Rajasthan

Jhunjhunun

79/2014

MUNASI KHAN - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

DWARKA PRASAD VERMA

16 Apr 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 79/2014
 
1. MUNASI KHAN
JHUNJHUNU
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
JHUNJHUNU
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

  परिवाद संख्या 79/14
तारीख हुक्म
                                       
                                     हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
  मुन्षी खान    बनाम     अ.वि वि. नि. लि0 जरिये सहायक अभियंता, चनाना तहसील
                        चिड़ावा जिला झुंझुनू
                          नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
  
23.04.2015             
      परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री द्वारका प्रसाद वर्मा उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री सुरेन्द्र भाम्बू उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने अपने   नाम से विपक्षी के यहां से घरेलू विधुत कनेक्षन ले रखा है जिसका खाता संख्या 2011-1822-0217 है। परिवादी उक्त विधुत कनेक्षन का समय-समय पर विपक्षी को बिल जमा कराता आ रहा है, इसलिए परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि विपक्षी द्वारा परिवादी को माह मई, 2013 में जमा होने वाला बिल भेजा जो बिना मीटर रीडिंग लिए ही 863 युनिट का उपभोग मानकर 4177/- रूपये का भेज दिया। परिवादी ने इस संबंध में विपक्षी के यहां दिनांक 29.05.2013 को प्रार्थना पत्र पेष किया जिस पर विपक्षी द्वारा मीटर की जांच कर वास्तविक मीटर रीडिंग का आदेष दिया जाकर विपक्षी द्वारा परिवादी के मीटर की जांच कराई गई तथा मीटर में रीडिंग 63 युनिट का उपभोग पाया गया । जांच रिपोर्ट प्राप्त होने पर विपक्षी ने माह मई, 2013 के विद्युत बिल पर लिखा कि कनिष्ठ अभियंता की रिपोर्ट के आधार पर व रीडिंग 83 गत पठन 20 अतः 83-20 त्र 63 युनिट के पैसे लेकर शेष राषि खाते में जमा की जाती है। उक्त बिल के एवज में  परिवादी से 450/-रूपये दिनांक 31.05.2013 को जमा कर लिये। 
       विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि माह जुलाई, 2013 के वि़द्युत बिल में भी विपक्षी ने परिवादी को उपभोग युनिट 334 बताकर 5350/-रूपये का दिया। परिवादी ने विपक्षी से पूछताछ की तो कहा आगामी बिल सही बनाकर भेज दिया जावेगा। माह नवम्बर, 2013 व माह जनवरी, 2014 के विद्य़ुत बिलों में भी विपक्षी ने पिछले बिल की बकाया देय राषि गलत रूप से दर्ज कर भिजवाये । इस प्रकार विपक्षी ने माह मई, 2013 के बिल में नाजायज रूप से लगाई गई राषि 4177/-रूपये निरस्त करने के बावजूद आगामी बिलों में दर्ज की है।
       
     अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर माह मई, 2013 के विद्युत बिल में गलत रूप से दर्ज राषि 4177/-रूपये व उस पर पेनेल्टी जो माह जनवरी, 2014 के वि़द्युत बिल में दर्ज की गई है उसे निरस्त किये जाने का निवेदन किया है।
      विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी को समय पर विद्युत बिल भेजा गया था तथा परिवादी के खाते में जो गलत राषि लगाई गयी है वह समायोजित कर दी गई है परन्तु लिपिकीय भूलवष कम्प्यूटर सैल को नहीं भेजी गई थी जो आगामी बिल  में सही होकर आ जावेगी । परिवादी अन्य किसी प्रकार सिद्धि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। 
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
       उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
       पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट हुआ है कि परिवादी का विवादित विद्युत बिल माह मई, 2013 का है, जिसमें 4177/-रूपये गलत रूप से जोडकर विपक्षी द्वारा परिवादी को भेजा गया है। इसके बाद विपक्षी द्वारा परिवादी की षिकायत पर पुनः मीटर की जांच करवाई जाने पर मात्र 64 युनिट का उपभोग किया जाना पाया जाकर 450/-रूपये जमा करवाये गये हैं। विपक्षी द्वारा माह मई, 2013 के बाद जारी बिलों एवं अंत में माह जनवरी, 2014 के बिल में पिछली बकाया राषि 7596/-रूपये जोडते हुए परिवादी को भेजा गया है। विपक्षी ने अपने जवाब में यह स्वीकार किया गया है कि परिवादी के खाते में जो गलत राषि लगाई गई है वह समायोजित कर दी गयी है जो कि आगामी वि़द्युत बिल में सही होकर आ जावेगी। विपक्षी द्वारा माह मई,2013 के बिल में जो राषि गलत रूप से जोडकर बिल भिजवाया गया है, वह विद्युत बिल गलत राषि का भिजवाया जाना विपक्षी ने अपने जवाब में स्वीकार भी किया है उसे आगामी विद्युत बिल में समायोजित किया जाना भी कहा है। इस प्रकार माह मई,2013 का विवादित बिल कैयास व अंदाज से जारी किया गया है जो त्रुटिपूर्ण व संदीग्धपूर्ण होने से निरस्त किए जाने योग्य है। 
      अतः प्रकरण के तमाम तथ्य व परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि परिवादी के माह मई, 2013 के विवादित बिल में अंकित 4177/-रूपये की राषि व उस पर पैनेल्टी लगाई जाकर माह जनवरी, 2014 के विद्युत बिल में दर्ज की गई है, त्रुटिपूर्ण व संदीग्धपूर्ण होने से निरस्त की जाती है तथा परिवादी को माह मई, 2013 से पूर्व के पिछले तीन बिलों के एवरेज के आधार पर जो स्वंय परिवादी ने वास्तविक विद्युत युनिट का उपभोग किया है उसके आधार पर संषोधित बिल जारी किया जावे तथा 

परिवादी द्वारा यदि विपक्षी के कार्यालय में अधिक राषि जमा करादी गई है तो उसे परिवादी के आगामी विद्युत बिलों में समायोजित की जावे इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है। 
      पक्षकारान खर्चा मुकदमा अपना-अपना वहन करेगें।
      आदेश आज दिनांक 23.04.2015 को लिखाया जाकर मंच द्वारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफतर हो।

 

 

 

 

 

 

 

 


       
    
    

 

 

 

 

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