Final Order / Judgement | राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ। (सुरक्षित) अपील सं0 :- 986/2014 (जिला उपभोक्ता आयोग, द्वितीय आगरा द्वारा परिवाद सं0- 74/2010 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 31/03/2014 के विरूद्ध) - Shri Mahavir
- Shri Ramvir
Both Sons of Shri Matadin, both resident of Saidpur, Post Office-Fatehpur, District Agra. - Appellants
Versus - Axis Bank, Sanjay Place, Agra (Service to be affected upon the Branch Manager or upon any other person who at the time of service of notices is in control or management)
- Shri Mukesh, son of not known, Field Officer, Agriculture Division,Axis Bank, Sanjay Place Agra.
- Shri Atar sing, Amin, son of not know, resident of Hanuman Nagar, opposite master Narayan, Fatehabad, District Agra
- Tehsildar, Tehsil Fatehabad, District-Agra
- Respondents
समक्ष - मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
उपस्थिति: अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री आलोक कुमार सिंह प्रत्यर्थीगण की ओर विद्वान अधिवक्ता:- कोई नहीं। दिनांक:-20.12.2021 माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित - यह अपील विद्धान जिला फोरम (द्वितीय) आगरा द्वारा परिवाद सं0 74/2010 महावीर व अन्य बनाम एक्सिस बैंक व अन्य में पारित निर्णय व आदेश दिनांकित 31.03.2014 के विरूद्ध योजित किया गया है।
- परिवाद के सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थीगण/परिवादीगण ग्राम शहदपुर पो0 फतेहाबाद के निवासी हैं तथा अपने परिवार का पालन पोषण हेतु गेहू, आलू तथा सरसों की पैदावार करते हैं। परिवादीगण के पास 1.6 हेक्टेयर भूमि है। परिवादीगण को प्रत्यर्थी सं0 1/विपक्षी एक्सिस बैंक से ऋण दिनांक 31.03.2007 के पूर्व दिया गया था जो दिनांक 31.12.2007 से पूर्व देय था। परिवादीगण ने विपक्षीगण के कार्यालय में Debt Waiver and Debt Relief Scheme के प्रकाश में ऋण माफ करने हेतु आवेदन किया, किन्तु विपक्षी बैंक द्वारा ऋण माफ नहीं किया गया। स्वीकृत रूप से परिवादीण के दो ऋण खाता हैं, जिनके नम्बर 03/2820 एवं 06/9942 हैं। विपक्षी सं0 1 ने ऋण खाता सं0 03/2820 के संबंध में ऋण माफ कर दिया, किन्तु ऋण खाता सं0 06/9942 के संबंध में बकाया ऋण समाप्त नहीं किया। परिवादीगण ने यह भी कहा कि उसने पूर्व में एक परिवाद सं0 76/2008 इसी फोरम में दायर किया था। फोरम के द्वारा दिये गये एवार्ड के प्रकाश में विपक्षी सं0 01 ऋण खाता संख्या 03/2820 के बकाया को समाप्त कर दिया, किन्तु दूसरे खाता सं0 06/9942 के बकाया को समाप्त नहीं किया। परिवादीगण के विरूद्ध ऋण खाता सं0 06/9942 के संबंध में 117200/- रूपया बकाया है। विपक्षीगण ने बकाया धनराशि को Debt Waiver and Debt Relief Scheme के तहत माफ न करके सेवा में कमी की है। जिसके लिए परिवादी ने यह परिवाद योजित किया है।
- विपक्षी सं0 01 व 02 की ओर से संयुक्त लिखित कथन दाखिल किया गया, जिसमें कहा गया है कि परिवादीगण को ऋण राहत योजना के तहत के0सी0सी0 लोन मे पूर्ण राहत व ट्रैक्टर लोन में 28.06.2009 को रूपया 72900/- की ऋण राहत योजना का लाभ मिल चुका है, जो कि नियमानुसार प्रदान की गयी है तथा परिवादी के खाते में जमा कर दी गयी है। परिवादी के लोन खाता सं0 03/8820 जो कि के0सी0सी0 लोन था, में ऋण राहत योजना के तहत पूर्ण रूप से राहत प्रदान की गयी है, लेकिन ऋण खाता सं0 06/9942 में रूपया 72900/- जो कि ऋण की किश्तों का 31.12.2007 तक बकाया (ओवर डयू) था, की पूर्ण राहत माफी योजना प्रदान कर दी गयी थी। फोरम ने दिनांक 16.06.2009 को दिये निर्णय में यह लिखा था कि ‘’ न्यायालय को अपने अधिकारों का इस्तेमाल इस स्टेज पर निर्देश देने के लिए लिमिटेड रूप से प्रयोग करना होगा और तदनुसार ही इस केस का निस्तारण किया जाता है। मा0 फोरम ने अपने आदेश में कहा था कि विपक्षीगण परिवादीगण का केवल शारीरिक उत्पीड़न नहीं करेंगे। वे नियमानुसार ऋण की वसूली आदि परिवादीगण से कर सकते हैं, प्रकरण की परिस्थिति देखते हुए परिवादीगण कोई भी वाद व्यय पाने का अधिकारी नहीं है।‘’
- विपक्षी सं0 3 व 4 की ओर से कोई लिखित जवाब दाखिल नहीं किया गया है।
