Rajasthan

Jhunjhunun

CC/387/2014

Shri Chandar - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

Kamles

01 May 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/387/2014
 
1. Shri Chandar
Jhunjhunu
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
Jhunjhunu
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


तारीख
हुक्म
                                           परिवाद संख्या  387/14
                               हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
    श्रीचन्द  बनाम      सहायक अभियंता, अ.वि.वि.नि.लि.,(ग्रामीण) झुंझुनू तहसील व जिला
                     झुंझुंनू (राज0)
               नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
 
15.05.2015

                 
           परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री कमलेष उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री मुकेष उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के नाम सेे विपक्षी के यहां से कृषि विधुत कनेक्षन ले रखा है, जिसका खाता संख्या 2044-1708-0066 है। परिवादी द्वारा विपक्षी  को समय-समय पर विद्युत बिलों का भुगतान किया जाता रहा है। इसलिए परिवादी विपक्षी  का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी का उक्त कनेक्षन 12.5 एच.पी. का था लेकिन परिवादी के काष्त की भूमि कम होने के कारण इतनी भारी मोटर की आवष्यकता नहीं है तथा परिवादी उक्त कनेक्षन को 7.5 एच.पी. में अपना कनेक्षन तबदील करवाना चाहता है इसी क्रम में परिवादी ने दिनांक 15.04.2011 को 7.़5 एच.पी. की मोटर खरीदकर अपने कुये में स्थापित करदी तथा विपक्षी के यहां लोड कम करने हेतु दिनांक 07.06.2011 को प्रार्थना पत्र पेष कर दिया जिसकी 85/-रूपये की रसीद संख्या 51 बुक नम्बर 39404 है। परिवादी अपना विद्युत कनेक्षन लोड कम करवाने हेतु विपक्षी के यहां चक्कर लगाता रहा तथा दिनांक 09.06.2012 को परिवादी ने विपक्षी को रजिस्ट्रर्ड पत्र भी भिजवाया तथा दिनांक 10.07.2014 को परिवादी स्वयं विपक्षी के कार्यालय में गया परन्तु विपक्षी ने विद्युत लोड कम करने से मना कर दिया जो विपक्षी की सेवा में कमी है।
     विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी दिनांक 15.04.2011 के बाद से 7.5 एच.पी. की मोटर ही काम में ले रहा है तथा लोड की जांच भी विपक्षी द्वारा कराली गई है इसके बावजूद भी लोड घटाकर संषोधित बिल जारी नहीं कर रहा है तथा परिवादी नियमित रूप से विद्युत बिलों का भुगतान करता आ रहा है। 
        अन्त में विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर परिवादी का विद्युत कनेक्षन 12.5 एच.पी. के स्थान पर 7.5 एच.पी. किये जाने व दिनांक 07.06.2011 के बाद आज तक के विद्युत बिल जिनमें 12.5 एच.पी. के आधार पर राषि परिवादी से वसूली गई है वह राषि परिवादी को वापिस लौटाई जाने या आगे के बिलों में समायोजित किये जाने का निवेदन किया है। 
       विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी द्वारा विद्युत संबंध 12.5 एच.पी. का लिया हुआ है तथा वर्तमान में 12.5 एच.पी. का ही काम में ले रहा है। परिवादी द्वारा विपक्षी के यहां विद्युत भार कम करवाने हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया जिसे स्वीकृति हेतु अधिषाषी अभियंता, अ.वि.वि.नि. झुंझुनू को भिजवाया गया है तथा स्वीकृति आने पर निगम के नियमानुसार विद्युत भार कम कर दिया जावेगा। 
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने  परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
        उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
 पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी द्वारा विपक्षी के कार्यालय में दिनांक 07.06.2011 को कृषि विद्युत कनेक्षन जो 12.5 एच.पी. के स्थान पर कम किया जाकर 7.5 एच.पी. का करने हेतु आवेदन किया है, जिसकी 85/-रूपये की रसीद पत्रावली में संलग्न है। उक्त आवेदन की तिथि के बाद परिवादी द्वारा विपक्षी कार्यालय में लोड कम किये जाने हेतु कई बार निवेदन करने के बावजूद आज तक परिवादी का लोड कम नहीं किया है और परिवादी को 12.5 एच.पी. के आधार पर ही बिना युक्तियुक्त कारण विद्युत बिल जारी किये जा रहे हैं। इस संबंध में विपक्षी द्वारा कोई जांच रिर्पोट भी पेष नहीं की गई है। विपक्षी ने जानबूझकर लापरवाही के कारण परिवादी का लोड कम नहीं किया है। विपक्षी का उक्त कृत्य सेवा दोष की श्रेणी में आता है।
अतः प्रकरण के तमाम तथ्य व परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि परिवादी का कृषि विद्युत कनेक्षन 12.5 एच.पी. के स्थान पर तुरंत कम किया जाकर 7.5 एच.पी. का किया जावे तथा विपक्षी द्वारा    12.5 एच.पी. लोड के आधार पर जो विद्युत बिल परिवादी को जारी किये हैं वह दिनांक 07.06.2011 से निरस्त किये जाते हैं और परिवादी को उक्त दिनांक से    7.5 एच.पी. लोड के आधार पर संषोधित बिल जारी किये जावे। यदि परिवादी ने      12.5 एच.पी. लोड के एवज में अधिक राषि विपक्षी कार्यालय में जमा करवादी है तो उसे परिवादी के आगामी विद्युत बिलों में समायोजित की जावे। इस निर्देष के साथ प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
पक्षकारान खर्चा मुकदमा स्वंय अपना - अपना वहन करें। 
      आदेश आज दिनांक 15.05.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।

 

 


       
    
    

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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