Rajasthan

Nagaur

CC/285/2015

Seetaram - Complainant(s)

Versus

AVVNL,Ajmer - Opp.Party(s)

Sh Dinesh Heda

22 Jun 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/285/2015
 
1. Seetaram
mundwa
Nagaur
Rajasthan
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL,Ajmer
hathi bhata
Ajmer
Rajasthan
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Shri Ishwardas Jaipal PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya MEMBER
 
For the Complainant:Sh Dinesh Heda, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

 

परिवाद 285/2015

 

सीताराम पुत्र श्री लिछमणराम, जाति-जाट, निवासी-मूण्डवा, नागौर, तहसील-मूण्डवा, जिला- नागौर (राज.)।                                                                                                                                                                                                                                   -परिवादी  

बनाम

 

1.            अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, जरिये अध्यक्ष/प्रबन्ध निदेषक, अजमेर।

2.            अधीक्षण अभियंता, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, नागौर।

3.            सहायक अभियंता(प.व.स.), अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, मूण्डवा, जिला-नागौर।                                                   

                                                      -अप्रार्थीगण

 

समक्षः

1. श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।

2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।

3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

 

उपस्थितः

1.            श्री दिनेष हेडा, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।

2.            श्री राधेष्याम सांगवा, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थीगण।

 

    अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

 

                             आ  दे  ष                      दिनांक 22.06.2016

 

 

1.            यह परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि परिवादी ने अप्रार्थीगण से एक घरेलू विद्युत कनेक्षन ले रखा है, जिसके खाता संख्या 2218-0112 है। परिवादी द्वारा अप्रार्थीगण की ओर से जारी समस्त वैध बिलों का भुगतान समय-समय पर किया जाता रहा है। इस बीच परिवादी को सहायक अभियंता (केन्द्रीय सतर्कता) अजमेर द्वारा प्रेशित एक नोटिस क्रमांक अ.वि.वि.नि.लि./स.अ./के.सतर्कता/एफ/प्रे. 1786, दिनांक 09.09.2015 मिला। जिसमें अप्रार्थीगण के सहायक अभियंता (केन्द्रीय सतर्कता) के द्वारा दिनांक 03.09.2015 को परिवादी के परिसर पर सतर्कता जांच होने तथा मौके पर सतर्कता जांच प्रतिवेदन तैयार किये जाने का कथन करते हुए वीसीआर तैयार किया जाना बताया गया तथा उक्त अपराध के प्रषमन के लिए राषि 3,000/- रूपये एवं 36,252/- रूपये सिविल लाईबिलिटी सहित कुल 39,252/- रूपये सात दिवस के भीतर-भीतर जमा करवाने के लिए सूचित किया गया। जबकि उक्त तिथि को परिवादी के परिसर पर कोई सतर्कता जांच नहीं की गई थी। उक्त नोटिस के प्राप्त होने पर परिवादी ने अप्रार्थीगण के कार्यालय में जाकर निवेदन किया कि उसके परिसर में कभी भी कोई सतर्कता जांच नहीं हुई है तथा उक्त नोटिस गलत प्रकार से जारी किया गया है, जिसको निरस्त किया जावे। लेकिन अप्रार्थीगण ने उक्त नोटिस को निरस्त करने से साफ मना कर दिया। यह भी बताया गया कि कि अप्रार्थीगण द्वारा तैयार की गई वीसीआर फर्जी दस्तावेज है, जिस पर परिवादी के हस्ताक्षर नहीं है तथा ऐसे फर्जी दस्तावेज के आधार पर गणना कर राषि दिसम्बर, 2015 के बिल में जोडी गई है। जो कि अप्रार्थीगण का सेवा दोश है। ऐसी स्थिति में परिवाद स्वीकार कर अप्रार्थी पक्ष द्वारा जारी नोटिस एवं माह अक्टूबर व दिसम्बर 2015 के बिल निरस्त कर परिवादी को मानसिक परेषानी हेतु 30,000/- दिलाये जाने के साथ ही परिवाद व्यय दिलाया जावे।

 

2.            अप्रार्थीगण की ओर से जवाब प्रस्तुत कर बताया गया है कि दिनांक 03.09.2015 को अप्रार्थी निगम के सहायक अभियंता (सतर्कता) द्वारा परिवादी के परिसर की मौके पर जांच की गई तो पाया कि परिवादी ने अपने मीटर के मैन साइड में एक सफेद तार डायरेक्ट लगाकर मीटर को बाइपास कर धर्मकांटा में बिजली की चोरी कर विद्युत उपभोग की जा रही थी, जिससे मीटर में वास्तविक उपभोग का अंकन नहीं हो रहा था। यह भी बताया गया है कि मौके पर वीसीआर षीट भरी जाकर इस षीट के आधार पर एसेसमेंट कर बकाया राषि की वसूली हेतु दिनांक 09.09.2015 को नोटिस जारी किया गया। तब परिवादी ने विद्युत चोरी की जुर्माना राषि से बचने के लिए झूठे तथ्यों के आधार पर यह परिवाद पेष किया है। जो मय खर्चा खारिज किया जावे।

 

3.            दोनों पक्षों की ओर से अपने-अपने षपथ-पत्र एवं दस्तावेजात पेष किये गये।

 

4.            बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। परिवादी की ओर से परिवाद पत्र के समर्थन में स्वयं का षपथ-पत्र प्रस्तुत करने के साथ ही माह अक्टूबर व दिसम्बर, 2015 के विद्युत बिल क्रमषः प्रदर्ष 1 व प्रदर्ष 2 एवं नोटिस प्रदर्ष 3 तथा वीसीआर षीट की रिपोर्ट प्रदर्ष 4 की फोटो प्रतियां पेष करते हुए तर्क दिया है कि परिवादी द्वारा नियमानुसार विद्युत बिल जमा करवाये जाते रहे हैं लेकिन अप्रार्थीगण ने मनमाने रूप से वीसीआर षीट तैयार कर माह अक्टूबर व दिसम्बर, 2015 में के बिल जारी किये हैं जो कि निरस्त होने योग्य है। उनका यह भी तर्क रहा है कि अप्रार्थी पक्ष द्वारा बताई गई वीसीआर षीट फर्जी है क्योंकि उसके समर्थन में मौके पर लिये गये फोटो पेष नहीं किये गये हैं।

 

5.            उक्त के विपरित अप्रार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि परिवादी द्वारा मनगढत एवं गलत तथ्यों के आधार पर परिवाद पेष किया है, वास्तव में परिवादी परिसर की जांच सतर्कता अधिकारी द्वारा किये जाने पर परिवादी द्वारा मौके पर अपने मीटर के मैन साइड में सफेद तार डायरेक्ट लगाकर मीटर को बाइपास कर धर्मकांटे में बिजली की चोरी कर विद्युत का उपभोग किया जा रहा था तथा इसी वीसीआर रिपोर्ट के आधार पर गणना कर बकाया राषि की वसूली हेतु दिनांक 09.09.2015 को नोटिस जारी किया गया। यह भी बताया गया है कि परिवादी का कृत्य विद्युत चोरी का होकर दण्डनीय अपराध रहा है। ऐसी स्थिति में परिवादी का मामला उपभोक्ता विवाद की श्रेणी में नहीं आने से खारिज होने योग्य है। अप्रार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता ने अपने तर्कों के समर्थन में निम्नलिखित न्याय निर्णय भी पेष किये हैंः-

(1.) राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोश आयोग राजस्थान, जयपुर द्वारा अपील संख्या 934/2013 सुरेष कुमार बनाम अजमेर विद्युत वितरण निगम में पारित निर्णय दिनांक 01.12.2014

(2.) राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोश आयोग राजस्थान, जयपुर द्वारा अपील संख्या 1287/2010 गिर्राज प्लास्टिक बनाम अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में पारित आदेष दिनांक 19.12.2014

(3.) 2013 (8) एससीसी 491 उतरप्रदेष पावर कोरपोरेषन लिमिटेड व अन्य बनाम अनीस अहमद

 

6.            पक्षकारान के विद्वान अधिवक्तागण के द्वारा दिये तर्कोंं पर मनन कर उनके द्वारा प्रस्तुत विभिन्न न्याय निर्णयों में माननीय, न्यायालय द्वारा अभिव्यक्त मत का अवलोकन करने के साथ ही पत्रावली पर उपलब्ध समस्त सामग्री का अवलोकन किया गया। पत्रावली पर उपलब्ध वी.सी.आर. प्रदर्ष 4 के अवलोकन पर स्पश्ट है कि परिवादी के कार्यस्थल पर स्थापित विद्युत सम्बन्ध एवं मीटर की जांच सतर्कता अधिकारी द्वारा दिनांक 03.09.2015 को की गई थी, जिसके अनुसार परिवादी द्वारा मौके पर अपने मीटर के मैन साइड में सफेद तार डायरेक्ट लगाकर मीटर को बाइपास कर धर्मकांटे में बिजली की चोरी कर विद्युत का उपभोग किया जा रहा था अप्रार्थीगण द्वारा बताया गया है कि इसी वी.सी.आर. रिपोर्ट प्रदर्ष 4 के आधार पर ही कार्यालय रिपोर्ट ली जाकर परिवादी द्वारा की गई विद्युत उपभोग बाबत् राषि की गणना कर सिविल दायित्व की राषि जोडते हुए परिवादी के विरूद्ध दिनांक 09.09.2015 को जारी नोटिस प्रदर्ष 3 अनुसार 39,252/- रूपये बकाया राषि की मांग की गई है। पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री से स्पश्ट है कि इस मामले में परिवादी के विरूद्ध वी.सी.आर. षीट के आधार पर गणना की जाकर बकाया राषि निकालते हुए परिवादी के विरूद्ध दिनांक 09.09.2015 को डिमांड नोटिस प्रदर्ष 3 जारी करते हुए ही माह अक्टूबर 2015 व दिसम्बर 2015 के बिल प्रदर्ष 1 व 2 जारी किये गये है। पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री के आधार पर स्पश्ट है कि वीसीआर षीट के आधार पर बकाया की गणना कर विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 126 अनुसार आवष्यक कार्रवाई करते हुए अप्रार्थीगण द्वारा बकाया राषि की वसूली हेतु परिवादी को दिनांक 09.09.2015 को एक नोटिस प्रदर्ष 3 जारी किया गया है। यद्यपि परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि केन्द्रीय सतर्कता जांच कमेटी द्वारा मौके पर जो फोटो लेना बताया गया है, वह पेष नहीं हुए हैं, ऐसी स्थिति में वीसीआर षीट को साबित नहीं माना जा सकता। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा दिये गये उपर्युक्त तर्क पर मनन किया गया। यद्यपि यह सत्य है कि इस मामले में अप्रार्थी पक्ष द्वारा जांच प्रतिवेदन प्रदर्ष 4 तैयार करते समय मौके पर लिये गये कोई फोटो पेष नहीं किये गये हैं, लेकिन हस्तगत मामले के तथ्यों एवं पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री को देखते हुए ऐसे फोटो पेष करना आवष्यक प्रतीत नहीं होता है। 2013 (8) एससीसी 491 उतरप्रदेष पावर कोरपोरेषन लिमिटेड व अन्य बनाम अनीस अहमद में माननीय उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया है कि Complaint against assessment made under S. 126 or action taken against those committing offences under Ss. 135 to 140 of Electricity Act, 2003, held, is not maintainable before a Consumer Forum- Civil court’s jurisdiction to consider a suit with respect to the decision of assessing officer under S. 126, or with respect to a decision of the appellate authority under S. 127 is barred under S. 145 of Electricity Act, 2003

इसी प्रकार माननीय राज्य उपभोक्ता आयोग, जयपुर द्वारा भी अपील संख्या 1287/2010 गिर्राज प्लास्टिक जरिये महेन्द्र कुमार जैन बनाम अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में पारित आदेष दिनांक 19.12.2014 के पैरा संख्या 7 में अभिनिर्धारित किया है किः-

7 It is also an admitted fact that the outstanding amount in the disputed electric bill challenged by the complainant has been sought from him, has been computed on the basis of audit report. This Commission in appeal NO. 1496/1995 titled RSEB Vs. Dallu Ram decided on 01.11.1999 has held that an amount can be recovered from the consumer on the basis of audit report and the validity of the audit report can be challenged in a Civil Court, but such a demand cannot be termed as a deficiency in service.

        इसी प्रकार माननीय राज्य उपभोक्ता आयोग द्वारा अपील संख्या 934/2013 सुरेष कुमार बनाम अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, आदेष दिनांकित 01.12.2014 वाला मामला भी वीसीआर षीट से सम्बन्धित था एवं जांच के समय मीटर बंद पाया गया था, ऐसी स्थिति में माननीय राज्य आयोग द्वारा यही अभिनिर्धारित किया गया कि जहां वीसीआर के आधार पर बकाया की गणना धारा 126 विद्युत अधिनियम, 2003 में कर दी गई हो तथा कार्रवाई धारा 135 से 140 विद्युत अधिनियम, 2003 में कर दी गई हो वहां उपभोक्ता न्यायालय को परिवाद सुनवाई का अधिकार नहीं बनता है।

माननीय न्यायालयों द्वारा उपर्युक्त न्याय निर्णयों में अभिनिर्धारित मत को देखते हुए स्पश्ट है कि हस्तगत मामले में भी सतर्कता जांच रिपोर्ट के पष्चात् बकाया की गणना कर विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 126 अनुसार आवष्यक कार्रवाई कर वसूली हेतु नोटिस जारी किया गया है, ऐसी स्थिति में यह मामला भी उपभोक्ता विवाद की श्रेणी में नहीं आता है तथा न ही जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष पोशणीय ही रहता है तथापि परिवादी इस हेतु सिविल न्यायालय से अनुतोश प्राप्त कर सकता है। परिणामतः परिवादी द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद इस न्यायालय/मंच में पोशणीय न होने से खारिज किये जाने योग्य है तथापि परिवादी इस हेतु स्वतंत्र होगा कि वे विधि अनुसार सक्षम सिविल न्यायालय से अनुतोश प्राप्त करे।

 

 

 

                             आदेश

 

 

 

7.            परिणामतः परिवादी सीताराम द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद अन्तर्गत धारा-12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच में पोशणीय न होने के कारण खारिज किया जाता है तथापि परिवादी इस हेतु स्वतंत्र होगा कि वह विधि अनुसार सक्षम सिविल न्यायालय से अनुतोश प्राप्त करे।

 

8.            आदेश आज दिनांक 22.06.2016 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

 

 

।बलवीर खुडखुडिया।             ।ईष्वर जयपाल।          ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।

      सदस्य                  अध्यक्ष                       सदस्या

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Shri Ishwardas Jaipal]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.