Rajasthan

Ajmer

CC/394/2012

SHRAVEN SINGH - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

ADV SURENDRA KUMAR

05 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/394/2012
 
1. SHRAVEN SINGH
KISHANGARH
 
BEFORE: 
  Gautam prakesh sharma PRESIDENT
  vijendra kumar mehta MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

 

 

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

श्री श्रवण सिंह पुत्र श्री नोरत सिंह, जाति- राजपूत, निवासी-ग्राम मोहनपुरा, तहसील किषनगढ, जिला-अजमेर(राज.) 


                                                             प्रार्थी

                            बनाम

सहायक अभियंता, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, षाखा-मदनगंज,तहसील-किषनगढ, जिला-अजमेर(राज.)

                                                           अप्रार्थी 
                    परिवाद संख्या  394/2012

                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
            2. विजेन्द्र कुमार मेहता   सदस्य
                   3. श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या

                           उपस्थिति
                  1.श्री सुरेन्द्र कुमार बामोडिया, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री राजेष चैधरी, अधिवक्ता अप्रार्थी निगम  

                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः-18.02.2015
 
1ण्    परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थी ने अप्रार्थी अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, (जो इस निर्णय में आगे मात्र निगम ही कहलाएगा) से एक विद्युत कनेक्षन खाता संख्या  2401-0311 ले रखा है। उक्त खाता संख्या के अन्तर्गत दिए गए विद्युत मीटर के खराब हो जाने की षिकायत की गई तब अप्रार्थी निगम द्वारा दिनांक  1.1.2012 को मीटर  की रीडिंग लेने के बाद दिनांक 9.1.2012 को पुराने मीटर संख्या 380296 के स्थान पर नया मीटर संख्या 6427027  00  रीडिंग का लगाया गया । अप्रार्थी निगम ने माह-फरवरी, 12 का बिल 1.1.2012 को पुराने मीटर की रीडिंग लेने के कारण औसत  उपभोग का  दिया गया  किन्तु अप्रेल, 12 का बिल  नया मीटर लगाने के बाद भी 300 यूनिट  का राषि रू. 872/- का भेज दिया  जबकि  अप्रेल,12 तक नए मीटर की रीडिंग 130यूनिट ही थी  जिसकी षिकायत किए जाने पर अप्रार्थी निगम ने आगामी बिल में  राषि समायोजित करके सही बिल दिए जाने का आष्वासन दिया । तत्पष्चात् अप्रार्थी निगम ने जून, 2012 का बिल भी औसत  उपभोग का 252 यूनिट राषि रू. 1939/- का भेजा जिसमें  पुराने बिल की राषि जमा कराए जाने के बावजूद  पिछले बिल की बकाया राषि रू. 631.41 जोड दी  जबकि प्रार्थी नियमित रूप से बिलों का भुगतान करता आ रहा है ।  उक्त बिल के संबंध में भी षिकायत की गई  जिस पर अप्रार्थी निगम ने बिल जमा कराने और बिल जमा नहीं कराए जाने पर विद्युत संबंध काटने की धमकी दी ।  इस प्रकार अप्रार्थी निगम द्वारा  नया मीटर दिनांक 9.1.2012 को लगाने के बावजूद भी  नए मीटर की रीडिंग लिए बिना ही  प्रार्थी को औसत यूनिट के बिल भिजवाए जा रहे है । अप्रार्थी निगम के उक्त कृत्य से परेषान होकर उसने दिनांक 29.6.2012 को नेाटिस भी दिया  जिसका अप्रार्थी निगम द्वारा यह जवाब दिया गया कि  प्रार्थी का खाता संख्या 2401-311 डी.