Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

cc/780/2011

Yogesh Gupta - Complainant(s)

Versus

Awas Vikas - Opp.Party(s)

13 Jun 2016

ORDER

 
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
 
   अध्यासीनः   डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
 
                
 
 
उपभोक्ता वाद संख्या-780/2011
योगेष गुप्ता पुत्र रामचन्द्र गुप्ता निवासी मकान नं0-84/63/212 तेजाब मिल कैम्पस अनवरगंज, कानपुर नगर।
                                  ................परिवादी
बनाम
1. उत्तर प्रदेष आवास एवं विकास परिशद, लखनऊ द्वारा आयुक्त।
2. ओरियन्टल बैंक ऑफ कामर्स हमीरपुर रोड नौबस्ता कानपुर नगर द्वारा षाखा प्रबन्धक।
3. बैंक ऑफ बड़ौदा षाखा कबाड़ी मार्केट फजलगंज कानपुर नगर द्वारा षाखा प्रबन्धक।
                           ...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिला तिथिः 15.12.2011
निर्णय तिथिः 05.06.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.   परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षीगण से उपरोक्त योजना के अंतर्गत प्लाट दिलाया जाये अथवा रू0 4,00,000.00 का नुकसान जो प्लाट न मिलने के कारण हुआ है, दिलाया जाये व साथ ही रू0 50000.00 जो मानिसक कश्ट हुआ, उसके लिए व रू0 10000.00 बतौर वाद व्यय दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-1 उ0प्र0 आवास विकास परिशद योजना सं0-2 में प्लाट प्राप्त करने हेतु दिनांक 28.12.06 को प्रार्थनापत्र सं0-1567 समस्त औपचारिकतायें पूर्ण करके, विपक्षी सं0-2 ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स हमीरपुर रोड नौबस्ता कानपुर में जमा किया गया। किन्तु लाटरी में परिवादी का प्लाट आवंटित नहीं हुआ। फलस्वरूप परिवादी द्वारा प्रार्थनापत्र दिनांकित 26.02.08 के माध्यम से समस्त औपचारिकतायें पूर्ण करके प्रार्थनापत्र के साथ जमा धन रू0 15000.00 की मांग की गयी।तब परिवादी 
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को विपक्षी सं0-1 के कार्यालय से जानकारी हुई कि विपक्षी सं0-2 ने विपक्षी सं0-1 के यहां परिवादी का प्रार्थनापत्र सं0-1567 प्रेशित किया, किन्तु रू0 15000.00 के स्थान पर सिर्फ रू0 10000.00 प्रेशित किये गये, के कारण परिवादी का प्रार्थनापत्र लाटरी में षामिल नहीं किया गया। इस प्रकार विपक्षी सं0-1 आयुक्त आवास एवं विकास व विपक्षी सं0-2 बैंक की गलती के कारण परिवादी को उ0प्र0 आवास विकास परिशद योजना सं0-2 में प्लाट नहीं मिल सका और न ही तो आज तक परिवादी का रू0 15000.00 वापस किया गया। विपक्षी सं0-3 के द्वारा दिनांक 25.08.10 को यह प्रमाण पत्र जारी किया गया है कि उसकी बैंक से दिनांक 30.12.06 को उपरोक्त बैंकर्स चेक सं0-643854 दिनांकित 28.12.06 का पैसा आवास विकास परिशद को हस्तान्तरण कर दिया गया है। परिवादी के पत्र दिनांक 02.11.08 के जवाब में विपक्षी सं0-2 का कहना है कि उसको दिनांक 30.12.06 को क्लेम के माध्यम से जो कि बैंक ऑफ बड़ौदा षाखा कबाड़ी मार्केट कानपुर द्वारा प्रस्तुत किया है, उपरोक्त तथ्य की जानकारी हुई है कि रू0 15000.00 के स्थान पर सिर्फ रू0 10000.00 ही दिया गया। जबकि परिवादी ने विपक्षी सं0-1 द्वारा दी गयी तारीख 28.12.06 को अपना फार्म रू0 15000.00 की बैंकर्स चेक के साथ जमा किया गया था। इस प्रकार विपक्षी सं0-1, 2 व 3 के द्वारा की गयी सेवा में कमी के कारण परिवादी द्वारा रू0 15000.00 जमा करने के बावजूद रू0 10000.00 ही दिखाये गये। जिससे परिवादी का नाम लाटरी में षामिल नहीं किया गया। यदि परिवादी का नाम लाटरी