Rajasthan

Pratapgarh

CC/29/2015

BHERU LAL SHARMA - Complainant(s)

Versus

AVVNL , AEN, SEN. STATE AEN - Opp.Party(s)

JAGDISH CHANDRA PUROHIT

08 Feb 2016

ORDER

  जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, प्रतापगढ (राज.)

    पीठासीन अधिकारी:-  1-श्रीकन्हैयालाल जोगी, अध्यक्ष
                    2-श्रीनिखिल चैबिसा, सदस्य
                   
        मूल परिवाद प्रकरण संख्या 29 सन् 2015

 भेरूलाल पिता नारायणलाल जाति षर्मा आयु वयस्क  
निवासी छोटीसादड़ी तहसील छोटीसादड़ी जिला प्रतापगढ (राज.)          ....... परिवादी
बनाम
1. श्री सहायक अभियन्ता महोदय,
  अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड छोटीसादड़ी (राज.)     
2. श्री अधीक्षण अभियन्ता महोदय, 
  अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड प्रतापगढ़ (राज.) 
3. राज्य विद्युत वितरण लिमिटेड जरिये सहायक अभियंता 
  छोटीसादड़ी (राज.)                                    ....... विपक्षीगण
             

        उपस्थित   1. श्री जगदीषचन्द्र पुरोहीत, अधिवक्ता परिवादी। 
                    2. श्री हरिष बाठी , अधिवक्ता विपक्षी।
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                         
   

निर्णय                     दिनांक 08.02.2016

परिवादी ने यह परिवाद को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अंतर्गत पेष किया जिसके संक्षिप्त तथ्य इस प्रकार है परिवादी ने अपने मकान पर विद्युत कनेक्षन खाता सं. 1705-0101 से ले रखा है, जिस पर मीटर लगा हुआ है मीटर रीडिग के अनुसार परिवादी मासिक उपभोग राषि अदा करता चला आ रहा है। जनवरी 2014 का बिल 67184/- रु. का विपक्षीगण ने परिवादी को भेजा जिसमें पिछला बकाया 57284/- रु. अंकित किया जिसे परिवादी ने दुरस्त करने हेतु विपक्षीगण को निवेदन किया तो विपक्षीगण ने बताया कि 7426/- रु. मीटर बंद होने के कारण आंतरिक अंकेक्षण दल द्वारा निकाली गई राषि है जिसका नोटिस क्रमांक 1055 दिनांक 06.01.14 की फोटोप्रति परिवादी को दी गई उक्त नोटिस में यह अंकित नहीं है कि कोन से माह की राषि बकाया है। मंच के प्रकरण सं. 04/13 में पारित निर्णय अनुसार पिछला बकाया राषि निरस्त कर दी गई थी जो 
                                                                -2-
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विपक्षीगण द्वारा पेनेल्टी व ब्याज जोडकर पुनः बिल दिया जा रहा है जो न्यायसंगत नहीं है। इसी प्रकार विपक्षीगण ने मार्च 2014 से जनवरी 2015 के बिलो में उपभोग युनिट से अधिक राषि के बिल जारी किये है मीटर टेस्टींग रिपोर्ट के बाद भी राषि कम नहीं की गई व विद्युत कनेक्षन विच्छेद करने की कहा गया। परिवादी ने दिनांक 14.03.14 को रजिस्टर्ड नोटिस भी दिया किन्तु बिल में संषोधन नहीं किया गया, उल्टा परिवादी को 7426/- रु. का गलत नोटिस जारी कर बिल में राषि अंकित कर परिवादी को बिल दिया गया।

