Uttar Pradesh

Muradabad-II

cc/88/2014

Smt. Shaheen Perveen - Complainant(s)

Versus

Axis Bank - Opp.Party(s)

12 Feb 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. cc/88/2014
 
1. Smt. Shaheen Perveen
R/0 Makbara Doiyam Police Chowki Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Axis Bank
Axis Bank Jail Road Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम परिवादिनी ने यह अनुरोध किया है कि विपक्षी बैंक के उसके खाता संख्‍या-011010066994549 से गलत तरीके से निकाली गई धनराशि अंकन 45,880/- रूपये 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से विपक्षी से उसे दिलाई जाऐ। क्षतिपूर्ति की मद में 40,000/- रूपया तथा परिवाद व्‍यय की मद में 10,000/- रूपया परिवादिनी ने अतिरिक्‍त मांगे हैं।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि विपक्षी बैंक में उसका एक  बचत खाता संख्‍या-011010066994549 जिसके सापेक्ष परिवादिनी ने  ए0टी0एम0/डेविट कार्ड भी विपक्षी बैंक से जारी करा रखा है। परिवादिनी कम  पढ़ी लिखी है अत: उसके खाते का लेनदेन का समस्‍त कार्य उसके पति  द्वारा किया जाता है। दिनांक 12/05/2014 को प्रात: 10 बजकर 43 मिनट पर  परिवादिनी के पति के मोबाइल पर परिवादिनी के खाते से 5,000/- रूपया निकाल लिऐ जाने का संदेश प्राप्‍त हुआ। परिवादिनी के पति तत्‍काल बैंक गऐ। इस मध्‍य 12 बार परिवादिनी के खाते से धनराशि डेविट हुई और कुल  45,880/- रूपया 45 मिनट के अन्‍तराल में डेविट हो गऐ। परिवादिनी के  पति ने इसकी शिकायत बैंक के काउन्‍टर पर बैठे  कर्मचारी  से  की, उसकी सलाह पर परिवादिनी के पति ने खाते में तत्‍समय उपलब्‍ध 1,94,000/- रूपये की धनराशि निकाल ली। परिवादिनी को उसने घर से बुलाया असल  ए0टी0एम0/ ‍डेविट कार्ड परिवादिनी के पास  था। बैंक से शिकायत की  गई  कि जब असल कार्ड परिवादिनी के पास मौजूद है तो यह पैसा उसके खाते से  कैसे निकल गया। इस पर बैंक के अधिकारियों ने आश्‍वासन दिया कि हमने पैसा निकालने पर रोक लगा दी है और जो आपका पैसा निकला है वह 1-2 दिन में वापिस आ जाऐगा। परिवादिनी का अग्रेत्‍तर कथन है कि बैंक से जब पिछला स्‍टेटमेंट आफ एकाउन्‍ट परिवादिनी को निकाल कर दिया तो पता  चला कि दिनांक 05/05/2014 को 4 बार और 07-05-2014 को 1 बार में, कुल 5790/- रूपये की धनराशि भी परिवादिनी के खाते से गलत तरीके से  निकाली जा चुकी है। बैंक के अधिकारियों ने पूछताछ करने पर बताया कि  5 मई और 7 मई, 2014 को परिवादिनी के खाते से रूपया मोबाइल बिलों के  भुगतान के सम्‍बन्‍ध में निकाला गया है। दिनांक 12/05/2014 को निकले रूपयों के सम्‍बन्‍ध में बैंक के अधिकारियों ने बताया कि यह धनराशि मुम्‍बई  और गुड़गांव से खरीदे गऐ सामान की ऐवज में भुगतान की गई है। परिवादिनी के अनुसार दिनांक 12/05/2014 को ही उसने लिखित शिकायत विपक्षी के  अधिकारियों को प्रस्‍तुत की जिसे गलत तरीके से दिनांक 15/05/2014 की  तारीख में प्राप्‍त होना दर्शाया गया। परिवादिनी ने परिवाद में अग्रेत्‍तर यह भी  कहा कि उक्‍त तिथियों को निकाली गई कुछ राशि क्रमश: 990/-रूपये, 1,000/- रूपये और 1,000/- रूपये परिवादिनी के खाते में वापिस आ गई है  यह पैसे कैसे वापिस हुऐ इसका बैंक अधिकारियों द्वारा कोई उत्‍तर नहीं दिया गया। दिनांक 27/05/2014 के पत्र द्वारा परिवादिनी को सूचित किया गया   कि उसके खाते से जो धनराशि डेविट हुई है उसकी कोई जिम्‍मेदारी बैंक की  नहीं है क्‍योंकि परिवादिनी ने ही अपने खाते से सम्‍बन्धित जानकारियां किसी अन्‍य व्‍यक्ति को दी होगीं जिसकी बजह से उसके खाते से धनराशि निकली। विपक्षी के अनुसार परिवादिनी के उक्‍त कथन असत्‍य हैं। उसने विपक्षी को  कानूनी नोटिस दिया उसके बावजूद भी उसके खाते से निकली धनराशि बैंक ने वापिस नहीं की। परिवादिनी ने उक्‍त कथनों के आधार पर परिवाद में  अनुरोधित अनुतोष विपक्षी को दिलाऐ जाने की प्रार्थना की। 
  3.   परिवाद के साथ परिवादिनी द्वारा विपक्षी को दिऐ गऐ पत्र दिनांकित 12/05/2014,  परिवादिनी  के  बैंक  खाते  के  दिनांक  08/05/2014  से09/05/2014 की बीच की अवधि के स्‍टेटमेंट आफ एकाउन्‍ट तथा दिनांक 15/04/2014 17/05/2014 के मध्‍य की अवधि के स्‍टेटमेंट आफ एकाउन्‍ट, विपक्षी द्वारा परिवादिनी को दिऐ गऐ पत्र दिनांकित 27/05/2014 और  परिवादिनी की ओर से विपक्षी बैंक को भेजे गऐ कानूनी नोटिस दिनांकित 03/06/2014 की नकलों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के  कागज सं0-3/8 लगायत 3/16 हैं।
  4.   विपक्षी बैंक की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-8/1 लगायत 8/4  दाखिल हुआ जिसमें उल्लिखित परिवादिनी का बचत खाता अपने बैंक में  होना तो स्‍वीकार किया गया है, किन्‍तु बैंक एवं उसके अधिकारियों/ कर्मचारियों पर लगाऐ गऐ आरोपों से इन्‍कार किया गया। प्रतिवाद पत्र में परिवादिनी द्वारा परिवाद में उल्लिखित पत्र दिनांकित 12/05/2014 बैंक में प्रस्‍तुत किया जाना और दिनांक 27/05/2014 को इसका उत्‍तर परिवादिनी को प्राप्‍त कराया जाना भी स्‍वीकार किया गया, किन्‍तु साथ ही साथ यह भी कहा गया कि दिनांक 12/05/2014 का पत्र बैंक में दिनांक 15/05/2014 को प्राप्‍त कराया गया। विपक्षी बैंक के अनुसार बैंक ने न तो सेवा प्रदान करने में कोई त्रु‍टि की और  न ही कोई अनुचित व्‍यापार पद्धति अपनाई। विपक्षी के अनुसार दिनांक 12/05/2014 से पूर्व भी अनेकों बार डेविट कार्ड के जरिऐ परिवादिनी ने  आनलाइन खरीददारी की है और बिलों का भुगतान कराया है। ऐसी खरीददारी के बिलों के भुगतान करने के लिए इन्‍टरनेट कनेक्‍शन, लैपटाप अथवा अन्‍य  किसी उपकरण की घर में आवश्‍यकता नहीं होती, कोई भी खाताधरक डेविट कार्ड के माध्‍यम से शहर में खुले इन्‍टरनेट कैफे इत्‍यादि से कर सकता है। ऐसा लगता है कि अपने डेविट कार्ड की जानकारी परिवादिनी अथवा उसके पति ने किसी अन्‍य को अज्ञानतावश बता दी। विपक्षी एक प्रतिष्ठित बैक है।  परिवादिनी के खाते से जो धनराशि डेविट हुई है वह परिवादिनी के स्‍तर से   हुई लापरवाही की बजह से हुई है। उक्‍त कथनों के आधार पर परिवाद को सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
  5.   परिवादिनी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-9/1 लगायत 9/7  दाखिल किया। परिवाद के समर्थन में उदित गोविल जिसके द्वारा पत्र  दिनांकित 12/05/2014 तैयार करना बताती है, ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-10/1 लगायत 10/2 प्रस्‍तुत किया।  
  6. विपक्षी बैंक की ओर से वरिष्‍ठ प्रबन्‍धक श्री आशुतोष कुमार ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-12/1 लगायत 12/4 दाखिल किया। 
