Rajasthan

Nagaur

CC/135/2015

Smt Kamini Devi - Complainant(s)

Versus

AVVNL,Ajmer - Opp.Party(s)

Sh Vikram Joshi

13 Jul 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/135/2015
 
1. Smt Kamini Devi
Hanumanbag,Nagaur
Nagaur
Rajasthan
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL,Ajmer
hathi bhata
Ajmer
Rajasthan
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Shri Ishwardas Jaipal PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya MEMBER
 
For the Complainant:Sh Vikram Joshi, Advocate
For the Opp. Party: Sh.RADHESYAM SANGWA, Advocate
Dated : 13 Jul 2016
Final Order / Judgement

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

 

परिवाद सं 135/2015

 

श्रीमती कामिनी देवी पत्नी श्री विजय कुमार कुडी, निवासी-हनुमान बाग काॅलोनी, नागौर, तहसील व जिला-नागौर (राज.)।                                                                                                                                                                                                                                                                                                   -परिवादी 

 

बनाम

 

1.            अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा एम.डी./चेयरमैन, अजमेर (राज.)।

2.            अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा अधिषाशी अभियंता (विजिलेंस), नागौर (राज.)।

3.            अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा अधीक्षण अभियंता, नागौर (राज.)।

4.            अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा सहायक अभियंता (ओ. एण्ड. एम.), नागौर (राज.)।                                                  

                                                        -अप्रार्थीगण

 

समक्षः

1. श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।

2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।

3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

 

उपस्थितः

1.            श्री विक्रम जोषी, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।

2.            श्री राधेष्याम सांगवा, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थीगण।

 

    अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

 

                             आ  दे  ष                 दिनांक 13.07.2016

 

 

1.            यह परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि परिवादिया ने अप्रार्थीगण से एक घरेलू विद्युत कनेक्षन खाता संख्या 2412-0083 ले रखा है। जिसका स्वीकृत भार 5 किलोवाट है। अप्रार्थीगण की ओर से परिवादिया को अंतिम विद्युत बिल अप्रेल, 2015 में जारी किया है, जिसका भुगतान परिवादिया की ओर से कर दिया गया। इस तरह परिवादिया की कोई राषि विद्युत षुल्क पेटे बकाया नहीं है। इस बीच अप्रार्थीगण की ओर से परिवादिया को एक नोटिस क्रमांक 72, दिनांक 10.04.2015 जारी किया गया, जिसमें परिवादिया पर बिजली चोरी का आरोप लगाते हुए 67,840/- रूपये बकाया निकाले गये। जबकि परिवादिया की ओर से कोई बिजली चोरी नहीं की गई। केवल मात्र उस पर झूठा आरोप लगाते हुए नोटिस जारी कर दिया गया। परिवादिया को नोटिस मिलने पर उसने अपने प्रतिनिधि के मार्फत अप्रार्थी संख्या 2 से 4 के यहां सम्पर्क किया तथा बताया कि उसने कभी बिजली चोरी नहीं की है जबकि उस पर बिजली चोरी का झूठा आरोप लगाकर नोटिस जारी किया गया। इसके बावजूद अप्रार्थीगण ने कोई कार्यवाही नहीं की तथा राषि वसूलने पर आमाद है एवं विद्युत कनेक्षन विच्छेद करने की धमकियां दे रहे हैं। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवा में कमी एवं अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस की तारीफ में आता है। अतः अप्रार्थीगण की ओर से परिवादिया को भेजा गया तथाकथित नोटिस निरस्त किया जावे तथा अप्रार्थीगण को आदेष दिया जावे कि नोटिस में दर्ज किसी भी प्रकार की राषि परिवादिया से वसूल नहीं करे। साथ ही परिवाद में अंकितानुसार अन्य अनुतोश दिलाये जावे।

 

2.            अप्रार्थीगण की ओर से जवाब प्रस्तुत कर बताया गया है कि परिवादिया के परिसर की जांच निगम के सतर्कता अधिकारी द्वारा दिनांक 10.04.2015 को की गई। इस दौरान पाया गया कि परिवादिया अपने मीटर वाली सर्विस लाइन के अलावा अपने घरेलू परिसर के पास स्थित पोल से काले रंग के केबिल का अकुडिया लगाकर अपने घर में अवैध रूप से विद्युत सप्लाई लेकर विद्युत चोरी करते हुए पाई गई। इस पर अप्रार्थी निगम के सतर्कता अधिकारी जांच कर मौके पर नियमानुसार वीसीआर षीट भरी गई। इसके बाद इस वीसीआर षीट के आधार पर एसेसमेंट कर राषि 67,840/- रूपये की वसूली हेतु नोटिस जारी किया गया। तब परिवादी ने विद्युत चोरी की जुर्माना राषि से बचने के लिए झूठे तथ्यों के आधार पर यह परिवाद पेष किया है। जो मय खर्चा खारिज किया जावे।

