जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं 226/2013
श्रीमती षारदा देवी पत्नी श्री रामनारायण आचार्य, निवासी-निम्बडी चैराहा के पास, कुचेरा, तहसील व जिला-नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. अध्यक्ष/प्रबन्ध निदेषक, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, अजमेर (राज.)।
2. अधीक्षण अभियंता, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, नागौर, तहसील व जिला नागौर (राज.)।
3. सहायक अभियंता (ओ. एण्ड. एम.), अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, मूण्डवा, तहसील व जिला नागौर (राज.)।
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री भरत औझा एवं श्री रमेष कुमार ढाका, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. श्री राधेष्याम सांगवा, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थीगण।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे ष दिनांक 20.07.2016
1. यह परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि परिवादिया ने अप्रार्थीगण से एक घरेलू विद्युत कनेक्षन खाता संख्या 2119-0133 ले रखा है। परिवादिया, अप्रार्थीगण की ओर से जारी समस्त वैध विद्युत बिलों का समय-समय पर भुगतान करती आ रही है। इस बीच अप्रार्थीगण की ओर से परिवादिया को दिनांक 13.11.2013 को एक नोटिस भेजा गया, जिसमें उसे 2,10,000/- रूपये अप्रार्थी संख्या 3 के कार्यालय में जमा करवाने का भेजा गया। इस पर परिवादिया ने अप्रार्थी संख्या 3 के कार्यालय में जाकर पूछताछ की तो उसे बताया गया कि उसके विरूद्ध केन्द्रीय सतर्कता दल ने जांच प्रतिवेदन तैयार किया है, जिसके आधार पर उसे नोटिस भेजा गया है। इस पर परिवादिया ने अप्रार्थीगण से उन सभी दस्तावेजों की नकलें मांगी, जिसके आधार पर नोटिस बनाकर भेजा गया लेकिन अप्रार्थी संख्या 3 ने केवल केन्द्रीय सतर्कता जांच प्रतिवेदन की फोटो काॅपी ही दी तथा षेश दस्तावेज देने से मना कर दिया। अप्रार्थी संख्या 3 ने उसे जो केन्द्रीय सतर्कता जांच प्रतिवेदन की काॅपी दी उसमें परिवादिया का कृत्य विद्युत चोरी का बताया गया तथा जांच प्रतिवेदन दिनांक 25.10.2013 को तैयार करना बताया गया, जिसमें मीटर संख्या 7557994 बताया गया है जबकि वर्तमान में परिवादिया के घर पर मीटर संख्या 8545525 लगा हुआ है। इसके अलावा जांच प्रतिवेदन में अप्रार्थीगण ने उपभोक्ता द्वारा अघरेलू श्रेणी में विद्युत का उपभोग करना बताया गया है। इसके अलावा कोई जब्ती नहीं की गई, ना ही जांच प्रतिवेदन में कोई विवरण दिया गया है और ना ही नक्षा मौका तैयार किया गया है और ना ही किस तरह अघरेलू में बिजली का उपयोग किया जा रहा, के बारे में स्पश्ट किया गया है। इस तरह अप्रार्थीगण ने परिवादिया के विरूद्ध झूठा जांच प्रतिवेदन तैयार किया है। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवा में कमी की तारीफ में आता है। अतः अप्रार्थीगण की ओर से परिवादिया को फर्जी जांच प्रतिवेदन के आधार पर भेजा गया नोटिस राषि 2,10,000/- रूपये का निरस्त किया जावे तथा उसके आधार पर विद्युत बिल में अन्य राषि के रूप में जोडकर भेजी जाने वाली राषि को निरस्त किया जावे। साथ ही परिवाद में अंकितानुसार अन्य अनुतोश दिलाये जावे।
