Rajasthan

Jhunjhunun

271/2013

NANAD RAM - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

RAM SINGH

26 Mar 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 271/2013
 
1. NANAD RAM
JHUNJHUNU
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
JHUNJHUNU
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


तारीख
हुक्म
                                              परिवाद संख्या 271/13
                               हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
        नानड़राम  बनाम  अ.वि.वि.नि.लि., जरिये सहायक अभियंता (वितरण) बगड वगैरह
                         नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
 
21.05.2015

                 
           परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री रामसिंह काला उपस्थित। विपक्षीगण की ओर से वकील श्री विद्याधर महला उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के नाम सेे विपक्षीगण के यहां से कृषि विधुत कनेक्षन ले रखा है, जिसका खाता संख्या 2041-2209-0167 है। परिवादी विद्युत कनेक्षन का विपक्षीगण को बिलों का भुगतान करता आ रहा है। । इसलिए परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी को माह अप्रेल,2013 के विद्युत बिल में  26272/-रूपये राषि गलत जोडकर  भेजा गया । परिवादी का स्वीकृत भार 10 एच.पी. है तथा फ्लेट रेट में 1866/-रूपये का बिल आता है। उक्त विद्युत बिल प्राप्त होने पर परिवादी ने विपक्षीगण से सम्पर्क किया तो विपक्षीगण ने कहा कि उक्त बिल में वी.सी.आर. की राषी जोड़ी गई है।  उक्त बिल की आड में विपक्षीगण परिवादी का कनेक्षन काटने पर आमादा हैं। 
      अन्त में विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर माह अप्रेल,2013 के बिल में लगाई गई राषि 26272/-रूपये  निरस्त किए जाने का निवेदन किया है। 
       विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के कनेक्षन की दिनांक 29.01.2013 को कनिष्ठ अभियंता (वि) लालपुर द्वारा मय सतर्कता जांच दल के जांच की गई तो मौके पर परिवादी अपने कृषि विद्युत कनेक्षन की गूमटी से सीधी अवैध सर्विस लाईन डालकर घरेलु उपभोग हेतु 3 किलोवाट भार की विद्युत चोरी करते पाया गया, जिसकी मौके पर वी.सी.आर. संख्या 17507/17 दिनांक 29.01.2013 भरी गई। विद्युत चोरी राषि जमा करवाने हेतु परिवादी को नोटिस जारी किया गया, लेकिन परिवादी की ओर से राषि जमा नहीं करवाई गई। इसलिये विद्युत चोरी की राषि परिवादी के माह अप्रेल,2013 के विद्युत बिल में जोडी गई है, जो सही है। परिवादी के विरूद्ध संबंधित थाना में एफ0आई0आर0 संख्या 264/13 दर्ज करवाई गई है, जिसकी प्रति संलग्न है।
      
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने परिवादी द्वारा विद्युत चोरी करने पर वी.सी.आर के मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस मंच को नहीं होना कथन करते हुए परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
        उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
        परिवाद में विद्युत चोरी के आरोप से सम्बंधित विवाद प्रकट होता है। माननीय राष्ट्रीय आयोग ने 2014 (3) सीपीआर, 534 - निर्मला देवी बनाम पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड एवं अन्य के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा  U.P. POWER CORPORATION LIMITED & ORS Vs. ANISH AHMAD –   (2013) 8 S.C.C.  491  में दिये गये आदेष का अवलम्बन लेते हुए यह अभिनिर्धारित किया है कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 126 एवं 135 से 140 तक सम्बन्धित प्रकरण जिला मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। उक्त न्यायिक विनिष्चयों की रोषनी में यह परिवाद विद्युत अधिनियम की उक्त धाराओं के अंतर्गत विद्युत चोरी से सम्बंधित होने के कारण इस मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। चूंकि यह परिवाद इस मंच के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।
      अतः परिवादी का परिवाद पत्र निरस्त किए जाने योग्य होने से खारिज किया जाता है ।
      आदेश आज दिनांक 21.05.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

 


       
    
    

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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