Rajasthan

Ajmer

CC/22/2015

SANDEEP SHARMA - Complainant(s)

Versus

AXIS BANK - Opp.Party(s)

ADV. PUSHPENDRA SINGH

11 Aug 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/22/2015
 
1. SANDEEP SHARMA
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. AXIS BANK
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 11 Aug 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर
    
संदीप ष्षर्मा पुत्र स्वर्गीय श्री नरेन्द्र कुमार षर्मा, उम्र-24 वर्ष, निवासी- 15/30, मेयोलिंक रोड, अजमेर । 
                                                -         प्रार्थी

                            बनाम

 1. एक्सिस बैंक लिमिटेड जरिए प्रबन्धक,काॅरपोरेट आॅफिस,छच्ब्प्ए 5जी सिववत एश्ळपहंचसमगश् च्सवज छवण् 1ए ज्ण्5ए डप्क्ब्ए।पतवसपए ज्ञदवूसमकहम चंताए ।पतवसपए छंअप डनउइंप. 400708
2. एक्सिस बैंक लिमिटेड जरिए प्रबन्धक, हल्दिया हाईठ्स, 39, सुंदर नगर, गिरधर मार्ग, मालवीय नगर, जवाहर लाल नेहरू मार्ग रोड, जयपुर-302017
                                                   -    अप्रार्थीगण 
                 परिवाद संख्या 22/2015

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री पुष्पेन्द सिंह रावत, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री जी.एल.अग्रवाल,  अधिवक्ता अप्रार्थीगण 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 17.08.2016
 
1.       प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि उसने अप्रार्थी बैंक की जयपुर ष्षाखा में बैंक खाता खुलवाया था और उसे अप्रार्थी बैंक द्वारा  क्रेडिट कार्ड जारी किया गया था  ।  दिनंाक 18.10.2012 की मध्य रात्रि को जब वह सो रहा था तो  यूरोप की किसी मनी बुकर वेबसाईट से  परिवाद की चरण संख्या 4 में वर्णित अनुसार  राषियों के भुगतान का ट्रंाजेक्षन हुआ । इस तथ्य की जानकारी प्रार्थी को अपने मोबाईल पर मैसेज आने पर हुई तो उसने तुरन्त अप्रार्थी बैंक के काॅल सेन्टर पर इस संबंध में सूचना  देेते हुए  कार्ड ब्लाॅक करने का निवेदन किया । काॅल सेन्टर की सलाह अनुसार उसने दिनंाक 18.10.2014 को ही डिस्प्यूट फार्म भर कर अप्रार्थी बैंक में जमा करा दिया । तत्पष्चात् उसे दिनंाक 19.10.2014को  अप्रार्थी बैंक द्वारा सूचित किया गया  कि रू. 6463.57 तथा रू. 4031.73 का ट्रांजेक्षन फेल हो गया है  और बाकी ट्रोजेक्षन अभी अण्डर प्रोसेस है ।  इसके बाद अप्रार्थी बैंक  का दिनंाक 8.11.2012 को इस आषय का मेल प्राप्त हुआ कि रू. 212.15 पै चार्जबेक हुए है और बाकी सब प्रोसेस में है ।  तत्पष्चात्  उसने दिनंाक 9.11.2014 को मेल भेजते हुए समस्त कार्यवाही की  लिखित में सूचना दिए जाने का निवेदन किया । जिसके प्रतिउत्तर में सभी ट्रांजेक्षन फेल हो जाने की सूचना मेल से प्राप्त हुई और दिनंाक 11.11.2014 को बैंक स्टेटमेंट का संदेष उसके मोबाईल पर प्राप्त हुआ,जिसमें सभी ट््रांजेक्षन सम्मिलित थे ।  प्रार्थी ने अप्रार्थी बैंक से जानकारी चाही की मर्चेन्ट बैंक को कब कब ट्रांजेक्षन किया गया तो  उसे जानकारी उपलब्ध कराई गई कि मर्चेन्ट बैंक को 31.10.2014 को पेमेण्ट की गई । जब कि उसके द्वारा दिनंाक 30.10.2014 को मेल के जरिये ट्रांजेक्षन रोकने का निवेदन अप्राथी्र बैंक को किया था। 
    प्रार्थी का कथन है कि उसके के्रडिट कार्ड की लिमिट रू. 24,000/- तक की  अप्रार्थी बैंक द्वारा निष्चित की गई है  जबकि उक्त राषि से ज्यादा  फेक ट्रांजेक्षन  हो गया है । इस प्रकार प्रार्थी ने अप्रार्थी बैंक को सेवा में कमी का दोषी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 
2.    अप्रार्थी बैंक ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रार्थी का खाता उनके यहां होने व क्रेडिट कार्ड जारी किए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि  क्रेडिट कार्ड का  बिना कार्ड व गुप्त कोड के प्रार्थी के अलावा कोई भी संचालन नहीं कर सकता है ।  प्रार्थी के परिवाद के पैरा संख्या 6 लगायत 13 का प्रतिउत्तर अपने जवाब की चरण संख्या 6 में देते हुए अप्रार्थी बैंक ने आगे दर्षाया है कि उनके मुम्बई कार्यालय द्वारा की गई जांच  रिपोर्ट दिनंाक 7.5.2015  के अनुसार  रू 219.15 का ट्रांजेक्षन  दिनांक 18.12.2014 को अनसिक्योर एनवायरमेंट में हुआ था । इसलिए यह राषि चार्ज बैंक हो गई । बाकी सभी ट््रांजेक्षन सिक्योर एनवायरमेन्ट के तहत हुए है । इसलिए इनके चार्ज बैंक का कोई अधिकार बैंक के पास नहीं है और इसके लिए कार्ड होल्डर ही जिम्मेदार है ।   रिपोर्ट के अनुसार प्रार्थी का क्रेडिट कार्ड उसी दिन गुम हो गया था  और प्रार्थी ने  अपने कार्ड से संबंधित गुप्त सूचनाएं  लीक की है । इसमें अप्रार्थी बैंक की कोई जिम्मेदारी नहीं है और ना ही उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी की गई है । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त  किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में चेतन गुप्ता, उप प्रबन्धक का ष्षपथपत्र पेष हुआ है ।  
3.    प्रार्थी का बहस में  तर्क है कि उसे अप्रार्थी बैंक द्वारा  क्रेडिट कार्ड जारी किया गया ।  दिनंाक 18.10.2012 की मध्य रात्रि को जब वह सो रहा था तो  यूरोप की किसी मनी बुकर वेसाईट से  5 ट्रंजकेक्षन हुए है। इस संबंध में  प्रार्थी को अपने मोबाईल पर मैसेज आने पर  बिना देरी किए  उसने अप्रार्थी बैंक के काॅल सेन्टर पर सूचना  देेते हुए  कार्ड ब्लाक करने का निवेदन किया है । काॅल सेन्टर द्वारा उसे डिस्प्यूट फार्म भर कर  भेजने की सूचना दी गई है। प्रार्थी ने  दिनंाक 18.10.2014  को प्राप्त डिस्प्यूट फार्म  को  भर कर  उसीे दिन   भेज दिया है और मेल से अप्रार्थी बैंक  को भी सूचना दी गई है । तत्पष्चात् उसे दिनंाक 19.10.2014को  अप्रार्थी बैंक द्वारा सूचित किया गया है  कि रू. 6463.57  पै तथा रू. 4031.73 पै  का ट्रांजेक्षन फेल हो गया है  और बाकी ट््रांजेक्षन अभी अण्डर प्रोसेस है ।   जिसे  मर्चेन्ट बैंक ने क्लेम नहीं किया है एवं  जिसे प्रार्थी को जमा कराने के लिए कहा गया । प्रार्थी  द्वारा  जितने भी फेक ट्राजेक्षन हुए थे ,उन्हें रोकने  व किसी प्रकार का  उसमें ष्षामिल  नहीं होने के संबंध में बैंक को जानकारी उपलब्ध करा दी थी । बैंक द्वारा  5 दिन का समय मांगा गया था।  इसके बाद अप्रार्थी बैंक  का दिनंाक 8.11.2012 को इस आषय का मेल प्राप्त हुआ कि रू. 212.15 पै चार्ज बैंक हुए है और बाकी सब प्रोसेस में है ।  इसके बावजूद भी   दिनंाक 9.11.2014 को  बैंक ने मेल द्वारा  पुनः सूचित किया  कि ट्रांजेक्षन तो फेल हो गए थे व दिनंाक 11.11.2014 को आए बैंक स्टेटमेंट पर सभी ट्रांजेक्षन को सम्मिलित करते हुए बैंक द्वारा देाहरी सूचना दी गई ।  प्रार्थी द्वारा  दिनंाक 30.10.2014 को मेल द्वारा  ट्रांजेक्षन रोकने के संबंध में निवेदन कर दिया गया था, किन्तु अप्रार्थी बैंक द्वारा मात्र आष्वासन दिया गया । प्रार्थी की  के्रडिट लिमिट रू. 24,000/- तक की  अप्रार्थी बैंक द्वारा निष्चित की गई है । जबकि उक्त राषि से ज्यादा  का पेमेन्ट हो गया है । प्रार्थी द्वारा अपने कार्ड की जानकारी किसी से भी ष्षेयर नहीं की गई है । फेक ट्रांजेक्षन के संव्यवहार  से किए गए भुगतान को प्रार्थी की जिम्मेदारी से  मुक्त किए जाने व उससे कोई मांग व वसूली नहीं कर परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए । 
4.    अप्रार्थी की ओर से इन तर्को का खण्डन किया गया है व एक मात्र प्रतिवाद लिया गया है कि क्रेडिट कार्ड का कोई भी ट्राजेक्षन बिना कार्ड  व  जब तक प्रार्थी द्वारा इस कार्ड के गुप्त कोड की जानकारी किसी अन्य को नहीं दे दी जाए वह ऐसा नहीं कर सकता है ।  तर्क प्रस्तुत किया गया कि किसी भी कार्ड से कोई भी ट्राजेक्षन  तब तक नहीं होता जब तक कि  यूजर आईडी व पासवर्ड नहीं डाला जावे ।  ये सभी प्रार्थी के पास होते है और यदि ये किसी अन्य को दिए गए है तो  इसके लिए कार्ड होल्डर की जिम्मेदारी है, उनकी नहीं ।  विनिष्चय 2011ब्ज्श्र623;ब्च्द्ध;छब्क्त्ब्द्ध  ैजंजम ठंदा व् िप्दकपं टे ज्ञण्ज्ञण्ठींससं  पर अवलम्ब लिया है । 
5.    हमने परस्पर तर्क सुने एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों  व प्रस्तुत विनिष्चय में प्रतिपादित सिद्वान्त का आदरपूर्वक अवलोकन कर लिया है । 
6.    यहां यह उल्लेखनीय है कि उक्त विनिष्चय में एटीएम से  कार्ड होल्डर की बिना उसकी जानकारी के  व बिना पिन नम्बर बताए  उसके खाते से राषि आहरित करने पर जिला मंच द्वारा संबंधित बैंक से उन दिनों की विषेष सीसीटीवी फुटेज की  डिटेल्स मांगी गई थी  जिनमें विवादित राषि आहरित की गई थी । बैंक द्वारा सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं  करवाने की  स्थिति में जिला  मंच द्वारा बैंक को सेवा में कमी का दोषी माना  तथा परिवाद स्वीकार किया गया था ।  अपील में माननीय राज्य आयेाग ने  भी जिला मंच के निर्णय को सही बताया । इसके बाद आगे अपील में माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने सीसीटीवी फुंटेज के आधार पर बैंक  की सेवाओं को संतोषजनक नहीं मानने बाबत् तर्क स्वीकार नहीं किया व एटीएम कार्ड के पिन नं. व  कार्ड की सुरक्षा के लिए कार्ड होल्डर को जिम्मेदार मानते हुए  जिला मंच व राज्य आयेाग के निर्णय को पलट दिया । 
