जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्रीमति गुलाबदेवी पत्नी स्वर्गीय जीवणराम, निवासी- 291, भाम्बियों का बास, मु.पो. लाम्पोलाई, तहसील- मेड़ता, जिला-नागौर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. एक्साईड लाईफ इंष्योेरंस कम्पनी लिमिटेड(आई.एन.जी.), सैकेण्ड फ्लोर, अग्रवाल मोटर कम्पनी, जयपुर रोड, अजमेर जरिए प्रबन्धक
2. एक्साईड लाईफ इंष्योेरंस कम्पनी लिमिटेड(आई.एन.जी.), फस्र्ट फ्लोर, गोल्ड हिल स्क्वायर, नंबर 690, होसूर रोड़, बेगूर होबली, बैंगलोर-560068 ़
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 261/2014
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1. बबीता षर्मा, अधिवक्ता, प्रार्थिया/प्रार्थी
2.श्री राजेष जैन,अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 08.11.2016
1. प्रार्थिया द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसके पति ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी से दिनांक 13.1.2010 को बीमा पाॅलिसी संख्या 0756190 प्राप्त की । उसके पति का दिनांक 3.6.2013 को निधन हो जाने के फलस्वरूप उसने नोमिनी होने के नाते अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए बीमा क्लेम पेष किया । जिसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपनेे पत्र दिनांक 31.2.104 के द्वारा इस आधार पर खारिज कर दिया कि उसके पति ने बीमा पाॅलिसी प्राप्त करने उसमय अपनी उम्र गलत बताई थी । प्रार्थिया का कथन है कि उसके पति ने बीमा पाॅलिसी प्राप्त करते समय अपनी आयु के संबंध में अप्रार्थी बीमा कम्पनी को वोटर आई डी कार्ड दिया था और उसी के आधार पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने बीमा पाॅलिसी जारी की थी । इस प्रकार अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने क्लेम खारिज कर सेवा में कमी कारित की है । प्रार्थिया ने परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थिया ने स्वयं का ष्षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा परिवाद के प्रतिउत्तर में यह प्रारम्भिक आपत्ति ली गई है कि धोखा धड़ी, जालसाजी जैसे मामले में सिविल न्यायालय को परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार है । हस्तगत परिवाद झूठा व दुर्भावनाग्रसित है । जीवन बीमा के तहत ली गई पाॅलिसी एक संविदा के अन्तर्गत पक्षकारों के मध्य समस्त तथ्यों व जानकारियों को सूचित करने व सहमति होने पर जारी की गई थी । किन्तु बीमाधारक ने बीमा पाॅलिसी प्राप्त करते समय तात्विक तथ्यों को छिपा कर बीमा पाॅलिसी प्राप्त कर पक्षकारान के मध्य हुई संविदा को भंग किया है । पक्षकार द्वारा बताए गए समस्त तथ्यों व दी गई जानकारी के अनुसार उसे उक्त पाॅलिसी जारी की गई थी । ऐसी पाॅलिसी प्राप्त करते समय बीमाधारक द्वारा वोटर आई कार्ड अपनी जन्म तिथि के प्रमाण स्वरूप प्रस्तुत किया था और इसी के आधार पर पाॅलिसी जारी की गई थी । बीमित की मृत्यु होने के बाद प्रस्तुत किए गए क्लेम के साथ प्रार्थिया द्वारा वोटर आईडी कार्ड व राषन कार्ड की स्वयं प्रमाणित प्रतियां प्रस्तुत की गई थी । राषन कार्ड में बीमित की उम्र 65 वर्ष बताई गई थी व वोटर आई डी कार्ड में वर्ष 1998 में उसकी उम्र 41 वर्ष बाताई गई थी जो अपने आप में विरोधाभासी होने के कारण बाद जांच प्रार्थिया का क्लेम सहीं आधारों पर खारिज किया गया था । अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा कराई गई जांच के बाद मृतक बीमाधारक वर्ष 2012 में 67 वर्ष का होना पाया गया जो एज आफ एन्ट्री की अधिकतम अनुमत सीमा से अधिक था । इस प्रकार बीमित ने प्रपोजल फार्म दिनंाक 11.1.2010 में अपनी उम्र 47 वर्ष बताई थी, वह असत्य थी तथा यह इस आषय से दषाई गई ताकि अप्रार्थी के साथ धोखाधड़ी की जा सके एवं अनुचित रूप से बीमा क्लेम प्राप्त किया जा सके । जांच रिपोर्ट से यह भी जानकारी प्राप्त हुई कि मृतक धुम्रपान का आदी था तथा यह तथ्य उसने पाॅलिसी प्राप्त करने से पहले उजागर नहीं किया था । तत्समय वह अपने पुत्र की आय पर निर्भर था एवं स्वयं की कोई आय नहीं थी जबकि प्रपोजल फार्म में अपनी आय रू. 