Rajasthan

Jhunjhunun

CC/357/2014

Rajendar Prashad - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

Pyarelal

11 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/357/2014
 
1. Rajendar Prashad
Jhunjhunu
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
Jhunjhunu
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

  परिवाद संख्या 357/14
तारीख
हुक्म
                                      
                      हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
       राजेन्द्र प्रसाद    बनाम    सहायक अभियंता अ.वि.वि.नि.लि., झुंझुंनू (राज.)
                         नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
 
09.04.2015

                 
           परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री प्यारेलाल उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री फूलचंद सैनी उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने विपक्षी के यहां से घरेलु विधुत कनेक्षन ले रखा है, जिसका खाता संख्या 2419-0262 है। इसलिए परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि राजनैतिक कारणों से विपक्षी विभाग के अधिकारी परिवादी से द्वेषता रखते हैं जिसके कारण दिनांक 27.05.2014 को विपक्षी विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियो ने साजषी रूप से एक फर्जी वीसीआर नम्बर 9924/38 तैयार की व उसमें मीटर बदलना बताया। विपक्षी द्वारा दिनांक 05.06.2014 को एक नोटिस भिजवाया जिसमें विद्युत उपभोग के अलावा 21904/-रूपये जमा करवाने का उल्लेख किया गया जो नोटिस वीसीआर के आधार पर दिया है।
      अन्त में विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर नोटिस क्रमांक 296 दिनांक 05.06.2014 निरस्त किए जाने का निवेदन किया है। 
        विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि दिनांक 27.05.2014 को परिवादी का विद्युत कनेक्षन मीटर नम्बर 022618 संदेहजनक लगने पर सतर्कता जांच दल द्वारा मीटर जब्त कर जांच प्रतिवेदन संख्या 9924/38 तैयार की गई । परिवादी का प्रकरण विद्युत चोरी का पाया जाने से वी.सी.आर भरी जाकर नोटिस जारी किया गया है, जो राषि परिवादी द्वारा जमा कराये जाने योग्य है।
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
       उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
        

     परिवाद में विद्युत चोरी के आरोप से सम्बंधित विवाद प्रकट होता है। माननीय राष्ट्रीय आयोग ने 2014 (3) सीपीआर, 534 - निर्मला देवी बनाम पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड एवं अन्य के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा न्ण्च्ण् च्व्ॅम्त् ब्व्त्च्व्त्।ज्प्व्छ स्प्डप्ज्म्क् - व्त्ै टेण् ।छप्ैभ् ।भ्ड।क् - ;2013द्ध 8 ैण्ब्ण्ब्ण् 491  में दिये गये आदेष का अवलम्बन लेते हुए यह अभिनिर्धारित किया है कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 126 एवं 135 से 140 तक सम्बन्धित प्रकरण जिला मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। उक्त न्यायिक विनिष्चयों की रोषनी में यह परिवाद विद्युत अधिनियम की उक्त धाराओं के अंतर्गत विद्युत चोरी से सम्बंधित होने के कारण इस मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। चूंकि यह परिवाद इस मंच के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।
      अतः परिवादी का परिवाद पत्र निरस्त किए जाने योग्य होने से खारिज किया जाता है ।
      आदेश आज दिनांक 09.04.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

 


       
    
     

 

 

 

 

 

 

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