जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री विवेक कुमार सिंहल पुत्र श्री विष्णु स्वरूप सिंहल , उम्र-40 वर्ष, जाति- अग्रवाल, निवासी- 241, सदर बाजार, नसीराबाद, तहसील- नसीराबाद, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
सहायक अभियंता, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, नसीराबाद खण्ड, नसीराबाद, जिला-अजमेर ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 02/2014
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री महावीर टांक, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री लोकेष भिण्डा, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः-21.06.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसने अप्रार्थी से अपनेे व्यावससायिक स्थान 241 सदर बाजार, नसरीबाद पर एक व्यावसायिक विद्युत कनेक्षन जरिए खाता संख्या 18010004 के ले रखा है जिसके उपयोग उपभोग केे बिल जून, 2012 तक के उसने जमा करा रखे है इसके बाद मीटर रीडिंग नहीं ली गई । अप्रार्थी द्वारा जुलाई, 12 के बाद 4 बिल अनुमानित राषि के प्रार्थी को प्रेषित किए गए । इस संबंध में षिकायत करने पर अप्रार्थी द्वारा अधिक राषि का पुनर्भुगतान करने व मीटर की वास्तविक रीडिंग के अनुसार बिल प्रेषित करने का आष्वासन दिया । किन्तु अप्रार्थी द्वारा कोई कार्यवाही इस संबंध में नहीं किए जाने पर उसने दिनांक 29.1.2013 को लिखित में षिकायत की। इस पर अप्रार्थी ने दिनंाक 30.1.2013 को नया मीटर संख्या 8418665 लगा दिया । तत्पष्चात् अप्रार्थी ने मार्च, 2013 का बिल 1942 यूनिट का भेजा, जिसमें यूनिट उपभोग का कोई अंकन नहीं था । इसके बाद मई, 2013 का बिल पुराने मीटर क्रमांक 69429 के अंतिम विद्युत रीडिंग 21432 अंकित करते हुए भेजा । इससे स्पष्ट है कि प्रार्थी का पुराना मीटर चालू था, किन्तु अप्रार्थी ने खराब मानते हुए बदल दिया । इसी प्रकार जुलाई, 2012 का बिल रू. 45651/- का प्रेषित किया । प्रार्थी का कथन है कि जुलाई, 12 के विद्युत बिल तथा मई, 2013 के बिल से स्पष्ट है कि प्रार्थी द्वारा 2430 यूनिट का ही उपभोग किया है जबकि अनुमानित बिल के आधार पर उससे 4833 यूनिट की राषि वसूल की है । इस संबंध में उसने अप्रार्थी को दिनंाक 5.8.2013 को नेाटिस भी दिया किन्तु अप्रार्थी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किया जाना उसकी सेवा में कमी को दर्षाता है । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए दर्षाया है कि प्रार्थी ने मीटर खराब होने के कारण मीटर की जांच हेतु दिनंाक 29.1.2012 को प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया और मीटर टेस्टिंग फीस जमा करवाई । इस पर प्रार्थी के यहां दिनांक 30.1.2013 को नया मीटर लगा दिया गया और पुराना मीटर जांच हेतु भेज दिया गया । जो जांच के बाद खराब पाया गया । जिसकी जांच रिपोर्ट से प्रार्थी को अवगत करा दिया गया । मीटर दिनांक 30.1.2013 को बदले जाने के बाद माह- मार्च का बिल 1.12.20912 से 20.2.2013 तक का एवरेज के आधार पर बिल भेजा गया और उक्त बिल में उनके यहां आॅन लाईन सिस्टम चालू नहीं होने के कारण नए मीटर का नम्बर फीड नहीं हो सका । इसी प्रकार मई, 2013 का बिल भी पुराने मीटर की चार्जिंग अंतिम रिडिंग से नहीं की जाकर एवरेज चार्जिंग से करते हुए भेजा गया । क्योंकि प्रार्थी का मीटर खराब था । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब के साथ श्री सुनील कुमार बंसल, सहायक अभियंता का षपथपत्र पेष हुआ है ।
3. उभय पक्षकारान ने अपनी अपनी बहस में उन्हीं तथ्यों को तर्को के रूप में दोहराया है जो उनके द्वारा अभिवचनों में लिखो गए है ।
4. हमने परस्पर तर्क सुने हंै एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का भी अवलोकन कर लिया है ।
5. यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रार्थी ने स्वयं का अप्रार्थी का उपभोक्ता बताते हुए अपने व्यावसायिक स्थान पर विद्युत कनेक्षन खाता संख्या 18010004 का होना व उक्त विद्युत कनेक्षन व्यावसायिक होना बताया है । उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम , 1986 की धारा 2(घ) के अन्तर्गत प्रार्थी उपभोक्ता की परिभाषा में सम्मिलित नहीं है, क्योंकि उसने व्यापारिक उद्देंष्य के लिए प्रष्नगत विद्युत कनेक्षन प्राप्त करते हुए अप्रार्थी की सेवाओं को प्राप्त किया है । उसने अपने सम्पूर्ण परिवाद में यह कहीं अंकित नहीं किया कि वह उक्त व्यावसासयिक विद्युत कनेक्षन के जरिए स्वरोजगार के माध्यम से केवल जीविका हेतु कमाने के उ्देष्य से उक्त विद्युत कनेक्षनधारी है । तात्पर्य यह है कि उक्त व्यावसायिक उद्देष्य हेतु लिए गए विद्युत कनेक्षन को देखते हुए प्रार्थी उपभोक्ता की परिभाषा में नहीं आता है व उसकी ओर से प्रस्तुत यह परिवाद चलने योग्य नहीं है । परिवाद मात्र इस विधिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है । मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद खारिज होने योग्य है । अतः आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
6. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 21.06.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष