Rajasthan

Ajmer

CC/255/2015

PUSHPA DEVI - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

ADV. RAJESH

20 Apr 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/255/2015
 
1. PUSHPA DEVI
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

श्रीमति पुष्पादेवी पत्नी स्व. श्री कन्हैया लाल, उम्र- 85 वर्ष, जाति- माली, निवासी- 302/36, लोहाखान, अजमेर । 

                                                -        प्रार्थीया

                            बनाम

1. अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, षास्त्रीनगर, अजमेर(राजस्थान)जरिए सहायक अभियंता । 
2. अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड,षास्त्रीनगर, अजमेर(राजस्थान)जरिए अधिषाषी  अभियंता । 
3. अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड,माकडवालीरोड,अजमेर(राजस्थान)जरिए चैयरमेन । 

                                                 -     अप्रार्थीगण

                 परिवाद संख्या 255/2015

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री राजेष गुलखण्डिया, अधिवक्ता, प्रार्थीया
                  2.श्री विभौर गौड,अधिवक्ता अप्रार्थीगण 

                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः-20.04.2016

1.    प्रार्थीया ( जो  इस परिवाद में आगे चलकर उपभोक्ता कहलाएगी) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम , 1986 की धारा 12 के अन्तर्गत अप्रार्थी संख्या 1 लगायत 3 (जो  इस परिवाद में आगे चलकर अप्रार्थी विद्युत निगम कहलाएगें)  के विरूद्व संक्षेप में इस आषय का पेष किया है कि उपभोक्ता  के पति स्व. श्री कन्हैयालाल ने अपने जीवनकाल में अपने  नाम से एक घरेलू विद्युत संबंध जरिए खाता संख्या 1754/0074 के अप्रार्थी विद्युत निगम से ले रखा था । जिसका वह उपयोग कर  रही है।  उसके  उपयोग उपभोग के बिल वह नियमित रूप से जमा कराती आ रही है ।  अप्रार्थी विद्युत निगम ने  जुलाई, 2015 का बिल प्रेषित करते हुए उसके काॅलम संख्या 20 में अन्य राषि रू. 1,64,975. 60 पै. जमा कराए जाने की मांग की । जबकि उपभोक्ता का औसत विद्युत उपभोग 352.25 यूनिट ही रहा है । इसके संबंध में उपभोक्ता ने परिवाद की चरण संख्या 3 में अपने द्वारा किए गए जनवरी, 2013 से जुलाई, 15 तक के विद्युत उपयोग उपभोग का विवरण दर्षाया है ।  जुलाई, 2015 के बिल में  उपरोक्तानुसार अंकित  राषि के संबंध में जानकारी करने पर अप्रार्थी विद्युत निगम द्वारा कोई माकूल जवाब नहीं दिया गया ।  विद्युत मीटर खराब होने के संबंध में भी अप्रार्थी विद्युत निगम ने उपभोक्ता को कभी सूचित नहीं किया ।
    उपभोक्ता का यह भी कथन है कि अप्रार्थी विद्युत निगम ने दबाव पैदा करने की नियत से उसका विद्युत कनेक्षन दिनांक 24.07.2015 को काट दिया।  जिसके कारण  उसके परिवार में पढने वाले छोटे बच्चों को काफी तकलीफ का सामना करना पड रहा है । उपभोक्ता ने  परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में उपभोक्ता ने  स्वयं का ष्षपथपत्र पेष किया है ।  
2.    परिवाद का जवाब प्रस्तुत करते हुए अप्रार्थी विद्युत निगम ने दर्षाया है कि  उपभोक्ता ने अपने पति की मृत्यु उपरान्त उनके द्वारा लिए गए विद्युत कनेक्षन को अपने नाम परिवर्तित करवाए जाने हेतु कोई  आवेदन नहीं किया और ना ही  अपने पति के निधन की सूचना अप्रार्थी विद्युत निगम को दी । ऐसी स्थिति में उपभोक्ता अप्रार्थी विद्युत निगम की उपभोक्ता नहीं है  और इन तथ्यांे  को छिपाते हुए उपभोक्ता ने यह परिवाद पेष किया है ।
