Rajasthan

Jhunjhunun

491/2013

MAHAVEER PRASAD - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

SATPAL SINGH

18 Nov 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 491/2013
 
1. MAHAVEER PRASAD
JHUNJHUNU
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


तारीख
हुक्म
    
हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
महावीर प्रसाद बनाम सहायक अभियन्ता अ.वि.वि.नि.लि. झुंझुनू़ ग्रामीण जरिए सहायक अभियंता  
       परिवाद संख्या 491/13
    नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
21.01.2015                 अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
    परिवादी की ओर से वकील श्री सतपाल सिंह चैहान उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री विद्याधर महला उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने घरेलू विधुत कनेक्षन लेने हेतु पत्रावली विपक्षी कार्यालय में जमा करवादी गई। विपक्षी द्वारा परिवादी को डिमाण्ड नोट जारी किया गया जिसकी राषि 3700/-रूपये जरिये रसीद संख्या 30 परिवादी द्वारा दिनांक 27.12.2011 को जमा करवादी गई।  इस प्रकार परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है।
विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी द्वारा डिमाण्ड नोट की राषि जमा करवाते समय भूमि का पट्टा जो परिवादी के पिता के नाम से था उसकी फोटो कोपी व अपने नाम से ग्राम दोरादास में भूमि ख0नं0 297 रकबा 2.71 हेक्टर, ख0नं0 297/395 रकबा 0.01 हेक्टर, ख0नं0 298 रकबा 0.50 हेक्टर स्थित है, जिसमें परिवादी का 1/4 हिस्सा है, जिसकी जमाबंदी भी पेष की है परन्तु परिवादी को घरेलु विद्युत कनेक्षन जारी नहीं किया गया। परिवादी द्वारा विपक्षी से सम्पर्क करने पर कहा कि अभी सामान नहीं आया है तथा आज तक परिवादी को कनेक्षन से वंचित किया हुआ है। जो विपक्षी की सेवा में कमी है।
       अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर परिवादी का घरेलु विद्युत कनेक्षन तुरंत स्थापित किए जाने का निवेदन किया है।
विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया कि परिवादी को दिनांक 01.12.2011 को जो डिमाण्ड नोटिस जारी किया है उसमें नोट लगाकर लिखा गया है कि आपका घर जोहड में है इसलिए पट्टा पेष करने पर ही मांग पत्र जमा लिया जावेगा तथा परिवादी का जब तक कनेक्षन स्थापित नहीं हो जाता तब तक वह उपभोक्ता नहीं है। 
 विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी द्वारा जहां विद्युत कनेक्षन चाहा गया है वह स्थान विवादित होने के कारण कनिष्ठ अभियंता से पुनः जांच करवाई गई तथा जांच रिपोर्ट द्वारा परिवादी का घर  जोहड में होना बताया ।  विपक्षी द्वारा तहसीलदार, झुंझुनू से रिपोर्ट चाही गई जो प्राप्त नहीं हुई इसलिये उक्त रिपोर्ट के अभाव में परिवादी को घरेलु विद्युत कनेक्षन नहीं दिया जा सका। 
अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज फरमाया जाने का निवेदन किया है।
       उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।  
प्रस्तुत प्रकरण के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ है कि परिवादी ने विद्युत कनेक्षन लेने हेतु डिमाण्ड नोटिस की राषि 3700/- रूपये दिनांक 27.12.2011 को विपक्षी के कार्यालय में जमा करवादी परन्तु परिवादी को विपक्षी द्वारा बिना युक्तियुक्त कारण के इतने लम्बे समय तक विद्युत कनेक्षन नहीं दिया गया । उक्त विद्युत कनेक्षन परिवादी को विपक्षी द्वारा क्यों नहीं दिया गया इसका कोई स्पष्टीकरण विपक्षी ने पेष नहीं किया है। मात्र तहसीलदार की रिपोर्ट प्राप्त नहीं होने की आड में परिवादी को घरेलु विद्युत कनेक्षन नहीं दिया जाना बताया है। जबकि इसके विपरीत परिवादी ने अपने पिता के नाम का पट्टा पेष किया है तथा जमाबंदी सम्वत 2066-2069 की प्रतिलिपि पेष की है। विपक्षी की ओर से जोहड़ के संबंध में किसी राजस्व अधिकारी की रिपोर्ट पेष नहीं की गई है । यदि विपक्षी को परिवादी के घरेलु विद्युत कनेक्षन देने में किसी प्रकार की रूकावट आ रही थी तो परिवादी सेे डिमाण्ड नोटिस की राषि जमा करने से पूर्व ही विपक्षी को देख लेना चाहिये था। डिमांड नोटिस में परिवादी का घर जोहड़ में होना किस आधार पर अंकित किया है, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण पेष नहीं किया है। 
अतः प्रकरण के तमाम तथ्य व परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि परिवादी को दो माह की अवधि में विधुत कनेक्षन जारी किया जावे अन्यथा स्थिति में परिवादी, विपक्षी से 5000/रुपये हर्जे खर्चे व क्षतिपूर्ति के रुप में प्राप्त करने का अधिकारी होगा। इस निर्देष के साथ प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
     पत्रावली फैसल शुमार होकर वाद तकमील दाखिल दफ्तर हो। 
आदेश आज दिनांक 21.01.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 

    

    

 

 

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