Rajasthan

Jhunjhunun

CC/522/2014

Mahavir Prasad - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

Umesh Sarma

23 Feb 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/522/2014
 
1. Mahavir Prasad
Surajagadh, Jhunjhunu
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
Surajagadh, Jhunjhunu
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


तारीख
हुक्म
                                              परिवाद संख्या 522/14
                               हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
महावीर प्रसाद सैनी   बनाम  सहायक अभियंता, अ.वि.वि.नि.लि. पिलानी तहसील
                         सूरजगढ़ जिला झुंझुनू (राज0)      नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए

   23.02.2016                                                
             अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम
         परिवादी की ओर से वकील श्री उमेष कुमार शर्मा उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री फूलचंद सैनी उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक  अवलोकन किया गया।     
  विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने शहरी कृषि कनेक्षन लेने हेतु पत्रावली विपक्षी के कार्यालय में नियमानुसार जमा कराने के पश्चात विपक्षी द्वारा परिवादी को डिमाण्ड नोटिस जारी किया गया है। जिसकी राषि 1,06,080/रुपये, जरिये रसीद संख्या 39341 दिनांक 29.10.2010 को परिवादी द्वारा विपक्षी के कार्यालय में जमा करवा दी गई है। रसीद की फोटो प्रति पत्रावली में सलंग्न है। विपक्षी ने वरियता तोड़कर परिवादी के बाद वाले कृषि कनेक्षन दे दिये हैं। परिवादी द्वारा विपक्षी से सम्पर्क किया तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। विपक्षी द्वारा आज तक परिवादी का शहरी कृषि विधुत कनेक्षन स्थापित नही किया है। विपक्षी का उक्त कृत्य सेवा दोष की श्रेणी में आता है। 
   अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करते हुए परिवादी को शहरी कृषि विधुत कनेक्षन शीघ्र स्थापित किये जाने का निवेदन किया। 
     विद्वान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया कि परिवादी जिस कुये में कृषि कनेक्षन लेना चाहता है उसमें पहले से ही ग्रामीण फीडर से कृषि कनेक्षन चालु है तथा एक ही परिसर में दो फीडरों से अलग-अलग कनेक्षन देना निगम के नियम विरूद्ध है। परिवादी को शहरी लाईन से कनेक्षन नहीं दिया जा सकता। परिवादी को सिक्योरिटी व अन्य राषि वापिस लेने हेतु नोटिस दिया हुआ है।  विपक्षी की सेवा में कोई कमी नहीं है।
   अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
   उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।  
   
प्रस्तुत प्रकरण में यह तथ्य निर्विवादित है कि परिवादी ने शहरी कृषि विधुत कनेक्षन लेने हेतु नियमानुसार पत्रावली जमा करवाकर विपक्षी के निर्देषानुसार डिमाण्ड नोटिस की राषि 1,06,080/रुपये, जरिये रसीद संख्या 39341 दिनांक 29.10.2010  को विपक्षी के कार्यालय में जमा करवादी गई है। पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ है कि परिवादी काफी लम्बे समय से शहरी कृषि विधुत कनेक्षन लेने हेतु प्रयास कर रहा हैै अभी तक परिवादी का शहरी कृषि विधुत कनेक्षन विपक्षी द्वारा क्यों नही स्थापित किया गया, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण पेष नही किया है। विपक्षी ने परिवादी द्वारा पूर्व में गा्रमीण फीडर से कृषि कनेक्षन लिया होना तथा परिवादी को शहरी लाइन से कनेक्षन दिया जाना निगम के नियम विरूद्ध होने का कथन किया है। परिवादी को शहरी लाईन से विद्युत कनेक्षन देने में विपक्षी को कोई अडचन आ रही थी तो परिवादी से डिमांड नोटिस की राषि प्राप्त करने से पूर्व देखना चाहिये था कि मौके पर परिवादी को शहरी विद्युत कनेक्षन स्थापित किया जा सकता है या नही ? विपक्षी द्वारा इन सब बातों को ध्यान में न रखकर परिवादी को शहरी कृषि विद्युत कनेक्षन नहीं दिया जाना विपक्षी द्वारा घोर लापरवाही प्रतीत होती है। इसलिये विपक्षी का उक्त कृत्य सेवा दोष की श्रेणी में आता है। 
      अतः प्रकरण के तमाम तथ्य व परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि परिवादी को तुरन्त शहरी कृषि विधुत कनेक्षन स्थापित किया जावें। उक्त आदेष की पालना दो माह की अवधि में आवष्यक रुप से की जावें। यदि उक्त अवधि में विपक्षी द्वारा परिवादी को विद्युत कनेक्षन नहीं दिया जाता है तो परिवादी विद्युत कनेक्षन के साथ ही विपक्षी से 10,000/-रूपये हर्जे खर्चे के रूप में प्राप्त करने का हकदार होगा। इस निर्देष के साथ प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।   
आदेश आज दिनांक 23.02.2016 को लिखाया जाकर मंच द्वारा सुनाया गया। 
          पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


    

 

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