2,00,000/- दषाई है । इस प्रकार जानबूझकर उसने तात्विक तथ्यों को छिपाया और उसके द्वारा प्रपोजल फार्म में दिए गए प्रष्नों का गलत उत्तर दिया गया । अन्त में इन्हीं तथ्यों का समावेष करते हुए बीमित द्वारा प्रपोजल फार्म में गलत तथ्यों का अंकन करने व महत्वपूर्ण तथ्यों का छिपाया जाना बताते हुए खारिज किए गए क्लेम को सहीं बताया। जवाब केे समर्थन में श्री चेतन पी. जनरल मैनेजर(लीगल) का ष्षपथपत्र पेष हुआ है ।
3. प्रार्थिया का तर्क है कि मृतक बीमित के क्लेम को अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने गलत आधार पर निरस्त किया है जिसके अनुसार उक्त मृतक ने पाॅलिसी लिए जाते समय अपनी उम्र गलत बताई, पाॅलिसी लेते समय बीमाधारक 67 वर्ष का था, जबकि वास्तव में वह 47 वर्ष का था । तर्क प्रस्तुत किया गया कि बीमा करवाते समय अप्रार्थीगण को आयु प्रमाण के संबंध में दस्तावेजात के रूप में वोटर आईडी कार्ड दिया गया था जो कम्पनी के प्रावधान के अनुसार अतिरिक्त प्रीमियम राषि के साथ अप्रार्थी ने स्वीकार किया था और उक्त आई डी पू्रफ को अधिकृत भी मान लिया गया था । मृतक ग्रामीण अंचल का कम पढ़ा लिखा व्यक्ति था । पाॅलिसी लेते समय संबंधित अधिकारियों द्वारा किसी भी नियम व ष्षर्त को नहीं समझाया गया था क्योंकि पाॅलिसी प्राप्त करने के बाद अद्र्ववार्षिक प्रीमियम की राषि 3 वर्ष की अवधि तक जमा करवाई गई है । अतः 2 वर्ष की अवधि पूरी करने के बाद आईआरडीए के अनुसार उक्त पाॅलिसी संबंधित मृत्यु दावा षीघ्र क्लेम की परिधि में नहीं आता है । फलतः अस्वीकार किया गया क्लेम विधि विरूद्व है तथा सेवा में कमी का परिचायक है । परिवाद स्वीकार कर वांछित अनुतोष प्रदान किया जाना चाहिए । अपने तर्को के समर्थन में प्रार्थिया की ओर से विनिष्चय 1996;2द्धब्च्त् 103 स्प्ब् टे ।ेीं क्मअप व माननीय राज्य आयोग, बैंच संख्या 3 राजस्थान,जयपुर द्वारा अपील संख्या 631/14 आईसीआईसीआई प्रुडेन्षियल लाईफ इन्ष्योरेंस क.लि. बनाम रामेष्वर धाकड़ में पारित निर्णय दिनांक 29.8.2016 प्रस्तुत किए गए है ।
4. खण्डन में अप्रार्थी बीमा कम्पनी का यह तर्क रहा है कि मृतक बीमित द्वारा प्रस्ताव पत्र भरते समय जन्मतिथि के आधार पर उम्र के प्रमाण स्वरूप जो वोटर आईडी कार्ड प्रस्तुत किया गया था, में उसकी उम्र 1.1.1998 को 34 वर्ष बताई गई है जबकि क्लेम प्रस्तुत किए जाते समय बीमित की उम्र वोटर आईडी कार्ड जिसमें दिनंाक 1.1.1998 को 41 वर्ष बताई गई है व राषन कार्ड के अनुसार 65 वर्ष बताई गई है । उम्र के इस अन्तर को ध्यान में रखते हुए उनके द्वारा अनुसंधान करवाए जाने के बाद प्राप्त आधार कार्ड के अनुसार बीमित मृतक की उम्र 67 होना पाया गया है जो ली गई पाॅलिसी के प्लान के अनुसार एण्ट्रीलेवल की सीमा 60 वर्ष से अधिक होने के कारण बीमा क्लेम देय नहीं था ।इसी कारण क्लेम अस्वीकृत किया गया है ।
5. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों के साथ साथ प्रस्तुत विनिष्चयों में प्रतिपादित न्यायिक दृष्टान्तों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
6. हमारे समक्ष विचारणीय बिन्दु यह है कि क्या अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा जारी की गई बीमा पाॅलिसी में बीमित द्वारा बीमा पाॅलिसी लिए जाते समय भरे गए प्रस्ताव प्रपत्र में अपनी उम्र का गलत अंकन किया है ? चूंकि इस संबंध में मात्र 31.3.2014 के पत्र को आधार लिया गया है , अतः अन्य उज्रात जो उठाए गए है , पर विचार नहीं किया जा सकता ।