में षामिल किया गया होता तो परिवादी को प्लाट आवंटित हुआ होता और परिवादी को रू0 4,00,000.00 का फायदा होता। विपक्षी सं0-1 के कथनानुसार परिवादी ने रू0 15000.00 का ड्राफ्ट बनाकर विपक्षी सं0-1 के निर्देषानुसार विपक्षी सं0-2 के यहां जमा किया, किन्तु विपक्षी सं0-2 ने विपक्षी सं0-1 को प्रार्थनापत्र देने में सेवा में कमी की है और विपक्षी सं0-1 ने उसको दूर करने का कोई प्रयास नहीं किया तो विपक्षी सं0-1 व 2 की कमी के कारण परिवादी को प्लाट नहीं मिला। इसके लिए विपक्षी सं0-1 व 2 दोनों दोशी हैं। इसलिए परिवादी को 2006 की रेट पर 
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विपक्षी सं0-1 से परिवादी को प्लाट दिलाया जाये अथवा आर्थिक नुकसान की भरपाई की जाये। विपक्षीगण के द्वारा उपरोक्तानुसार की गयी सेवा में कमी के कारण परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. विपक्षी सं0-1 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित कतिपय तथ्यों का खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि परिवादी का यह कथन स्वीकार है कि परिवादी द्वारा कथित रू0 15000.00 का बैंक ड्राफ्ट विपक्षी सं0-2 की बैंक में दिनांक 28.12.06 में जमा करने की रसीद संलग्न करके पंजीकरण फार्म सं0-1567 चरण 2006 दाखिल किया गया, परन्तु बैंक विपक्षी सं0-2 द्वारा विपक्षी सं0-1 के पंजीकरण धनराषि संग्रह खाते में रू0 15000.00 क्रेडिट किये जाने की पुश्टि भेजे गये अपने स्टेटमेंट में नहीं की और विपक्षी सं0-1 द्वारा पत्राचार करने एवं जरिये अधिवक्ता नोटिस देने के बाद भी नहीं की गयी, जिसके कारण जमा धनराषि की पुश्टि के अभाव में परिवादी को धनराषि वापस नहीं हो सकी। परिवादी का आवेदन पंजीकरण लाटरी में षम्मलित किया गया था, परन्तु वह लाटरी में सफल नहीं हुआ, इसलिए सम्पत्ति आवंटित नहीं हो सकी। परिवादी का रू0 15000.00 की धनराषि जमा होने की पुश्टि नहीं हो सकी। इस प्रकार विपक्षी सं0-1 द्वारा सेवा में कोई कमी कारित नहीं की गयी है। परिवाद खारिज किया जाये।
4. विपक्षी सं0-2 ओरियन्टल बैंक आफ कामर्स की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी एवं विपक्षी सं0-2 के मध्य कोई संविदात्मक सम्बन्ध ;च्तपअपजल वि ब्वदजतंबजद्ध नहीं है। क्योंकि परिवादी विपक्षी सं0-2 का खातेदार नहीं है। परिवादी विपक्षी सं0-2 का उपभोक्ता नहीं है। विपक्षी सं0-1 विपक्षी सं0-2 का खातेदार है। परन्तु वाद में विपक्षी सं0-2 संग्रहक बैंक ;ब्वससमबजपदह ठंदाद्ध के रूप में अपने कर्तव्य के पालन में कही 
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भी असमर्थ नहीं रहा है। विपक्षी सं0-1 ने विपक्षी सं0-2 से पत्राचार करते हुए फार्म सं0-1567/06 ड्राफ्ट सं0-643854 दिनांक 27.12.06 का उल्लेख किया है। चालान फार्म सं0-200602 पर भी ड्राफ्ट सं0-643854 दिनांकित 27.12.06 अंकित है और यही प्रति बैंक के पास है। परन्तु बैंकर्स चेक सं0-643854 दिनांकित 28.12.06 बावत रू0 15000.00 बैंक ऑफ बड़ौदा षाखा कबाड़ी मार्केट फजलगंज कानपुर नगर से सम्बन्धित है। चालान फार्म सं0-1567/06 की दूसरी प्रति जो विपक्षी सं0-1 को दी जानी चाहिए, उसमें की गई प्रविश्टियों का ज्ञान विपक्षी सं0-2 को नहीं है। बैंकर्स चेक सं0-643854 दिनांकित 28.12.06 विपक्षी सं0-2 के द्वारा स्थानीय क्लीयरिंग के लिए प्रस्तुत की गयी, जो दिनांक 29.12.06 को रू0 15000.00 संग्रहण किया गया और विपक्षी सं0-1 के खाते में हस्तान्तरित किया गया। यह तथ्य दिनांक 29.12.06 को प्रस्तुतकर्ता षाखानुसार दिनांक 30.12.06 को कंप्यूटर पर प्रिंट हुई-से स्पश्ट है। चालान