जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
सयैद मुर्षरफ चिष्ती पुत्र अषरफ हुसैन, निवासी- 225/6, अषरफ मंजिल, मोहम्मदी गेस्ट हाॅउस के पास, दरगाह, अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड जरिए प्रबन्ध निदेषक , विद्युत भवन
पंचषील अजमेर ।
2. सहायक अभियंता, डी-2,अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, हाथीभाटा, अजमेर ।
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 298/2014
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री मिलिन्द मांतोडकर, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री संजीव रोहिल्ला, अधिवक्ता अप्रार्थीगण
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 29.07.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसने अपनी सम्पति संख्या 225/6 पर अप्रार्थी से एक घरेलू विद्युत कनेक्षन ले रखा है । अप्रार्थी ने उसके नजदीक मोहम्मदी गेस्ट हाउस पर एक विद्युत बाक्स लगाा रखा है जिसमें से विद्युत तारों का गुच्छा प्रार्थी की खिड़की से लगकर लटका हुआ है । उसकी उक्त सम्पति पर एक गेस्ट हाउस है जिसमें उसके मेहमान भी आकर रूकते हैं । बरसात के मौसम में व हवा के चलते उक्त तारों के गुच्छे में अक्सर षाॅट सर्किट से आग लग जाती है जिससे जानमाल का खतरा रहता है । उसने तारों के गुच्छे को हटाए जाने के लिए दिनंाक 15.5.2014 को एवं नोटिस दिनंाक 4.7.2014 के द्वारा निवेदन किया। किन्तु अप्रार्थी विद्युत निगम ने कोई ध्यान नहीं दिया । प्रार्थी ने इसे अप्रार्थीगण की सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी विद्युत निगम ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत करते हुए दर्षाया है कि प्रार्थी की तथाकथित सम्पति पर दरगाह में आने वाले जायरीन को ठहरा कर उन्हें जियारत करवाते हुए नजराना वसूल करता है, इसलिए प्रार्थी का उक्त आवास व्यासायिक परिसर की श्रेणी में आता है । अप्रार्थी ने ज्मतउे - ब्वदकप बंजपवद वज ेनचचसल व िम्समबजतपब के तहत देय अधिकारों के तहत अन्य उपभोक्ताओं को विद्युत सप्लाई देने हेतु बाॅक्स लगा रखा है और उक्त बाॅक्स इन्सूलेटेड है तथा केबिल भी पूर्णतया इन्सूलेटेड है जिसमें करंट प्रवाहित होने की सम्भावना नहीं रहती है। ं इस प्रकार के स्तर पर कोई सेवा मे ंकमी नहीं होना बताते हुए परिवाद परिवपाद खारिज किए जाने की प्रार्थना की हे ।
3. प्रार्थी का मुख रूप से तर्क रहा है कि अपा्रर्थी विद्युत ने उसकी इजाजत के बिना उसकी मल्कियत के परिसर में खिड़कियों के बाहर तारों का गुच्छा व बाॅक्स लगा रखा है । इससे अक्सर स्पार्किग होती रहती है व कई बार आग भी लगी है । अप्रार्थी को कई बार मौखिक रूप से निवेदन किया एवं लिखित में भी निवेदन किया किन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गई । नोटिस भी दिया गया । अन्त में प्रकरण को अप्रार्थी के समझौता समिति में लाए जाने व इस हेतु उसके द्वारा रू. 500/- राषि जमा करवाई जाकर उक्त तारों को हटाया गया है । उसके द्वारा इस हेतु अनंेकों बार षिकायत किए जाने पर परिवाद प्रस्तुत करना पडा है । उसे जो क्षति हुई है उसकी एवज में उसे न्यायोचित राषि दिलावाई जाकर परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए ।
4. अप्रार्थी द्वारा यह स्वीकार किया गया कि प्रार्थी के उक्त परिसर के आस पास गलियां सकड़ी होने के कारण खम्बा लगाया जाना समभव नहीं है और विद्युत सप्लाई हेतु सुरक्षित तरीके से तारों को लगाया गया है । इस प्रकार की व्यवस्था उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए किया गया है । जिसमें उनके स्तर पर कोई दोष नहीं रहा है । परिवाद अस्वीकार किए जाने योग्य है ।
5. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का भी अवलोकन कर लिया है ।
6. अभिलेख में उपलब्ध फोटोग्राफ्स को देखने से यह स्पष्ट है कि अप्रार्थी के द्वारा तारों को प्रार्थी के परिसर की दीवार में खिड़की के आस पास उलझा कर लगाया है तथा नजदीक में विद्युत बाक्स भी लगाया गया है । किसी भी पक्षकार को किसी अन्य पक्षकार की सम्पति पर किसी प्रकार का अवरोध अथवा अनाधिकृत उपयोग करने की अनुमति उस पक्षकार की सहमति के बिना नहीं दी जा सकती । अप्रार्थी का यह प्रतिवाद की गली /रास्ता अत्यधिक सकरा होने के कारण इसमें खम्बा /पोल नहीं लागया जा सकता, स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है । चूंकि अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी के परिसर में इस प्रकार के विद्युत तार आदि लगा कर उसकी सुरक्षा में खतरा उत्पन्न किया गया है, को देखते हुए प्रतिरोध के बाद समझौता समिति के समक्ष प्रकरण के निवारण की स्थिति को ध्यान में रखते हुए अब तक हुई प्रार्थी को मानसिक संताप के प्रकाष में क्षतिपूर्ति दिलाया जाना न्यायोचित है । मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किए जाने येाग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
7. (1) प्रार्थी अप्रार्थी से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू. 2500/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 2500/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 29.07.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष