Rajasthan

Jhunjhunun

CC/300/2014

Rajes Bagoriya - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

Rajes Bagoriya

22 Dec 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/300/2014
 
1. Rajes Bagoriya
Kisanpura, Khetdi, JHunjhunu
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


तारीख हुक्म
    
                      हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
     राजेष बागोरिया ब. अ.वि वि. नि. लि0 जरिये सहायक अभियंता (वितरण) अ.वि वि. नि. लि0 उप खण्ड खेतड़ी टाउन जिला झुंझुनू।                      परिवाद संख्या 300/14    
    नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
20.01.2015                   परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री राजेष बागोरिया उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री विद्याधर महला उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के पिता ने  अपने नाम से विपक्षी के यहां से घरेलू विधुत कनेक्षन ले रखा है जिसका खाता संख्या 2053-2416-0079 है। परिवादी के पिता की दिनांक 20.01.2010 को मृत्यु हो चुकी है तथा परिवादी ही उक्त विधुत कनेक्षन का समय समय पर विपक्षी को बिल जमा कराता आ रहा है, इसलिए परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी ने अपने ग्राम किषनपुरा में स्थापित उक्त विद्युत कनेक्षन का उपयोग उपभोग माह मार्च, 2012 तक किया तथा उसके बाद दिनांक        11.04.2012 को एक प्रार्थना पत्र मय शपथपत्र विपक्षी सहायक अभियंता को प्रेषित कर अपने पिता के नाम से जारी विद्युत कनेक्षन का स्थाई रूप से सम्बन्ध विच्छेद करने के लिये निवेदन किया। विपक्षी ने परिवादी के प्रार्थना पत्र के आधार पर कनिष्ठ अभियंता मेहाड़ा जाटूवास को आदेष दिया कि परिवादी के पिता रामकुमार के नाम से जारी विद्युत खाता संख्या 2053-2416-0079 तथा विद्युत मीटर नम्बर 171968 का स्थाई रूप से विद्युत सम्बन्ध विच्छेद कर दिया जावे। इस पर परिवादी के घर पर स्थापित विद्युत मीटर व सर्विस लाईन माह अप्रेल, 2012 में हटाकर विद्युत कनेक्षन पी.डी.सी. कर दिया गया। विपक्षी द्वारा परिवादी केा माह फरवरी, 2014 में एक विद्युत बिल 11,222/-रूपये का जारी किया गया जिसमें परिवादी का विद्युत कनेक्षन पी.डी.सी. नहीं दर्षाया तथा अपनी मनमर्जी से यूनिट उपभोग दिखाकर बिल जारी कर दिया गया। दिनांक 18.03.2014 को परिवादी सहायक अभियंता कार्यालय खेतडी में गया तो कहा विद्युत बिल माह फरवरी,2014 जमा करवाने के बाद ही आपका विद्युत कनेक्षन पी.डी.सी. किया जावेगा। दिनांक 20.03.2014 को परिवादी अधीक्षण अभियंता झुंझुनू के समक्ष उपस्थित हुआ परन्तु विपक्षी द्वारा परिवादी का कनेक्षन न तो रिकार्ड में पी.डी.सी. किया न ही परिवादी को जारी विद्युत बिल निरस्त किया।
       अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार 
फरमाया जाकर माह फरवरी, 2014 के विद्युत बिल में दिखाई गई कुल विद्युत खर्च राषि 11,222/-रूपये को निरस्त किये जाने व परिवादी के पिता के नाम से जारी विद्युत कनेक्षन को माह अप्रेल,2012 से ही रिकोर्ड में पी.डी.सी. किए जाने का निवेदन किया है।
      विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि प्रकरण की जांच कर अप्रेल,2012 तक के उपभोग की राषि जिसका विद्युत बिल जून,2012 में जारी किया गया है, के अतिरिक्त शेष राषि को निरस्त कर दिया गया है तथा परिवादी की तरफ निगम की 2463/रुपये राषि माह नवम्बर,2011 से अप्रेल,2012 तक की बकाया है। यदि परिवादी इस राषि को जमा करवा देता है उसके विद्युत बिल की शेष राषि निरस्त कर विद्युत बिल बंद कर दिया जावेगा। 
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
       उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
       प्रस्तुत प्रकरण मे बहस के दौरान आज दिनांक 20.01.2015 को परिवादी की ओर से एक प्रार्थना पत्र राजीनामा पेष कर निवेदन किया गया है कि विपक्षी द्वारा प्रस्तुत जवाब के अनुसार वह विद्युत खाता संख्या 2053-2416-0079 के संबंध में माह अप्रेल,2012 तक की बकाया राषि 2463/-रूपये अदा करने को तैयार है तथा इस पर विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी भी  सहमत हैं ।
         अतः उभयपक्ष की सहमति के आधार पर विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि परिवादी के माह फरवरी, 2014 के विवादित बिल की राषि 11,222/रुपये निरस्त की जाती है तथा परिवादी विद्युत खाता संख्या 2053-2416-0079 के संबंध में पक्षकारान द्वारा सहमति के आधार पर माह अप्रेल, 2012 तक की बकाया राषि 2463/-रूपये विपक्षी को अदा करे । उक्त राषि विपक्षी के कार्यालय में जमा होने के पश्चात् परिवादी के उक्त खाता को      पी.डी.सी. कर दिया जावे। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है। 
      पक्षकारान खर्चा मुकदमा अपना-अपना वहन करेगें।
      आदेश आज दिनांक 20.01.2015 को लिखाया जाकर मंच द्वारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफतर हो।

 

 

 

 

 

 

 

 


       
    
    

 

 

 

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