जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
श्रीमति नारायणी देवी पत्नी श्री जगदीष प्रसाद, उम्र-62 वर्ष, निवासी-ग्राम मालीपुरा, काबरा-ब्यावर, जिला-अजमेर ।
प्रार्थीया
बनाम
1. सहायक अभियंता(ष.उ.ख’2) अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, ब्यावर, जिला-अजमेर ।
2. अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड जरिए इसके प्रबन्ध निदेषक, अविविनिललि., अजमेर ।
अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 286/2013
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. विजेन्द्र कुमार मेहता सदस्य
3. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री जवाहर लाल षर्मा, अधिवक्ता, प्रार्थीया
2.श्री विभौर गौड, अधिवक्ता अप्रार्थी निगम
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 19.02.2015
1ण् प्रार्थीया द्वारा एक घरेलू विद्युत कनेक्षन अप्रार्थी अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड(जो इस निर्णय में आगे मात्र निगम ही कहलाएगा )से लिया हुआ होने का तथ्य स्वीकृतषुदा है । परिवाद में प्रार्थीया का कथन रहा है कि इस विद्युत कनेक्षन के जो भी विद्युत बिल प्रार्थीया को प्राप्त हुए उसके द्वारा नियमित रूप से जमा करवाए जाते रहे है । इसके उपरान्त भी अप्रार्थी निगम द्वारा प्रार्थीया से जरिए क्रमांक 693 दिनांक 7.5.2013 से राषि रू. 57,167/- की मांग की गई जिसके संबंध में अप्रार्थी निगम द्वारा प्रार्थीया ने इस घरेलू विद्युत कनेक्षन का उपयोग कृषि हेतु अर्थात प्रार्थीया के वहां जो बोरिंग था उससे पानी निकालने हेतु लिया जा रहा था, को आधार बतलाया है । इस संबंध में प्रार्थीया द्वारा जानकारी ली गई तो प्रार्थीया को बतलाया गया कि प्रार्थीया के इस कनेक्षन के संबंध में सतर्कता जांच दल द्वारा दिनांक 15.2.2013 को जांच की गई एवं जांच से पाया कि प्रार्थीया द्वारा इस विद्युत कनेक्षन से कृषि सिंचाई हेतु बोरिंग में लगी मोटर को चलाने हेतु किया जा रहा था । प्रार्थीया का कथन रहा है कि अप्रार्थी निगम का यह कथन गलत है कि प्रार्थीया ने अपने बोरिंग को इस विद्युत कनेक्षन से नहीं चलाया था एव ंना ही अप्रार्थी निगम के किसी सतकर्ता दल द्वारा जांच की गई । प्रार्थीया ने इस राषि को गलत होना व अपास्त होने योग्य बतलाते हुए यह परिवाद पेष किया है ।
2. अप्रार्थी निगम की ओर से जवाब प्रस्तुत हुआ एवं प्रारम्भिक आपत्तियों में दर्षाया कि प्रार्थीया के इस विद्युत कनेक्षन की जांच दिनांक 15.2.2013 को सतर्कता दल द्वारा की गई एवं उक्त जांच के दौरान पाया गया कि प्रार्थीया इस घरेलु कनेक्षन का उपयोग बोरिंग की मोटर चलाने हेतु कर रही थी । । जांच से यह भी पाता चला कि प्रार्थीया द्वारा उपभोग विद्युत भार 4.64 किलोवाट अंकित किया गया । प्रार्थीया का परिसर लाॅक होने से मोटर व स्टार्टर जब्त नहीं किए जा सके । दिनांक 22.6.2013 को मीटर रीडर रीडिग लेनेे गया तब भी प्रार्थीया इस कनेक्षन का उपयोग कृषि कार्य में कर रही थी जिसका अंकन मीटर रीडर ने रीडिंग पुस्तिका में भी किया है । परिवाद के चरणवार जवाब में दर्षाया है कि प्रार्थीया का यह कनेक्षन घरेलु उपयोग हेतु ही था लेकिन सतर्कता जांच के वक्त प्रार्थीया