अन्त मे परिवाद पेष कर विवादित बिल जनवरी 2014 एवं जनवरी 2015 एवं आॅडिट दल द्वारा निकाली गई राषि 7426/- रु. को निरस्त किये जाने एवं मंच द्वारा पारित निर्णय दिनांक 16.07.13 के अनुसार 18906/- रु. मय ब्याज व पेनल्टी की राषि को निरस्त किये जाने एवं डिफेक्टिव मीटर जो बदला है उसकी टेस्टींग रिपोर्ट के आधार पर संषोधित बिल जारी किया जावे। मानसिक संताप की क्षति के 20000/-रु.  परिवाद व्यय के 10000/-रु. विपक्षी से दिलाये जाने का अनुतोश चाहा।

परिवाद संस्थित होने पर विपक्षीगण को नोटिस जारी किये गये जिस पर विपक्षीगण से जवाब प्रस्तुत हुआ। विपक्षी ने अपने जवाब में अंकित किया कि जनवरी 2014 के बिल की बकाया राषि के साथ ही आॅडिट राषि भी दर्ज की गई है। आॅडिट राषि का नोटिस भी दिया गया था जिसका कोई जवाब परिवादी ने पेष नहीं किया। परिवादी ने पुर्व के बिल भी जमा नहीं कराये थे। मंच के आदेष के विरुद्व विभाग ने राज्य आयोग के केम्प उदयपुर में अपील पेष कर दी है । मंच आदेष की पालना करते हुये विभाग ने मई 2014 के बिल में आदेष की राषि कममिततमक में दर्ज कर दी गई है। जनवरी 2014 से जनवरी 2015 तक के सभी बिल सही है, किन्तु परिवादी जमा नहीं करा रहा है जनवरी 2015 की 65259/-रु. की राषि व साथ ही 268/-रु. का बिल भी है इस बिल में कोई नोटिस की राषि नहीं लिखी हुई है मीटर नं. 930109 वाले मीटर का निर्णय हो चुका है, मंच ने जो राषि वसुल नहीं करने को कहा वह विभाग वसुल नहीं कर रहा है किन्तु परिवादी वर्तमान के बिल जमा नहीं करवा रहा है मई 2014 के बाद मे मंच द्वारा पुर्व मे पारित आदेष की पालना में उक्त राषि कभी नहीं जोडी गई, परिवादी विभाग की सेवाये पुरी ले रहा है एवं बिल भी जमा नहीं करा रहा है। इस कारण परिवादी कोई हर्जाना प्राप्त नहीं कर सकता । 
परिवादी द्वारा चाहा गया अनुतोश अस्वीकार है, जिससे परिवादी को कोई मानसिक संताप व पीडा नहीं हुई है व परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने का निवेदन किया गया।     परिवादी की ओर से दस्तावेजी साक्ष्य के रुप में जनवरी 2014 से जनवरी 2015 तक के बिल, नोटिस दिनांक 06.़01.2014, मंच के निर्णय, परिवादी ने विपक्षी को नोटिस दिया, की प्रतियाॅ प्रस्तुत की।                                     -3-
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    विपक्षीगण की ओर से जवाब के समर्थन मे रामबाबु मीणा सहायक अभियंता का षपथ पत्र पेष हुआ अन्य कोई दस्तावेजी साक्ष्य पेष नहीं हुई।
उभय पक्षो की बहस सुनी पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। इस परिवाद मे परिवादी द्वारा विपक्षी निगम द्वारा जारी बिल माह जनवरी 2015 को चुनौति दी गई है, जिसके बाबत् परिवादी का तर्क है कि पुर्व में इस मंच द्वारा परिवाद सं. 04/13 भेरुलाल बनाम अ.वि.वि.नि.लि. छोटीसादडी आदि में दिनांक 16.07.13 से परिवादी के घरेलु विद्युत कनेक्षन खाता सं 1705-0105 के बिल नवम्बर 2012 में से 18906.22 रु. निरस्त किये गये है जिसे विपक्षी विभाग ने जनवरी 2015 के बिलो में पेनल्टी सहित जोडकर बिल जारी किया है। विपक्षी निगम के अनुसार माह मई 2015 के बिल में पुर्व में निरस्त राषि को  डेफर्ड खाते में डाल दिया गया है एवं परिवादी को नियमित उपभोग के ही बिल जारी किये गये है जो कि परिवादी द्वारा जमा नहीं कराने से पेनल्टी सहित राषि जोडकर बिल जारी किये जा रहे है जो कि विभाग वसुल करने का अधिकारी है। 
