Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/133/2014

VINAY KUMAR BARANWAL - Complainant(s)

Versus

AXIS BANK - Opp.Party(s)

SHUBH KARAN SINGH

09 Oct 2019

ORDER

 

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 133 सन् 2014

प्रस्तुति दिनांक 30.07.2014

                                                                                                निर्णय दिनांक 09.10.2019

विनय कुमार बर्नवाल पुत्र सत्यप्रकाश बर्नवाल, मुहल्ला- आसिफगंज चौक, शहर व जिला- आजमगढ़।

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. एक्सिस बैंक लिमिटेड शाखा रैदोपुर आजमगढ़ द्वारा शाखा प्रबन्धक एक्सिस बैंक लिमिटेड शाखा रैदोपुर आजमगढ़।
  2. आई.सी.आई.सी.आई. बैंक शाखा सिविल लाईन्स देवरिया द्वारा द्वारा शाखा प्रबन्धक आई.सी.आई.सी.आई. बैंक शाखा देवरिया जिला- देवरिया।  
  3.  

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा राम चन्द्र यादव “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि विपक्षी संख्या 01 के यहाँ उसका खाता है। जिस पर परिवादी को ए.टी.एम. कार्ड जारी हुआ है। दिनांक 27.05.2014 को दिन में 11 बजे परिवादी ने विपक्षी संख्या 02 के ए.टी.एम. से मुo 10,000/- - 10,000/- रुपये दो बार में निकालने का प्रयास किया। एक बार तो परिवादी का तो 10,000/- रुपया निकल गया, लेकिन दूसरी बार परिवादी का रूपया नहीं निकला। इस बात की शिकायत उसने विपक्षी संख्या 01 से किया। जो शिकायत नम्बर 1406-0072661 दर्ज की गयी। विपक्षी संख्या 01 द्वारा परिवादी को बताया गया कि उसका ट्रांजेक्शन सफल रहा। उसके खाते में पैसा वापस नहीं आया है और परिवादी को स्टेटमेण्ट ऑफ अकाउन्ट भी मिला है। इस पर परिवादी ने विपक्षी से फुटेज की मांग किया तो विपक्षी ने कहा कि फुटेज केवल उपभोक्ता फोरम को ही दिया जा सकता है। अतः विपक्षीगण से 10,000/- रुपया मय 12% वार्षिक ब्याज की दर से दिलवाया जाए और 75,000/- रुपया आर्थिक, मानसिक व शारीरिक पीड़ा हेतु व वाद खर्च दिलवाया जाए।

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है। परिवादी ने रसीद रजिस्ट्री दाखिल किया है।

विपक्षी संख्या 02 की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है और उसने कहा है कि परिवाद गलत तथ्यों के आधार पर दाखिल किया गया है। विपक्षी संख्या ०२ के विरुद्ध परिवाद का कोई कारण नहीं है। परिवादी द्वारा स्वयं ही अपने परिवाद में यह कहा है कि विपक्षी संख्या ०१ का वह खाताधारक है। ऐसी दशा में यह स्वतः स्पष्ट है कि

                                                                               P.T.O.

परिवाद विपक्षी विपक्षी संख्या ०२ बैंक का उपभोक्ता नहीं है। परिवादी को विपक्षी संख्या ०१ बैंक के द्वारा ही समस्त लेन-देन व कटौती के तथ्य उपलब्ध हो सकते हैं। परिवादी ने विपक्षी संख्या ०२ से कोई सम्पर्क स्थापित नहीं किया। अतः परिवाद खारिज किया जाए।

प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी संख्या ०२ द्वारा स्टेटमेन्ट ऑफ एकाउन्ट दिनांक २७.०५.२०१४ और २७.०५.२०१४ प्रस्तुत किया गया है। इसके पश्चात् विपक्षी संख्या ०२ द्वारा एक कागजात की और छायाप्रति दाखिल की गयी है। इसके पश्चात् विपक्षी द्वारा जे.पी.लॉग प्रस्तुत किया गया है।

विपक्षी संख्या ०२ द्वारा अपने जवाब दावा के समर्थन में शपथ पत्र दाखिल किया गया है।

विपक्षी संख्या ०१ द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया गया है, जिसमें यह कहा गया है कि ए.टी.एम. के जरिए किया गया ट्रान्जेक्शन टोटल ऑटोमैटिक मशीन द्वारा होता है। उक्त ट्रान्जेक्शन करने में यदि परिवादी द्वारा कोई असावधानी की जाती है तो उसके लिए विपक्षी संख्या ०१ जिम्मेदार नहीं है। परिवादी की शिकायत पर जाँच की गयी तो पाया गया कि उसका ट्रान्जेक्शन सफल रहा है। ए.टी.एम. द्वारा किसी भी खाता का संचालन किए जाने पर उस शाखा कार्यालय या शाखा प्रबन्धक का उक्त खाता पर कोई नियन्त्रण नहीं होता है, बल्कि उक्त संचालन पूर्ण स्वचालित मशीन द्वारा होता है। जिस पर नियन्त्रण केन्द्रीकृत प्रणाली द्वारा किया जाता है। परिवादी के खाते में हुई कटौती के कथन से विपक्षी संख्या ०१ का कोई वास्ता व सरोकार नहीं है। परिवादी गलत तथ्यों के आधार पर परिवाद प्रस्तुत किया है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।

सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया। परिवादी की ओर से एक न्याय निर्णय “स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया बनाम हरिओम तिवारी एवं अन्य IV(२०१०)सी.पी.जे. २७५ वेस्ट बंगाल” प्रस्तुत किया गया है। इस न्याय निर्णय में यह कहा गया है कि नॉन रिसिप्ट एमाउन्ट के पश्चात् ट्रान्जेक्शन सफल माना गया है और इसकी सूचना परिवादी को नहीं दी गयी है तो फोरम उसका भुगतान कराएगा। दूसरा न्याय निर्णय “IV (२०१०) सी.पी.जे. २७८ पवन गार्ग बनाम डिस्कवरीज एवं डेस्टीनेशन्स एवं अन्य” प्रस्तुत किया गया है। परिवाद पत्र के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि अनुतोष दोनों विपक्षी से मांगा गया है। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “चेनाराम बनाम ओरिएण्टल बैंक ऑफ कॉमर्श एवं अन्य द्वारा ब्रान्च मैनेजर, ब्रान्च ऑफिस एम.पी. स्ट्रीट तहसील- देगाना डिस्ट्रिक्ट- नागौर राजस्थान रिवीजन पिटिशन नं. ३०७/२०१६ (एन.सी.)” का अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णय में माननीय राष्ट्रीय आयोग ने यह अभिधारित किया है कि यदि ए.टी.एम. किसी दूसरे बैंक का प्रयोग किया जाता है तो ए.टी.एम. धारक उस बैंक का कन्ज्यूमर नहीं माना जा सकता है। चूंकि                                                       P.T.O.

 

 

यह न्याय निर्णय राष्ट्रीय आयोग का है और परिवादी दोनों विपक्षियों से अनुतोष मांगा है। ऐसी स्थिति में उपरोक्त न्याय निर्णयों के आलोक में हमारे विचार से परिवाद खारिज किए जाने योग्य है।

आदेश

                                                                 परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

                                                      राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                             (सदस्य)                         (अध्यक्ष)

 

                              दिनांक 09.10.2019

                                                            यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

                                                 राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                                 (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

 

 

 

 

 

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