7.    हमारे समक्ष स्थिति एटीएम कार्ड के संव्ययवहार की नहीं है अपितु किसी अन्य एजेन्सी द्वारा क्रेडिट कार्ड की जानकारी को हैक कर  आॅन लाईन  के जरिए भुगतान प्राप्त करने का मामला है । कहा जा सकता है कि उक्त विनिष्चय तथ्यों की भिन्नता  के कारण अप्रार्थी की कोई मदद नहीं करता है । 
8.    अब  हम प्रकरण  के गुणावगुण  पर विचार करते है । विवाद दिनंाक 18.10.2014 की मध्य रात्रि का है जब रात्रि के 3.27 बजे से 3.11 बजे तक  के मध्य प्रार्थी के क्रेडिट कार्ड से उसके खाते में से 5 ट्राजेक्षन  यूरोप के किसी वेबसाईट से किए गए हैं ।   जिस पर प्रार्थी ने अप्रार्थी बैंक के  काॅल सेन्टर को इसकी तुरन्त उसी दिन सूचना दी है । इस सूचना के दिए जाने के बाद चाही गई जानकारी  प्रार्थी ने उसी दिन 18.10.2014 को  डिस्प्यूट फार्म में भर कर मेल कर दिया हैं। अगले ही दिन 19.10.2014 को अप्रार्थी बैक द्वारा प्रार्थी कोे मेल द्वारा सूचना दी गई कि रू. 6463.57 पै.  तथा रू. 4039. 73 पै  का चार्ज बैंक हो गया है बाकी के अन्य ट््रांजेक्षन  अण्डर प्रोसेस हंै । दिनांक 8.11.2014 को भी प्रार्थी को मेल प्राप्त हुआ है, जिसमें रू. 212.49 पै. चार्ज बैंक हुए व बाकी सभी प्रोसेस हो चुके हंै । यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रार्थी द्वारा दिनंाक 18.10.2014 को बडे सवेरे उक्त ट्रांजेक्षन के बारे में अप्रार्थी बैंक को मेल द्वारा सूचित किए जाने पर बैंक ने दिनंाक 19.10.2014 को प्रार्थी को सूचित किया है कि जो ट्रांजेक्षन   प्रार्थी द्वारा डिस्प्यूट फार्म में अंकित किए थे, में से दो ट्राजेक्षन रू. 6463.57 पै.  तथा रू. 4039. 73 पै  का चार्ज बैंक हो गया है बाकी के अन्य ट्रांन्जेक्षन  अण्डर प्रोसेस है । इस तथ्य की पुष्टि  प्रार्थी द्वारा किए गए मेल व डिस्प्यूट फार्म  तथा प्रार्थी को अप्रार्थी बैंक द्वारा किए गए मेल से भी होती है जबकि एक बार बैंक ने यह मानते हुए  कि ट्राजेक्षन फेल  है, उन्हें प्रार्थी के खाते में नहीं डालने की सूचना अप्रार्थी को तुरन्त ही दे दी थी तथा बाद में इन्हीं राषि के  ट्रांजेक्षन को सहीं मानते हुए उसके के्रडिट कार्ड खाते से आहरण योग्य  मानना बैंक का दोषपूर्ण  संव्यवहार  माना जाएगा ।  इसके अलावा प्रार्थी के क्रेडिट कार्ड  से रू. 24,000/- से अधिक की राषि का संव्यवहार  करने से पूर्व भी कार्डधारक को सूचित नहीं करना बैंक की सेवा में कमी मानी जा जाएगी ।  मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि 
                        :ः- आदेष:ः-
9.    (1)   अप्रार्थी बैंक प्रार्थी के खाते से उक्त ट््रांजेक्षन के फलस्वरूप राषि रू. 22027.03 की राषि पुनः उसके खातें में जमा/समायोजित करावेंगे । 
            (2)    प्रार्थी अप्रार्थी बैंक  से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू.     10,000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू.5000/- भी प्राप्त करने का  अधिकारी होगा । 
              (3)    क्रम संख्या 1 लगायत  2   में वर्णित राषि अप्रार्थी बैंक    प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।  
          आदेष दिनांक 17.08.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    

     

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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