जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
मनोज भाटी पुत्र श्री मिश्रीलाल, निवासी- 308 बी, जवाहर नगर, चुंगी चैकी, षास्त्रीनगर, अजमेर ।
प्रार्थी
बनाम
1. प्रबन्ध निदेषक, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, विद्युत भवन, माकडवाली रोड, पंचषील, अजमेर ।
2. सहायक अभियंता, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, डी-5, षास्त्रीनगर, अजमेर ।
अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 17/2014
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. विजेन्द्र कुमार मेहता सदस्य
3. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री प्रदीन आईनानी व श्रीमति ऋचा रामचन्दानी,
अधिवक्तागण, प्रार्थी
2.श्री भगवती सिंह बारठ,अधिवक्ता अप्रार्थीगण
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 11.02.2015
1. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि उसने अप्रार्थी अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड(जो इस निर्णय में आगे मात्र निगम ही कहलाएगा)
से एक अघरेलू विद्युत कनेक्षन ले रखा है जिसका विद्युत खाता संख्या 1115-2452-0215 है जिसके उपयोग उपभोग के बिल अप्रार्थी निगम द्वारा प्रत्येक दो माह में भेजे जाते थे, का भुगतान नियमित रूप से करता रहा है । अप्रार्थी निगम द्वारा अक्टूबर, 2013 में उसे सूचित किया कि उसका विद्युत मीटर संख्या 9151017 खराब हो चुका है तथा इसमें रीडिंग दर्षित नहीं हो रही है इसलिए उक्त मीटर की अप्रार्थी निगम द्वारा मीटर टेस्टिंग करवाई गई तथा नया मीटर संख्या 014159 लगाया गया । जब पुराना मीटर बदला गया तब उसमें उपभोग की 10013 यूनिट रिकार्ड हुई थी उक्त उपभोग रीडिंग में से 4537 यूनिट का भुगतान अक्टूबर, 2013 के बिल के माध्यम से प्रार्थी द्वारा किया जा चुका था । तत्पष्चात् अप्रार्थी निगम ने दिसम्बर, 2013 का बिल 7020 यूनिट की राषि रू. 50175 का भेजा । अप्रार्थी निगम ने उक्त बिल में पुराने मीटर संख्या 9151017 की यूनिट 6175 तथा नए मीटर संख्या 014159 की 845 यूनिट बतलाते हुए कुल 7020 यूनिट उपभोग होना दर्षाया । जब मीटर खराब था तो 6175 यूनिट जोडना गलत है इस संबंध में उसने अप्रार्थी निगम के यहां षिकायत कर किन्तु कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया बल्कि बिल की राषि का भुगतान करने और भुगतान नहीं करने पर विद्युत संबंध विच्छेद किए जाने की धमकी दी गई । अप्रार्थी निगम के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बतलाते हुए यह परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी निगम की ओर से जवाब प्रस्तुत हुआ जिसमें अप्रार्थी निगम ने प्रार्थी द्वारा परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णित विद्युत कनेक्षन लेना स्वीकार करते हुए आगे कथन किया है कि प्रार्थी के विद्युत मीटर का डिस्पले आफ होने के कारण न्यूनतम अनुमानित विद्युत खर्च दर्षाते हुए बिल जारी किए गए और यह तथ्य प्रार्थी की जानकारी में था । ऐसे खराब मीटर टेस्टिंग के बाद कुल यूनिट खर्च 10013 रिकार्ड हुई जिसमें से पूर्व में जारी बिलों के द्वारा अनुमानित खर्च 4537 को उक्त रिडिंग में से कम करते हुए माह दिसम्बर,13 बिल भेजा गया था । प्रार्थी द्वारा पूर्व में की गई विद्युत खर्च के भुगतान की राषि इस बिल में सम्मिलित नही ंहै । प्रार्थी माह-अगस्त, 2011 से निरन्तर जीरों वर्तमान पठन रीडिंग के बिल प्राप्त करता रहा है और उसके द्वारा खर्च की जा रही विद्युत के बारे में पूरी जानकारी थी । प्रार्थी द्वारा अधिक विद्युत खर्च के बारे में उतारे गए मीटर की एचएचटी द्वारा रीडिंग लिए जाने के बाद ही सही खर्च का बिल भुगतान हेतु प्रार्थी को भेजा गया है । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई अन्त में परिवाद खारिज किए जाने की प्रार्थना की है ।
3. हमने पक्षकारान को सुना एवं पत्रावली का अनुषीलन किया ।
4. परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का संक्षिप्त षपथपत्र पेष किया । इसके विपरीत अप्रार्थी निगम की ओर से जवाब भी अप्रार्थी संख्या 1 या 2 की ओर से नहीं दिया जाकर अपने अधिवक्ता के हस्ताक्षरों से पेष हुआ है साथ ही एक षपथपत्र भी किसी अन्य अप्रार्थी का नहीं होकर श्री जयन्त मदनानी जो कि अप्रार्थी निगम में एक कनिष्ठ लिपिक है, का प्रस्तुत हुआ है । प्रार्थी की ओर से बिल माह-अक्टूॅबर, 13 व दिसम्बर, 13 के बिल की प्रतियां पेष की हे । अप्रार्थी निगम की ओर से कोई दस्तावेजात पेष नहीं किए है ।
5. जहाॅं तक प्रार्थी का अप्रार्थी निगम का उपभोक्ता होने का प्रष्न है इस संबंध में कोई विवाद नही ंहै । हमारे समक्ष निर्णय हेतु यहीं बिन्दु है कि अप्रार्थी निगम द्वारा जारी बिल दिसम्बर, 13 में प्रार्थी के वहां पूराने मीटर संख्या 9151017 के संबंध में उपभोग 6175 यूनिट दर्षाया है क्या वो सही है एवं इसकी राषि अप्रार्थी निगम प्रार्थी से सहीं रूप से वसूल कर रहा है ?
6. हमने कायम किए गए निर्णय बिन्दओं पर अधिवक्ता पक्षकारान की बहस सुनी । अधिवक्ता प्रार्थी की बहस है कि प्रार्थी के घर पर लगे मीटर संख्या 9151017 के संबंध में अप्रार्थी निगम द्वारा प्रार्थी को माह- अम्टूबर, 13 में सूचित किया कि यह मीटर खराब हो चुका है एवं इसमें रीडिंग दर्षित नहीं हो रही हे । अतः प्रार्थी ने इस मीटर को उतार कर नया मीटर लगाने व इस मीटर की टेस्टिंग हेतु प्रार्थना पत्र दिया एवं अप्रार्थी निगम द्वारा उक्त मीटर को हटा कर नया मीटर संख्या 014159 लगा दिया गया । अधिवक्ता का आगे कथन है कि पुराने मीटर संख्या 9151017 के खराब होने तक वह 4537 यूनिट दर्षा चुका था एवं मीटर की जांच करवाई तो उपभोग के यूनिट 10013 रिकार्ड हुए । प्रार्थी द्वारा 4537 यूनिट के उपभोग का भुगतान अप्रार्थी निगम को कर दिया गया एवं बाद के बिल जो प्रार्थी को प्राप्त हुए उनका भी भुगतान नियमित रूप से किया जाता रहा है । इसके बावजूद भी अप्रार्थी निगम 10013यूनिट्स में से 4537 यूनिट को कम करते हुए 6175 यूनिट की राषि की वसूली कर रहा है जबकि यह मीटर खराब हो गया था एवं रीडिंग नहीं दर्षा रहा था एवं उक्त अवधि में प्रार्थी से औेेेसत के आधार पर बिल जारी करते हुए राषिया प्राप्त की है । अधिवक्ता की बहस है कि माह-अक्टूबर,13 व दिसम्बर,13 के बिलो में पिछले बिलिंग माह का उपभोग वर्णित है एवं अप्रार्थी निगम का यह भी कहना नहीं है कि प्रार्थी के दिसम्बर, 13 के बिल के पहले की राषि बकाया हो । अधिवक्ता की यह भी बहस है कि अप्रार्थी निगम का यह कथन कि प्रार्थी का मीटर चूंकि रीडिंग नहीं दर्षा रहा था अतः एवरेज के आधार पर बिल जारी किए गए थे । इस प्रकार अप्रार्थी प्रार्थी से विद्युत खर्च की राषि दोबारा वसूल नही ंकर सकता क्योंकि मीटर बन्द की अवधि में प्रार्थी से औसत उपभोग के आधार पर राषि वसूल की गई है । अतः अब उसी उपभोग की राषि दोबारा 6175 यूनिट के रूप में वसूल नही ंकर सकता । इसके अतिरिक्त प्रार्थी अधिवक्ता का यह भी कथन रहा है कि मीटर अप्रार्थी निगम का था इसके उचित रखरखाव आदि का दायित्व भी अप्रार्थी निगम का ही था एवं स्वयं अप्रार्थी निगम के अनुसार मीटर माह- अक्टूबर, 2011 से उपभोग नहीं दर्षा रहा था तो यह अप्रार्थी निगम का दायित्व था कि मीटर को बदलते एवं नया मीटर लगाते । इस तरह से अधिवक्ता प्रार्थी की बहस है कि प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य है एवं विवादित बिल दिसम्ब्र, 13 अपास्त होने योग्य है ।
7. अधिवक्ता अप्रार्थी निगम की बहस है कि प्रार्थी के वहां लगे मीटर का डिस्प्ले अक्टूबर, 2011 से नहीं हो रहा था अतः प्रार्थी को न्यनूतम अनुमानित विद्युत खर्च दर्षाते हुए आवेदन प्रार्थी को पेष करना था जो प्रार्थी द्वारा पेष नहीं किया गया है । अधिवक्ता की बहस है कि मीटर रीडिंग नहीं दे रहा था इस तथ्य की जानकारी स्वयं प्रार्थी को थी लेकिन उसने मीटर बदलवाने हेतु कोई आवेदन नहीं किया । अधिवक्ता की आगे बहस है कि प्रार्थी का मीटर खराब नहीं था बल्कि रीडिंग नहीं दर्षा रहा था अर्थात उसका डिस्प्ले ही खराब था । तत्पष्चात् मीटर को उतारा गया एवं उसकी जांच के वक्त उसमें 10013 यूनिट का पठन आया तथा इस मीटर के संबंध में 4537 यूनिट पठन तक के उपभोग के बिल जारी हो चुके थे अतः षेष उपभोग के यूनिट 6175 की राषि किस बिल में समायत की गई है एवं षेष राषि बदले गए मीटर 014159 की है । अतः बिल सही जारी किए गए है ।
8. यह सही है कि मीटर अप्रार्थी निगम का था एवं इसके रखरखाव का दायित्व भी अप्रार्थी निगम का ही था किन्तु हस्तगत प्रकरण में मीटर का डिस्प्ले रीडिंग जो 4537 तक आई, के बाद बंद हो गया एवं जब इस मीटर के स्थान पर नया मीटर लगाया तब इस उतारे गए मीटर की रीडिंग भ्भ्ज् प्रक्रिया से ली गई जो 10013 यूनिट्स आई है । माह- दिसम्बर, 13 के बिल में इस मीटर के संबंध में 10013-4537 त्र 6175 यूनिट का उपभोग होना माना है एवं प्रार्थी से इन्हीं यूनिट्स की राष् िइस बिल से वसूल की जा रही है। हमारे मत में इस आधार पर अप्रार्थी निगम के विरूद्व सेवा में कमी सिद्व नहीं हो रही है किन्तु परिवाद एवं अप्रार्थी निगम के जवाब से यह पाया गया है कि मीटर डिस्प्ले नहीं दर्षाने की अवधि में प्रार्थी को उपभोग के बिल अनुमान के आधार पर दिए गए थे एवं उन बिलों की राषि प्रार्थी द्वारा जमा करवाई जाती रही है । इस प्रकार मीटर डिस्प्ले नहीं दिखाने की अवधि के लिए प्राथी से इस बिल दिसम्बर, 13 से 6175 यूनिटस की मांग की जा रही है साथ ही डिस्प्ले बन्द रहने की अवधि में अनुमान के आधार पर उपभोग के बिल जारी कर राषि पूर्व से ही वसूल की गई है । अप्रार्थी निगम से अपेक्षा थी कि वह प्रार्थी सेे मीटर डिस्प्ले बन्द रहने की अवधि में जारी बिलो के उपभोग को कम करते हुए बकाया यूनिट्स की मांग करता । प्रार्थी का कथन है कि उसने अप्रार्थी निगम से निवेदन भी किया वह उससे उसी उपभोग हेतु दोबारा राषि वसूल नहीं कर सकता लेकिन अप्रार्थी निगम ने कोई ध्यान नहीं दिया । अतः प्रार्थी को यह परिवाद लाना पडा । इस प्रकार हम अप्रार्थी निगम के विरूद्व इस आधार पर उसे सेवा में कमी का दोषी पाते है ।
9. प्रार्थी उपर विवेचना स्वरूप प्रष्नगत बिल दिसम्बर, 13 के मीटर संख्या 9151017 के उपभेाग 6175 यूनिट में उन यूनिटस जिनकी राषि वह पूर्व में जमा करवा चुका है,बाद पाने का अधिकारी है । अप्रार्थी निगम ने मीटर जो वर्ष 2011 से डिस्प्ले नहीं दर्षा रहा था को नहीं बदला जबकि मीटर उन्हीं का था और प्रार्थी को औसत के आधार पर बिल नहीं दिए जाकर अनुमान के आधार पर बिल जारी किए गए है । प्रार्थी के निवेदन पर प्रष्नगत बिल में सुधार नहीं किया गया है । इन सभी तथ्यों को देखते हुए प्रार्थी को मानसिक संताप व षारीरिक परेषानी हुई है तथा उसको यह परिवाद लाना पडा जिसमें उसका व्यय भी हुआ । अतः प्रार्थी अप्रार्थी निगम से मानसिक संताप व वादव्यय में भी समुचित राषि प्राप्त करने का अधिकारी है । अतः प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
10. (1) अप्रार्थी निगम द्वारा जारी बिल दिसम्बर, 2013 मीटर संख्या 9151017 के यूनिट्स की हद तक अपास्त किया जाता है ।
(2) अप्रार्थी निगम द्वारा प्रार्थी को विद्युत मीटर बन्द होने के बाद अनुमान के आधार पर जो बिल भेजे गए है और उन बिलों में जो यूनिट्स दर्षाई हुई है उन सभी यूनिट्स को यूनिट 6175 में से कम करते हुए ष्षेष यूनिटस एवं उन यूनिट्स में मीटर संख्या 014159 में दर्षाए उपभेाग 845 यूनिट को जोडते हुए संषोधित बिल जारी करें । साथ ही अप्रार्थी निगम उपरोक्तानुसार जारी किए जाने वाले संषोधित बिल में स्थाई ष्षुल्क, विद्युत ष्षुल्क व अन्य उपकर तथा विलम्ब भुगतान सरचार्ज के नाम पर कोई राषि नहीं जोडे क्योंकि अप्रार्थी निगम ने प्रार्थी से इन मदों में राषि पूर्व से ही वसूल कर ली है । किन्तु अप्रार्थी इस बिल में नए मीटर के उपभोग के यूनिट्स 845 कीे हद तक स्थाई षुल्क व अन्य जो भी कर लागू होते है, की राषि जोड सकेगा ।
(3) अप्रार्थी निगम प्रार्थी को क्रम संख्या 2 में वर्णित अनुसार ही
संषोधित बिल जारी करेगा अर्थात इस बिल में यदि दिसम्बर, 2013 के बाद की कोई राषि प्रार्थी पर बकाया है तो उसकी मांग जारी होने वाले संषोधित बिल से नहीं करेगा ।
(4) प्रार्थी अप्रार्थी निगम से मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में रू. रू. 5000/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा । इस राषि को अप्रार्थी निगम प्रार्थी के जारी किए जाने वाले संषोधित बिल में या भविष्य के बिलों में समायोजित कर सकेगा और यदि अप्रार्थी निगम प्रार्थी को इस राषि का भुगतान करना चाहे तो इस राषि का डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।
(विजेन्द्र कुमार मेहता) (श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
11. आदेष दिनांक 11.02.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
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