जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 76/2013
शकूर पुत्र श्री हाजी फरीद बक्ष, जाति-मुसलमान, निवासी-इमाम चैक, गोडा बास, मकराना, तहसील-मकराना, जिला-नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. अध्यक्ष, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, अजमेर।
2. अधीक्षण अभियंता, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, नागौर।
3. सहायक अभियंता, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, मकराना।
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. सुश्री नजहत परवीन, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. श्री सुरेन्द्र कुमार ज्यानी, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थी।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे श दिनांक 03.11.2015
1. परिवाद-पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी का एक घरेलू विद्युत कनेक्शन है। परिवादी ने समय-समय पर अप्रार्थीगण द्वारा जारी बिलों को यथा समय भुगतान किया है। इसके बावजूद भी जनवरी, 2013 का बिल 90,504/- रूपये का जारी किया गया। इस बात की अप्रार्थी को शिकायत की गई परन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई। परिवादी केवल एक बल्ब का दो-तीन घण्टे उपयोग करता है, एक पंखे का उपयोग करता है। परिवादी का मीटर सही होने के बाद भी 03.12.2012 को विभाग द्वारा पुराना कहकर मीटर को बदल दिया। उसकी रीडिंग भी नहीं बतलाई।
जनवरी, 2013 का बिल निरस्त किया जाये, सही बिल जारी किया जाये।
2. अप्रार्थीगण का मुख्य रूप से कहना है कि अधिशाषी अभियंता (सतर्कता) मकराना ने दिनांक 29.11.2012 को परिवादी के परिसर की जांच की गई। जांच में पाया कि मीटर की आरईवीआईटी की एचआईएनजीई टूटी हुई पाई गई। मीटर टेम्पर्ड पाया गया, मीटर के साथ छेडछाड कर विद्युत चोरी करते पाया गया। पुराना मीटर उतारा जो जला हुआ था। लैब में जांच योग्य नहीं था। नियमानुसार एस्समेंट करके 89,465/- रूपये का परिवादी को नोटिस दिया गया। उसके विरूद्ध विद्युत चोरी की रिपोर्ट करवाई। परिवादी सद्भाविक उपभोक्ता नहीं है। उसका कृत्य विद्युत चोरी की श्रेणी में आता है। मंच को श्रवण क्षेत्राधिकार नहीं है। परिवादी का विद्युत चोरी का मामला अतिरिक्त जिला एवं सेशन न्यायालय, नागौर में विचाराधीन है।
3. बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया।
विद्वान अधिवक्ता प्रार्थी का तर्क है कि प्रार्थी को झूंठा फंसाया है। उसने कोई विद्युत चोरी नहीं की है। उसके द्वारा समय-समय पर बिल जमा कराये गये हंै।
इसके विपरित विद्वान अधिवक्ता अप्रार्थी का तर्क है कि प्रार्थी के परिसर की सतर्कता जांच की गई। जिसमें प्रार्थी विद्युत चोरी करते हुए पाया गया। जिसकी एफआईआर दर्ज करवाई गई। जिसका मामला सम्बन्धित न्यायालय में विचाराधीन है।
हमारी राय में परिवादी सद्भावी उपभोक्ता नहीं है क्योंकि प्रदर्श ए 1 केन्द्रीय सतर्कता जांच प्रतिवेदन है। जिसमें मीटर से छेडखानी करना व मीटर की रिवेल की हिंग टूटना बताया है, जिसकी एफआईआर प्रदर्श 6 सम्बन्धित थाने में दर्ज करवाई गई है। मामला अतिरिक्त जिला एवं सेशन न्यायालय में विचाराधीन है। इस प्रकार ऐसे मामले में मंच को श्रवण क्षेत्राधिकार नहीं है। प्रकरण खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
4. इस प्रकार से परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है। पक्षकार खर्चा अपना-अपना वहन करें।
आदेश आज दिनांक 03.11.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या