Rajasthan

Jhunjhunun

623/2013

VISHAMBHAR DAYAL - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

MANOJ KUMAR VERMA

09 Jan 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 623/2013
 
1. VISHAMBHAR DAYAL
CHIRAWA
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


तारीख
हुक्म         
    परिवाद संख्या 623/2013
हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
        विषम्बर दयाल  बनाम सहा. अभियन्ता अ.वि.वि.नि.लि. पिलानी तहसील चिड़ावा जिला झुंझुनू 
           नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए

28.01.2015        
      परिवादी की ओर से वकील श्री मनोज कुमार वर्मा उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री सुभाषचन्द्र शर्मा उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
विद्धान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के पिता स्व0 मालाराम  के नाम से  विपक्षी के यहां से 10 एच.पी. कृृषि विधुत कनेक्षन ले रखा है जिसके पुराने खाता संख्या 23010005 तथा वर्तमान खाता संख्या 2015-2207-0005 है। परिवादी के पिता का दिनांक 27.04.2009 को देहांत हो गया। परिवादी उक्त विधुत कनेक्षन का समय-समय पर विपक्षीगण को बिल जमा कराता आ रहा है। इसलिए परिवादी, विपक्षी का उपभोक्ता है।
विद्धान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया कि परिवादी ने विपक्षी से अपना कृषि विद्युत कनेक्षन 10 एच.पी. का लिया हुआ था परन्तु विपक्षी विद्युत विभाग ने बिना किसी आधार पर बिना जांच किये परिवादी के उक्त कृषि विद्युत कनेक्षन को 12.5 एच.पी. का तथा सन् 2009 में पुनः लोड बढाकर 22.5 कर दिया, जिसकी षिकायत विपक्षी को की गई परन्तु कोई ध्यान नहीं दिया । दिनांक 10.10.2012 को अधीक्षण अभियंता सैटलमेंट कमेटी राज. राज्य विद्युत वितरण, झुंझुनू से भी बिल का सेटलमेंट कमेटी द्वारा निपटाने का निवेदन किया परन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गई तथा परिवादी से गलत रूप से विद्युत भार दर्षाकर अधिक राषि वसूल की जा रही है। परिवादी द्वारा एक प्रार्थना पत्र दिनांक 04.08.2009 को लिखित रूप से भी पेष किया गया जिसकी प्रति परिवाद में संलग्न है तथा परिवादी ने यह भी निवेदन किया है कि परिवादी को स्वीकृत लोड 10 एच.पी. के हिसाब से बिल भेजा जावे तथा परिवादी बिना ब्याज रीडिंग के अनुसार भुगतान करने को तैयार है तथा रीडिंग बाइण्डर के अनुसार भुगतान करने को तैयार है परन्तु विपक्षी ने कोई गौर नही किया तथा परिवादी का कनेक्षन काटने को आमादा है। 
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी को विपक्षी द्वारा जो बिल भेजे गये हैं उन्हें निरस्त कर परिवादी से रीडिंग बाइंण्डर के अनुसार बिना ब्याज लगाये परिवादी के वास्तविक स्वीकृत लोड 10 एच.पी. के अनुसार बिल जारी किया जावे तथा आगे सभी बिल भी स्वीकृत लोड 10 एच.पी. के अनुसार व रीडिंग के अनुसार जारी किये जावे। 
विद्धान अधिवक्ता विपक्षी की ओर से परिवादी के परिवाद पत्र का कोई जवाब पेष नहीं किया गया ।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी ने विद्वान् अधिवक्ता परिवादी के उक्त तर्को का विरोध करते हुये बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी द्वारा स्थापित व चालु कृषि विद्युत कनेक्षन विद्युत मोटर की क्षमता 12.5 व 22.5 एच.पी. पाई जाने के कारण परिवादी को नियमानुसार विद्युत बिल जारी किए गये हैं।
अंत में विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज फरमाया जाने का निवेदन किया। 
उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट हुआ है कि प्रारंभ में परिवादी के पिता द्वारा  कृषि विद्युत कनेक्षन 10 एच.पी. का लिया था परन्तु विपक्षी विद्युत विभाग ने बिना किसी आधार व बिना जांच किये परिवादी के उक्त विद्युत कनेक्षन को 12.5    एच.पी. का तथा सन् 2009 में पुनः लोड बढाकर 22.5 कर दिया जिसके आधार पर परिवादी को अत्यधिक राषि के बिल जारी किए गये जो संदीग्धपूर्ण होने से उन पर विष्वास किए जाने योग्य नहीं हैं।
परिवादी के कथनानुसार मौके पर 10 एच.पी. विद्युत भार का कनेक्षन है। ऐसी स्थिति में परिवादी के मौके पर कितने एच.पी. का विद्युत भार का कनेक्षन लगा हुआ है इसकी विपक्षी द्वारा परिवादी की मौजूदगी में निष्पक्ष रूप से जांच कराई जाना उचित प्रतीत होता है।  
      अतः प्रकरण के तमाम तथ्य व परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि विपक्षी परिवादी के कृषि विद्युत कनेक्षन में लगी हुई विद्युत मोटर की निष्पक्ष जांच परिवादी को सूचना देकर उसकी मौजूदगी में करें। जांच के दौरान परिवादी के कृषि विद्युत कनेक्षन में वास्तव में जिस भार की विद्युत मोटर लगी होना पाया जावे उसके अनुसार परिवादी को संषोधित विद्युत बिल जारी किये जावें। यदि विपक्षी द्वारा परिवादी से मौके पर लगी हुई विद्युत मोटर के भार से अधिक राषि वसूल की गई हो तो उसे परिवादी के आगामी बिलों में समायोजित किया जावे। उक्त आदेष की पालना दो माह की अवधि में की जावे अन्यथा स्थिति में परिवादी 5000/-रूपये (अक्षरे रूपये पांच हजार मात्र) विपक्षी से हर्जे खर्चे के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी है। इस निर्देष के साथ प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।

पक्षकारान खर्चा मुकदमा स्वंय अपना-अपना वहन करें। 

पत्रावली फैसल शुमार होकर वाद तकमील दाखिल दफ्तर हो। 

आदेश आज दिनांक 28.01.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

    

 

 

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