द्वारा इस कनेक्षन का उयोग कृषि प्रयोजन हेतु करना पाया गया । इस संबंध में सतर्कता जांच रिर्पोट भी तैयार की गई तथा घरेलु कनेक्षन से कृषि कार्य हेतु विद्युत का जो उपयोग किया गया उसकी अन्तर राषि निकालते हुए प्रार्थीया से प्रष्नगत राषि की मांग की गई । जवाब में यह भी दर्षाया गया कि प्रार्थीया का यह कृत्य विद्युत चोरी की परिभाषा में आ रहा था लेकिन प्रार्थीया ने मामला कम्पाउण्ड करना चाहा अतः कम्पाउण्ड राषि जोडते हुए इस राषि की मांग की गई है । प्रार्थीया का कथन कि गलत रूप से राषि की मांग की गई है, मानने योग्य नहीं है । परिवाद खारिज होने योग्य बतलाया ।
3. पक्षकारान ने अपने कथनों के समर्थन में स्वयं के ष्षपथपत्र व दस्तावेजात पेष किए ।
4. जहां तक प्रार्थीया अप्रार्थी निगम की उपभोक्ता है इस संबंध में कोई विवाद नहीं है । हमारे समक्ष निर्णय हेतु यहीं प्रष्न है कि क्या प्रार्थीया के इस विद्युत कनेक्षन के संबंध में अप्रार्थी निगम के सतर्कता जांच दल द्वारा दिनांक 15.2.2013 को कोई चैकिंग की गई थी ? एवं चैकिंग के वक्त प्रार्थीया अपने इस घरेलु कनेक्षन से कृषि प्रयोजन हेतु विद्युत का उपभोग कर रही थी ?
5. उपरोक्त कायम किए गए निर्णय बिन्दु के संबंध में पक्षकारान की बहस सुनी एवं पत्रावली का अनुषीलन किया ।
6. अधिवक्ता प्रार्थीया की बहस है कि प्रार्थीया के इस कनेक्षन के संबंध में कोई सतर्कता जांच नहीं की गई बल्कि जांच प्रतिवेदन जो पत्रावली पर है वह कार्यालय में बैठकर व गलत रूप से तैयार की गई है । इस जांच प्रतिवेदन में प्रार्थीया के कोई हस्ताक्षर नहीं है और ना ही प्रार्थीया की मौजुदगी के संबंध में कोई वर्णन है । जांच किस अधिकारी ने की, उसका नाम आदि भी नहीं है एव यह जांच किन मौतबीरान की मौजुदगी में की गई , ऐसा भी उल्लेख नहीं है । अधिवक्ता की बहस है कि जांचकर्ता अधिकारी एवं मौतबीरान के षपथपत्र भी पेष नहीं है । अतः यह जांच सिद्व नहीं है । ऐसे जांच प्रतिवेदन के आधार पर राषि का जो निर्धारण किया है वह अवैध व गलत है । उनकी यह भी बहस है कि स्वयं अप्रार्थी निगम मान रहा है कि वक्त जांच प्रार्थीया के घर के ताला लगा हुआ था । अतः मोटर व स्र्टाटर जब्त नहीं किए जा सके । प्रार्थीया अधिवक्ता ने अपने कथनों के समर्थन में इस मंच के निर्णय परिवाद संख्या 352/11 की प्रति पेष की है ।
7. अधिवक्ता अप्रार्थी निगम की बहस है कि अप्रार्थी निगम की प्रार्थीया से कोई अनबन आदि नहीं थी । अतः गलत जांच रिर्पोट तैयार करने का कोई कारण नहीं है जांच जिस अधिकारी ने की उसके जांच प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर है तथा दो मौतबीरान के हस्ताक्षर भी है । अतः जांच प्रतिवेदन दिनांक दिनांक 15.2.2013 सिद्व है । इसी जांच प्रतिवेदन के आधार पर प्रार्थीया को जो कनेक्षन घरेलु श्रेणी का था एवं प्रार्थीया द्वारा इस कनेक्षन का उपयोग उपभोग कृषि कार्य हेतु करना पाया गया एवं प्रार्थीया के मामले में विद्युत चोरी के संबंध में प्रथम सूचना रिर्पोट दर्ज नहीं करवा कर मामले को कम्पाउण्ड किया गया एवं कम्पाउण्ड राषि जोडते हुए राषि की मांग की गई जो सही रूप् से की गई है ।
8. हमने बहस पर गौर किया । अप्रार्थी निगम द्वारा प्रार्थीया से प्रष्नगत राषि की मांग उसके द्वारा घरेलु कनेक्षन का उपयोग उपभोग कृषि प्रयोजन हेतु किए जाने के आधार पर की गई तथा मांग का मुख्य आधार अप्रार्थी निगम के सतर्कता जांच दल द्वारा की गई सतर्कता जांच दिनांक 15.2.2012 है । इस जांच व जांच प्रतिवेदन के संबंध में प्रार्थीया की ओर से जो बहस की गई उस पर गौर किया गया । जांच प्रतिवेदन में प्रार्थीया मौके पर उपस्थित थी या नहीं एवं प्रार्थीया को जांच के बाबत् सूचित किया अथवा नहीं, के संबंध में कोई उल्लेख नहीं है बल्कि उस वक्त प्रार्थीया के परिसर के ताला लगा होने का उल्लेख किया गया है । जांच प्रतिवेदन पर प्रार्थीया के कोई हस्ताक्षर नहीं है । जांचकर्ता के संबंध में कनिष्ठ अभियंता का जो पदनाम छपा हुआ है उस पर हस्ताक्षर है । इस तरह से जांच प्रतिवेदन के बाएं हाषिएं पर दो व्यक्तियों के हस्ताक्षर है उनके नाम क्या थे, लिखे हुए नहीं है और ना ही कनिष्ठ अभियंता का क्या नाम था, का भी उल्लेख है । अप्रार्थी की ओर से सहायक अभियंता श्री केवल चन्द मीणा का षपथपत्र पेष हुआ है । पत्रावली पर जांचकर्ता कनिष्ठ अभियंता अथवा जांच में उल्लेखित दो व्यक्तियों में से किसी के भी षपथपत्र पेष नही ंहुए है । माननीय राष्ट्रीय आयोग के निर्णय 2012द्धब्च्त् 93 ;छब्द्ध ळण् ड - ब्ीपम ि म्दहपदममत टे ैदजण् ज्ञवनेीसलं ैीमदीं एवं राजस्थान राज्य आयोग के निर्णय प्;2006द्ध ब्च्श्र 246 त्ंउ ब्ींदकतं डवतम टे त्ैम्ठ में प्रतिपादन अनुसार ऐसी जांच जो उपभोक्ता की गैर मौजुदगी में की गई हो तो उस जांच व जांच प्रतिवेदन को सिद्व नहीं माना जा सकता एवं ऐसी जांच के आधार पर निर्धारित की गई राषि को वसूली योग्य नहींे माना ।
9. उपरोक्त विवेचन से हमारा निष्कर्ष है कि अप्रार्थी निगम द्वारा जांच व जांच प्रतिवेदन दिनांक 15.12.2013 को सिद्व नहीं किया गया है इसके अभाव में अप्रार्थी निगम द्वारा प्रार्थीया से की जा रही वसूली संबंधी जारी नोटिस क्रमांक 693 दिनांक 7.5.2013 से मांग की जा रही है, अपास्त होने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः-आदेष:ः-
10. (1) अप्रार्थी निगम द्वारा जारी नोटिस क्रमांक 693 दिनांक 7.5.2013 की वर्णित राषि रू. 57167/- को अपास्त किया जाता है एवं यह राषि अप्रार्थी निगम प्रार्थीया से किसी भी तरह से वसूल नहीं कर सकेगा । यदि इस नोटिस की राषि पैटे प्रार्थीया ने कोई राषि जमा कराई तो जमा कराई गई राषि प्रार्थीया के भविष्य के बिलो में समायोजित किए जाने योग्य होगी ।
(2) प्रार्थीया अप्रार्थी निगम से मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में रू. 2000/- प्राप्त करने की अधिकारणी होगी ।
(3) क्र. सं. 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी निगम प्रार्थीया को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थीया के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें । विकल्प में इस राषि को अप्रार्थी निगम प्रार्थीया के भविष्य के बिलो में समायोजित करने के लिए स्वतन्त्र है ।
(विजेन्द्र कुमार मेहता) (श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
11. आदेष दिनांक 19.02.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
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