Rajasthan

Jhunjhunun

189/2013

Rudaram - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

Anup Gil

27 Mar 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 189/2013
 
1. Rudaram
Bugala, Nawalagadh, Jhunjhunu
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
Nawalagadh, Jhunjhunu
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


तारीख
हुक्म
                                                   परिवाद संख्या 189/13
                               हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
            रूड़ाराम     बनाम     सहायक अभियंता अ.वि.वि.नि.लि., कार्यालय नवलगढ़                         नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
 
22.05.2015

                 
           परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री अनूप गिल उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री राजेष खेदड़ उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के नाम सेे विपक्षी के यहां से घरेलु विधुत कनेक्षन ले रखा है, जिसका खाता संख्या 2032-2309-0292 है। परिवादी उक्त विधुत कनेक्षन का समय-समय पर विपक्षी को बिल जमा कराता आ रहा है। इसलिए परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि विपक्षी द्वारा परिवादी को 150 युनिट औसत उपभोग मानकर विद्युत बिल भेजा जा रहा था जो परिवादी जमा कराता रहा परन्तु माह जून,2012 के विद्युत बिल में 73535/-रूपये राषि गलत जोडकर  भेजा गया जबकि विद्युत उपभोग 150 युनिट माना गया तथा इससे पूर्व की कोई राषि परिवादी में बकाया नहीं थी। उक्त विद्युत बिल प्राप्त होने पर परिवादी ने विपक्षी से सम्पर्क किया तो विपक्षी ने कहा कि गलती से उक्त राषि आपके बिल में दर्ज हो गई ठीक कर देंगे। बाद में जब परिवादी विपक्षी से मिला तो कहा कि उक्त बिल में        वी.सी.आर. की राषी जोड़ी गई है। आपको उक्त राषि जमा करवानी पडेगी अन्यथा परिवादी का घरेलु विद्युत कनेक्षन काट दिया जावेगा।  उक्त बिल की आड में विपक्षी परिवादी का कनेक्षन काटने पर आमादा हैं। 
      अन्त में विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर माह जून, 2012 के बिल में लगाई गई राषि 73535/-रूपये निरस्त किए जाने का निवेदन किया है। 
       विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के कनेक्षन की दिनांक 19.07.2011 को अधिषाषी अभियंता सतर्कता, झुंझुंनू द्वारा जांच की गई तो परिवादी द्वारा सर्विस लाईन के अतिरिक्त अन्य केबल निगम स्थापित एल.टी. लाईन से सीधे जोडकर चोरी से घरेलू एवं कृषि कार्य में विद्युत का 


उपभोग किया जाना पाया गया । मौके पर वी.सी.आर. संख्या 7182/38 दिनांक 19.07.2011 भरी गई। विद्युत चोरी राषि जमा करवाने हेतु परिवादी को नोटिस जारी किया गया, लेकिन परिवादी की ओर से राषि जमा नहीं करवाई गई। इसलिये विद्युत चोरी की राषि परिवादी के माह जून, 2012 के विद्युत बिल में जोडी गई है, जो सही है। 
         अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी द्वारा विद्युत चोरी करने पर वी.सी.आर के मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस मंच को नहीं होना कथन करते हुए परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
        उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
        परिवाद में विद्युत चोरी के आरोप से सम्बंधित विवाद प्रकट होता है। माननीय राष्ट्रीय आयोग ने 2014 (3) सीपीआर, 534 - निर्मला देवी बनाम पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड एवं अन्य के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा  U.P. POWER CORPORATION LIMITED  & ORS Vs. ANISH AHMAD –  (2013) 8 S.C.C.  491  में दिये गये आदेष का अवलम्बन लेते हुए यह अभिनिर्धारित किया है कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 126 एवं 135 से 140 तक सम्बन्धित प्रकरण जिला मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। उक्त न्यायिक विनिष्चयों की रोषनी में यह परिवाद विद्युत अधिनियम की उक्त धाराओं के अंतर्गत विद्युत चोरी से सम्बंधित होने के कारण इस मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। चूंकि यह परिवाद इस मंच के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।
      अतः परिवादी का परिवाद पत्र निरस्त किए जाने योग्य होने से खारिज किया जाता है ।
      आदेश आज दिनांक 22.05.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

 


       
    
    

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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