View 3091 Cases Against Axis Bank
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GIRIJA SUVAN PANDEY filed a consumer case on 31 Mar 2021 against AXIS BANK in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/41/2020 and the judgment uploaded on 08 Apr 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 41 सन् 2020
प्रस्तुति दिनांक 06.03.2020
निर्णय दिनांक 31.03.2021
गिरिजा सुवन पाण्डेय पुत्र श्री कृष्णचन्द्र पाण्डेय, निवासी- 164 एलवल, पोस्ट- सदर, जनपद- आजमगढ़।
......................................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह विपक्षी संख्या 01 की सम्मानित शाखा का खाता संख्या 528010100009539 का धारक है। साथ ही उसे एoटीoएमo कार्ड सुविधा भी प्राप्त है। परिवादी ने दिनांक 12.01.2020 को सायं 04.00 बजे जब बैंक में पंजीकृत मोबाइल नम्बर 9415829330 से पेoटीoएमo हेतु केoवाईoसीo की कार्यवाही कर रहा था तभी उक्त मोबाइल पर एक एप लोड करने के लिए कहा गया जिसे परिवादी ने वह एप लोड किया, उसके बाद परिवादी ने पेoटीoएमo के अपने वैलेट में एक रुपया जोड़ा जिसके तुरन्त बाद बिना कोई ओoटीoपीo नम्बर आए ही परिवादी के उक्त खाते से मुo 4,999/- व मुo 3,900/- रुपया कट गया जिसका मैसेज परिवादी के उक्त मोबाइल मिला तथा तुरन्त ही यह भी मैसेज आया कि किसी भी विवाद के सन्दर्भ में टोल फ्री नम्बर 1860-5005-5555 पर सम्पर्क करने को बताया गया, जिस पर सम्पर्क करने पर उत्तर मिलता रहा कि यह नम्बर अस्थायी रूप से सेवा में नहीं है। परिवादी ने सम्पूर्ण प्रकरण से दिनांक 13.01.2020 को सुबह 10.00 बजे विपक्षी संख्या 01 की शाखा पर जाकर शाखा प्रबन्धक को अवगत कराया जिसपर उनके निर्देश पर उनके अधीनस्थ कर्मचारी ने परिवादी की शिकायत को दर्ज करते हुए शिकायत संख्या 58515252 दिया। बादहू परिवादी ने उसी समय विपक्षी को एक लिखित आवेदन पत्र भी दिया जिसपर विपक्षी द्वारा परिवादी के उक्त खाते में अनाधिकृत रूप से निकाली गयी धनराशि को दो दिन में अस्थायी रूप से जमा कर देने की बात कही गयी तथा धनराशि जमा भी कर दी गयी एवं यह विश्वास दिलाया गया कि यथाशीघ्र परिवादी उक्त अस्थायी जमा धनराशि को निकाल कर उपयोग कर सकता है। दिनांक 12.02.2020 को परिवादी के मोबाइल पर एक मैसेज आया कि उसके द्वारा की गयी शिकायत निरस्त कर दी गयी है तथा परिवादी के खाते में जमा धनराशि भी वापस ले ली गयी। बैंक प्रबन्धन का उक्त कृत्य सेवा में कमी है। परिवादी ने विपक्षी संख्या 01 के कार्यालय में दिनांक 14.02.2020 को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपनी पीड़ा व्यक्त किया तथा अपनी धनराशि की मांग किया लेकिन परिवादी की मांग का विपक्षी संख्या 01 पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इस सन्दर्भ में वार्ता के बाद जब कोई परिणाम नहीं मिला तो परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षी को विधिक सूचना दिनांक 19.02.2020 को प्रेषित कराया लेकिन उसका भी विपक्षी ने कोई उत्तर नहीं दिया। अतः परिवादी को हुए नुकसान विपक्षीगण से रुपए 8,899/- मय 12% वार्षिक ब्याज तथा विविध व्यय हेतु रुपए 25,000/- दिलवाया जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 6/1 कानूनी नोटिस की प्रति, कागज संख्या 6/2 रजिस्ट्री रसीद, कागज संख्या 6/3 शाखा प्रबन्धक एक्सिस बैंक आजमगढ़ को लिखे गए पत्र की छायाप्रति तथा कागज संख्या 6/4 ता 6/7 कार्डहोल्डर डिस्प्यूट फॉर्म का छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
