जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 136/2015
कुम्भाराम पुत्र श्री धर्माराम, जाति-जाट, निवासी-कमेडिया, तहसील-जायल, जिला-नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. अध्यक्ष, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, अजमेर (राज.)।
2. अधीक्षण अभियंता, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, नागौर।
3. सहायक अभियंता (ग्रामीण), अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, जायल, जिला-नागौर (राज.)।
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री राजाराम विश्नोई, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. श्री सुरेन्द्र कुमार ज्याणी, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थी।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे श दिनांक 04.11.2015
1. परिवाद-पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि दिनांक 19.05.2015 को प्रार्थी की भैंस चारणा नाडा के पास उसके खेत में बिजली के तारों से करंट आने से मर गई। जिससे प्रार्थी को एक लाख रूपये का नुकसान हुआ। परिवादी को दूध से होने वाली आय से भी वंचित होना पडा। परिवादी ने दुर्घटना की सूचना पुलिस थाना-सुरपालिया में दिनांक 23.05.2015 को दर्ज करवाई। अप्रार्थीगण से मुआवजे की मांग की गई परन्तु मुआवजा नहीं दिया। इसलिए मंच में आना पडा। अतः प्रार्थी को क्षतिपूर्ति राशि दिलाई जाये।
2. अप्रार्थीगण का मुख्य रूप से कहना है कि प्रार्थी की भैंस विद्युत लाईन के करंट से नहीं मरी है। विद्युत तार टूटता तो पूरे इलाके की विद्युत सप्लाई बंद हो जाती पर ऐसा नहीं हुआ है। भैंस 19.05.2015 को मरना बताया है जबकि 23.05.2015 को पुलिस रिपोर्ट एवं पोस्टमार्टम किया गया है। पोस्टमार्टम में भी विद्युत करंट से मृत्यु होना स्पष्ट नहीं है। विद्युत तार भी ढीले नहीं थे जिससे कि उनके नीचे से गुजरने पर भैंस का सम्पर्क होता हो। केवल क्लेम लेने के लिए झूंठा परिवाद प्रस्तुत किया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में समय 1.30 पीएम है जबकि रोजनामचा रपट में 2.00 पीएम का समय है। सिविल न्यायालय का मामला है।
3. बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया। जहां तक प्रार्थी की भैंस की विद्युत करंट से मौत होने का प्रश्न है, इस सम्बन्ध में सुसंगत एवं महत्वपूर्ण पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्रदर्श ए 2 है। जो कि 23.05.2015 की 1.30 पीएम पर बनाई गई है। इस रिपोर्ट में हाई वोल्टेज के कारण विद्युत झटका लगने से भैंस की मृत्यु होना बताया है। इस प्रकार से इस रिपोर्ट पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है।
4. यह सही है कि परिवादी ने 19.05.2015 को भैंस की मृत्यु होना बताया है परन्तु पोस्टमार्टम रिपोर्ट 23.05.2015 को 1.30 पीएम पर करवाई गई है। इस देरी के कारण भैंस की मृत्यु के कारण पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता। क्योंकि ऐसी सूरत में जब भैंस की मृत्यु बिजली का करंट लगने से हुई है तो उसी दिन पोस्टमार्टम होता तो भी कारण विद्युत करंट लगना प्रकट होता। यह सही है कि रोजनामचा रपट प्रदर्श ए 1 में 23.05.2015 समय 2.00 पीएम अंकित है, इससे भी अप्रार्थी के इस कथन को सही नहीं माना जा सकता कि पहले रिपोर्ट लिखाई जाती तब पोस्टमार्टम होता। इस केस में आधा घण्टा पहले पोस्टमार्टम हुआ, उसके पश्चात् रोजनामचा रपट लिखी गई जो कि सत्यता को बयां करती है। स्पष्ट है कि अप्रार्थीगण की लापरवाही से यह घटना घटित हुई। परिवादी को अपनी भैंस से हाथ धोना पडा। इस प्रकार उसे मानसिक व आर्थिक क्षति हुई। विद्युत तारों को सही रूप से मेंटेंन नहीं करना अप्रार्थीगण का सेवा दोष है। इस प्रकार से परिवादी अपना परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध साबित करने में सफल रहा है। यहां यह उल्लेख करना सुसंगत होगा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भैंस की कीमत लगभग 60,000/- रूपये बताई है यद्यपि चिकित्सक को कीमत निर्धारण के बारे में एक्सपर्ट नहीं माना जा सकता परन्तु उसका लिखना कीमत के सम्बन्ध में विचार करने का मामूली आधार हो सकता है। अतः अप्रार्थीगण के विरूद्ध परिवादी का परिवाद निम्न प्रकार से स्वीकार किया जाता हैः-
आदेश
5. आदेष दिया जाता है कि अप्रार्थीगण, परिवादी को भैंस की क्षतिपूर्ति बाबत् 30,000/- रूपये अदा करें। साथ ही अप्रार्थीगण, परिवादी को परिवाद व्यय के 2,500/- रूपये एवं मानसिक क्षतिपूर्ति के भी 2,500/- रूपये अदा करें।
आदेश आज दिनांक 04.11.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या