2. अप्रार्थीगण की ओर से जवाब प्रस्तुत कर बताया गया है कि परिवादिया के परिसर की जांच निगम के अधिषाशी अभियंता (सतर्कता) द्वारा दिनांक 25.10.2013 को की गई। इस दौरान पाया गया कि परिवादिया अपने मीटर वाली सर्विस लाइन के अलावा अपने घरेलू परिसर के पास स्थित पोल से काले रंग की केबिल से विद्युत सप्लाई जोडकर अवैध रूप से विद्युत का उपभोग करते पाई गई। इस पर अप्रार्थी निगम के सतर्कता अधिकारी ने जांच कर मौके पर नियमानुसार वीसीआर षीट संख्या 9662/28, दिनांक 25.10.2013 तैयार की गई। मौके पर जो साक्ष्य थे उनका विवरण वीसीआर षीट में इन्द्राज किया गया। जांच के समय मौके पर मौजूद व्यक्ति ने नाम बताने से इन्कार कर दिया तथा हस्ताक्षर से मना कर दिया। मौके पर उपस्थित इस व्यक्ति को वीसीआर षीट की प्रतिलिपि उपलब्ध करवाई गई। इसके बाद इस वीसीआर षीट के आधार पर नियमानुसार एसेसमेंट कर राषि चार्ज कर परिवादिया को नोटिस संख्या 796, दिनांक 08.11.2013 को दिया गया। परिवादिया के परिसर की जांच दिनांक 25.10.2013 को की गई तब उसके घरेलू कनेक्षन स्वीकृत था, जिस पर मीटर संख्या 8545525 है तथा जांच के दौरान साइड पर मीटर नम्बर 7557994 मिला, दोनों के स्थान अलग-अलग है। मौके की फोटो ली गई तो पाया गया कि परिवादिया अपने यहां 5 किलोवाट का वाटर फिल्टर प्लांट चलाती पाई गई। इस तरह अघरेलू श्रेणी में विद्युत का उपभोग किया जा रहा था। मौके पर मीटर नम्बर 7557994 की डिस्प्ले आॅफ व मीटर के पुष फिट कवर के लोक टूटे पाये गये। जांच अधिकारी ने इन सब तथ्यों का अंकन जांच प्रतिवेदन में किया। इस तरह परिवादिया का उक्त कृत्य विद्युत चोरी का होने से नियमानुसार असेसमेंट कर परिवादिया को सिविल लाईबिलिटी की राषि समेत कुल 2,10,000/- जमा करवाने का नोटिस भेजा गया। यह भी बताया गया कि परिवादिया द्वारा नोटिस की राषि जमा नहीं करवाने पर परिवादिया के विरूद्ध पुलिस थाना में प्रथम सूचना रिपोर्ट भी दर्ज करवाई गई है। परिवादिया का उक्त कृत्य विद्युत चोरी की श्रेणी में आता है। परिवादिया ने विद्युत चोरी की जुर्माना राषि से बचने के लिए झूठे तथ्यों के आधार पर यह परिवाद पेष किया है। जो मय खर्चा खारिज किया जावे।
3. दोनों पक्षों की ओर से अपने-अपने षपथ-पत्र एवं दस्तावेजात पेष किये गये।
4. बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। परिवादिया की ओर से परिवाद पत्र के समर्थन में स्वयं का षपथ-पत्र प्रस्तुत करने के साथ ही नोटिस प्रदर्ष 1, केन्द्रीय सतर्कता जांच प्रतिवेदन प्रदर्ष 2 एवं विद्युत उपभोग के बिल प्रदर्ष 3 पेष किये गये हैं। परिवादिया के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि वास्तव में परिवादिया के परिसर की सतर्कता कमेटी द्वारा कोई जांच नहीं की गई बल्कि फर्जी वीसीआर षीट तैयार कर परिवादिया से अवैध मांग की जा रही है। यह भी तर्क रहा है कि मौके पर जांच कमेटी द्वारा कोई जब्ती नहीं की गई बल्कि महज टारगेट पूरा करने के लिए आॅफिस में बैठे-बैठे की जांच रिपोर्ट तैयार की गई है। ऐसी स्थिति में परिवाद स्वीकार कर फर्जी जांच प्रतिवेदन रिपोर्ट एवं नोटिस निरस्त कर परिवाद व्यय भी दिलाया जावे।