फार्म सं0-1567/06 जिस पर परिवादी के हस्ताक्षर है, उस पर बैंकर्स चेक सं0-643854 दिनांकित 27.12.06 अंकित है, जबकि वादग्रस्त चेक सं0-643854 दिनांकित 28.12.06 है, यह त्रुटि स्वयं परिवादी द्वारा की गयी है। स्वयं की त्रुटि के लिए परिवादी किसी अन्य को उत्तरदायी नहीं ठहरा सकता। विपक्षी सं0-2 से पत्राचार करते हुए विपक्षी सं0-1 जो कि विपक्षी सं0-2 का खातेदार है, उसने भी बैंकर्स चेक सं0-643854 दिनांकित 27.12.06 का ही उल्लेख किया है, जिससे यह स्पश्ट है कि विपक्षी सं0-1 के अभिलेखों में बैंकर्स चेक का विवरण त्रुटिपूर्ण ढंग से होने के कारण परिवादी को वास्तविक कारण से अवगत नहीं कराया गया। विपक्षी सं0-1 के दोश के लिए किसी भी प्रकार से विपक्षी सं0-2 को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। एक बड़े खातेदार के रूप में विपक्षी सं0-1 का यह विधिक उत्तरदायित्व था कि वह अपने खाते का नियमित अंतराल में आद्यतन कराये और यदि खाते में कोई विसंगति है, तो बैंक को तत्काल सूचित करे। विपक्षी सं0-1 ने स्वयं अपने खाते में किसी भी विसंगति         के लिए बैंक को लगभग 4 वर्श तक सूचित नहीं किया। विपक्षी सं0-2 एक 
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राश्ट्रीयकृत बैंक है, जो भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के निर्देषानुसार कार्य करती है। कंप्यूटरीकरण के कारण चेक/ड्राफ्ट आदि के समाषोधन ;ब्समंतपदहद्ध में चेक/ड्राफ्ट संख्या, दिनांक, धनराषि की प्रविश्टि में कोई विसंगति होने पर चेक/ड्राफ्ट पूर्ण रूप से अनादरित होगी, आंषिक रूप से संग्रहण नहीं हो सकता। विपक्षी सं0-2 के समस्त खाते जिनमें कोई भी संचालन किसी भी तिथि को होता है, प्रतिदिन उनका क्रेडिट/डेबिट बैलेंस मिलाया जाता है। जिसमें कंप्यूटर के द्वारा किसी त्रुटि की संभावना नहीं रहती है। परिवादी के द्वारा चालान फार्म पर की गयी प्रविश्टि पूर्णतयः त्रुटिपूर्ण होने के कारण चार वर्श बाद विपक्षी सं0-2 को किसी प्रकार की सेवा में कमी का जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। परिवाद कालबाधित होने के कारण तथा उपरोक्त अन्य कारण से खारिज किये जाने योग्य है।
5. परिवाद योजित होने के पष्चात विपक्षी सं0-3 को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी, लेकिन पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद भी विपक्षी सं0-3 फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं आया। अतः विपक्षी सं0-3  पर पर्याप्त तामीला मानते हुए दिनांक 07.02.13 को विपक्षी सं0-3 के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही किये जाने का आदेष पारित किया गया।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 09.08.12 एवं 07.01.13 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज 1 लगायत् 9 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6. विपक्षी सं0-1 ने अपने कथन के समर्थन में अरूण कुमार टण्डन सम्पत्ति प्रबन्ध अधिकारी का षपथपत्र दिनांकित 17.06.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-2 के साथ संलग्न कागज 2/1 लगायत् 2/7 दाखिल किया है।
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विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
7. विपक्षी सं0-2 ने अपने कथन के समर्थन में के0सी0 मिश्रा वरिश्ठ प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 14.05.12 एवं रत्नेष कुमार, वरिश्ठ प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 22.11.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज सं0-3/1 लगायत् 3/4 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
8. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों की ओर से उपरोक्त प्रस्तर-5, 6 व 7 में वर्णित षपथपत्रीय व अन्य अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं। पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त साक्ष्यों में से मामले को निर्णीत करने में सम्बन्धित साक्ष्यों का ही आगे उल्लेख किया जायेगा।
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में निम्नलिखित विचारणीय वाद बिन्दु बनते हैंः-
1. क्या विपक्षी सं0-2 द्वारा परिवादी के प्रार्थनापत्र सं0-1567 के साथ उसके द्वारा जमा की गयी धनराषि रू0 15000.00 के स्थान पर रू0 10000.00 प्रेशित किये गये, यदि हां तो प्रभाव?
2. क्या परिवादी, चालान फार्म त्रुटिपूर्ण होने के कारण विपक्षी सं0-2 से कोई क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी है, यदि हां तो प्रभाव?
3. क्या परिवादी का परिवाद कालबाधित है, यदि हां तो प्रभाव?
4. क्या परिवादी कोई अनुतोश प्राप्त करने का अधिकारी है और यदि हां तो किसी विपक्षी से?
विचारणीय वाद बिन्दु संख्या-01
9. यह वाद बिन्दु सिद्ध करने का भार परिवादी पर है। परिवादी की ओर से अपने परिवाद पत्र, लिखित बहस तथा मौखिक तर्कों में यह कहा गया है कि विपक्षी सं0-2 के द्वारा विपक्षी सं0-1 आवास विकास  के यहां 
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परिवादी का प्रार्थनापत्र बावत आवंटन प्लाट प्रेशित किया गया, किन्तु परिवादी द्वारा चेक सं0-643854 के माध्यम से बावत रू0 15000.00 विपक्षी सं0-3 बैंक ऑफ बड़ौदा से बनवाकर विपक्षी सं0-2 जो कि विपक्षी सं0-1 कलेक्षन बैंकर है, के यहां जमा किया गया, किन्तु विपक्षी सं0-2 द्वारा विपक्षी सं0-1 के यहां मात्र रू0 10000.00 ही भेजे गये, जिसके कारण परिवादी का प्रार्थनापत्र प्लाट आवंटन के लिए लाटरी में षामिल नहीं किया गया। जिससे परिवादी को रू0 4,00,000.00 का नुकसान हुआ। अन्यथा स्थिति में परिवादी को यदि प्लाट आवंटित हो गया होता तो उसके रू0 4,00,000.00 का फायदा होता। इसके विपरीत विपक्षी सं0-2 की ओर से अपने जवाब दावा में षपथपत्र में व लिखित बहस व तर्कों में यह कहा गया है कि परिवादी की ओर से दाखिल बैंकर्स चेक सं0-643854 दिनांक 28.12.06 विपक्षी सं0-2 के द्वारा स्थानीय क्लीयरिंग के लिए प्रस्तुत की गयी, जो दिनांक 29.12.06 को संग्रहण किया गया और विपक्षी सं0-2 के खाते में हस्तांतरित किया गया। जबकि विपक्षी सं0-1 के द्वारा अपने जवाब दावा में व षपथपत्र में यह कहा गया है कि परिवादी का यह कथन स्वीकार है कि परिवादी द्वारा कथित रू0 15000.00 फार्म सं0-1567 के साथ जमा किया गया, परन्तु विपक्षी सं0-2 बैंक द्वारा विपक्षी सं0-1 के पंजीकरण धनराषि संग्रह खाते में क्रेडिट किये जाने की पुश्टि भेजे गये, अपने स्टेटमेंट में नहीं की और विपक्षी सं0-1 द्वारा तमाम पत्राचार करने एवं जरिये अधिवक्ता नोटिस देने के बाद भी उक्त पुश्टि नहीं की गयी।
पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत किये गये साक्ष्य के अवलोकन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा अपने उपरोक्त कथन के समर्थन में सूची के साथ षपथपत्रीय साक्ष्य व प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं, जिनका उल्लेख ऊपर प्रस्तर-5 में किया गया है। उक्त अभिलेखीय साक्ष्य में कागज सं0-7 विपक्षी सं0-3 बैंक ऑफ बड़ौदा के द्वारा जारी प्रमाण पत्र दिनांकित 25.08.10 है तथा कागज सं0-8 पत्र द्वारा सहायक प्रबन्धक उत्तर प्रदेष आवास एवं विकास परिशद वहक षाखा प्रबन्धक ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स/विपक्षी सं0-2 है।  जिनसे परिवादी के कथन की पुश्टि 
