Rajasthan

Ajmer

EA/14/2015

SMT. SANJANA - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

07 Jul 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Execution Application No. EA/14/2015
In
 
1. SMT. SANJANA
AJMER
...........Appellant(s)
Versus
1. AVVNL
AJMER
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 07 Jul 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

श्रीमति संजना खानम भारती पत्नी डा. ए.एस. खानम भारती, 76 गांव किषनपुरा, फकीरा खेडा, वार्ड नं. 11, बी ब्लाॅक चन्द्रवरदाई नगर योजना, तारागढ हिल रोड, अजमेर । 
                                                          प्रार्थीया

                            बनाम

1.  श्री हेमन्त गेरा, महाप्रबन्धक, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, विद्युत मुख्यालय, पंचषील रोड़, अजमेर अजमेर(राजस्थान) । 
2. श्री रामस्वरूप दाधीच, सहायक अभियंता  (डी-प्रथम)अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड़,हजारी बाग, ब्यावर रोड, अजमेर(राजस्थान)
                                                        अप्रार्थीगण 
             अवमानना परिवाद संख्या 14/2015  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्रीडा.ए.एस. खानम भारती,प्रतिनिधि, अधिवक्ता, प्रार्थिया
                  2.श्री एस.के.भार्गव,अधिवक्ता अप्रार्थीगण 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः-08.07.2016
 
1.       प्रार्थिया द्वारा प्रस्तुत  अवमानना परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि उसने एक प्रार्थना पत्र धारा 13(3)(बी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत प्रस्तुत किया था।  जिसमें मंच द्वारा निम्न आदेष पारित किया गया  -
       ’’ यदि प्रार्थिया इस विवादित राषि  रू. 83,462.95 पै.  के पेटे रू. 25,000/- की राषि इस आदेष के भीतर रोज 15 में अप्रार्थी  विभाग में जमा करवा देवे तो अप्रार्थी विभाग  उक्त राषि रू. 25,000/- के जमा होने की तिथि के भीतर 7 रोज में प्रार्थिया का कनेक्षन पुनः बहाल करें । ’’ 
    प्रार्थिया का कथन है कि  मंच द्वारा पारित आदेष दिनंाक 14.10.2014 से  परिवाद प्रस्तुत किए जाने की दिनंाक 27.2.2015 के मध्य उसने  अप्रार्थी के कार्यालय में उक्त राषि जमा कराने का  कई बार प्रयास किया । किन्तु अप्रार्थी ने राषि प्राप्त नहीं कर मंच के आदेष की अवलेहना की है । परिवाद प्रस्तुत कर  अप्रार्थीगण को  उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 27 के तहत रू.10,000/-  का जुर्माना लगाए जाने के साथ साथ सजा दिए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में  प्रार्थिया ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया है । 
2.       अप्रार्थी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए दर्षाया है कि  प्रार्थिया ने मंच के आदेष दिनंाक 14.10.2014  की पालना में  अंतरिम राषि रू. 25,000/- न तो अप्रार्थी  को अदा की है और ना ही मंच में जमा कराई है और अवमानना की कार्यवाही  कर कनेक्षन मुफ्त में विद्युत कनेक्षन  पुनः स्थापित करवाना चाहती है ।  अन्त में परिवाद निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है ।  परिवाद के समर्थन में श्री रामस्वरूप दाधीच, सहायक अभियंता का षपथपत्र पेष किया है । 
3.       प्रार्थिया ने जवाबुलजवाब पेष किया । 
4.       प्रार्थिया  का प्रमुख रूप से तर्क रहा है कि मंच के आदेष दिनंाक 
14.10.2014 की पालना में  उसके द्वारा रू. 25,000/- की राषि  बार बार प्रयास  किए जाने के बावजूद भी अप्रार्थी द्वारा प्राप्त नहीं की गई है ।  यहां तक कि दिनंाक 8.2.14 को अप्रार्थी द्वारा बिजली  का कनेक्षन काटने की सूचना भी अप्रार्थी कार्यालय में दी गई । जिसके प्रमाण हेतु परिषिष्ठ- सी-2 भी उसके द्वारा पेष  किया गया है । तर्क प्रस्तुत किया गया कि अप्रार्थी द्वारा खुले तौर पर मंच के आदेष की पालना नहीं कर अवहेलना की गई है । अतः उन्हें आदेषित किया जावे कि वे विद्युत कनेक्षन बहाल करते हुए प्रार्थिया को उदाहरणार्थ क्षतिपूर्ति भी देवें ।
5.    अप्रार्थी ने उपरोक्त तर्को का  खण्डन किया व प्रार्थिया द्वारा  मंच के आदेषा की पालना  नहीं करना व किसी प्रकार की अण्डर प्रोटेस्ट राषि जमा कराने से इन्कार किया । यह भी तर्क प्रस्तुत किया कि दिनंाक 8.9.2014 को प्रार्थिया  द्वारा  समयावधि में बिल जमा नहीं करवाया गया था । अतः मीटर का तार उतार लिया गया था । 
6.    हमने परस्पर तर्क सुने हंै एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का भी अवलोकन कर लिया है । 
7.    मंच के समक्ष मात्र  विचारणीय प्रष्न यह है कि क्या अप्रार्थी ने इस मंच के आदेषों की अवेहलना की है ? हस हेतु हमें सर्वप्रथम उक्त आदेष  पर गौर करना होगा ।  उक्त आदेष के अनुसार  ’’ यदि प्रार्थिया इस विवादित राषि  रू. 83,462.95 पै.  के पेटे रू. 25,000/- की राषि इस आदेष के भीतर रोज 15 में अप्रार्थी  विभाग में जमा करवा देवे तो अप्रार्थी विभाग  उक्त राषि रू. 25,000/- के जमा होने की तिथि के भीतर 7 रोज में प्रार्थिया का कनेक्षन पुनः बहाल करें । ’’ 
8.    उपरोक्त आदेष का सीधासादा अर्थ यह है कि प्रार्थिया को दिनंाक 14.10.2014  से 15 दिन के अन्दर रू. 25,000/- की राषि अप्रार्थी विभाग में जमा करवानी थी तथा इस राषि के जमा होने की तिथि से 7 दिन के अन्दर अन्दर  विद्युत विभाग को प्रार्थिया का विद्युत कनेकषन बहाल करना था ।  हस्तगत मामले में प्रार्थिया  का तर्क रहा है कि आदेष दिनांक 14.10.2014 के पारित होने के बाद अप्रार्थी ने उक्त राषि प्राप्त नहीं की तथा  राषि जमा करवाने के  भरसक प्रयास करने पर भी उसकी  प्रार्थना पर गौर नहीं किया ।  बार बार प्रार्थना करने पर  उच्चाधिकारियों व सहायक अभियंता  डी-प्रथम ने कोई बात नहीं सुनी । उसने दिनंाक 8.9.2014 को अप्रार्थी द्वारा उसके मीटर का तार निकालना व इसकी षिकायत करना भी बताया है । किन्तु  यह स्थिति दिनंाक 14.10.2014 के पूर्व की  होने  के कारण काबिलें गौर नहीं है । उसने अपने जुवाबुलजवाब  में उल्लेख किया है कि मात्र 4 माह 16 दिन के मध्य 3 माह  20 दिन के बाद अप्रार्थी के  उच्चाधिकारी श्री हेमन्त कुमार गेरा, महाप्रबन्धक, विद्युत विभाग के कार्यालय में 3-4 बार मिलने के बाद आखिर में दिनंाक 22.4.15 को पंजाब नेषनल बैंक का डीडी राषि रू. 25,000/-  लेकर मुलाकात की  गई थी ।  वहां पर उसे सहायक अभियंता , डी- प्रथम, हजारी बाग द्वारा  काम देखना व उनसे सम्पर्क करने को कहा गया ।
9.    यहां यह उल्लेखनीय है कि यदि 14.10.2014 के बाद प्रार्थिया ने  अप्रार्थी के  पास जाकर  रू. 25,000/- जमा कराने का प्रयास किया है, तो इसके प्रमाण स्वरूप वह कोई प्रार्थना पत्र की प्रति प्रस्तुत कर सकती थी, जो कि उसके द्वारा नहीं की गई है । वह अविलम्ब  चैक, डीडी, रजिस्टर्ड पत्र द्वारा  भी उक्त राषि जमा करा सकती थी जो भी उसके द्वारा नहीं किया गया है । दिनांक 14.10.2014 के बाद उसके मूल परिवाद में  बराबर तारीख पेषी पडी है । तब भी वह इस आषय की षिकायत मंच के  समक्ष कर सकती थी, तथा यह राषि वह मंच के समक्ष भी अप्रार्थी को अदा कर सकती थी। इस आषय का वह चैक, डीडी भी मंच में प्रस्तुत कर सकती थी जो कि उसके द्वारा नहीं किया गया है । वह अपने  विद्युत कनेक्षन के तार हटाए जाने की षिकायत अप्रार्थी विभाग में लिखित में करना बताती है तो  क्या उक्त राषि का चैक/डीडी पत्र के माध्यम से जमा करवाने के लिए उसको किसी प्रकार की रोक व अडचन थी ? चूंकि प्रष्नगत आदेष की पालना करने  में  प्रथम चरण से ही वह  अपेक्षित राषि जमा कराने  में सफल नहीं हो पाई है । अतः यह कहना कि अप्रार्थी विभाग  ने अवमानना की, तथ्य सिद्व है और ना ही मानने योग्य है । 
10.    सार यह है कि प्रार्थना पत्र स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है । अतः आदेष है कि
                          -ःः आदेष:ः-
 11.         प्रार्थिया का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर  खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
            आदेष दिनांक 08.07.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।


 (नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.