Rajasthan

Jhunjhunun

CC/342/2013

Shri Ram - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

Madan Singh Gil

17 Mar 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/342/2013
 
1. Shri Ram
Bajava, Udaypuravati, Jhunjhunu
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
Gudhagorji, Jhunjhunu
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


तारीख
हुक्म
                                            परिवाद संख्या 342/13
                               हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
  श्रीराम    बनाम    सहायक अभियंता, अ.वि.वि.नि.लि., गुढागोड़जी जिला झुंझुनू (राज0)                          नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
 
28.05.2015

                 
           परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री मदन सिंह गिल उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री राजेष खेदड़ उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के नाम सेे विपक्षी के यहां से घरेलु विधुत कनेक्षन ले रखा है, जिसका खाता संख्या 2106-0289 है। परिवादी उक्त विधुत कनेक्षन का समय-समय पर विपक्षी को बिल जमा कराता आ रहा है। इसलिए परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि विपक्षी द्वारा परिवादी को एक नोटिस दिनांकित 31.03.2013 मय जांच प्रतिवेदन संख्या 18285/20 दिनांक 08.03.2013 प्राप्त हुआ जिसमें प्रषमन राषि 2000/-रूपये व सिविल लाईबिलिटी राषि 7914/-रूपये कुल 9914/-रूपये सात दिवष में जमा नहीं करवाने पर परिवादी के विरूद्ध विषेष न्यायालय में विद्युत अपराध के माध्यम से नियमानुसार कार्यवाही की जाने की चेतावनी दी गई। परिवादी ने इस संबंध में विपक्षी के उच्च अधिकारियों से सम्पर्क किया परन्तु उसकी षिकायत का निवारण करने से इन्कार कर दिया।
      अन्त में विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर नोटिस दिनांक 31.03.2013 निरस्त किए जाने का निवेदन किया है। 
       विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के परिसर की दिनांक 08.03.2013 को सतर्कता जांच दल द्वारा जांच की गई तो मौके पर परिवादी द्वारा मीटर को बाईपास करके  निगम पोल से सीधे तार डालकर विद्युत चोरी़ किया जाना पाया गया। मौके पर वी.सी.आर. संख्या 18285/20 दिनांक 08.03.2013 भरी गई। विद्युत चोरी राषि जमा करवाने हेतु परिवादी को नोटिस जारी किया गया, लेकिन परिवादी की ओर से राषि जमा नहीं करवाई गई। 
         अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी द्वारा विद्युत चोरी करने 


पर वी.सी.आर के मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस मंच को नहीं होना कथन करते हुए परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
        उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
        परिवाद में विद्युत चोरी के आरोप से सम्बंधित विवाद प्रकट होता है। माननीय राष्ट्रीय आयोग ने 2014 (3) सीपीआर, 534 - निर्मला देवी बनाम पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड एवं अन्य के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा U.P. POWER CORPORATION LIMITED & ORS Vs. ANISH AHMAD –  (2013) 8 S.C.C. 491  में दिये गये आदेष का अवलम्बन लेते हुए यह अभिनिर्धारित किया है कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 126 एवं 135 से 140 तक सम्बन्धित प्रकरण जिला मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। उक्त न्यायिक विनिष्चयों की रोषनी में यह परिवाद विद्युत अधिनियम की उक्त धाराओं के अंतर्गत विद्युत चोरी से सम्बंधित होने के कारण इस मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। चूंकि यह परिवाद इस मंच के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।
      अतः परिवादी का परिवाद पत्र निरस्त किए जाने योग्य होने से खारिज किया जाता है ।
      आदेश आज दिनांक 28.05.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

 


       
    
    

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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