Rajasthan

Ajmer

CC/226/2014

SANJANA KHANAM - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

ADV.A.S KHANAM

07 Jul 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/226/2014
 
1. SANJANA KHANAM
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 07 Jul 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

श्रीमति संजना खानम भारती पत्नी डा. ए.एस. खानम भारती, 76 गांव किषनपुरा, फकीरा खेडा, वार्ड नं. 11, बी ब्लाॅक चन्द्रवरदाई नगर योजना, तारागढ हिल रोड, अजमेर । 
                                                          प्रार्थीया

                            बनाम

1.   अध्यक्ष, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, पंजीकृत कार्यालय, ओल्ड पावर हाउस हाथीभाटा, अजमेर । 
2.    ए.ई.एन. (डी-प्रथम) हजारी बाग, अजमेर(राजस्थान)
                                                        अप्रार्थीगण 
                    परिवाद संख्या 226/2014

                            समक्ष                   
                 1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
                 3. नवीन कुमार               सदस्य
                           उपस्थिति
                  1.श्री डा.ए.एस. खानम भारती,प्रतिनिधि, प्रार्थीया
                  2.श्री षेखर सेन, अधिवक्ता अप्रार्थीगण

                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः- 08.07.2016

1.            परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि  प्रार्थीया दिल्ली की रहने वाली है और उसने परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णित मकान श्री जब्बार पुत्र श्री सलामुद्दीन से जरिए इकरारनामा दिनंाक 30.5.2012 के  दिनंाक 
3.5.2013 को क्रय किया ।  इकरारनामे के अनुसार उक्त आवास में  लगा विद्युत खाता संख्या 2113-324 श्रीमति सायरा बानों के नाम  से है । वक्त इकरार श्री जब्बार ने उक्त खाते का  माह- फरवरी, 12 का बिल राषि रू. 339/- उसे दिया ।  उक्त मकान क्रय करने के बाद वह दिल्ली चली गई और दिसम्बर, 13 में जब वह अजमेर  आई तो उसे ज्ञात हुआ कि उसके मकान की दीवार  पर नया मीटर संख्या 8711093 लगा हुआ है  जबकि उसे  वक्त इकरार श्रीमति सायरा बानो के नाम से जो बिल दिया गया था उसका मीटर संख्या 09089529/2012 है । अप्रार्थी निगम से इस संबंध में जानकारी करने पर उसे बतलाया गया कि दिसम्बर, 13  का बिल जमा नही ंकिया तो उसका मीटर उतार लिया जाएगा । तब प्रार्थिया ने दिसम्बर, 13 के बिल की राषि रू 7566/- जमा करा दी, जो कि उसके मकान में लगे मीटर के उपभोग की नही ंथी । बल्कि प्रष्नगत मीटर जब्बार के दूसरे मकान का है  जिसके उपयोग उपभोग की राषि उसने अप्रार्थी निगम के यहां जमा कराई है ।  उसने दिनंाक 18.2.2014 को  अप्रार्थी संख्या 2 से  इस आषय की षिकायत  की श्री जब्बार उसके विद्युत मीटर से  टेम्परेरी तार लगा कर विद्युत का उपयोग उपभोग कर रहा है ।
