जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
षिवराज चैधरी पुत्र श्री छगना जाट, उम्र- करीब 50 वर्ष, जाति-जाट, निवासी ग्राम भटियानी, नसीराबाद, जिला-अजमेर ।
प्रार्थी
बनाम
1. अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड जरिए प्रबन्ध संचालक, पावर हाउस,जयपुर रोड, अजमेर ।
2. अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड जरिए अधिषाषी अभियंता, पावर हाउस, नसीराबाद, जिला-अजमेर ।
3. अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड जरिए सहायक अभियंता(ओ एण्ड एम) सतर्कता अधिकारी, पावर हाउस, नसीराबाद, जिला-अजमेर ।
अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 424/2013
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री अनिल ऐरन, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री षेखर सेन, अधिवक्ता अप्रार्थीगण
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 15.04.2015
1. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि उसने अप्रार्थी अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (जो इस निर्णय में आगे मात्र निगम ही कहलाएगा) से एक विद्युत कनेक्षन जिसके खाता संख्या 2114-0060 है, ले रखा है , जिसके उपयोग उपभोग के बिल वह नियमित रूप से जमा कराता आ रहा है । दिनांक 6.9.2011 को उसके विद्युत मीटर के खराब हो जाने की षिकायत अप्रार्थी निगम के नसीराबाद विभाग को लिखित में की जिस पर अप्रार्थी निगम के लाईनमेन ने बिजली की लाईन अपनी सुविधानुसार जोड कर चालू कर दी और नया मीटर लगाने के लिए कहा इस पर उसने दिनांक 21.9.2011 को रू.850/- नया मीटर लगाने के जमा करा दिए किन्तु नया मीटर नहीं लगाया बल्कि बिजली चोरी का आरोप लगाते हुए दिनंाक 20.3.2012 की जांच रिर्पोट के आधार पर रू. 14850/- जमा कराने को कहा जिसकी षिकायत अप्रार्थी निगम के नसीराबाद स्थित कार्यालय में दिनांक 20.5.2012 को लिखित मेें की जिस पर एक्स.ई.एन ने उसकी षिकायत पर अपने अधीनस्थ अधिकारी से रिर्पोट करने का आदेष दिया । प्रार्थी की षिकायत पर अप्रार्थी निगम के एईएन ने दिनांक 21.9.2012 को यह रिर्पोट दी कि प्रार्थी का विद्युत मीटर दिनंाक 21.8.2012 को ही बदल दिया है । प्रार्थी ने परिवाद की चरण संख्या 6 में कथन किया है कि अप्रार्थी निगम के यहा ंमीटर बदलने की राषि जमा कराने, नया मीटर लगाने व जांच रिर्पोट तैयार करने की तारीखों में भ्रमजाल है इसके अप्रार्थी निगम की सेवा में कमी बतलाते हुए परिवाद पेष कर प्रार्थी से रू. 14850/- की जो राषि वसूल की है उसे वापस दिलाए जाने व अन्य अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी निगम ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत कर प्रार्थी को विद्युत कनेक्षन दिए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए दर्षाया है कि प्रार्थी द्वारा अपने घर की लाईट नहीं आने की षिकायत किए जाने पर लाईनमैन को भेजा गया जिसने मीटर खराब होने व मीटर आउटपुट नहीं हाने की रिर्पोट दी जिस पर प्रार्थी को नया मीटर लगाने की राषि जमा कराने का निर्देष दिया गया और प्रार्थी ने नया मीटर लगाने की राषि जमा करा दी ।
आगे कथन किया है कि दिनांक 20.3.2012 को प्रार्थी के परिसर का निरीक्षण किया गया और यह पाया गया कि प्रार्थी द्वारा मीटर से सीधे तार लगाकार बिजली की चोरी की जा रही थी इसलिए मौके पर जांच प्रतिवेदन संख्या 8503/43 बनाया गया और नोटिस क्रमांक 503 दिनांक 18.5.2012 के प्रार्थी से जुमाना राषि रू. 14850/- 7 दिवस में जमा कराने के लिए जारी किया गया किन्तु प्रार्थी ने राषि जमा नही ंकराई इसलिए अप्रार्थी निगम ने प्रार्थी के विरूद्व अन्तर्गत धारा 135 विद्युत अधिनियम, 2003 के तहत बिजली चोरी की कार्यवाही करते हुए दिनंांक 4.10.2012 को प्रथम सूचना रिर्पोट संख्या 222/2012 थाना एपीटीपी, अजमेर पर दर्ज कराई गई । तत्पष्चात् प्रार्थी ने थानाधिकारी, विद्युत चोरी निरोधक के समक्ष उक्त राषि स्वेच्छा से जमा करा दी इसके बाद प्रार्थी की नियत में खोट आ गया और अप्रार्थी निगम के यहां यह परिवाद पेष कर दिया जो निरस्त होने योग्य है ।
3. हमने उभय पक्ष को सुना एवं पत्रावली का अनुषीलन किया ।