7. हस्तगत प्रकरण में मृतक ने बीमा पाॅलिसी प्राप्त करते समय जो प्रस्ताव पत्र दिनांकित 11.1.2010 को भरा है तथा जिसके अनुसरण में पाॅलिसी जारी हुई है, में अपनी जन्मतिथ वर्ष 1962 बताई है तथा इसका आधार वोटर कार्ड बताया है । इस वोटर कार्ड के अनुसार दिनांक 1.1.1998 को उसकी उम्र 34 वर्ष बताई गई है । इस प्रकार पाॅलिसी लिए जाते समय उसकी उम्र लगभग 47 वर्ष होना पाया जाता है बीमित की मृत्यु के बाद प्रस्तुत क्लेम फार्म में प्रार्थिया द्वारा बीमित की उम्र बाबत् जो प्रमाण स्वरूप राषन कार्ड प्रस्तुत किया है, में उसकी उम्र दिनंाक 5.5.2010 को 65 वर्ष व वोटर कार्ड के अनुसार दिनांक 1.1.1998 को 41 वर्ष होना बताया गया है । यदि प्रस्ताव पत्र में भरी गई जन्म तिथि दिनंाक 25.9.1962 के हिसाब से राषन कार्ड में दर्षाई गई 65 वर्ष की उम्र का आंकलन करे तो दिनांक 5.5.2010 को लगभग 48 वर्ष सामने आती है । बीमा कम्पनी द्वारा उम्र के इस अन्तर को ध्यान में रखते हुए सन्देह की स्थिति में अनुसंधान करवाए जाने के बाद आधार कार्ड में बीमाधारक की उम्र 67 वर्ष होना सामने आना पाते हुए वर्ष 2012 में पाॅलिसी की एण्ट्री लेवल तक अधिकतम उम्र सीमा 60 वर्ष से अधिक होना बताया है । यहां यह उल्लेखनीय है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने आधार कार्ड एवं राषन कार्ड को ध्यान में रखते हुए मृतक बीमित की उम्र 67 वर्ष बताई है जबकि जो आधार कार्ड पत्रावली में उपलब्ध है, को धारक द्वारा, वोटर कार्ड के अनुसार बताई गई उम्र के आधार पर बनाया गया है । यदि वोटर कार्ड , जो प्रस्तुत हुआ है, को देखा जाए तो प्रस्ताव पत्र को भरते समय प्रस्तुत वोटर कार्ड के अनुसार दिनंाक 1.1.1998 को मृतक की उम्र हालांकि लगभग 34 वर्ष बताई गई है । जबकि उक्त दिनांक 1.1998 को मृतक की उम्र लगभग 36 वर्ष तथा क्लेम के साथ प्रस्तुत वोटर कार्ड में दिनांक 1.1.1998 को जो 41 वर्ष बताई गई है वह अनुमानित 36 वर्ष पाई जाती है । चूंकि आधार कार्ड में बताई गई उम्र 67 वर्ष का आधार वोटर कार्ड है व वोटर कार्ड के अनुसार यह उम्र दिनांक 1.1.2012 को लगभग 50 वर्ष होती है । अतः आधार कार्ड के अनुसार किसी भी सूरत में 67 वर्ष नहीं मानी जा सकती । जो विनिष्चय आषा देवी वाला प्रस्तुत हुआ है, में माननीय राज्य आयेाग ने यही अभिनिर्धारित किया है कि पाॅलिसी लिए जाते समय उम्र के संबंध में दिए गए प्रमाण को ही सर्वोपरि माना जाएगा और खण्डन में इसको सिद्व करने की जिम्मेदारी अप्रार्थी पर रहेगी ।
8. कुल मिलाकर एण्ट्रीलेवल पर बीमित की उम्र 60 वर्ष से कहीं कम पाई जाती है व तदनुसार मात्र इस आधार पर खारिज किया गया क्लेम किसी भी सूरत में उचित नही ंमाना जा सकता । उनकें द्वारा खारिज किया गया यह क्लेम उनकी सेवा में कमी का परिचायक है । मंच की राय में प्रार्थिया का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
9. (1) प्रार्थिया अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बीमा पाॅलिसी संख्या 01756190 पेटे बीमाधन राषि रू. 106,700/- बीमा क्लेम खारिज करने की दिनंाक से ताअदायगी 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित प्राप्त प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी
(2) प्रार्थिया अप्रार्थी बीमा कम्पनी से ं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000 /-भी प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थिया को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थिया के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 08.11.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष