Rajasthan

Jhunjhunun

145/2013

MS. Gayatri OIL MEEL - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

SURESH KUMAR SHARMA

10 Aug 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 145/2013
 
1. MS. Gayatri OIL MEEL
UDAIPURWATI
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
GUDHAGORJI
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


तारीख
हुक्म
                                          परिवाद संख्या 145/13  
                               हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
 मैसर्स गायत्री आयल एण्ड फ्लोर मिल  बनाम   सहायक अभियंता,अ.वि.वि.नि.लि.गुढागोड़जी
                                          तहसील उदयपुरवाटी जिला झुंझुनू वगैरह। 
                         नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
10.08.2015
                 
           परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
दिनांक 08.08.2015 का अवकाष होने से पत्रावली आज पेषी में ली गई।
परिवादी की ओर से वकील श्री सुरेष कुमार शर्मा उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री राजेष खेदड़ उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी फर्म के नाम सेे विपक्षी के यहां से 15 एच.पी. का एस.आई.पी. विधुत कनेक्षन ले रखा है। जिसका खाता संख्या 2031-1601-0160 है। परिवादी उक्त विधुत कनेक्षन का समय-समय पर विपक्षी को बिल जमा कराता आ रहा है। इसलिए परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी के मीटर की विपक्षी के अधिकारी ने दिनांक 07.08.2009 को जांच की तथा जांच प्रतिवेदन संख्या 7414/45 तैयार किया, जिसमें लिखा कि मीटर डिस्पले संदेहपूर्ण है तथा लेब में जांच के बाद बिना लोड के मीटर चलना बताया गया व डिस्पले खराब बताई । विपक्षी ने परिवादी के माह जनवरी,2010 के बिल में दुरूपयोग राषि 5845/-रूपये व कुल बकाया 35859/-रूपये अंकित कर बिल जारी किया। माह जनवरी,2010 से सितम्बर,2010 तक कुल दुरूपयोग राषि 30366/-रूपये गलत अंकित कर दिये । परिवादी द्वारा बार-बार निवेदन करने के बावजूद उक्त राषि निरस्त नहीं की गई। परिवादी ने दिनांक 03.02.2011 को समझौता समिति फीस 200/-रूपये जमा करवा दिये परन्तु समझौता समिति में उक्त प्रकरण निस्तारित नहीं किया। विपक्षी ने माह जनवरी 2010 से मई 2012 तक परिवादी का कनेक्षन बिल में डिस दिखा रखा है। परिवादी द्वारा सम्पर्क करने पर विपक्षी ने परिवादी से कहा कि सितम्बर,2012 में अंकित राषि में 70,000/-रूपये जमा करवा दो आगे बिलों को दुरस्त कर देगें, जिस पर परिवादी ने 70,000/-रूपये  दिनांक 20.09.2012 को जमा करवा दिये परन्तु विपक्षी ने माह नवम्बर,2012 के बिल  में पुनः राषि 1,09,803/-रूपये अंकित कर दिये तथा बिल  दुरूस्त नहीं कर परिवादी के एस.आई.पी. कनेक्षन को विच्छेद करने की धमकी दी। 
       

      अन्त में विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर माह जनवरी,2010 से सितम्बर 2010 में लिखित दुरूपयोग राषि 30366/-रूपये व माह नवम्बर 2012 में अंकित राषि 1,09,803/-रूपये निरस्त की जाकर माह नवम्बर,2012 का बिल दुरस्त किए जाने का निवेदन किया है। 
      विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि सतर्कता अधिकारी द्वारा दिनांक 07.08.2009 को वी.सी.आर. संख्या 7414/45 भरी जाकर परिवादी को नोटिस भिजवाया गया है। लेब की रिपोर्ट के अनुसार बिना लोड के मीटर कम चलना बताया है तथा परिवादी का मीटर बदल दिया गया। परिवादी के बिल  में डीसी कोड फीड होने के कारण माह जनवरी,2010 से सितम्बर,2010 तक के बिल में कुल 30,366/-रूपये दुरूपयोग राषि के लगे हैे। परिवादी द्वारा चालू बिल की राषि जमा नहीं करवाई गई केवल माह सितम्बर,2012 में आंषिक भुगतान 70,000/-रूपये जमा करवाये थे।  परिवादी के खाते में माह मई,2013 तक 84139/-रूपये बकाया चल रहे हैं। परिवादी द्वारा किसी भी बिल का भुगतान नहीं करने पर बकाया राषि बढती गई तथा उपभोग के अनुसार ही बिल बन रहे हैं। 
        अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी द्वारा विद्युत चोरी करने पर वी.सी.आर के मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस मंच को नहीं होना कथन करते हुए परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
       उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
        परिवाद में विद्युत चोरी के आरोप से सम्बंधित विवाद प्रकट होता है। माननीय राष्ट्रीय आयोग ने 2014 (3) सीपीआर, 534 - निर्मला देवी बनाम पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड एवं अन्य के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा U.P. POWER CORPORATION LIMITED & ORS Vs. ANISH AHMAD - (2013) 8 S.C.C. 491  में दिये गये आदेष का अवलम्बन लेते हुए यह अभिनिर्धारित किया है कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 126 एवं 135 से 140 तक सम्बन्धित प्रकरण जिला मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। उक्त न्यायिक विनिष्चयों की रोषनी में यह परिवाद विद्युत अधिनियम की उक्त धाराओं के 


अंतर्गत विद्युत चोरी से सम्बंधित होने के कारण इस मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। चूंकि यह परिवाद इस मंच के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।
        अतः परिवादी का परिवाद पत्र निरस्त किए जाने योग्य होने से खारिज किया जाता है ।
      आदेश आज दिनांक 10.08.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

 


       
    

 

 

 

 

 

 

    

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.