4. परिवाद के तथ्य एवं अप्रार्थी निगम के जवाब अनुसार प्रार्थी के इस विद्युत कनेक्षन के संबंध में दिनांक 20.3.2012 को सतर्कता जांच दल द्वारा जांच की गई । अप्रार्थी निगम के अनुसार प्रार्थी द्वारा सीधे तार जोडते हुए विद्युत चोरी की जा रही थी जबकि प्रार्थी ने अप्रार्थी निगम के इस कथन का खण्डन किया है । अप्रार्थी निगम द्वारा प्रार्थी के विरूद्व इस अनाधिकृत विद्युत उपभोग के संबंध में रू. 14850/- की मांग निकाली जो प्रार्थी ने जमा नहीं कराई । तत्पष्चात् प्रार्थी के विरूद्व धारा 135 भारतीय विद्युत अधिनियम, 2003 में प्रथम सूचना रिर्पोट दर्ज करवाई । इसके बाद प्रार्थी ने दिनांक 19.11.2012 को राषि रू. 14,850/- जमा कराई । यह तथ्य अप्रार्थी निगम के जवाब एवं उपलब्ध साक्ष्य से सिद्व है । इस संबंध में अप्रार्थी निगम का कथन है कि प्रार्थी द्वारा अनाधिकृत रूप से विद्युत उपभोग किए जाने पर प्रार्थी के मामले में बतौर जुर्माना राषि रू. 14850/- का निर्धारण करते हुए इस राषि की मांग की गई जो प्रार्थी ने जमा नहीं करवाई और प्रथम सूचना रिर्पोट दर्ज होने के बाद उसने यह राषि जमा कराई है एवं उक्त जमा कराई गई राषि को पुनः प्राप्त करने हेतु यह वाद प्रस्तुत किया है । अप्रार्थी निगम का कथन है कि प्रार्थी द्वारा विद्युत की चोरी की जा रही थी । अतः वह उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता । अतः हमें सर्वप्रथम यही बिन्दु तय करना है कि क्या प्रार्थी उपभोक्ता की श्रेणी में आता है अथवा नहीं ? अर्थात प्रार्थी का मामला इस मंच द्वारा सुनवाई योग्य है अथवा नहीं ।
5. प्रार्थी ने विद्युत चोरी के तथ्य से इन्कार किया है । सर्तकर्ता जांच प्रतिवेदन दिनांक 20.3.2012 एवं उक्त जांच के आधार पर प्रार्थी से मांग की गई राषि का मांग पत्र दिनांक 18.5.2012 एवं उक्त राषि के जमा नहीं कराए जाने के बाद प्रार्थी के विरूद्व दर्ज कराई गई प्रथम सूचना रिर्पोट दिनांक 4.10.2012 तत्तपष्चात् प्रार्थी द्वारा राषि रू. 14850/- जमा कराए जाने के तथ्य को देखते हुए हम पाते है कि प्रार्थी के विरूद्व विद्युत चोरी अर्थात विद्युत का अनाधिकृत उपयोग उपभोग का मामला बनना पाया गया था, सिद्व हो रहा है । इसके विपरीत प्रार्थी का मात्र यहीं कथन है कि उसने कोई विद्युत चोरी नहीं की थी लेकिन अप्रार्थी निगम ने उसके विरूद्व झूठी रिर्पोट क्यों दर्ज करवाई एवं प्रार्थी ने राषि रू. 14850/- जमा क्यों करवाई, के संबंध में कोई स्पष्टीकरण प्रार्थी ने नहीं दिया है । प्रार्थी द्वारा चोरी की रिर्पोट दर्ज होने पर पहले तो मांग की गई राषि जमा करा दी एवं मामला खत्म हो जाने के बाद उक्त राषि की प्रार्थी ने पुनः मांग की है ।
6. अप्रार्थी निगम की ओर से लिखित तर्क पेष हुए । उनका भी अध्ययन किया । जैसा उपर विवेचित हुआ है, के अनुसार मामले में विद्युत का अनाधिकृत उपयोग उपभोग किया जाना सिद्व हुआ है । हमारे विनम्र मत में एवं लिखित तर्क में वर्णित दृष्टान्त के आधार पर एवं माननीय राष्ट्रीय आयोग के निर्णय 2008ब्ज्श्र 837 श्रींताींदक ैजंजम म्समबजतपबपजल ठवंतक टे ।दूंत ।सप जो विद्युत के अनाधिकृत उपयोग के आधार पर राषि के निर्धारण से संबंधित है, ऐसे मामले में उपभोक्ता मंच सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं रखते , बखूबी प्रतिपादित किया है ।
7. उपरोक्त विवेचन अनुसार अप्रार्थी निगम द्वारा प्रार्थी के विरूद्व रू. 14,850/- की राषि का निर्धारण प्रार्थी के अनाधिकृत रूप से विद्युत उपभोग करने के आधार पर किया गया था । प्रार्थी ने पहले तो यह राषि बिना किसी एतराज के जमा करा दी बाद में यह वाद प्रस्तुत किया है । अतः इन तथ्यों को देखते हुए एवं उपर अभिनिर्धारित अनुसार ऐसे मामले उपभोक्ता मंच द्वारा सुनवाई योग्य नहीं होना पाया गया है । अतः प्रार्थी का यह परिवाद सुनवाई योग्य नहीं पाते है । अतः आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
8. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
(श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
सदस्या अध्यक्ष
9. आदेष दिनांक 15.04.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
सदस्या अध्यक्ष