  7.   प्रत्‍युत्‍तर में परिवादिनी ने रिज्‍वाइंडर साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-14/1  लगायत 14/3 दाखिल किया।
  8.   विपक्षी की ओर से अतिरिक्‍त साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-15/1  लगायत 15/2 दाखिल हुआ।
  9.   परिवादिनी ने लिखित बहस दाखिल नहीं की। विपक्षी की ओर से  लिखित बहस दाखिल हुई।
  10.   हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के  तर्कों को  सुना  और  पत्रावली  का अवलोकन किया।  
  11.   पक्षकारों के मध्‍य  इस बिन्‍दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादिनी का एक बचत खाता विपक्षी बैंक में है जिसके सापेक्ष परिवादिनी को बैंक द्वारा एटीएम/ डेविट कार्ड भी जारी कर रखा है। परिवादिनी का उक्‍त खाता आपरेशनल है। परिवादिनी के अनुसार उसके खाते से दिनांक 12/05/2014 को  मात्र 45 मिनट के अन्‍तराल में 12 बार कुल  मिलाकर 45800/- रूपया डेविट हुऐ। दिनांक 05/05/2014 को 4 बार में कुल 5590/- रूपये और  07/05/2014 को 200/- रूपये उसके खाते से डेविट हुऐ। परिवादिनी के अनुसार उसके खाते से डेविट हुई इन धनराशियों में से किसी भी राशि का उसने कोई ट्रांजक्‍शन  नहीं किया उसके खाते से पैसे धोखाधड़ी से निकाले गऐ हैं। परिवादिनी और  उसके पति ने बैंक से इसकी शिकायत की तो बैंक ने जॉंच का आश्‍वासन तो दिया किन्‍तु विपक्षी की ओर से यह कहते हुऐ परिवादिनी के रूपये वापिस करने से इन्‍कार कर दिया कि जो भी ट्रांजक्‍शन्‍स हुऐ हैं वे सिक्‍योर्ड-पैनल अर्थात् मास्‍टर कार्ड सिक्‍योर कोड के माध्‍यम से हुऐ हैं और जिस भी व्‍यक्ति ने यह टा्रंजक्‍शन्‍स किऐ हैं उसके पास परिवादिनी का एटीएम कार्ड नम्‍बर,पिन नम्‍बर तथा उसके पर्सनल डिटेल्‍स इत्‍यादि थी और इनकी जानकारी के बिना पासवर्ड डबलप नहीं किया जा सकता था। बैंक की ओर से यह भी कहा गया उक्‍त सारी जानकारियां गोपनीय थीं और परिवादिनी की जब स्‍वयं की यह स्‍वीकारोति है कि वह कम पढ़ी लिखी है और उसके खाते से लेनदेन का कार्य उसके पति द्वारा किया जाता है, ऐसी दशा में इस सम्‍भवना से इन्‍कार नहीं किया जा सकता कि परिवादिनी अथवा उसके पति ने सारी गोपनीय जानकारियां किसी अन्‍य व्‍यक्ति से शेयर की हों और उसने पासवर्ड जनरेट करके प्रश्‍नगत टा्रंजक्‍शन्‍स कर डाले हों। इस प्रकार बैंक के विद्वान अधिवक्‍ता ने बैंक की जिम्‍मेदारी स्‍वीकार करने से इन्‍कार किया है।
  12.   परिवादिनी के बैंक खाते की नकल कागज सं0-3/9 लगायत 3/12 के  अवलोकन से प्रकट है कि दिनांक 05/05/2014, 07/05/2014 और  12/05/2014 को परिवादिनी के खाते से विवादित धनराशियां डेविट हुई थीं उनके भुगतान ऑन-लाइन हुऐ थे और वे  भुगतान मुम्‍बई एवं गुड़गांव में की  गई खरीदारी तथा एयरटेल एवं वोडफोन कम्‍पनी के मोबाइल कनेक्‍शन के सिलसिले में किऐ गऐ भुगतान की थी। परिवादिनी ने सशपथ यह कथन किया है कि उसके पास न तो लैपटाप है न उसके पास इन्‍टरनेट कनेक्‍शन है और  न ही उसे नेट बैंकिग का कोई ज्ञान है उसने सशपथ यह भी कहा कि उसके पास एयरटेल अथवा वोडा फोन कम्‍पनी का कनेक्‍शन भी नहीं है ऐसी दशा  में यह स्‍वीकार किऐ जाने योग्‍य नहीं है कि विवादित ट्रांजक्शंस परिवादिनी द्वारा अथवा उसके निर्देश पर किसी अन्‍य व्‍यक्ति द्वारा किऐ गऐ थे। इस  मामले में आश्‍चर्यजनक बात यह है कि दिनांक 05/05/2014 को डेविट हुई 990/- रूपये की एक धनराशि और दिनांक 12/05/2014 को डेविट हुई