    जवाब परिवाद  में यह भी कथन किया है कि उपभोक्ता का मीटर त्रुटिपूर्ण होने के कारण 02.01.2015 को बदल दिया गया  और वास्तविक रीडिंग की गणना हेतु एचएचटी यंत्र से मीटर की जांच की गई । जांच में लोड एरर आया, किन्तु वह परिमिसिबल लिमिट में था । इस प्रकार मीटर का अंकन सही पाया गया । किन्तु मीटर का डिस्पले बंद होने के कारण  वास्तविक उपयोग उपभोग 33650यूनिट  था ।  चूंकि उपभोक्ता को माह-जुलाई, 2014 में  5692 यूनिट तक का ही बिल जारी किया गया था , इसलिए सितम्बर, 2014, नवम्बर,2014 एवं जनवरी, 2015 के एवरेज यूनिट क्रमष 164, 129, 168 चार्ज की गई जो वास्तविक यूनिट नहीं थी  इस प्रकार उपभोक्ता से उक्त औसत रीडिंग के साथ  5692 यूनिट  जोडते हुए 33650 यूनिट में से  6153 यूनिट कम करते हुए षेष 27497  यूनिट की  कुल राषि रू. 1,64,975.60 पै. बिल माह-जुलाई, 2015  के जरिए मांग की गई।
        यह भी कथन किया है  कि  उपभोक्ता के यहां दिनंाक 02.01.205 को नया मीटर लगाया गया ।  इसके बाद जुलाई, 2015 तक कुल उपभोग 3718 यूनिट  का किया गया, जिसके अनुसार भी उपभोक्ता द्वारा 600 यूनिट प्रतिमाह का उपयोग किया जाना सिद्व है । उपभोक्ता ने माह- जुलाई,15 के बिल का व इसके बाद के बिलों का भुगतान नहीं किया, इसलिए उपभोक्ता का विद्युत संबंध विच्छेद किया गया । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नही ंरही । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है ।  जवाब परिवाद के समर्थन में श्री मुकुल कुलश्रेष्ठ, सहायक अभियंता(प0व0स0) का षपथपत्र पेष किया है । 
3.    उपभोक्ता  के विद्वान अधिवक्ता ने प्रमुख रूप से तर्क प्रस्तुत किया है कि जुलाई, 2015  का अप्रार्थी विद्युत निगम द्वारा  अचानक रू. 1,64,975.60 पै. का बिल   भेज दिया गया ।  जबकि  उसके द्वारा इतनी अधिक राषि व यूनिट का उपयोग व उपभोग नहीं किया गया, तथा अप्रार्थी विद्युत निगम द्वारा जारी बिलों का उसके द्वारा नियमित रूप से भुगतान भी किया जाता रहा है । उपभोक्ता नियमानुसार  ही उपभोग की गई विद्युत राषि के भुगतान हेतु दायित्वाधीन  है ।  प्रतिरक्षा का अधिकार सुरक्षित  रखते हुए यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि विधि के अनुसार आडिट के आक्षेप अनुसार  राषि वसूल नहीं की जा सकती । उसका दिनंाक 24.7.2015 को अवैध रूप से विद्युत कनेक्षन काटा गया है । उसकी उपस्थिति में नियमानुसार मीटर को नहीं बदला गया व मनमानी राषि वसूली हेतु बिल जारी कर दिया गया है । अतः मनमाने रूप से निर्धारित की गई राषि को निरस्त किया जाए व उसका विद्युत संबंध  पुनः स्थापित किया जाए । यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि नियमानुसार न तो  कोई नोटिस दिया गया और ना ही उसकी उपस्थिति में नियमानुसार प्रक्रिया अपनाते हुए विद्युत मीटर बदला गया  हैं।
