जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
मीना मंगनानी डीआर मंगनानी , अजय नगर, अजमेर ।
प्रार्थीया
बनाम
सहायक अभियंता, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, हजारी बाग, अजमेर ।
अप्रार्थी
परिवाद संख्या 314/2013
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री सुधीर सिंह रंघुवंषी, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री षेखर सेन, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 07.07.2015
1. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस तरह से है कि दिनांक 21.4.2011 को अप्रार्थी अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड( जो इस निर्णय में आगे निगम ही कहलाएगा) के कर्मचारी ने स्वयं को मीटर रीडर बतला कर मीटर चैक किया एवं लगे हुए मीटर संख्या 6705465 को खराब बतलाया तथा प्रार्थीया को इस हेतु अप्रार्थी निगम में षिकायत करने को कहां जिस पर प्रार्थीया द्वारा अप्रार्थी निगम को रिर्पोट की गई । इससे पूर्व भी दिनंाक 14.12.2010 को पवन कुमार मीटर रीडर ने इस मीटर की मौके पर जांच कर मीटर कार्य करने योग्य बतलाया जबकि इससे पूर्व प्रार्थीया ने अप्रार्थी निगम को सूचित किया था कि मीटर जम्प कर रहा है एवं रीडिंग 2832 से 3629 हो गई है एव कुल उपभोग 797 यूनिट हो गया है । इस उपभोग के बिल का भुगतान भी प्रार्थीया द्वारा दिनंाक 16.12.2010 को राषि रू. 3243/- के रूप में कर दिया गया । परिवाद में आगे बतलाया कि अप्रार्थी निगम द्वारा मीटर की जांच मौके पर ही कर ली जाती है जबकि ऐसी जांच प्रयोगषला में होनी चाहिए । आगे बतलाया कि दिसम्बर, 2010 में विद्युत खर्च 797 यूनिट दर्षाया गया था जबकि विगत 6 माह की रीडिंग 150 से 250 के बीच ही आती है । इस तरह से प्रार्थीया ने 797 यूनिट का उपभोग नहीं किया । परिवाद के पैरा संख्या 5 में दर्षाया कि फरवरी, 2011 में अप्रार्थी निगम द्वारा मीटर बदला गया एवं प्रार्थीया को 6 माह के एवरेज के आधार पर 436 यूनिट का बिल भेजा जिसका भुगतान भी प्रार्थीया द्वारा कर दिया गया । परिवाद के पैरा संख्या 6 में दर्षाया है कि अप्रेल, 2011 में अप्रार्थी निगम द्वारा पुनः 163 का बिल भेजा उसमें 199 यूनिट एक माह की खपत के जोड कर कुल 363 यूनिट का उपभोग बतलाया जिसका भुगतान भी प्रार्थीया द्वारा कर दिया गया । परिवाद के पैरा संख्या 7 के अनुसार प्रार्थीया द्वारा विद्युत मीटर बदलने के बाद फरवरी,11 में 436 यूनिट एवरेज का भुगतान कर दिया गया जिसमें पुनः एक माह की खपत यूनिट 199 जोड कर भेजी गई जिसका कोई औचित्य नहीं था । प्रार्थीया की ओर से एक नोटिस भी अप्रार्थी निगम को भेजा एवं मांग की कि प्रार्थीया से 797 यूनिट के उपभोग की राषि प्राप्त की है वह गलत प्राप्त की है जो राषि उसे वापस दिलाई जावे एवं परिवाद में अन्य मांग करते हुए परिवाद पेष किया है ।
2. अप्रार्थी निगम की ओर से जवाब पेष हुआ । जिसें 21.4.2011 को किसी पवन कुमार द्वारा मौके पर मीटर की जांच करने को गलत बतलाया तथा यह भी गलत होना दर्षाया कि मीटर जम्प कर रहा हो एवं 2832 यूनिट से 3629 की रीडिंग आ गई हो । जवाब के पैरा संख्या 5 में दर्षाया कि प्रार्थीया के यहां लगा हुआ मीटर विद्युत उपभोग सहीं रूप से अंकित नहीं हो रहा था इसलिए उसे एवरेज के आधार पर फरवरी, 11 का बिल भेजा गया था जो प्रार्थीया ने जमा करा दिया । पैरा संख्या 6 में दर्षाया कि मीटर त्रुटिपूर्ण पाया गया एवं उसकी जांच करवाई गई तथा 199 रीडिंग आई हुई थी एवं नया मीटर जो लगाया गया और 8 अप्रेल, 2011 को रीडिंग ली गई उस वक्त रीडिंग 163 यूनिट आई थी तथा कुल उपयोग उपभोग 362 यूनिट का बिल माह अप्रेल, 2011 का भेजा गया था । अतिरिक्त कथन में बतलाया कि प्रार्थीया के नोटिस दिनंाक 21.6.2011 के उत्तर में प्रार्थीयध को सूचित कर दिया गया था कि जो बिल जारी किए गए थे वे वि़द्युत उपयोग उपभोग के आधार पर ही जारी किए गए है एवं फरवरी, 2011 में जो मीटर त्रुटिपूर्ण था उसके आधार पर व औसत उपभोग के आधार पर बिल जारी किए गए । प्रार्थीया द्वारा बिना किसी एतराज के बिल की राषि जमा करा दी गई । परिवाद खारिज होने योग्य बतलाया ।
3. परिवाद के समर्थन में प्रार्थीया ने स्वयं का ष्षपथपत्र पेष किया एवं अप्रार्थी अभियंता का ष्षपथपत्र भी पेष हुआ । प्रार्थीया ने नोटिस दिनंाक 21.6.2011 की प्रति पेष की साथ ही पत्र दिनांक 24.1.2011 जो प्रार्थीया द्वारा अप्रार्थी निगम को दिया की, प्रति पेष की । मीटर जांच रिर्पोट व संबंधित बिल पेष किए गए ।
4. हमने पक्षकारान की बहस सुनी एवं पत्रावली का अवलोकन किया ।
5. निर्णय हेतु हमारे समक्ष यही बिन्दु है कि क्या अप्रार्थी निगम द्वारा लगाया गया मीटर संख्या 6705465 खराब था एवं जम्प कर रहा था जिसमें रीडिंग 2832 से 3629 यूनिट आ गई । इस तरह से 797 यूनिट की राषि का भुगतान प्रार्थीया से अवैध व गलत रूप से प्राप्त किया गया है जो राषि प्रार्थीया अप्रार्थी निगम से पुनः प्राप्त करने की अधिकारणी है ?