- अपीलार्थी द्वारा यह कथन किया गया है कि उसके द्वारा विपक्षी बैंक से लिया गया ऋण Debt Waiver and Debt Relief Scheme 2008 के प्रकाश में माफी योग्य थी। ऋण खाता सं0 06/9942 के बारे में बकाया ऋण समाप्त किया गया था। जबकि यह ऋण दिनांक 31.03.2007 के पूर्व दिया गया था और दिनांक 31.12.2007 से पूर्व देय था जो उक्त ऋण माफी योजना की परिधि के अंतर्गत आता था।
- विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम ने परिवादी का परिवाद इस आधार पर खारिज किया है कि परिवादी ने एक अन्य परिवाद सं0 76/2008 महावीर अन्य बनाम यूटीआई बैंक समान तथ्यों पर प्रस्तुत किया था, जो खारिज हो चुका है। अत: उन्हीं तथ्यों पर दुबारा दाखिल किया गया। यह परिवाद पोषणीय नहीं है। परिवादी यदि उक्त आदेश दिनांकित 16.06.2009 से क्षुब्ध थे, तो उसकी अपील कर सकते थे तथा आदेश का अनुपालन न होने की दशा में इजराय दायर कर सकते थे जो उनके द्वारा यह प्रक्रिया नहीं अपनायी गयी है। परिवाद पोषणीय न होने के आधार पर खारिज किया गया। इस संबंध में अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि उपरोक्त वाद अन्य ऋण के संबंध में तथा जबकि प्रस्तुत वाद वर्तमान ऋण खाता संख्या 06/9942 के संबंध में है अत: उक्त निष्कर्ष उचित नहीं है।
- उपरोक्त तर्क के संबंध में स्वयं अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत किये गये तर्क का उल्लेख करना उचित होगा, जिसमें भारत सरकार की ऋण माफी योजना 2008, उपबंध इस प्रकार दिये गये हैं कि उक्त योजना के अनुसार किसानों के वे ऋण जो दिनांक 31.03.2007 के पूर्व दिये गये थे और दिनांक 31.12.2007 से पूर्व देय थे, वे ऋण माफ किया जायेगा।
- इस संबंध में अपीलार्थी/परिवादी की ओर से भारत सरकार की ऋण माफी योजना 2008 के नियम व उपबंध पीठ के समक्ष रखे गये हैं। इस संबंध में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय मैनेजर, कावेरी ग्रामीण बैंक तथा 2 प्रति एच0एस0 सदाक्षरी निगरानी सं0 147/2013 निर्णय दिनांक 07.07.2015 इस संबंध में उल्लेखनीय है। इस निर्णय में कृषि ऋण माफी योजना 2008 के प्रावधानों का वर्णन किया गया है, जिसके अनुसार कृषि से संबंधित वे ऋण जो दिनांक 31.03.2007 तक प्रदान कर दिये गये थे तथा दिनांक 31.12.2007 तक देय थे और इसके उपरान्त वे दिनांक 29.02.2008 तक अदेय रह गये। वे ऋण इस माफी योजना के अन्तर्गत माफ किये गये थे। माननीय राष्ट्रीय आयोग के समक्ष मामले में प्रश्नगत ऋण दिनांक 30.11.2006 को प्रदान किया गया था, जिसे माननीय राष्ट्रीय आयोग ने माफी योग्य माना।
- प्रस्तुत मामले में अपीलकर्ता/परिवादी ने प्रश्नगत ऋण सं0 06/9942 दिनांक 31.03.2007 के पूर्व प्राप्त होना दर्शाया है, किन्तु ऋण की वास्तविक तिथि न तो परिवाद पत्र में और न ही मेमारेण्डम आफ अपील मे उल्लिखित किया गया है, जिससे इस संबंध में कोई निष्कर्ष दिया जा सके कि उक्त ऋण माफी योजना के अंतर्गत आता था अथवा नहीं। उक्त ऋण माफी योजना की सम्पूर्ण उपबंध भी पीठ के समक्ष नहीं रखे गये, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि किन-किन शर्तों पर यह ऋण माफी योग्य था। इसके अतिरिक्त प्रश्नगत ऋण सं0 06/9942 के सम्पूर्ण विवरण भी नहीं दिया गया है। स्वयं कृषक के रूप में परिवादी ने अपनी पात्रता इस ऋण माफी के संबंध में पीठ के समक्ष नहीं रखी है, जिसके आधार पर यह निष्कर्ष दिया जा सके कि कृषक के रूप में वह इस ऋण माफी योजना का लाभ उठाने का पात्र था अथवा नहीं। अत: सम्पूर्ण विवरणों के अभाव में परिवादी को ऋण माफी योजना 2008 का लाभ देते हुए अनुतोष प्रदान किया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है।
- यद्यपि विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम ने भिन्न बिन्दु पर परिवाद खारिज किया है, किन्तु पूर्ण विवरण न होने और ऋण माफी की पात्रता सिद्ध न होने के आधार अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है। अत: अपील के माध्यम से प्रश्नगत निर्णय में हस्तक्षेप की आवश्यकता प्रतीत नहीं होता है। अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे। आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें। (विकास सक्सेना)(सुशील कुमार) सदस्य सदस्य संदीप आशु0 कोर्ट 2 | |