4.      खण्डन में  विद्वान अधिवक्ता अप्रार्थी विद्युत निगम  की ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया है कि सर्वप्रथम उपभोक्ता  ’’ अधिनियम ’’ के अन्तर्गत उपभोक्ता की श्रेणी में  नहीं आती  है।  क्योंकि वास्तव में विद्युत संबंध कन्हैया लाल पुत्र श्री नौरत मल  के नाम से है व उसके द्वारा विद्युत संबंध परिवर्तन के संबंध में अप्रार्थी विद्युत निगम  को कोई लिखित सूचना नहीं दी गई ।  उसके द्वारा तथ्यों को छिपा कर परिवाद प्रस्तुत किया गया है । वास्तविक थिति यह है कि उपभोक्ता के  विद्युत मीटर  में वास्तविक रीडिंग का डिस्प्ले  त्रुटिपूर्ण  रहा है तथा बन्द हो चुका था । इन हालात में जनवरी, 2015 में मीटर बदला गया व वास्तविक रीडिंग की गणना  प्राप्त करने हेतु एचएचटी यन्त्र से  जांच करवाई गई । जिसकी रिपोर्ट  दिनांक 07.02.2015 के अनुसार  लोड एरर आया था, वह स्वीकृत लिमिट में था तथा मीटर का  अंकन सही पाया गया । लेकिन मीटर का डिस्प्ले  बन्द होने के कारण वास्तविक उपयोग उपभोग यूनिट 33650 पाया गया , और  पूर्व में विद्युत बिल माह- जूलाई, 2014यूनिट 5692 तक का ही  जारी किया गया था एवं सितम्बर, 2014 , नवम्बर, 2014 व जनवरी, 2015 में  एवरेज यूनिट क्रमषः  164, 129, 168 यूनिट की चार्जिग की गई थी, जो कि वास्तविक यूनिट नहीं था।  । इस प्रकार उपभोक्ता से  कुल यूनिट 5692 ़164 129़167 त्र6153 यूनिट की चार्जिंग की गई थी । अतः 33650 यूनिट  में से 6153 यूनिट की षेष 27497 यूनिट की चार्जिंग की जानी थी ।   जिसकी कुल राषि रू. 1,64,975.60 पै.  होती है । यही राषि उपभोक्ता से बिल माह- जुलाई, 2015 के जरिए भुगतान करने की डिमाण्ड की गई, जो समुचित मांग है व जिसे उपभोक्ता अदा करने हेतु दायित्वधीन है । यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि  दिनंाक 02.01.2015 को नया मीटर उपभोक्ता के प्रतिनिधि की उपस्थिति में उसके हस्ताक्षर करवा कर लगाया गया । कुल मिलाकर उनका यह  तर्क रहा है कि जो भी बकाया राषि की मांग की गई वह उपभोक्ता द्वारा विद्युत  उपभोग की राषि की  ही जायज मांग है तथा मीटर खराब नहीं था । अपितु डिस्प्ले नहीं  आने के कारण पूर्व विद्युत उपभोग की अन्तर राषि की मांग की गई है । 
5.    हमने परस्पर तर्क सुन लिए हंै एवं पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री का अवलोकन किया । 
6.    जहां तक उपभोक्ता  का वास्तविक ’’उपभोक्ता’’ नहीं होने का प्रष्न है, चूंकि उपभोक्ता अपने मृतक पति की विधवा के रूप में हिताधिकारी  होने के नाते पूर्व में वैध रूप से  प्राप्त विद्युत कनेक्षन के अन्तर्गत उपभोग की गई राषि का समय समय पर नियमित रूप से भुगतान करती चली आ  रही है तथा जिसे अप्रार्थी विद्युत निगम द्वारा प्राप्त भी किया जाता रहा है । अतः खण्डन में सद्भाविक  रूप से उपभोक्ता बाबत् तर्क स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है व संषोधित विधिक प्रावधानों के प्रकाष में वह ’’उपभोक्ता’’ की परिभाषा  के अन्तर्गत आती है । फलतः  इस बाबत अप्रार्थी विद्युत  निगम द्वारा उठाया गया तर्क  सारहीन होने के कारण निरस्त किया जाता है । 
7.          अब हमारे समक्ष उभय पक्ष के मध्य प्रमुख रूप से विवाद वसूली व इसकी परिसीमा से संबंधित रह जाता  है ।  उपभोक्ता के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि  उसकी गैर मौजूदगी में मीटर बदला गया है  और जो प्राप्ति हस्ताक्षर अप्रार्थी द्वारा उपभोक्ता अथवा उसके प्रतिनिधि द्वारा किया जाना अभिकथित है, वे उपभोक्ता के नहीं है । 6 माह से अधिक की वसूली नियमानुसार नहीं की जा सकती जबकि अप्रार्थी विद्युत निगम की ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया है कि समयावधि की सीमा 2 वर्ष तक की है एवं मामला बकाया वसूली का न होकर मीटर में डिस्प्ले की खराबी से संबंधित  वास्तविक विद्युत उपभोग की राषि का है ।  