परिवादी की और से प्रस्तुत बिल जनवरी 14 के बिल में हाथ से 18906$5558 एल.पी.एस कुल 24464 रु. कोर्ट केष षब्द अंकित किया है इस प्रकार इस समय तक विपक्षी निगम स्वयं इस तथ्य को स्वीकार कर रहा है कि माह जनवरी 14 में उक्त सकल राषि 24464 रु. गलत दर्ज है जो वसुली योग्य नहीं माने है परन्तु परिवादी द्वारा षेश राषि भी जमा नहीं कराई गई जिससे विपक्षी निगम ने पुनः इस राषि को माह मार्च के बिल में संयोजित किया है, उपरान्त माह मई 14 के बिल में इस राषि को डेफर्ड खातें में डालते हुये 51014 रु. वसुली योग्य बताये है परन्तु विपक्षी निगम ने उक्त राषि का एल.पी.एस चार्ज (चार माह) तक का कम नहीं किया है, जबकि उनका विधिक दायित्व था कि यदि मंच के आदेष के विरुद्व अपील करना वांछा थी तो मंच के आदेष के उपरान्त विवादित राषि को तुरन्त डेफर्ड काॅलम में डालकर सही राषि का बिल जारी करते। सामान्यतः विपक्षी विभाग मंच के आदेष के उपरान्त भी मंच के आदेष की पालना के लिये उदासीन रहते है जिससे वाद की बहुलता बढती है सभवतः ऐसी स्थिति में उपभोक्ता द्वारा भी नियमित उपभोग की राषि को जमा नहीं कराया गया जिसका प्रभाव आम उपभोक्ताओ तक पढता है ऐसी स्थिति में हमारे विनम्र मत में विपक्षी निगम पर 5000 रु. का हर्जाना अधिरोपित करना उचित समझते है, ताकि भविश्य में ऐसे कृत्य की पुनरावृती न हो उक्त हर्जाने की राषि उपभोक्ता कल्याण कोश मे जमा कराये जाने उचित समझते है। अतएव माह मई 14 के बिल में निगम द्वारा अंकित देय राषि में चार माह की एल.पी.एस की राषि भी अंकित है जो निरस्त किये जाने योग्य है स्वयं परिवादी द्वारा  भी नियमित उपभोग की राषि जमा नहीं कराई गयी है अतएव मानसिक क्षतिपुर्ति के बाबत् कोई अनुतोश दिया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है।                                                -4-
                              -4-
आदेष
     परिवादी का यह परिवाद आंषिक रुप से स्वीकार किया जाकर विपक्षी को आदेष दिये जाते है कि परिवादी के विद्युत खाता सं 1705-0105 के बिल मई 2014 के बिल को निरस्त कर उपरोक्त विवेचन अनुसार संषोधित बिल जारी करे जिसे परिवादी नियमानुसार जमा कराने के दायित्वधीन होगा। परिवाद व्यय के रुप में राषि 2500 रु. परिवादी को अदा करे। उक्त सकल राषि का डी.डी./खाते में देय चैक परिवादी के पक्ष में बनवा कर निर्णय की तिथि से एक माह की अवधि में परिवादी के रिहायषी पते पर पंजिकृत डाक से प्रेशित करें। विपक्षी निगम पर अधिरोपित 5000 रु. हर्जाना की राषि का चैक/डी.डी राज्य उपभोक्ता कल्याण कोश जयपुर के नाम का बनवाकर एक माह की अवधि में मंच के समक्ष प्रस्तुत करें।

 

 

आदेश आज दिनांक 08.02.2016 को लिखाया जाकर बाद हस्ताक्षर खुले मंच में सुनाया गया।

 

 

 

 

 

 

 

 

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