 

3.            दोनों पक्षों की ओर से अपने-अपने षपथ-पत्र एवं दस्तावेजात पेष किये गये।

 

4.            बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। परिवादिया की ओर से परिवाद पत्र के समर्थन में स्वयं का षपथ-पत्र प्रस्तुत करने के साथ ही नोटिस क्रमांक 72, दिनांक 10.04.2015 प्रदर्ष 1, केन्द्रीय सतर्कता जांच प्रतिवेदन प्रदर्ष 2 एवं विद्युत उपभोग के बिल प्रदर्ष 3 व 4 पेष किये गये हैं। परिवादिया के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि कथित वीसीआर षीट पर परिवादिया के हस्ताक्षर नहीं है तथा अप्रार्थीगण ने मनमाने आरोप लगाते हुए नोटिस जारी कर अवैध राषि की मांग की है जो सेवा दोश होने के कारण नोटिस निरस्त कर परिवादिया को हर्जा-खर्चा दिलाया जावे।

 

5.            उक्त के विपरित अप्रार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि परिवादिया द्वारा मनगढत एवं गलत तथ्यों के आधार पर परिवाद पेष किया है, वास्तव में परिवादिया के परिसर की जांच सतर्कता अधिकारी द्वारा किये जाने पर परिवादिया अपने मीटर वाली सर्विस लाइन के अलावा अपने घरेलू परिसर के पास स्थित पोल से काले रंग के केबिल का अकुडिया लगाकर अपने घर में अवैध रूप से विद्युत सप्लाई लेकर विद्युत चोरी करते हुए पाई गई। जिस पर वीसीआर रिपोर्ट तैयार की गई। इसी वीसीआर रिपोर्ट के आधार पर गणना कर बकाया राषि की वसूली हेतु दिनांक 10.04.2015 को नोटिस  प्रदर्ष ए 1 जारी किया गया। यह भी बताया गया है कि परिवादिया का कृत्य विद्युत चोरी का होकर दण्डनीय अपराध रहा है। ऐसी स्थिति में परिवादिया का मामला उपभोक्ता विवाद की श्रेणी में नहीं आने से खारिज होने योग्य है। अप्रार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता ने अपने तर्कों के समर्थन में निम्नलिखित न्याय निर्णय भी पेष किये हैंः-

(1.) राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोश आयोग राजस्थान, जयपुर द्वारा अपील संख्या 934/2013 सुरेष कुमार बनाम अजमेर विद्युत वितरण निगम में पारित निर्णय दिनांक 01.12.2014

(2.) 2013 (8) एससीसी 491 उतरप्रदेष पावर कोरपोरेषन लिमिटेड व अन्य बनाम अनीस अहमद

 