5. उक्त के विपरित अप्रार्थीगण की ओर से जवाब के समर्थन में षपथ-पत्र प्रस्तुत करने के साथ ही वीसीआर षीट प्रदर्ष ए 1, नोटिस प्रदर्ष ए 2, एफआईआर प्रदर्ष ए 3, मीटर परिवर्तन आदेष प्रदर्ष ए 4, नकल लेजर प्रदर्ष ए 5 एवं परिवादिया द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में प्रस्तुत याचिका प्रदर्ष ए 6 की फोटो प्रतियां पेष की गई है। अप्रार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि परिवादी द्वारा मनगढत एवं गलत तथ्यों के आधार पर परिवाद पेष किया है, वास्तव में परिवादी परिसर की जांच सतर्कता अधिकारी द्वारा किये जाने पर परिवादिया अपने मीटर वाली सर्विस लाइन के अलावा अपने घरेलू परिसर के पास स्थित पोल से काले रंग की केबिल से विद्युत सप्लाई जोडकर अवैध रूप से विद्युत का उपभोग करते पाई गई। जिस पर वीसीआर रिपोर्ट तैयार की गई। इसी वीसीआर रिपोर्ट के आधार पर गणना कर बकाया राषि की वसूली हेतु दिनांक 08.11.2013 को नोटिस प्रदर्ष ए 2 जारी किया गया। यह भी बताया गया है कि नोटिस अनुसार राषि जमा नहीं कराने पर परिवादिया के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट भी दर्ज करवाई गई। यह भी तर्क रहा है कि परिवादी का उक्त कृत्य विद्युत चोरी का होकर दण्डनीय अपराध है। ऐसी स्थिति में परिवादिया का मामला उपभोक्ता विवाद की श्रेणी में नहीं आने से खारिज होने योग्य है। अप्रार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता ने अपने तर्कों के समर्थन में निम्नलिखित न्याय निर्णय भी पेष किये हैंः-
(1.) राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोश आयोग राजस्थान, जयपुर द्वारा अपील संख्या 934/2013 सुरेष कुमार बनाम अजमेर विद्युत वितरण निगम में पारित निर्णय दिनांक 01.12.2014
(2.) 2013 (8) एससीसी 491 उतरप्रदेष पावर कोरपोरेषन लिमिटेड व अन्य बनाम अनीस अहमद
6. पक्षकारान के विद्वान अधिवक्तागण के द्वारा दिये तर्कोंं पर मनन कर उनके द्वारा विभिन्न न्याय निर्णयों में माननीय, न्यायालयों द्वारा अभिव्यक्त मत का अवलोकन करने के साथ ही पत्रावली पर उपलब्ध समस्त सामग्री का अवलोकन किया गया। पत्रावली पर उपलब्ध वी.सी.आर. प्रदर्ष ए 1 के अवलोकन पर स्पश्ट है कि परिवादी के परिसर में स्थापित विद्युत सम्बन्ध एवं मीटर की जांच सतर्कता अधिकारी द्वारा दिनांक 25.10.2013 को की गई थी, जिसके अनुसार परिवादिया अपने मीटर वाली सर्विस लाइन के अलावा अपने घरेलू परिसर के पास स्थित पोल से काले रंग की केबिल से विद्युत सप्लाई जोडकर अवैध रूप से विद्युत का उपभोग करते पाई गई। अप्रार्थीगण द्वारा बताया गया है कि वी.सी.आर. रिपोर्ट प्रदर्ष ए 1 के आधार पर ही गणना कर सिविल दायित्व की राषि जोडते हुए परिवादी के विरूद्ध दिनांक 08.11.2013 को जारी नोटिस प्रदर्ष ए 2 अनुसार 2,10,000/- रूपये बकाया राषि की मांग की गई है। पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री से यह भी स्पश्ट है कि परिवादी को जारी नोटिस प्रदर्ष ए 2 का जवाब पेष नहीं किया गया है तथा न ही परिवादिया द्वारा अपराध का प्रषमन करवाते हुए नोटिस अनुसार कोई राषि ही जमा करवाई गई है, ऐसी स्थिति में अप्रार्थीगण द्वारा परिवादिया के विरूद्ध पुलिस थाना, विद्युत चोरी निरोधक, नागौर में प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रदर्ष ए 3 भी दर्ज करवाई गई, जिसे निरस्त करवाने बाबत् परिवादिया की ओर से माननीय उच्च न्यायालय में याचिका भी पेष की हुई है। यद्यपि परिवादिया के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि केन्द्रीय सतर्कता जांच कमेटी द्वारा मौके पर कोई जांच नहीं की गई लेकिन हस्तगत मामले के तथ्यों एवं पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री को देखते हुए स्पश्ट है कि मामला वीसीआर षीट एवं विद्युत चोरी से सम्बन्धित रहा है तथा ऐसे मामले में परिवाद जिला उपभोक्ता मंच में पोशणीय न होने से इस सम्बन्ध में गुणावगुण के आधार पर कोई निश्कर्श दिया जाना उचित नहीं होगा। 2013 (8) एससीसी 491 उतरप्रदेष पावर कोरपोरेषन लिमिटेड व अन्य बनाम अनीस अहमद में माननीय उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया है कि