एल का विद्युत बिल परिवर्तन सूचना भेजे जाने के बाद भी दर्ज नहीं होने के कारण बिल औसत आधार पर भेजे गए है  जिसे जाचं कर अप्रेल, 12 व जून, 12 के विद्युत बिल में सुधार कर राषि रू. 998.80 उपभोक्ता के खाते में क्रेडिट कर दिए गए है ।  किन्तु अप्रार्थी निगम द्वारा कोई सुधार नहीं किया और अगस्त, 12 का बिल पुनः औसत के आधार पर कुल उपभोग 285 यूनिट का पिछली बकाया राषि रू. 904.74/- दर्षाते हुए  रू. 2282/- का भेजा उक्त बिल के संबंध में भी षिकायत की गई किन्तु कोई ध्यान नहीं दिया गया । इसे बाद  अप्रार्थी निगम ने  माह- अक्टूबर, 12 का  दिनांक 25.9.2012 का बिल 140 यूनिट का पिछली बकाया राषि रू. 2364.63 पै दर्षाते हुए  रू. 3111/- का भेजा ।  इस प्रकार अप्रार्थी निगम द्वारा उसे गलत ढंग से बिल भिजवाए जा रहे है जिनकी षिकायत किए जान पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है । अप्रार्थी निगम के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बतलाते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 
2.    अप्रार्थी   निगम ने परिवाद का जवाब पेष किया जिसमें प्रार्थी द्वारा परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णित अनुसार विद्युत कनेक्षन लिए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि प्रार्थी के यहां नया विद्युत मीटर दिनांक 24.2.2012 को लगाया गया । प्रार्थी को अप्रेल, 12 का बिल  वास्तविक उपभोग 15 यूनिट का जारी होना था  जिसकी  एमसीओ की पालना भेजी गई लेकिन कम्प्यूटर ऐजेन्सी द्वारा मीटर परिवर्तन की पालना प्रार्थी उपभोक्ता के खाते में फीड नहीं किए जाने के कारण औसत का बिल भेज दिया गया ।   इसी प्रकार कम्प्यूटर एजेन्सी द्वारा पुनः मीटर परिवर्तन की पालना उपभोक्ता के खाते में फीड न किए जाने से जून, 12 का बिल औसत उपभोग का भेजा गया ।  प्रार्थी का यह कथन गलत है कि  बिल जमा कराने के बाद भी जून, 2012  के बिल में रू. 631.41 बकाया निकाल दी गई है जबकि यह राषि वास्तव में प्रार्थी द्वारा अपे्रल, 12 में कम जमा कराई गई थी  क्योंकि प्रार्थी के खाते में दूसरे उपभोक्ता श्री रामचन्द्र पुत्र बिरदा गुर्जर खाता संख्या 2401-323 के द्वारा जमा कराई गई दिनंाक 19.3.2012 को राषि रू. 607/-  कम्प्यूटर द्वारा 2401-323 खाता संख्या में प्रविष्टी कर गलत रूप से  प्रार्थी के खाता संख्या 2401-311 में कर दी गई जिसे रामचन्द्र द्वारा राषि जुडकर  आने की षिकायत किए जाने पर सीरसीएआर नं. 2900/69/323 दिनांक 30.4.2012 के द्वारा सुधार कर  पुनः  प्रार्थी के खाता संख्या  संख्या  2401-311 में से निकाल कर  उक्त खाताधारक के 2401 -323 में राषि जमा करा दी गई   । 
           अप्रार्थी निगम का आगे कथन है कि प्रार्थी द्वारा षिकायत किए जाने पर  अप्रेल,12 व जून, 12 के बिलो से अधिक चार्ज की गई औसत यूनिट  227 क्रेडिट कर रू. 998.80 पै  सीसीएआर नं. 3838/5/26 दिनांक 13.7.2012 के क्रेडिट कर दी गई और उक्त राषि प्रार्थी के माह- अगस्त, 12  के बिल में कर दिए गए थे  जिसकी सूचना प्रार्थी को रजिस्टर्ड पत्र क्रमांक 1671 दिनंाक 18.7.2012 के द्वारा भेजी गई ।  अन्त मे परिवाद निरस्त होना दर्षाया है । 
3.    हमने पक्षकारान को सुना एवं पत्रावली का अनुषीलन किया । 
 
