Rajasthan

Jhunjhunun

198/2013

Prabhakar Kulhari - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

Ramnivash Sheni

27 Oct 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 198/2013
 
1. Prabhakar Kulhari
Chudi Ajitagadh, Jhunjhunu
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
Mukungadh, Jhunjhunu
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel PRESIDENT
 HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui MEMBER
 HON'BLE MR. Mr. Ajay Kumar Mishra MEMBER
 
For the Complainant:Ramnivash Sheni, Advocate
For the Opp. Party: Vidhadhr Mahala, Advocate
ORDER

परिवाद 1 सख्ं या 198/13
तारीख
हुक्म
हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
प्रभाकर कुलहरि बनाम सहायक अभियंता, अ.वि.वि.नि.लि. मुकुन्दगढ जिला
झुंझुनू (राज0)
नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
27.10.2015
अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री रामनिवास सैनी उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री विद्याधर महला उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने घरेलू विधुत कनेक्षन लेने हेतु पत्रावली विपक्षी के कार्यालय में नियमानुसार जमा कराने के पश्चात विपक्षी द्वारा परिवादी को डिमाण्ड नोटिस जारी किया गया है। जिसकी राषि 1600/रुपये, जरिये रसीद संख्या 11947/31 दिनांक 14.03.2011 को परिवादी द्वारा विपक्षी के कार्यालय में जमा करवादी गई है। परिवादी के बाद वाले उपभोक्ताओं को विपक्षी द्वारा विद्युत कनेक्षन जारी कर दिये गये हैं जबकि परिवादी को विपक्षी द्वारा आज तक विधुत कनेक्षन नही दिया गया है। विपक्षी का उक्त कृत्य सेवा दोष की श्रेणी में आता है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करते हुए परिवादी को घरेलू विधुत कनेक्षन शीघ्र स्थापित किये जाने का निवेदन किया।
विद्वान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया कि परिवादी के विरूद्ध न्यायालय सिविल न्यायाधीष (क.ख.), झुंझुनू के समक्ष वाद संख्या 35/10 एवं स्थगन प्रार्थना पत्र संख्या 27/10 उनवानी हरिराम बनाम प्रभाकर आदि दायर है तथा प्रकरण में स्थगन आदेष पारित है, जिसके चलते परिवादी का घरेलु विद्युत सम्बन्ध लम्बित है। परिवादी को निगम द्वारा जरिये रजिस्टर्ड पत्र दिनांकित 25.03.2011 से वस्तु स्थिति से अवगत करवाने के उपरांत भी विपक्षी निगम के विरूद्ध यह परिवाद दायर किया गया है। इस प्रकार परिवादी ने वास्तविक तथ्यों को छिपाते हुये निराधार व बेबुनियाद तथ्यों के आधार पर इस मंच को गुमराह कर अनावष्यक कार्यवाही कर निगम को आर्थिक व समय की क्षति कारित की है। विपक्षी की सेवा में कोई कमी नहीं है।
परिवाद 2 सख्ं या 198/13
अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
प्रस्तुत प्रकरण में विपक्षी द्वारा परिवादी को जरिये रजिस्टर्ड पत्र क्रमांक 4883 दिनांकित 25.03.2011 के द्वारा सूचित किया गया कि परिवादी घरेलु कनेक्षन लेना चाहता है जिसके संबंध में सिविल न्यायाधीष (क0खण्ड), झुंझुनू द्वारा दिनांक 25.05.2010 को स्थगन आदेष जारी किया हुआ है। न्यायालय के आदेषानुसार परिवादी को घरेलु कनेक्षन दिया जाना संभव नहीं है। विपक्षी की ओर से उक्त न्यायालय द्वारा अस्थाई निषेधाज्ञा के प्रार्थना पत्र संख्या 27/2010 में जारी किये गये स्थगन आदेष की आदेषिका की फोटो प्रति पत्रावली में पेष की गई है। जिससे स्पष्ट है कि विवादित घरेलु कनेक्षन के सम्बन्ध में सिविल न्यायालय में मामला विचाराधीन है जिसमें यथा स्थिति का आदेष दिनांक 25.05.2010 को पारित किया हुआ है। ऐसी स्थिति में विवादित घरेलु कनेक्षन के सम्बंध में किसी प्रकार का आदेष दिया जाना मुनासिब नहीं है। जब सिविल न्यायालय में कार्यवाही चल रही है तो यह समानान्तर परिवाद इस मंच में चलने का कोई आधार नहीं है।
अतः परिवाद की समानान्तर कार्यवाही चलने योग्य नहीं होने से यह परिवाद पत्र खारिज किया जाता है।
आदेश आज दिनांक 27.10.2015 को लिखाया जाकर मंच द्वारा सुनाया गया।
पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो ।

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mr. Ajay Kumar Mishra]
MEMBER

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