क्रमश: 1000/- 1000/- रूपये की दो धनराशियां परिवादिनी के खाते में रिफण्‍ड के  रूप में बैंक द्वारा क्रेडिट कर दी गई जैसा कि परिवादिनी के बैंक खाते के पृष्‍ठ कागज सं0-3/12 से प्रकट है। यह तीनों धनराशियां परिवादिनी के खाते  में रिफण्‍ड के रूप में किस आधार पर और किस प्रकार क्रेडिट हुई इसका बैंक की ओर से कोई संतोषजनक उत्‍तर हमें नहीं मिला। जब यह धनराशियां मोबाइल कनेक्‍शंस के भुगतान तथा मुम्‍बई और गुड़गांव में की गई ऑन-लाइन खरीदारी के कारण परिवादिनी के खाते से डेविट हुई थीं तो इनका परिवादिनी के खाते में क्रेडिट हो जाना कदाचित यह दर्शाता है कि दिनांक 05/05/2014, 07/05/2014 और 12/05/2014 को परिवादिनी के  खाते से ऑन-लाइन ट्रांजक्‍शन के आधार पर जो धनराशियां डेविट हुई थीं  उसके लिए परिवादिनी जिम्‍मेदार नहीं है। बैंक मात्र यह  कहकर अपनी जिम्‍मेदारी से नहीं बच  सकता कि ऑन-लाइन ट्रांजक्‍शन तथा पासवर्ड जनरेट करने हेतु आवश्‍यक  और गोपनीय जानकारियां परिवादिनी अथवा उसके पति ने किसी से शेयर की  होगीं जिस कारण यह ट्रांजक्‍शन हुऐ। दिनांक 05/05/2014,07/05/2014 और 12/05/2014  को  कुल  मिलाकर ऑन-लाइन ट्रांजक्‍शन के आधार पर परिवादिनी के खाते से कुल 51,670/- रूपये की धनराशि  डेविट होना पाया गया है जिसमें से 2990/- रूपये की धनराशि परिवादिनी के खाते में रिफण्‍ड द्वारा क्रेडिट हो गई है, किन्‍तु अब भी  48680/-रूपये की धनराशि परिवादिनी के खाते में क्रेडिट होना शेष है। मामले के तथ्‍यों, परिस्थितियों और उपलब्‍ध साक्ष्‍य सामग्री के आधार पर हम इस  सुविचारित मत के हैं कि 48680/- रूपये की अवशेष धनराशि परिवादिनी के खाते में विपक्षी द्वारा क्रेडिट की जानी चाहिऐ क्‍योंकि इस राशि के डेविट होने की जिम्‍मेदार परिवादिनी नहीं है। ेतदानुसार परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।
  • ओदश

  विपक्षी को आदेशित किया जाता है वह परिवाद के पैरा सं0-2 में उल्लिखित परिवादिनी के बैंक खाते में 48680/- (अड़तालीस हजार छ: सौ अस्‍सी रूपये केवल) की  धनराशि आज की तिथि से एक माह के भीतर क्रेडिट करे। परिवादिनी को  विपक्षी द्वारा परिवाद व्‍यय की मद में 2500/- (दो हजार पॉंच सौ रूपये) अतिरिक्‍त अदा किऐ जाऐ। परिवाद तदानुसार स्‍वीकार किया जाता है। समस्‍त  धनराशि की अदायगी इस आदेश की तिथि से एक माह के भीतर की जाऐ।

 

   (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

      सामान्‍य सदस्‍य           सदस्‍य             अध्‍यक्ष

  •    0उ0फो0-।। मुरादाबाद   जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद   जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

        12.02.2016          12.02.2016              12.02.2016

  हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक  12.02.2016 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

 (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)    (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

   सामान्‍य सदस्‍य             सदस्‍य             अध्‍यक्ष

  •  0उ0फो0-।। मुरादाबाद     जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     12.02.2016            12.02.2016             12.02.2016

 

 

 

 

  

 

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