विपक्षी संख्या 01 द्वारा कागज संख्या 8क जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है तथा अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादी को परिवाद प्रस्तुत करने का कोई वादकारण या अधिकार प्राप्त नहीं था। विवादित संचालन परिवादी द्वारा स्वयं ऑनलाइन किया गया, जिसमें भौतिक रूप से बैंक का कोई भी कर्मचारी सम्मिलित नहीं था। परिवादी ने स्वयं अपनी जानकारी को शेयर किया जिसके कारण ही उसके खाते से पैसा कटा। परिवादी द्वारा की गयी शिकायत को विपक्षी संख्या 01 द्वारा शिकायत निवारण समिति को प्रेषित कर दी गयी तथा अस्थायी रूप से परिवादी के खाते में विवादित संचालन की धनराशि इस शर्त के साथ जमा कर दी गयी कि शिकायत का निस्तारण होने के उपरान्त ही परिवादी उक्त धनराशि का उपयोग कर सकता है। उक्त शिकायत को क्लेम कमेटी द्वारा निरस्त कर दिया गया। क्योंकि कार्ड होल्डर/परिवादी ने स्वयं विवादित संचालन के सम्बन्ध में अपनी जानकारी/विवरण को अन्य व्यक्ति या लिंक के साथ साझा किया। जिसके लिए परिवादी स्वयं ही जिम्मेदार है। परिवादी पढ़ा-लिखा समझदार व्यक्ति है उसे अपनी जानकारी/विवरण को किसी अन्य व्यक्ति या लिंक के साथ साझा नहीं करान चाहिए था। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर कई बार जनहित में यह जानकारी दी जाती रही है कि एसoएमoएसo, ई-मेल या शोसल मीडिया प्लेटफॉर्म से प्राप्त किसी भी संदेह जनक लिंक पर क्लिक न करें। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ऑनलाइन संचालन किए जाने हेतु जानकार बनिए, सतर्क रहिए का स्लोगन समय-समय पर जनहित में प्रकाशित किया जाता है। बावजूद इसके परिवादी द्वारा सतर्कता नहीं बरती गयी, जिसके लिए वह स्वयं ही जिम्मेदार है। विपक्षी के किसी भी कृत्य से परिवादी को कोई भी शारीरिक, मानसिक व आर्थिक कष्ट नहीं हुआ है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
विपक्षी संख्या 01 द्वारा कागज संख्या 9ग अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी द्वारा प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 11ग आर.बी.आई. दारा जारी विज्ञापन की मूलप्रति प्रस्तुत किया गया है।
परिवादी ने दिनांक 12.01.2020 को सायं 04.00 बजे जब बैंक में पंजीकृत मोबाइल नम्बर 9415829330 से पेoटीoएमo हेतु केoवाईoसीo की कार्यवाही कर रहा था तभी उक्त मोबाइल पर एक एप लोड करने के लिए कहा गया जिसे परिवादी ने वह एप लोड किया, उसके बाद परिवादी ने पेoटीoएमo के अपने वैलेट में एक रुपया जोड़ा जिसके तुरन्त बाद बिना कोई ओoटीoपीo नम्बर आए ही परिवादी के उक्त खाते से मुo 4,999/- व मुo 3,900/- रुपया कट गया जिसका मैसेज परिवादी के उक्त मोबाइल पर मिला तथा तुरन्त ही यह भी मैसेज आया कि किसी भी विवाद के सन्दर्भ में टोल फ्री नम्बर 1860-5005-5555 पर सम्पर्क करने को बताया गया, जिस पर सम्पर्क करने पर उत्तर मिलता रहा कि यह नम्बर अस्थायी रूप से सेवा में नहीं है। परिवादी ने सम्पूर्ण प्रकरण को दिनांक 13.01.2020 को विपक्षी संख्या 01 की शाखा पर जाकर शाखा प्रबन्धक को शिकायती आवेदन पत्र दिया। विपक्षी संख्या 01 द्वारा की गयी शिकायत को शिकायत निवारण समिति को प्रेषित कर दी गयी तथा अस्थाई रूप से परिवादी के खाते में विवादित संचालन की धनराशि इस शर्त के साथ जमा कर दी गयी कि शिकायत के निवारण होने के उपरान्त ही परिवादी उक्त जमा धनराशि का उपयोग कर सकता है। उक्त क्लेम कमेटी द्वारा निरस्त कर दिया गया।
पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी अपने मोबाइल से के.वाई.सी. की कार्यवाही कर रहा था तो उसी समय उक्त मोबाइल पर एक एप लोड करने के लिए कहा गया जिसे परिवादी ने लोड किया और उसके पश्चात् परिवादी ने पेoटीoएमo के अपने वैलेट में एक रुपया जोड़ा तभी बिना कोई ओoटीoपीo नम्बर आए ही परिवादी के उक्त एकाउन्ट से मुo 4,999/- व मुo 3,900/- रुपया कट गया। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “एस.बी.आई. बनाम हरीराम तिवारी एवं अन्य IV (2010) सी.पी.जे. 275 वेस्ट बंगाल” का अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णय में यह कहा गया है कि उपरोक्त कथित अवस्था में चूंकि परिवादी का कोई दोष नहीं है। अतः उसके एकाउन्ट से जो धनराशि आहरित की गयी उसे उसका भुगतान करने हेतु बैंक बाध्य है। इस सन्दर्भ में यदि एक और न्याय निर्णय “एस.बी.आई. बनाम डॉक्टर जे.सी.एस. कटकी 2017 (II) सी.पी.आर. 632 (एन.सी.)” का अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णय में माo राष्ट्रीय आयोग ने यह अवधारित किया है कि यदि परिवादी यह कथित करता है कि उसके साथ कोई ऐसी घटना घट गयी जिसके परिणामस्वरूप उसके खाते में अवैधिनिक रूप से कोई धनराशि कट गयी है तो बैंक का यह कर्तव्य है कि उस धनराशि का भुगतान करे। इस सन्दर्भ में यदि हम ‘आर.बी.आई.’ के एनुअल रिपोर्ट का यदि अवलोकन करें तो आर.बी.आई. की 2017-18 एनुअल रिपोर्ट में हैकिंग को स्पष्ट रूप से दर्शित किया गया है। आर.बी.आई. की रिपोर्ट के मुताबिक जिसकी लापरवाही से हैकिंग होगी नुकसान के लिए वही जिम्मेदार होगा। आर.बी.आई. के रूल के मुताबिक जिसकी गलती से ग्राँहक का पैसा आहरित होता है वही भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा। आर.बी.आई. के नियमों के मुताबिक यह भी स्पष्ट है कि बैंक या ग्राँहक की लापरवाही न होने पर ग्राँहक को बैंक में तीन दिन के अन्दर ही शिकायत करना होगा। परिवाद के अवलोकन से स्पष्ट हो रहा है कि परिवादी की कोई गलती नहीं है क्योंकि कोई भी धनराशि के अन्तरण के पूर्व बैंक द्वारा ओ.टी.पी. भेजी जाती है। ओ.टी.पी. इन्टर करने के बाद ही धनराशि दूसरे खाते में अन्तरित होती है। यहाँ परिवादी के मोबाइल पर कोई ओ.टी.पी. (वन टाइम पासवर्ड) आया ही नहीं, जिसके सन्दर्भ में परिवादी ने अगले ही दिन शिकायत किया था। यदि 4 से 7 दिन के अन्दर शिकायत दर्ज कराई जाती है तो ग्राँहक को 5000/- से 25000/- रुपए तक की भरपाई की जाएगी। इस प्रकार रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया की गाइड लाइन के अनुसार परिवादी को उसकी अवैध रूप से आहरित धनराशि को देने के लिए विपक्षी संख्या 01 बाध्य है।
आदेश
परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या 01 को आदेशित किया जाता है कि वह अन्दर् 30 दिन परिवादी को उसकी निकाली गयी धनराशि रुपए 8,899/- (रु. आठ हजार आठ सौ निन्यानवे मात्र) का भुगतान करे, जिस पर परिवाद दाखिला की तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक परिवादी उक्त धनराशि पर 09% वार्षिक ब्याज पाने के लिए अधिकृत होगा तथा विपक्षी संख्या 01 को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह अन्य विविध व्यय हेतु रुपए 1500/- (रु. पन्द्रह सौ मात्र) परिवादी को अदा करे। समय से भुगतान न करने पर सम्पूर्ण राशि पर ब्याज देय होगा।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 31.03.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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