8.           पत्रावली  पर उपलब्ध जनवरी, 13 के बिल में हालांकि  वर्तमान पठन ’’ जीरो’’ दर्षाया गया है किन्तु  गत पठन 4336 अंकित करते हुए उपभोग 167 यूनिट दर्षाया गया है । मई, 13 में भी उपभोग 333 यूनिट, जुलाई, 13  में 156 यूनिट, सितम्बर, 13 में 164 यूनिट, नवम्बर, 13 में  156 यूनिट, सितम्बर, 13 में 164 यूनिट, नवम्बर, 13 में  161 यूनिट, जनवरी, 14 में 170 यूनिट, मार्च, 14 में 168 यूनिट, मई, 14 में 25 यूनिट , जुलाई, 14 में 178 यूनिट के  बिल उपभोक्ता को दिए गए हैं । इन सभी बिलों में मीटर में किसी प्रकार की कोई खराबी रही हो, ऐसा बिलों को देखने से प्रकट नहीं होता है । सर्वप्रथम  सितम्बर, 2014 के बिल में मीटर की स्थिति  के आगे ’’ क् ’’ षब्द अंकित होकर बिलिंग की स्थिति ’’एवरेज ’’ दर्षाते हुए 164 यूनिट के उपभोग का अंकन है । इसी प्रकार नवम्बर, 14 के बिल में मीटर की स्थिति  के काॅलम में ’’ क् ’’  दर्षाते हुए बिलिंग की स्थिति एवरेज बताते हुए 129 यूनिट  का बिल दिया गया है ।  अगले बिल जनवरी, 2015 में भी मीटर की स्थिति ’’ क् ’’ दर्षाते हुए 167 यूनिट का दिया गया है । माह- मार्च, 2015 में सर्वप्रथम  932 यूनिट का उपभोग बताते हुए 33639 यूनिट का पिछला बकाया दर्षाते हुए इस स्थिति के बावजूद 955 यूनिट का बिल दिया गया है।  इसी प्रकार मई, 2015 के बिल में 574  यूनिट बिलिंग की स्थिति प्रोविजनल दर्षाते हुए बिल दिया गया  व जुलाई, 15 के बिल में 1954 यूनिट का उपभोग दर्षाते हुए अन्य चार्जेज में रू. 1,64,975.60 पै. की राषि दर्षाई गई है । 
9.    यहां यह स्पष्ट है कि  उपभोक्ता के जनवरी, 13 से लेकर जुलाई, 14 तक मीटर में किसी भी प्रकार की कोई खराबी नहीं दर्षाई गई है । अतः  कहा जा सकता है कि इस अवधि तक उपभोक्ता के मीटर में किसी प्रकार की  अंतिम बिल  दिए जाने तक  कोई खराबी नहीं थी । सितम्बर, 14 के बिल में मीटर की स्थिति ’’ क् ’’ दर्षाई गई हैं । यदि माह- सितम्बर, 2014 में उपभोक्ता का मीटर त्रुटिपूर्ण अथवा डिस्प्ले  बन्द होने के कारण सुचारू रूप से नहीं चल रहा था, तो अप्रार्थी विद्युत निगम के लिए यह अपेक्षित था कि वह अगला बिल जारी  करने से पूर्व  ही उपभोक्ता के उक्त मीटर को बदल देता या बदलने की कार्यवाही करता । स्वयं अप्रार्थी विद्युत निगम ने यह स्वीकार  किया है कि  माह- जनवरी, 2015 में उपभोक्ता का मीटर बदला गया है । हालांकि इनकी ओर से यह बताया गया है कि तत्समय  उपभोक्ता की मौजूदगी में मीटर बदलते समय उसके प्रतिनिधि के हस्ताक्षर  लिए गए थे । किन्तु तथाकथित तत्समय  तैयार किए गए मीटर परिवर्तन आदेष को देखने  से प्रकट होता है कि इसकी पुष्त पर  उपभोक्ता के हस्ताक्षर अवष्य अंकित हो रहे हंै किन्तु  हस्ताक्षर के उपर के सारे काॅलम खाली हंै, जिनमें मीटर की स्थिति, तिथी, समय, कारण इत्यादि टंकित हंै । नियमानुसार यदि उक्त मीटर बदला गया था तो  इन सभी कालम्स की पूर्ति की जाकर  उभय पक्षकारान के हस्ताक्षर करवाए जाने चाहिए थे ।  स्पष्ट है कि  इस स्थिति के अभाव में  इस मीटर को बदलने के प्रतिवेदन की विष्वसनीयता सन्देह के घेरे में है । इसी के संदर्भ में ज्मतउे - ब्वदकपजपवद वित ेनचचसल वित म्समबजतपबपजलए 2004  के नियम में त्रुटिपूर्ण मीटर के संबंध में दिषा निर्देष है । इसके अनुसार यदि उपभोक्ता या निगम यह पाता है कि मीटर सही प्रकार से काम नहीं कर रहा है, तो इस बाबत् अप्रार्थी  विद्युत निगम पक्षकार को नोटिस दे कर  संबंधित मीटर की एक्यूरेसी  की जांच करवाई जावेगी । यदि मीटर परीक्षण के लिए हटाया जाता है तो  संयुक्त जांच रिपोर्ट  मौके पर तैयार की जाकर दोनों पक्षकारों के  हस्ताक्षर  करवाए जाकर  मीटर को कपडे में लपेटा जाकर  प्रौपर तरीके से उपभोक्ता की उपस्थिति में सील किया जाएगा ।  