Rajasthan

Jhunjhunun

CC/249/2015

Sarja Devi - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

Rakesh Aary

06 Apr 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/249/2015
 
1. Sarja Devi
Goth,Buhana
Jhunjhunu
Rajasthan
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
Khetari,Jhunjhunu
Jhunjhunu
Rajasthan
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel PRESIDENT
 HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui MEMBER
 HON'BLE MR. Mr. Ajay Kumar Mishra MEMBER
 
For the Complainant:Rakesh Aary, Advocate
For the Opp. Party: Rajesh Khedar, Advocate
ORDER

      
तारीख हुक्म
                                             परिवाद संख्या 249/15
                                  हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
सर्जा देवी           बनाम      अधिषाषी अभियंता, अ.विवि.नि.लि. खेतडीनगर
                             तहसील खेतडी जिला झुंझुनू (राज0) वगैरह     

                          नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
    
   06.04.2016             
      परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादिया की ओर से वकील श्री राकेष आर्य उपस्थित। विपक्षीगण की ओर से वकील श्री राजेष खेदड़ उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
        विद्वान् अधिवक्ता परिवादिया ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादिया ने अपनेे नाम से घरेलू विधुत कनेक्षन विपक्षीगण के यहां से ले रखा है। जिसका खाता संख्या 1704-460 है। परिवादिया उक्त विधुत कनेक्षन का विपक्षीगण को बिल जमा कराती आ रही है। इसलिए परिवादिया विपक्षीगण की उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादिया ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादिया को दिनांक 19.02.2015 को विद्युत बिल जारी किया गया जिसमें गत पठन 0 युनिट, वर्तमान पठन 1898 युनिट व उपभोग युनिट 261 दिखाई जाकर 1406/-रूपये का जारी किया गया तथा इसके बाद अन्य बिल क्रमांक 120252047 दिनांक 19.04.2015 को जारी किया गया जिसमें गत पठन 1998 युनिट, वर्तमान पठन 1959 युनिट दिखाई  जाकर उपभोग युनिट 248 दिखाई जाकर विद्युत खर्च 1605/-रूपये का जारी किया गया । परिवादिया द्वारा षिकायत करने पर कोई सुनवाई नहीं की गई तथा विपक्षीगण ने उक्त विधुत बिलों में अंकित राषि को दुरूस्त करने से साफ इन्कार कर दिया । इस प्रकार विपक्षीगण का उक्त कृत्य सेवा में दोष की श्रेणी में आता है।  
       अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादिया ने परिवादिया का परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर माह फरवरी,2015 से माह मई,2015 तक के विधुत बिलों की समस्त राषि को निरस्त कर परिवादिया द्वारा किये गये वास्तविक उपभोग के आधार पर संषोधित बिल जारी किये जाने का निवेदन किया है।
        विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादिया का मीटर खराब होने के कारण परिवादिया को माह जनवरी, मार्च व मई,2015 के विद्युत 


बिल पिछले छः माह के विद्युत उपभोग के औसत आधार पर जारी किये गये हैं जो निगम के नियमानुसार सही है। इसके बाद मीटर नम्बर 6512897 की जगह मीटर नम्बर 9937505 बदल दिया गया है और नये मीटर की रीडिंग के अनुसार विद्युत बिल जारी किये गये हैं जो सही हैं। 
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने परिवादिया का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
      उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
      पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट हुआ है कि परिवादिया को विपक्षीगण द्वारा विवादित विद्युत बिल माह फरवरी, 2015 से माह मई,2015 तक गलत औसत बिल गलत उपभोग अंकित कर भिजवाये गये हैं। इससे पूर्व परिवादिया के कभी भी इतनी अधिक उपभोग यूनिट एवं राषि का बिल नहीं लिया है। इस प्रकार उक्त विधुत बिलो में इतनी अधिक राषि किस आधार पर भेजी गई, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण विपक्षीगणने पेष नहीं किया है। इससे स्पष्ट जाहिर होता है कि परिवादिया को उक्त विवादित बिल फरवरी,2015 से माह मई,2015  कैयास व अंदाज से गलत रूप से अधिक राषि के जारी किये गये हंै, जो त्रुटिपूर्ण व संदीग्धपूर्ण होने से निरस्त किए जाने योग्य हैं।
        अतः प्रकरण के तमाम तथ्य व परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि परिवादिया के फरवरी,2015 से माह मई,2015  तक के विवादित बिलों में अंकित राषि त्रुटिपूर्ण व संदीग्धपूर्ण होने से निरस्त की जाती है। परिवादिया को माह फरवरी,2015 से पूर्व के पिछले  तीन बिलों के एवरेज के आधार पर, जो स्वंय परिवादिया ने जो वास्तविक विद्युत युनिट का उपभोग किया है, उसके आधार पर संषोधित बिल जारी किये जावें। परिवादिया द्वारा यदि विपक्षीगण के कार्यालय में उक्त विवादित बिलों के पेटे अधिक राषि जमा करादी गई है, तो उसे परिवादिया के आगामी विद्युत बिलों में समायोजित की जावे। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है। 
      पक्षकारान खर्चा मुकदमा अपना-अपना वहन करेगें।
      आदेश आज दिनांक 06.04.2016 को लिखाया जाकर मंच द्वारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफतर हो।

 

      

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


     

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mr. Ajay Kumar Mishra]
MEMBER

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