना था, किन्‍तु प्रश्‍नगत परिवाद बीमा दावा अस्‍वीकार किए जाने की तिथि से 12 माह की अवधि बीत जाने के उपरांत दिनांक 18.11.2006 को योजित किया गया, अत: पोषणीय नहीं था, किन्‍तु जिला मंच द्वारा इस तथ्‍य पर ध्‍यान नहीं दिया गया।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि शव विच्‍छेदन की मूल रसीद दाखिल कराये जाने का प्रयोजन यही है कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि क्रेता द्वारा इफको कम्‍पनी की खाद साधन सहकारी समिति अथवा इफको की समिति से वास्‍तव में क्रय की गई अथवा उसकी मृत्‍यु दुर्घटना में हुई। इस संदर्भ में उनके द्वारा

-6-

यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादी ने सचिव, साधन सहकारी समिति को विपक्षी सं0-3 के रूप में पक्षकार बनाया है। विपक्षी सं0-3 सचिव, साधन सहकारी समिति सरसौल, जिला कानपुर नगर ने जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत प्रतिवाद पत्र में क्रेता श्रीमती अहमदी को अपनी सदस्‍या होना स्‍वीकार किया है तथा प्रश्‍नगत खाद का विक्रय श्रीमती अहमदी को किया जाना भी स्‍वीकार किया है। ऐसी परिस्थिति में प्रश्‍नगत खाद के क्रय सम्‍बन्‍धी मूल रसीद के प्रस्‍तुतीकरण में विशेष महत्‍व का नहीं रह जाता।

जहॉ तक शव विच्‍छेदन आख्‍या प्रस्‍तुत न किए जाने का प्रश्‍न है। निर्विवाद रूप से श्रीमती अहमदी की मृत्‍यु के उपरांत उनके मृत शरीर का शव विच्‍छेदन नहीं कराया गया, किन्‍तु मात्र इसी आधार पर, "कथित दुर्घटना के सम्‍बन्‍ध में अन्‍य साक्ष्‍य प्रस्‍तुत किए जान के बावजूद" यह स्‍वत: नहीं माना जा सकता कि मृतका की मृत्‍यु दुर्घटना में नहीं हुई। प्रस्‍तुत मामले में श्रीमती अहमदी की मृत्‍यु छत से फिसल कर गिरने में आई चोटों के कारण हुई और उन्‍हें इलाज हेतु खान नर्सिंग होम में ले जाया गया, जहॉ इलाज के मध्‍य हृदय गति रूक जाने के कारण उनकी मृत्‍यु हो गई। श्रीमती अहमदी की मृत्‍यु के सम्‍बन्‍ध में थाने में भी सूचना प्रेषित की गई। सूचना से सम्‍बन्धित जी0डी0 के इंद्राज की नकल भी परिवादी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत की गई। जहॉ तक प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज किए जाने का प्रश्‍न

है, कोई आपराधिक घटना न पाये जाने के कारण सम्‍बन्धित थाने द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई।

-7-

जहॉ तक कथित क्रय से सम्‍बन्धित मूल रसीद अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी को बीमा दावा के साथ परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत न किए जाने का प्रश्‍न है। उल्‍लेखनीय है कि परिवादी ने श्रीमती अहमदी द्वारा प्रश्‍नगत खाद सचिव साधन सहकारी समिति सरसौल, जिला कानपुर नगर से क्रय किया जाना बताया है और उसे विपक्षी सं0-3 के रूप में पक्षकार बनाया है। विपक्षी सं0-3 ने जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत अपने प्रतिवाद पत्र में श्रीमती अहमदी द्वारा परिवाद में उल्लिखित खाद  क्रय के तथ्‍य को स्‍वीकार किया है। ऐसी परिस्थिति में श्रीमती अहमदी द्वारा प्रत्‍यर्थी सं0-3 से कथित खाद क्रय किया जाना स्‍वीकार न किए जाने का कोई औचित्‍य नहीं होगा, किन्‍तु उल्‍लेखनीय है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने स्‍वयं को श्रीमती अहमदी को नामित व्‍यक्ति होना अभिकथित किया है तथा बीमा दावे में स्‍वयं को श्रीमती अहमदी का भतीजा होना बताया है। अपीलार्थी ने अपील के साथ परिवादी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रश्‍नगत क्रय के सम्‍बन्‍ध में कथित रूप से विपक्षी सं0-3 द्वारा जारी की गई रसीदों की दो फोटो प्रतियों की प्रतियॉ दाखिल की हैं। प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने इन फोटो प्रतियों को जिला मंच के समक्ष दाखिल किए जाने के तथ्‍य को अस्‍वीकार नहीं किया है तथा फोटोप्रति में नामित व्‍यक्ति के रूप में श्री अयूब खॉ पुत्र लतीफ खॉ का नाम उल्लिखित है। इस रसीद में क्रम सं0-12 दिनांक 28.9.2004 अंकित है, इसी क्रम संख्‍या तथा तिथि की दूसरी रसीद की छायाप्रति में नामित व्‍यक्ति का नाम उल्लिखित नहीं है। प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता तर्क के मध्‍य दाखिल की गई रसीदों की छाया

-8-

प्रतियों की इस विसंगति को स्‍पष्‍ट नहीं कर सके। ऐसा प्र‍तीत होता है कि परिवादी द्वारा जिला मंच के समक्ष क्रय से सम्‍बन्धित दाखिल की गई रसीद में नामित व्‍यक्ति से सम्‍बन्धित इंद्राज बाद में अंकित किया गया है।

यह भी उल्‍लेखनीय है कि खान नर्सिंग होम द्वारा जारी किया गया मृत्‍यु प्रमाण पत्रों में श्रीमती अहमदी को अविवाहित दर्शित किया गया है। परिवादी द्वारा रजिस्‍ट्रार जन्‍म-मृत्‍यु द्वारा जारी किए गये मृत्‍यु प्रमाण पत्रों की प्रति भी जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत की गई, जिसकी फोटोप्रति अपील के साथ दाखिल की गई है। इस प्रमाण पत्र में श्रीमती अहमदी बेगम को विवाहित होना दर्शाया गया है तथा उनके पति का नाम स्‍व0 लतीफ खॉ दर्शाया गया है। परिवादी ने भी स्‍वयं को लतीफ खॉ का पुत्र होना बताया है, जबकि बीमा दावा परिवादी ने स्‍वयं को श्रीमती अहमदी का भतीजा होना बताते हुए प्रस्‍तुत किया है। ऐसी परिस्थिति में परिवादी का वस्‍तुत: क्रेता श्रीमती अहमदी का नामित होना प्रमाणित नहीं है और न ही परिवादी को श्रीमती अहमदी का उत्‍तराधिकारी होना निर्विवाद रूप से प्रमाणित होना माना जा सकता है, अत: परिवादी द्वारा बीमित धनराशि की अदायगी हेतु प्रस्‍तुत परिवाद पोषणीय नहीं माना जा सकता।

जहॉ तक श्रीमती अहमदी की मृत्‍यु किसी दुर्घटना में आई चोटों के कारण होने का प्रश्‍न है। स्‍वयं परिवादी का यह कथन है कि श्रीमती अहमदी को इलाज हेतु खान नर्सिंग होम में भर्ती किया गया और इलाज के मध्‍य ही उनकी मृत्‍यु हो गई। परिवादी ने खान नर्सिंग होम

-9-

द्वारा जारी किए गये दो मृत्‍यु प्रमाण पत्र दिनां‍क 29.6.2005 दाखिल किए हैं तथा मृत्‍यु प्रमाण पत्र में यह अंकित है कि श्रीमती अहमदी ऑख के रोग तथा सामान्‍य दुर्बलता से पीडित थी तथा उनकी आयु लगभग 60 वर्ष थी और हृदय गति रूक जाने के कारण उनकी मृत्‍यु दिनांक 29.6.2005 को होना बताया गया, जबकि इसी तिथि में खान नर्सिंग होम द्वारा दूसरा मृत्‍यु प्रमाण पत्र जारी किया गया है, जिसमें श्रीमती अहमदी के सीने, पेट एवं सिर में चोटों का उल्‍लेख किया गया है। एक ही अस्‍पताल द्वारा दो मृत्‍यु प्रमाण पत्र जारी किए जाने का कोई औचित्‍य प्रतीत नहीं होता है तथा एक मृत्‍यु प्रमाण पत्र में श्रीमती अहमदी के शरीर में आई चोटों का कोई उल्‍लेख न किया जाना अस्‍वाभाविक प्रतीत होता है।

जहॉ तक परिवादी द्वारा श्रीमती अहमदी की मृत्‍यु के सम्‍बन्‍ध में तैयार किया गया पंचनामें का प्रश्‍न है। इस पंचनामे में दर्शित किए गये व्‍यक्तियों का कोई शपथपत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। कथित घटना की थाने में सूचना कथित घटना के लगभग एक माह बाद दी गई है। ऐसी परिस्थिति में श्रीमती अहमदी की किसी दुर्घटना में मृत्‍यु होना प्रमाणित नहीं माना जा सकता। हमारे विचार से जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य का उचित परिशीलन न करते

हुए प्रश्‍नगत त्रुटि पूर्ण निर्णय पारित किया है, जो अपास्‍त किए जाने योग्‍य है। अपील तद्नुसार स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।  

 

 

-10-

आदेश

अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्‍या-952/2006 में पारित प्रश्‍नगत आदेश दिनांकित 29.7.2010 को अपास्‍त किया जाता है।

उभय पक्ष अपीलीय व्‍यय भार स्‍वयं वहन करेंगे।

    (उदय शंकर अवस्‍थी)                 (गोवर्धन यादव)

     पीठासीन सदस्‍य                        सदस्‍य

हरीश आशु.,

कोर्ट सं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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