    प्रार्थिया का कथन है कि जब वह दिनांक  23.8.2014 को  पुनःअजमेर आई तो उसे पता चला कि  एक बिल  राषि रू. 83,462. 95 पै.  का  अप्रार्थी ने दिया है, जिसके भुगतान की तिथि दिनंाक 25.8.2014 है  और जो मीटर संख्या 3092322 से संबंधित है ।  प्रार्थिया ने अप्रार्थी निगम के कृत्य को सेवा में कमी दर्षाते हुए परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2.    अप्रार्थी निगम की ओर से जवाब पेष हुआ । जिसमें अप्रार्थी निगम का कथन है कि प्रार्थिया द्वारा विक्रय किए गए मकान के पूर्व  मालिक द्वारा परिसर में लगे विद्युत मीटर संख्या 9089529 के संबंध में षिकायत किए जाने पर  मीटर बदल कर नया मीटर संख्या 8711098(वास्तविक नं. 8711093) लगा दिया गया  और इस तथ्य से प्रार्थिया को अवगत करा दिया गया था  ।  उपभोक्ता की षिकायत पर  उक्त मीटर संख्या 8711098(वास्तविक नं. 8711093)  को प्रयोगषाला  जांच के लिए भेजा गया था और उसके स्थान पर  नया मीटर संख्या 3092322 लगा दिया गया । अगस्त, 2014 में श्रीमति सायरा बानों को  अगस्त, 2014 में पठन तिथि दिनंाक 31.7.2014 तक  की बकाया राषि रू. 83462.97 पै. का बिल भेजा गया । दिनंाक 31.7.2014  को मीटर में रीडिंग 4807 थी और गत पठन 109 यूनिट था ।  इस प्रकार विद्युत उपयोग उपभोग 4698 की  राषि का बिल भेजा गया था । किन्तु प्रार्थिया व सायरा बानो द्वारा  इतनी बडी राषि जमा नहीं कराए जाने के कारण  दिनांक 20.8.2014 को मीटर संख्या 3092322 हटा दिया गया और हटाते वक्त उसमें रीडिंग 5308 यूनिट थी । प्रार्थिया जब बिल लेने आई तो उसे राषि रू. 83,463/- की राषि बकाया होने बाबत् बतला दिया गया था ।
    अप्रार्थी निगम का कथन है कि प्रष्नगत परिसर में लगा मीटर जब्बार पुत्र सलामुद्दीन की पत्नी श्रीमति सायरा बानों के नाम से है और  श्रीमति सायरा बानों ने प्रार्थिया को किसी प्रकार का कोई अधिकार  नहीं दिया है । विद्युत के बिल श्रीमति सायरा बानों के नाम से भेजे गए थे और उसी के द्वारा राषि जमा कराई जानी थी ।
    अप्रार्थी निगम ने अपने अतिरिक्त कथन में दर्षाया है कि प्रार्थिया न तो अप्रार्थी निगम की उपभोक्ता है और ना ही प्रार्थिया द्वारा क्रय किए गए परिसर की पंजीकृत मालिक है । वह केवल इकरारनामे के आधार पर अपना मालिकाना हक दर्षा रही है । प्रष्नगत परिसर में लगे विद्युत मीटर की समय समय पर षिकायत किए जाने पर  मीटर बदले गए हैं । प्रार्थीया व सायरा बानों को यह जानकारी होते हुए भी कि दिनांक 20.8.2014 को मीटर हटा दिया गया है। फिर भी सीधा तार जोड़ कर विद्युत की चोरी की जा रही थी।  यह जानकारी दिनांक 8.9.2014 को किए गए निरीक्षण के समय सामने आई । जिसकी राषि रू. 1,02,910/-  का बिल सायरा बानों को भेजा गया था और उक्त राषि प्रार्थिया व सायरा बानों द्वारा जमा नही ंकराई गई और जब तक  उक्त राषि जमा नही ंकराई जाती तब तक नया कनेक्षन दिया जाना सम्भव नहीं था। इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नही ंहै । अन्त में परिवाद खारिज होना दर्षाया । 
3.    प्रार्थिया का प्रमुख  रूप से तर्क रहा है कि जो बिल राषि रू. 83,462.95 पै. का दिया गया , वह अवैध व निरस्त होने योग्य है । वास्तव में वर्ष 2012 से मीटर संख्या 9089529 के अनुसार विद्युत उपभोग का बिल दिया जाना चाहिए था जो कि नहीं दिया गया है । उसके द्वारा  दिनंाक 18.2.2014 को भी अप्रार्थी के समक्ष षिकायत दर्ज करवाई गई थी । किन्तु  उस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया ।  अगस्त ,14 तक रू. 83,462.95 पै. का जो बिल दिया गया है, वह गलत है । अप्रार्थी के तर्क के खण्डन में यह भी तर्क  प्रस्तुत किया गया है कि उसके द्वारा जरिए इकरानामा खरीदी गई सम्पति में जो विद्युत कनेक्षन विक्रयकर्ता  जब्बार की पत्नी के नाम था, को प्रार्थिया ही उपभोग उपयोग कर रही है ।  अतः वह उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आती है । परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए । 
