Rajasthan

Jhunjhunun

33/2014

ROHITASH - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

Mhendar Kumavat

26 Mar 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 33/2014
 
1. ROHITASH
Chau, Udayapurwati
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
Gudhagorji, Jhunjhunu
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


तारीख
हुक्म
                                             परिवाद संख्या  33/14
                               हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
 रोहिताष्व मूण्ड बनाम  सहायक अभियंता, अ.वि.वि.नि.लि.,गुढागोडजी तहसील उदयपुरवाटी
                    जिला झुंझुंनू(राज0)
                         नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
 
07.05.2015

                 
           परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री महेन्द्र कुमावत उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री राजेष खेदड़ उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के पिता के नाम सेे विपक्षी के यहां से घरेलु विधुत कनेक्षन ले रखा है, जिनकी मृत्यु हो चुकी है। जिसका खाता संख्या 2031-2305-0654 है। परिवादी द्वारा ही विपक्षी को बिलों का भुगतान किया जा रहा है। इसलिए परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी ने माह अक्टुबर, 2013 का बिल जमा नहीं करवाया, जिस पर विपक्षी द्वारा माह दिसम्बर,2013 के बिल में पिछले बिल की बकाया राषि 847/-रूपये दर्ज कर निगम राषि 9506/-रूपये विद्युत कर 408/-रूपये जोडकर कुल 11057/-रूपये का गलत बिल जारी कर दिया । उक्त विद्युत बिल प्राप्त होने पर परिवादी ने विपक्षी से सम्पर्क किया तथा विद्युत बिल संषोधित किए जाने का निवेदन किया लेकिन विपक्षी ने परिवादी के विद्युत बिल को दुरूस्त करने से इन्कार कर दिया तथा धमकी दी कि यदि विद्युत बिल की राषि जमा नहीं करवाई तो परिवादी का विद्युत कनेक्षन काट दिया जावेगा।
      अन्त में विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर माह दिसम्बर, 2013 के बिल में लगाई गई अवैधानिक निगम राषि 9506/-रूपये निरस्त कर संषोधित बिल जारी किए जाने का निवेदन किया है। 
       विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के कनेक्षन परिसर की विपक्षी द्वारा दिनांक 17.10.2013 को जांच की गई तो मौके पर मीटर के इनपुट टर्मिनल से सीधे तार लगाकर विद्युत चोरी की जा रही थी। मौके पर वी.सी.आर. संख्या 16964/8 दिनांक 17.10.2013 भरी गई। विभागीय नियमानुसार समझौता राषि 2000/-रूपये, सिविल लाइबिलीटी राषि 7914/-रूपये, कुल 9914/-रूपये जमा करवाने हेतु परिवादी को दिनांक    07.11.2013 को नोटिस जारी किया गया, लेकिन परिवादी द्वारा उक्त राषि जमा नहीं करवाई गई, इसलिये परिवादी के माह दिसम्बर, 2013 के विद्युत बिल में उक्त राषि जोडी गई है, जो सही है। प्रकरण विद्युत चोरी का पाया जाने से   वी.सी.आर भरी जाकर नोटिस जारी किया गया है ।
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी द्वारा विद्युत चोरी करने पर वी.सी.आर के मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस मंच को नहीं होना कथन करते हुए परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
        उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
        परिवाद में विद्युत चोरी के आरोप से सम्बंधित विवाद प्रकट होता है। माननीय राष्ट्रीय आयोग ने 2014 (3) सीपीआर, 534 - निर्मला देवी बनाम पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड एवं अन्य के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा  U.P. POWER CORPORATION  LIMITED & ORS Vs. ANISH AHMAD – (2013) 8 S.C.C. 491  में दिये गये आदेष का अवलम्बन लेते हुए यह अभिनिर्धारित किया है कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 126 एवं 135 से 140 तक सम्बन्धित प्रकरण जिला मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। उक्त न्यायिक विनिष्चयों की रोषनी में यह परिवाद विद्युत अधिनियम की उक्त धाराओं के अंतर्गत विद्युत चोरी से सम्बंधित होने के कारण इस मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। चूंकि यह परिवाद इस मंच के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।
      अतः परिवादी का परिवाद पत्र निरस्त किए जाने योग्य होने से खारिज किया जाता है ।
      आदेश आज दिनांक 07.05.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

 


       
    
    

 

 

 

 

 

 

 

 

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