6.            पक्षकारान के विद्वान अधिवक्तागण के द्वारा दिये तर्कोंं पर मनन कर उनके द्वारा विभिन्न न्याय निर्णयों में माननीय, न्यायालयों द्वारा अभिव्यक्त मत का अवलोकन करने के साथ ही पत्रावली पर उपलब्ध समस्त सामग्री का अवलोकन किया गया। पत्रावली पर उपलब्ध वी.सी.आर. प्रदर्ष ए 2 के अवलोकन पर स्पश्ट है कि परिवादिया के परिसर में स्थापित विद्युत सम्बन्ध एवं मीटर की जांच सतर्कता अधिकारी द्वारा दिनांक 10.04.2015 को की गई थी, जिसके अनुसार परिवादिया अपने मीटर वाली सर्विस लाइन के अलावा अपने घरेलू परिसर के पास स्थित पोल से काले रंग के केबिल का अकुडिया लगाकर अपने घर में अवैध रूप से विद्युत सप्लाई लेकर विद्युत चोरी करते हुए पाई गई। अप्रार्थीगण द्वारा बताया गया है कि वी.सी.आर. रिपोर्ट प्रदर्ष ए 2 के आधार पर ही गणना कर सिविल दायित्व की राषि जोडते हुए परिवादिया के विरूद्ध दिनांक 10.04.2015 को जारी नोटिस प्रदर्ष ए 1 अनुसार 67,840/- रूपये बकाया राषि की मांग की गई है। पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री से स्पश्ट है कि इस मामले में परिवादिया के विरूद्ध वी.सी.आर. षीट के आधार पर गणना की जाकर बकाया राषि निकालते हुए परिवादिया के विरूद्ध दिनांक 10.04.2015 को डिमांड नोटिस प्रदर्ष ए 1 जारी किया गया है। यद्यपि परिवादिया के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि केन्द्रीय सतर्कता जांच कमेटी द्वारा मौके पर कोई जांच नहीं की गई।  परिवादिया के विद्वान अधिवक्ता द्वारा दिये गये उपर्युक्त तर्क पर मनन किया गया। हस्तगत मामले के तथ्यों एवं पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री को देखते हुए स्पश्ट है कि मामला वीसीआर षीट एवं विद्युत चोरी से सम्बन्धित रहा है तथा ऐसे मामले में परिवाद जिला उपभोक्ता मंच में पोशणीय न होने से इस सम्बन्ध में गुणावगुण के आधार पर कोई निश्कर्श दिया जाना उचित नहीं होगा। 2013 (8) एससीसी 491 उतरप्रदेष पावर कोरपोरेषन लिमिटेड व अन्य बनाम अनीस अहमद में माननीय उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया है कि

  1. Complaint against assessment made under S. 126 or action taken against those committing offences under Ss. 135 to 140 of Electricity Act, 2003, held, is not maintainable before a Consumer Forum- Civil court’s jurisdiction to consider a suit with respect to the decision of assessing officer under S. 126, or with respect to a decision of the appellate authority under S. 127 is barred under S. 145 of Electricity Act, 2003

        इसी प्रकार माननीय राज्य उपभोक्ता आयोग द्वारा अपील संख्या 934/2013 सुरेष कुमार बनाम अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, आदेष दिनांकित 01.12.2014 वाला मामला भी वीसीआर षीट से सम्बन्धित था एवं जांच के समय मीटर बंद पाया गया था, ऐसी स्थिति में माननीय राज्य आयोग द्वारा यही अभिनिर्धारित किया गया कि जहां वीसीआर के आधार पर बकाया की गणना कर धारा 126 विद्युत अधिनियम, 2003 में कर दी गई हो तथा कार्रवाई धारा 135 से 140 विद्युत अधिनियम, 2003 में कर दी गई हो वहां उपभोक्ता न्यायालय को परिवाद सुनवाई का अधिकार नहीं बनता है।

माननीय न्यायालयों द्वारा उपर्युक्त न्याय निर्णयों में अभिनिर्धारित मत को देखते हुए स्पश्ट है कि हस्तगत मामले में भी सतर्कता जांच रिपोर्ट के पष्चात् बकाया की गणना कर विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 126 अनुसार आवष्यक कार्रवाई कर वसूली हेतु नोटिस जारी किया गया है, ऐसी स्थिति में यह मामला भी उपभोक्ता विवाद की श्रेणी में नहीं आता है तथा न ही जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष पोशणीय ही रहता है तथापि परिवादिया इस हेतु सिविल न्यायालय से अनुतोश प्राप्त कर सकती है। परिणामतः परिवादिया द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद इस न्यायालय/मंच में पोशणीय न होने से खारिज किये जाने योग्य है तथापि परिवादिया इस हेतु स्वतंत्र होगी कि वे विधि अनुसार सक्षम सिविल न्यायालय से अनुतोश प्राप्त करे।

 

 

 

आदेश

 

7.            परिणामतः परिवादिया श्रीमती कामिनी देवी द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद अन्तर्गत धारा-12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच में पोशणीय न होने के कारण खारिज किया जाता है तथापि परिवादिया इस हेतु स्वतंत्र होगा कि वह विधि अनुसार सक्षम सिविल न्यायालय से अनुतोश प्राप्त करे।

 

8.            आदेश आज दिनांक 13.07.2016 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

   ।बलवीर खुडखुडिया।      ।ईष्वर जयपाल।              ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।

                सदस्य              अध्यक्ष                           सदस्या

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Shri Ishwardas Jaipal]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya]
MEMBER

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