4.    अप्रार्थी की ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया है कि इकराररामे के आधार पर प्रार्थिया को  सम्पति क्रय करने पर मालिकाना हक के अधिकार प्राप्त नहीं हो जाते है । वास्तव में  पूर्व मालिक सलामुद्दीन  के  समय लगे मीटर की षिकायत करने पर मीटर बदला गया था व प्रार्थिया को इसकी पूर्ण जानकारी थी कि उक्त पूर्व के मीटर के उपयोग उपभोग की राषि अदा नहीं की गई है  तथा नवम्बर, 2012 से मीटर के उपयोग उपभोग की राषि बकाया थी, जो उसके द्वारा अदा की जानी थी।  जब्बार की पत्नी के नाम मीटर था व उक्त सायरा बानो ने प्रार्थिया को कोई अधिकार नहीं दिए थे । जो बिल की राषि बकाया रही है वह सायरा बानो के  नाम से लगे मीटर की है और यह राषि सायरा बानों के द्वारा ही अदा की जानी थी ।  प्रार्थिया को मीटर बदलने की पूर्ण जानकारी थी । उसे यह भी जानकारी थी कि  लगाए गए मीटर में तार जोड़़  उपयोग उपभोग किया जा रहा था ।  मीटर पूर्व विक्रेता के  कहने पर उतारा जाकर  उसके स्थान पर नया मीटर बदला गया और  इसकी प्रयोगषाला में जांच  के लिए भेजा गया  तथा मीटर सही पाया गया था  तथा इसकी सूचना  सायराबानों को दे दी गई थी ।  कुल मिलाकर कर उनका तर्क रहा है कि विद्युत चोरी  की राषि प्रार्थिया पर बकाया है । परिवाद खारिज होने योग्य है । 
5.    हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है । 
6.    यह स्वीकृत रूप से प्रकट हुआ है कि प्रार्थिया ने प्रष्नगत् परिसर जरिए इकरारनामा किन्ही जब्बार  से दिनांक  3.5.2013 को क्रय किया । दिनंाक 3.5.20134 को सम्पति खरीदने के बाद प्रार्थिया माह-दिसम्बर, 13 में  उक्त परिसर में पहुंची है तथा  10.12.2013 को  बिल राषि रू. 7566/- जमा करवाने के बाद वह दुसरी बार  पुनः दिनंाक 23.8.2014 को उक्त परिसर में पहुंची । स्पष्ट है कि वह इस परिसर में स्थायी रूप से न तो निवास कर रही है और ना ही  इसमें उसका किसी अन्य के माध्यम से भौतिक कब्जा  है अपितु मात्र इकरारनामे के आधार पर  वह इस परिसर पर  अपना मालिकाना हक जता रही है ।  उपलब्ध अभिलेखों से यह भी प्रकट हो रहा है कि उसने उक्त परिसर पर कब्जे के बाद नियमित रूप से प्राप्त होने वाले विद्युत उपभोग अथवा जारी  बिलो का भुगतान नहीं किया है । उसने कब्जा लेेने के समय  माह- फरवरी, 12   राषि रू. 339/- का बिना भुगतान किया  बिल भी प्राप्त किया है । इसका सीधा सा आषय यह लगाया जा सकता है कि उक्त  परिसर में  माह-फरवरी, 12 से बिजली  के बिलों का भुगतान नहीं हुआ था, तथा विद्युत उपयोग उपभोग की राषि बकाया थी ।  उक्त परिसर को खरीदने के बाद  प्रार्थिया सर्वप्रथम  दिसम्बर, 2013 में वहां पहुंची है तथा  उसकी जानकारी के अनुसार  मकान पर नया मीटर लगाया गया है  व मालूम करने पर उसे पता चला कि इसे  बिजली वाले  बदल कर गए हंै । इसका अर्थ यह हुआ कि उसे उस समय तत्काल यह जानकारी हो गई थी कि पूर्व मीटर में किसी प्रकार की कोई खराबी रही होगी, इसी वजह से मीटर बदला गया  है ।  उस समय  प्रार्थिया दिनंाक 10.12.2013 का रू. 7566/- का बिल भी जमा करवाना कहती है । उसने दिनंाक 18.2.2014 को पूर्व में लगे मीटर को बदलने व उसके स्थान पर दूसरा मीटर लगवा कर बिल भेजने पर अप्रार्थी के समक्ष षिकायत भी की है जिसकी पुष्टि पत्रावली  में उपलब्ध  उसके प्रार्थनापत्रों व रसीदों की फोटोप्रतियों से होती है ।  
7.    अब प्रष्न यह उत्पन्न होता है कि क्या प्रार्थिया उपभोक्ता की परिभाषा में आती है ? उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 2(1)(डी) में उपभोक्ता को परिभाषित किया गया है, जिसके अनुसार प्रार्थिया को  बेनीफिषरी ( हिताधिकारी उपभोक्ता)कहा जा सकता है । किन्तु मुद्दा  यह है कि क्या वह प्रष्नगत बिल की राषि रू. 83,462095 पै. अदा करने  के लिए जिम्मेदार है अथवा अप्रार्र्थी ने यह बिल राषि जारी करते हुए सेवा में दोष का परिचय दिया है ? यह स्वीकृत स्थिति है कि  जरिए इकरारनामा दिनंाक 3.5.2013  के  द्वारा प्रष्नगत सम्पति को क्रय किए जाने के बाद वह  परिसर में  सर्वप्रथम माह- दिसम्बर, 13 में  पहुंची है । उसके अनुससार वहां पर लगा हुआ मीटर बदला गया है, जिसकी जानकारी उसे तत्समय हुई है और उसने इस आषय की षिकायत दिनांक 18.2.2014 को भी अप्रार्थी के कार्यालय में  की है ।  उसने उक्त परिसर क्रय करते समय फरवरी, 12 का  बकाया बिल तदादी राषि रू. 341/- का भी प्राप्त किया है । माह- दिसम्बर, 2013 में  उसने रू. 7,566/- का बिल भी जमा कराया है । बदले गए मीटर की जांच के बाद इसका सही होना अभिकथित किया गया है व फरवरी,2012 से लेकर अन्त तक अर्थात बिल जारी करने की तिथि तक जारीषुदा बिल की राषि जमा नहीं हुई है । यह भी स्वीकृत तथ्य है कि  प्रार्थिया ने विद्युत कनेक्षन जो सायरा बानो के नाम है,  को अपने नाम स्थानान्तरित नहीं करवाया है जबकि उसकी सर्वप्रथम यह जिम्मेदारी थी ।  इस स्थिति मे ंयदि बिल सायरा बानो के नाम से उपयोग उपभोग के प्राप्त हुए है तो इसकी प्रारम्भिक जिम्मेदारी उक्त परिसर क्रय किए जाने के बाद प्रार्थिया की रहती है ।  यदि किसी भी व्यक्ति ने उक्त परिसर में तार जोड़ कर  विद्युत चोरी की है, तो इससे भुगतान के संबंध में कोई फर्क नहीं पड़ता है । वैसे भी अप्रार्थी ने उक्त चोरी के संबंध में आवष्यक कार्यवाही कर उक्त सायरा बानों के नाम रू. 1,20,910/-  राषि जमा कराए जाने  बाबत् ् नोटिस भेजा है । हालांकि इस राषि का कोई विवाद हस्तगत प्रकरण में नहीं है किन्तु  जो राषि विद्युत उपभोग व उपयोग की उक्त सायरा बानों के नाम से प्रार्थिया को जारी हुई है, तथा जिसके लिए उसे बिल  के जरिए सूचित किया गया है, में किसी प्रकार की कोई  अनियमितता   बारती हो, ऐसा नहीं पाया गया है और ऐसा कर अप्रार्थी के पार्ट पर हमारी राय में कोई  सेवादोष सामने नहीं आया है । परिणामस्वरूप प्रार्थिया का परिवाद मंच की राय में उपरोक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए खारिज होने योग्य है ।
                        -ःः आदेष:ः-
8.    प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर  खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
            आदेष दिनांक 08.07.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।