6. इस संबंध में हमने गौर किया । बिल माह- 2010 के अवलोकन से गत पठन 2832 व वर्तमान पठन 3629 दर्षाई हुई है एवं उपभोग 797 दर्षाया हुआ है तथा यह बिल राषि रू. 3243/- के लिए जारी हुआ है एवं इस राषि का भुगतान प्रार्थीया द्वारा दिनांक 15.12.2010 को कर दिया गया है । तत्पष्चात् फरवरी, 2011 का बिल औसत के आधार पर 436 यूनिट का दिया गया है एवं अप्रेल, 2011 के बिल में 199 यूनिट का उपभोग मीटर संख्या 6705465 तथा मीटर संख्या 1493632 के लिए 163 यूनिट का उपभोग दर्षाया गया है । इन सभी तथ्यों को देखते हुए एवं दिसम्बर, 2010 के बिल के अवलोकन से उपभोग 797 यूनिट दर्षाया है किन्तु इस बिल में विगत बिलिंग माह का जो उपभोग दर्षाया है उनका औसत लगभग 206 यूनिट आ रहा है । मीटर अप्रार्थी निगम का था एवं इसके रखरखाव का दायित्व भी अप्रार्थी निगम का था । दिसम्बर , 2010 में उपभोग 797 आया है जो औसत उपभोग यूनिट 206 से 591 यूनिट अधिक है । हमारे विनम्र मत में अप्रार्थी निगम माह- दिसम्बर, 2010 के बिल पेटे उपर वर्णित अनुसार औसत उपभोग 206 यूनिट आई है, की ही राषि वसूल कर सकता है क्योंकि मीटर प्रार्थीया ने खराब किया हो ऐसा अप्रार्थी निगम का कथन नहीं है एवं मीटर के उचित रखरखाव का दायित्व भी अप्रार्थी निगम का ही है एवं मीटर भी उन्हीं का है एवं उन्हीं के द्वारा लगाया हुआ है । अतः अप्रार्थी निगम प्रार्थीया से माह- दिसम्बर, 2010 के उपभोग के संबंध में 797 यूनिट के स्थान पर औसत से आए यूनिट 206 की राषि ही प्राप्त करने का अधिकारी पाया जाता है । अतः अप्रार्थी निगम दिसम्बर, 2010 का विद्युत बिल जो 797 यूनिट है, के स्थान पर 206 यूनिट का ही जारी करें तथा प्रार्थीया से ली गई राषि रू.3247/- में इस 206 यूनिट उपभोग की राषि को समयोजित करते हुए षेष राषि पुनः प्रार्थीया प्राप्त करने की अधिकारणी है । परिणामस्वरूप प्रार्थीया का परिवाद स्वीकार होने योग्य है । अतः आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
7. (1) अप्रार्थी निगम द्वारा प्रार्थीया को जारी बिल माह- दिसम्बर, 2010 को निरस्त किया जाता है एवं अब अप्रार्थी निगम माह- दिसम्बर, 2010 का बिल जिसमें उपभोग 797 यूनिट हुआ था, के स्थान पर उपर विवेचित अनुसार उपभोग 206 यूनिट का संषोधित बिल जारी करें एवं प्रार्थीया द्वारा दिसम्बर, 2010 के बिल पैटे जमा कराई गई राषि रू. 3243/- का समायोजन संषोधित बिल की राषि पैटे करें । इसके उपरान्त भी यदि प्रार्थीया की कोई राषि बचती है उसे प्रार्थीया के भविष्य के बिलों में समायोजित करें । इस आदेष की पालना अप्रार्थी निगम निर्णय की इस तिथी से अन्दर दो माह में करें ।
(2) प्रार्थीया अप्रार्थी निगम से मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में राषि रू.2000/- भी प्राप्त करने की अधिकारणी होगी । अप्रार्थी निगम आदेषित राषि प्रार्थीया को अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें । इस आदेष की भी पालना अप्रार्थी निगम निर्णय की इस तिथी से अन्दर दो माह में करें ।
(3) दो माह में आदेषित राषि का भुगतान नहीं करने पर प्रार्थीया अप्रार्थी निगम से उक्त राषि पर निर्णय की दिनांक से ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगा ।
(श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
सदस्या अध्यक्ष
8.. आदेष दिनांक 07.07.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
सदस्या अध्यक्ष