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होती है। विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्य कागज सं0-2/2 लगायत् 2/6 सह यह स्पश्ट होता है कि विपक्षी सं0-1 द्वारा विपक्षी सं0-2 को परिवादी की ओर से जमा की गयी धनराषि की पुश्टि किये जाने हेतु पत्राचार किये जाने के बावजूद विपक्षी सं0-2 समय से विपक्षी सं0-1 को परिवादी की ओर से जमा की गयी वास्तविक धनराषि रू0 15000.00 की पुश्टि नहीं की गयी है। जिससे विपक्षी सं0-1 के कथन की पुश्टि होती है। विपक्षी सं0-2 की ओरसे अपने कथन के समर्थन में षपथपत्र के साथ ’’आउट वर्ड क्लीयरिंग (लोकल)’’ का एकाउन्ट स्टेटमेंट दिनांकित 29.12.06 प्रस्तुत किया गया है। जिसमें रू0 15000.00 प्रष्नगत प्रस्ताव फार्म सं0-643854 के पक्ष में जमा किया जाना दिखाया गया है, जिसे विपक्षी सं0-1 द्वारा प्राप्त करने से अस्वीकार किया गया है। विपक्षी सं0-1 एवं विपक्षी सं0-2 के द्वारा आपस में आरोप-प्रत्योरोप लगाये गये हैं।
अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में तथा विपक्षी सं0-1 द्वारा विपक्षी सं0-2 को प्रेशित किये गये प्रपत्रों के आलोक में जिनका जवाब विपक्षी सं0-2 द्वारा समय से नहीं दिया गया, के आधार पर फोरम इस मत का है कि विपक्षी सं0-2 द्वारा सेवा में कमी कारित की गयी है।
अतः उपरोक्त विचारणीय वाद बिन्दु विपक्षीगण के विरूद्ध तथा परिवादी के पक्ष में निर्णीत किया जाता है।
विचारणीय वाद बिन्दु संख्या-02
10 यह विचारणीय वाद बिन्दु सिद्ध करने का भार विपक्षी सं0-2 पर है। इस सम्बन्ध में पत्रावली के अवलोकन से विदित होता है कि विपक्षी सं0-1 द्वारा विपक्षी सं0-2 पर यह आरोप लगाया गया है कि विपक्षी सं0-2 द्वारा परिवादी के आवंटन प्रस्ताव फार्म के सापेक्ष रू0 15000.00 प्रेशित किये जाने के बावजूद मात्र रू0 10000.00 विपक्षी सं0-1 को भेजे गये हैं।  अपने उपरोक्त कथन के समर्थन में विपक्षी संख्या-1 द्वारा विपक्षी
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सं0-2 को प्रेशित किये गये तमाम प्रपत्रों का उल्लेख किया गया है और उन पत्रों की छायाप्रतियां प्रस्तुत की गयी हैं। विपक्षी सं0-2 द्वारा उपरोक्त स्टेटमेंट एकाउन्ट दिनांकित 29.12.06 की छायाप्रति अपने कथन के समर्थन में प्रस्तुत की गयी है और यह कहा गया है कि उसके द्वारा रू0 15000.00 विपक्षी सं0-1 के खाते में भेजा गया है। उपरोक्तानुसार विपक्षी सं0-1 व 2 के द्वारा आपस में एक दूसरे के विरूद्ध आरोप-प्रत्यारोप लगाने से परिवादी के क्लेम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। फोरम इस मत का है कि परिवादी के साथ विपक्षी सं0-1 व 2 दोनों के द्वारा सेवा में कमी कारित की गयी है।
अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में प्रस्तुत विचारणीय वाद बिन्दु विपक्षी सं0-1 व 2 के विरूद्ध तथा परिवादी के पक्ष में निर्णीत किया जाता है।
विचारणीय वाद बिन्दु संख्या-03
11. यह विचारणीय वाद बिन्दु सिद्ध करने का भार विपक्षी सं0-2 पर है। विपक्षी सं0-2 द्वारा यह कहा गया है कि परिवाद कालबाधित है। किन्तु पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-1 के यहां जन सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्रेशित पत्र दिनांकित 10.11.10 के क्रम में परिवादी को वास्तविक तथ्यों की जानकारी हुई। विपक्षी सं0-2 द्वारा परिवादी के प्लाट आवंटन प्रस्ताव फार्म के सापेक्ष संपूर्ण धनराषि विपक्षी सं0-2 द्वारा विपक्षी सं0-1 को प्रेशित नहीं की गयी है और परिवाद दिनांक 15.12.11 को प्रस्तुत किया गया है। अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में प्रस्तुत परिवाद कालबाधित नहीं है।