Complaint against assessment made under S. 126 or action taken against those committing offences under Ss. 135 to 140 of Electricity Act, 2003, held, is not maintainable before a Consumer Forum- Civil court’s jurisdiction to consider a suit with respect to the decision of assessing officer under S. 126, or with respect to a decision of the appellate authority under S. 127 is barred under S. 145 of Electricity Act, 2003
इसी प्रकार माननीय राज्य उपभोक्ता आयोग द्वारा अपील संख्या 934/2013 सुरेष कुमार बनाम अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, आदेष दिनांकित 01.12.2014 वाला मामला भी वीसीआर षीट से सम्बन्धित था एवं जांच के समय मीटर बंद पाया गया था, ऐसी स्थिति में माननीय राज्य आयोग द्वारा यही अभिनिर्धारित किया गया कि जहां वीसीआर के आधार पर बकाया की गणना कर धारा 126 विद्युत अधिनियम, 2003 में कर दी गई हो तथा कार्रवाई धारा 135 से 140 विद्युत अधिनियम, 2003 में कर दी गई हो वहां उपभोक्ता न्यायालय को परिवाद सुनवाई का अधिकार नहीं बनता है।
माननीय न्यायालयों द्वारा उपर्युक्त न्याय निर्णयों में अभिनिर्धारित मत को देखते हुए स्पश्ट है कि हस्तगत मामले में भी सतर्कता जांच रिपोर्ट के पष्चात् बकाया की गणना कर विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 126 अनुसार आवष्यक कार्रवाई कर वसूली हेतु नोटिस जारी किया गया है एवं नोटिस अनुसार कोई राषि जमा नहीं करवाने की स्थिति में परिवादिया के विरूद्ध पुलिस थाना, विद्युत चोरी निरोधक, नागौर में प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रदर्ष ए 3 भी दर्ज करवाई गई, जिसे निरस्त करवाने बाबत् परिवादिया की ओर से माननीय उच्च न्यायालय में याचिका भी पेष की हुई है। ऐसी स्थिति में यह मामला भी उपभोक्ता विवाद की श्रेणी में नहीं आता है तथा न ही जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष पोशणीय ही रहता है तथापि परिवादिया इस हेतु सिविल न्यायालय से अनुतोश प्राप्त कर सकता है। परिणामतः परिवादिया द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद इस न्यायालय/मंच में पोशणीय न होने से खारिज किये जाने योग्य है तथापि परिवादिया इस हेतु स्वतंत्र होगी कि वे विधि अनुसार सक्षम सिविल न्यायालय से अनुतोश प्राप्त करे।
आदेश
7. परिणामतः परिवादिया षारदा देवी द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद अन्तर्गत धारा-12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच में पोशणीय न होने के कारण खारिज किया जाता है तथापि परिवादिया इस हेतु स्वतंत्र होगी कि वह विधि अनुसार सक्षम सिविल न्यायालय से अनुतोश प्राप्त करे।
8. आदेश आज दिनांक 20.07.2016 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।ईष्वर जयपाल। ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या