4.    परिवाद में वर्णित अनुसार प्रार्थी के यहां लगा हुआ पुराना मीटर संख्या 380296 बन्द हो गया था । अतः प्रार्थी के निवेदन करने पर दिनंाक 9.1.2012 को उक्त मीटर को हटा कर नया मीटर संख्या 6427027 लगा दिया गया । तत्पष्चात् भी प्रार्थी को जारी बिलं  माह- फरवरी, अप्रेल, जून व अगस्त, 12 के पुराने मीटर को दर्षाते हुए जारी किए गए  एवं उक्त बिलों में औसत उपभोग के आधार पर विद्युत उपभोग दर्षाया है । अप्रार्थी निगम के जवाब में आया है कि मीटर दिनंाक 9.1.2012 को नहीं बदला गया बल्कि दिनांक 24.2.2012 को बदला गया है । इस तथ्य को  हम मान  भी लेवे तब भी माह- अप्रेल, जून व अगस्त, 12 के बिल नए मीटर में आए उपभोग के आधार पर होने चाहिए थे जबकि इन बिलों में पुराने मीटर में जो रीडिग नहीं दर्षा रहा था, का अंकन करते हुए औसत के आधार पर बिल दिए है । हमारे विनम्र मत में मीटर  बदलने के बाद भी औसत के आधार पर बिल दिया जाना कतई उचित नहीं है । माह- अगस्त, 12 के बिल में पुराने मीटर के साथ नए मीटर का उपभोग दर्षाया है जो 285 यूनिट है । उसके बाद अक्टूबर, 12 में उपभोग 144 यूनिट व दिसम्बर, 12 के बिल के अनरुसार 90 यूनिट का उपभोग आया है । इस प्रकार नया मीटर जो रीडिग दर्षा रहा था, का उपभोग माह अगस्त, अक्टूबर व दिसम्बर, 12 के अनुसार उपभेाग क्रमषः 285,144, व 90 यूनिट आया है । अप्रार्थी निगम की ओर से मीटर रीडिंग रिकार्ड पेष नहीं हुआ है । पूर्व में प्रार्थी का विद्युत मीटर  बन्द था, की अवधि में प्रार्थी को फरवरी, 12 में 300 यूनिट व जून, 12 में 250 यूनिट  के उपभोग का बिल जारी हुआ है जो औसत के आधार पर जारी हुआ है किन्तु  उक्त औसत का कोई आधार अप्रार्थी निगम की ओर से नहीं दर्षाया गया है और ना ही पत्रावली  पर  पुराने मीटर संख्या 380296 जब रीडिंग दर्षा रहा था, की रीडिंग  रिकार्ड पत्रावली पर ं है । 
5.    उपरोक्त सारे विवेचन  से हमारा मत है कि अप्रार्थी निगम द्वारा प्रार्थी को पुराने मीटर के संबंध में माह- फरवरी, 12, अप्रेल,12 व जून, 12 जो औसत उपभोग के आधार पर जारी किया, वे अपास्त होने योग्य है ।  अप्रार्थी इस अवधि के बिल नए मीटर का उपभेाग जो माह अगस्त, 12, अक्टूबर,12 व दिसम्बर, 12 में क्रमषः 285, 144 व 90 यूनिट है, का औसत निकालते हुए जारी करें ऐसा आदेष जारी किया जाना हम उचित समझते है ।  अतः प्रार्थी  का परिवाद इसी अनुरूप् निर्णित किया जाता है  एवं आदेष है कि
                              :ः- आदेष:ः-
6.    (1)    अप्रार्थी निगम द्वारा प्रार्थी को जारी बिल फरवरी, 12, अप्रेल,12 व जून, 12 को अपास्त किया जाता है एवं इन बिलों के स्थान पर अप्रार्थी निगम प्रार्थी को  माह- अगस्त, अक्टूबर व दिसम्बर, 12 के बिलों में जो उपभोग है, के   औसत उपभोग के आधार पर एक संषोधित बिल  एक माह में जारी करें । 
    (2)    प्रार्थी द्वारा अपास्त किए जाने वाले  बिलों के संबंध में कोई राषि जमा करा रखी है तो वह राषि  जारी होने वाले संषोधित बिल की राषि में समायोजन योग्य होगी ।
    (3)    प्रार्थी अप्रार्थी निगम से मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में राषि रू. 1000/- भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
    (4)    क्र.सं. 3 में वर्णित राषि अप्रार्थी निगम प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें    अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।  
         
                
(विजेन्द्र कुमार मेहता)       (श्रीमती ज्योति डोसी)     (गौतम प्रकाष षर्मा)
            सदस्य                  सदस्या                 अध्यक्ष    
7.        आदेष दिनांक 18.02.2015 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

           सदस्य                   सदस्या                 अध्यक्ष

 

 

 

 

 

 

    

 
 
[ Gautam prakesh sharma]
PRESIDENT
 
[ vijendra kumar mehta]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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