 (नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
    

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


4.    सर्वप्रथम अप्रार्थी निगम की ओर से अपने जवाब में लिए गए एतराज कि  प्रार्थीया अप्रार्थी निगम की उपभोक्ता नहीं है, के संबंध में  विनिष्चय करना उचित समझते है । इस संबंध में पत्रावली      पर प्रार्थीया की ओर से प्रष्नगत आवास के  संबंध में जो  दस्तावेजात अर्थात इकरारनामा आदि पेष किए, से स्पष्ट हारे रहा है कि कनेषन जिसके संबंध में विवाद लाया गया है, का  आवास प्रार्थीया ने जब्बार खाॅं से क्रय किया है ।  विवादित कनेक्षन इसी आवास हेतु था जो सायरा बानों पत्नी जब्बार खाॅं के नाम से है  लेकिन प्रार्थीया की ओर से पेष दस्तावेजात के अनुसार इस आवास का कब्जा जब्बार खाॅं द्वारा प्रार्थीया को सौंप दिया जाना पाया गया । अतः विवादित कनेक्षन के संबंध में प्रार्थीया बेनीफिषरी ( हिताधिकारी उपभोक्ता ) होना पाया जाता है । अतः  हम पाते है कि प्रार्थीया द्वारा पाया गया यह परिवाद चलने योग्य है । 
5.    अब निर्णय हेतु अगला  प्रष्न यह है कि क्या अप्रार्थी निगम द्वारा  मीटर संख्या 9711098 के संबंध में जारी बिल राषि रू. 7566/- का सही था व इसी तरह से अप्राथी्र निगम द्वारा इस कनेक्षन के संबंधम ें बिल माह- अगस्त, 14 से जो राषि की मांग की है उक्त मांग भी सही है , के संबंध में विवेचना करनी है । 
6.    प्रार्थीया प्रतिनिधि की बहस रही है कि मीटर संख्या 9711098 का बिल गलत था फिर भी प्रार्थीया ने रू. 7566/- की राषि जमा कराई है एवं प्रार्थीया दिल्ली चली गई । पीछे से मीटर संख्या 8711093 जो तेज चल रहा था एवं मीटर संख्या 9079526 उतार दिया व दूसरा मीटर संख्या 3092322 लगा दिया एवं इन सभी के संबंध में बिल माह- अगस्त, 2014 से जो मांग की है वह गलत है । पूर्व के मीटर हटा कर मीटर संख्या 3092322 प्रार्थीया की गैर मौजुदगी में लगाया गया था ।  
7.    अधिवक्ता अप्राथी्र निगम की बहस है कि खाता संख्या 211/0324 जो श्रीमति सायरा बानों के नाम है, के बिल की राषि सायरा बाना द्वारा समय  पर जमा नहीं करवाई गई थी तथा मीटर जिनके संबंध में षिकायत की गई, के संबंध में भी बतला दिया गया  था किन्तु श्रीमति सायरा बानों के इस खाते में रू. 83,463/- बकाया होने की बात प्रार्थीया को बतला दी गई थी एवं िबल अगस्त, 2014  में मांग की गई राषि का पूर्ण विवरण दिया हुआ है ।  प्रार्थीया एक तरफ तो स्वयं के नाम परिसर का पंजीबद्व बेचान नहीं होने के उपरान्त भी इस विद्युत कनेक्षन के लिए स्वयं को उपभोक्ता बतला रही है वहीं दूसरी तरफ मांग की गई राषि के लिए स्वयं का जिम्मेदार नहीं मान रही है । अतः प्रार्थीया का यह  कथन स्वीकार होने योग्य नहीं है । उनकी आगे  बहस है कि  यह  विद्युत कनेक्षन जिस परिसर में था वहीं परिसर प्रार्थीया ने खरीदना बतलाया है तथा कब्जा भी स्वयं का बतलाया है एवं पूर्व के बिलों की  राषि जमा कराने का दायित्व प्रार्थीया पर है । अतः अप्रार्थी निगम द्वारा प्रार्थीया से सही राषि की मांग की गई है । इसके अतिरिक्त इसी कनेक्षन के संबंध में  दिनांक 8.9.2014  को सतर्कता दल द्वारा जांच की गई एवं जांच के वकत सीधा तार जोड कर तिजली की चोरी  किया जाना पाया गया जिसके संबध में उपभोक्ता सायरा बानों को नोटिस भेज कर रू. 1,02,910/- की मांग की गई है । इस तरह से प्रार्थीया से सही राषि की मांग की जा रही है ।
8.    हमने बहस पर गौर किया । जहां तक  राषि रू. 7566/- का प्रष्न है । प्रार्थीया द्वारा  उक्त राषि जमा कराई जा चुकी है  ओर प्रार्थीया ने उक्त राषि अण्डर प्रोटेस्ट जहमा कराई हो ऐसा नहीं पाया गया है ।  राषि रू. 83, 463/-  के संबंध में जो बहस पक्षकारान  द्वारा की गई उस पर हमाने गौर किया । प्रष्नगत परिसर के संबंध  में पूर्व के बिल अर्थात फरवरी,12, अगस्त, 12 व अक्टूबर, 12 के बिल औसत के आधार पर बिना रीडिंग के भेजा जाना पाया गया ।  अक्टूबर , 13 का बिल प्रार्थीया द्वारा जमा कराया जा चुका है। फरवरी, 14 के बिल की राषि रू. 19215/- थी, यह राषि प्रार्थीया ने जमा कराई हो नही ंपाया गया है । फरवरी, 14 के बाद में अगस्त, 14 की राषि व पूर्व के बिल जो औसत के आधार पर दिए गए थे, का समावेष करते हुए  पिछली बकाया  राषि के रूप् में व अन्य मदों से राषि की मांग की गई है । हमोरे विनम्र मत में प्रार्थीया यह दर्षाने में असफल रही है कि मांग की गई राषि रू. 83463/- किस तरह से अवैध है बल्कि माह- अगस्त, 14 के बिल में  इस  राषि के संबंध में पूर्ण विवरण दिया हुआ है । इस तथ्य को देखते हुए हम पाते है कि अप्रार्थी निगम द्वारा प्रार्थीया से बिल माह- अगस्त, 14  से जिस राषि की मांग की जा रही है  वह अवैध है , सिद्व नहीं हुआ है । परिणामस्वरूप प्रार्थीया का यह परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है । अतः आदेष है कि 
                           :ः- आदेष:ः-
9.            प्रार्थीया का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर  खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।

  (श्रीमती ज्योति डोसी)                      (गौतम प्रकाष षर्मा) 
             सदस्या                                  अध्यक्ष

10.        आदेष दिनांक 26.06.2015 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

              सदस्या                                अध्यक्ष

 

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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