अतः उपरोक्त विचारणीय वाद बिन्दु विपक्षीगण के विरूद्ध तथा परिवादी के पक्ष में निर्णीत किया जाता है।
विचारणीय वाद बिन्दु संख्या-04
10. उपरोक्तानुसार उपरोक्त वाद बिन्दुओं के विनिष्चयन के आधर पर दिये गये निश्कर्श के आधर पर फोरम इस मत का है कि विपक्षी सं0-1 
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व 2 के द्वारा आपस में एक दूसरे के विरूद्ध आरोप-प्रत्यारोप लगाये गये हैं। विपक्षी सं0-1 व 2 के द्वारा सेवा में कमी किये जाने के कारण परिवादी का प्रस्ताव फार्म आवंटन लाटरी में षामिल नहीं किया जा सका है, जिसके लिये विपक्षी सं0-1 व 2 दोनों ही उत्तरदायी हैं।
अतः उपरोक्त विचारणीय वाद बिन्दु विपक्षीगण के विरूद्ध तथा परिवादी के पक्ष में निर्णीत किया जाता है।
12. परिवादी द्वारा रू0 4,00,000.00 की भरपाई किये जाने की याचना की गयी है। किन्तु इस आषय का अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है कि उसे रू0 4,00,000.00 की क्षतिपूर्ति किस आधार पर दी जाये। परन्तु फोरम इस मत का है कि निष्चित रूप से विपक्षी सं0-1 व 2 के द्वारा उपरोक्तानुसार सेवा में कमी किये जाने के कारण परिवादी का प्रस्ताव फार्म लाटरी में षामिल नहीं किया गया। इस बात की संभावना थी कि यदि लाटरी में परिवादी का प्रस्ताव फार्म षामिल किया जाता, तो हो सकता है कि उसे प्लाट आवंटित हो जाता। इसलिए फोरम इस मत का है कि परिवादी को एकमुष्त धनराषि रू0 1,50,000.00 क्षतिपूर्ति दिये जाने हेतु तथा रू0 15000.00 जमा की गयी धनराषि मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से, परिवादी द्वारा उपरोक्त धनराषि विपक्षी के यहां जमा करने की तिथि से तायूम वसूली तक के लिए तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय के लिए स्वीकार किये जाने योग्य है। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
8. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षीगण परिवादी को एकमुष्त धनराषि रू0 150000.00 
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(रू0 एक लाख पचास हजार) क्षतिपूर्ति अदा  करें तथा परिवादी द्वारा जमा की गयी धनराषि 15000.00 मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से, परिवादी द्वारा उपरोक्त धनराषि, विपक्षी के यहां जमा करने की तिथि से तायूम वसूली अदा करें तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करें।
 
       ( पुरूशोत्तम सिंह )                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
         वरि0सदस्य                             अध्यक्ष
  जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश               जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश       
       फोरम कानपुर नगर                         फोरम कानपुर नगर।
 
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
 
     ( पुरूशोत्तम सिंह )                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
         वरि0सदस्य                             अध्यक्ष
  जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश               जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश       
       फोरम कानपुर नगर                         फोरम कानपुर नगर। 
 

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