इन विधिक प्रावधानों की भी लापरवाही रूप से  अनदेखी की गई है ।  क्योंकि न तो  उपभोक्ता को कोई नोटिस दिया गया है और ना ही मीटर को सील  करते समय   उक्त प्रक्रिया  का पालन किया गया है । अतः मीटर को बदलने की प्रक्रिया भी  उचित नहीं कही जा सकती  है । उपभोक्ता द्वारा जनवरी, 13 से मई, 15 तक अप्रार्थी  विद्युत मण्डल द्वारा दिए गए बिलों को जमा कराया गया है ।  इस प्रकार सर्वप्रथम बिल, 2015 में जो राषि रू. 1,64,975. 60 पै.  अन्य मद में दर्षाए गए है, वह उपभोक्ता द्वारा पूर्व में जमा कराए गए बिलों व उपरोक्त विवेचन के प्रकाष में वसूल किए जाने योग्य नही ंहै । इसके अलावा यदि अप्रार्थी विद्युत निगम  द्वारा जनवरी, 15  में मीटर बदल दिया गया था  व मीटर जांच रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी थी तो  आगे के दो माह  के लिए मार्च, 15 में दिए जाने वाले बिल में समस्त राषि जोडते हुए उपभोक्ता को बिल दिया जाना चाहिए था । जो भी नहीं दिया गया है,जैसा कि मार्च, 15  के बिल से  स्पष्ट  है । हालांकि इस बिल में 33639 यूनिट के उपभोग में उल्लेख है । इसी के क्रम में मई, 15 के बिल में मीटर की स्थिति संदेहजनक  बताते हुए इस बिल में भी गत मार्च, 15 के पूर्व के बकाया उपभोग 33639 यूनिट का कोई उल्लेख नहीं है । अपितु इस बिल  में भी प्रोविजनल की स्थिति दर्षाते हुए  574 यूनिट  उपभोग की बताई गई है । यह यूनिट  अप्रार्थी विद्युत निगम ने किस आधार  पर  बिल में अंकित की है, इसका भी कोई खुलासा  नहीं किया  है । फलस्वरूप जुलाई, 2015 में जो 1954 वास्तविक उपभोग अर्थात जो राषि रू. 1,64,975.39 पै. दर्षाई गई है, की वसूली का कोई न्यायोचित आधार नहीं है । 
10.    उपरोक्त विवेचन को ध्यान में रखते हुए  उपभोक्ता का यह परिवाद एतद् द्वारा स्वीकार किए जाने योग्य है । अतः आदेष है कि 
                        :ः- आदेष:ः-
11.        (1)    अप्रार्थी विद्युत निगम द्वारा जारी माह-मार्च, 2015 के बिल में  अन्य मद में  अंकित राषि रू. 1,64,975.60 पै.  की वसूली निरस्त की जाती है ।  उपभोक्ता इस राषि के अलावा बिल में दर्षाई गई समस्त राषि इस आदेष से 15 दिवस के अन्दर अन्दर  अप्रार्थी  विद्युत निगम के यहां जमा कराएगी और  अप्रार्थी विद्युत निगम उपभोक्ता  द्वारा राषि जमा कराए  जाने की तिथि से एक सप्ताह के अन्दर उसका विद्युत कनेक्षन  निषुल्क पुनःस्थापित करेगा । 
         (2)  उपभोक्ता अप्रार्थी से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू.2500 /- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 2500/- भी प्राप्त करने की  भी अधिकारिणी होगी । 
         (3)    क्रम संख्या  2 में वर्णित राषि अप्रार्थी विद्युत निगम  उपभोक्ता को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से उपभोक्ता के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।  
          आदेष दिनांक 20.04.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
        
       
 
 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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