Rajasthan

Nagaur

CC/04/2012

lalit Kumar Agarwal - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

Sh sanwraram Choudhary

12 May 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/04/2012
 
1. lalit Kumar Agarwal
Nagaur
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
Ajmer
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya MEMBER
 
For the Complainant:Sh sanwraram Choudhary, Advocate
For the Opp. Party: Sh RS Sangwa, Advocate
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

परिवाद सं. 04/2012


ललित कुमार पुत्र श्री मोतीलाल, जाति-अग्रवाल, वास्ते आनन्द रेस्टोरेंट, रेल्वे स्टेशन के पास, नागौर (राज.)।                                                    -परिवादी     
बनाम

अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड जरिये प्रबन्ध निदेशक, अजमेर (राज.)।
सहायक अभियंता, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, नागौर।

              -अप्रार्थीगण 
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

उपस्थितः
श्री सांवरराम चैधरी, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
श्री राधेश्याम सांगवा, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थी।

    अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

                      आ  दे  श            दिनांक 12.05.2015

परिवाद पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने अप्रार्थीगण से एनडीएस श्रेणी का विद्युत कनेक्शन लिया हुआ है। जो भी बिल अप्रार्थीगण ने जारी किये, उनका प्रार्थी ने समय पर भुगतान किया परन्तु अप्रार्थीगण ने परिवादी को माह नवम्बर, 2011 का विद्युत बिल 101823/- रूपये का जारी किया। अप्रार्थीगण ने बताया कि जांच के आधार पर 99196/- रूपये की सिविल लाईबिलिटी अधिरोपित की है, जिसकी राशि बकाया है। जबकि परिवादी के यहां ऐसी कभी कोई जांच नहीं हुई। पता करने पर अप्रार्थीगण ने दो कागजों की फोटो स्टेट काॅपी पकडा दी जो कि वीसीआर से सम्बन्धित थी। न तो वीसीआर पर प्रार्थी के हस्ताक्षर हैं और ना ही कोई फोटो वगैरहा ली गई। वीसीआर में मीटर स्लो, मीटर टेम्पर का अंकन किया गया है। वास्तविक जांच से पहले स्लो का पता नहीं लगा सकते। प्रतीत लिखना भी वास्तविकता से परे है। मीटर टेम्पर होना नंगी आंखों से नहीं देख सकते। एमटीआर रिपोर्ट में मीटर की बाॅडी सील को टेम्पर बताया गया है जबकि वीसीआर के समय बाॅडी सील टूटने का कोई उल्लेख नहीं है। बिना सुने सिविल लाईबिलिटी अधिरोपित नहीं की जा सकती। विवादित राशि को निरस्त किया जावे। शारीरिक व मानसिक क्षतिपूर्ति एवं परिवाद व्यय के पेटे 35000/- रूपये दिलाये जाये।

अप्रार्थीगण का मुख्य रूप से कहना है कि अधिशाषी अभियंता (सतर्कता) अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, नागौर ने दिनांक 03.09.2011 को परिवादी के मीटर की जांच में पाया कि मीटर धीमा चल रहा था, मीटर की बाॅडी सील टूटी हुई थी। मौके पर मीटर जब्त कर नया मीटर लगाया एवं विवादित वीसीआर सीट तैयार की गई। नाम पता बताने से इन्कार किया और वीसीआर शीट पर हस्ताक्षर करने से भी मना कर दिया। लेबोट्ररी में जांच बाबत परिवादी को नोटिस दिया गया परन्तु उपस्थित नहीं हुआ। जांच की गई तो लेबोट्ररी में मीटर की बाॅडी सील टेम्पर व धीमा चलना, मीटर के अन्दर डिवाइस पाई गई। उक्त कृत्य विद्युत चोरी की श्रेणी में आता है। सिविल लाईबिलिटी की वसूली हेतु प्रार्थी को नोटिस दिया। जमा नहीं कराने पर विवादित बिल जारी किया गया। प्रार्थी के विरूद्ध पुलिस थाना विद्युत चोरी निरोधक, नागौर में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाई गई। मौके पर वीसीआर शीट तैयार की गई। परिवादी का उक्त कृत्य विद्युत चोरी की श्रेणी में आता है जो कि मंच के श्रवण क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।

बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। पत्रावली का अवलोकन किया गया। जहां तक विवादित वीसीआर की विश्वसनीयता का प्रश्न है। मौके पर मीटर की जांच करना एवं स्लो चलना पाया गया है। मीटर टेम्पर प्रतीत होना भी बताया गया है। मौके पर ही मीटर सील किया गया। जिसकी लेबोट्ररी में प्रार्थी को सूचित कर जांच करवाई गई। जांच में मीटर को 87.3 प्रतिशत धीमा चलना पाया गया तथा मीटर के अन्दर बाहर से डिवाइस लगाना बताया गया। मीटर की बाॅडी सील टूटी हुई होना बताया गया। लेब रिपोर्ट एवं जांच प्रतिवेदन पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है। अप्रार्थीगण ने सद्भावनापूवर्क अपने राजकीय कर्तव्य का निर्वहन किया है। प्रार्थी से कोई रंजिश प्रकट नहीं हुई है। प्रार्थी वावजूद बाद नोटिस भी मीटर की जांच में उपस्थित नहीं हुआ है। अप्रार्थीगण को जांच में सहयोग नहीं किया। परिवादी सद्भावी उपभोक्ता नहीं है। बिजली चोरी का मामला है, किसी भी सूरत में मंच से अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।

आदेश

परिवाद विरूद्ध अप्रार्थीगण खारिज किया जाता है। खर्चा पक्षकारान अपना-अपना वहन करें।


 आदेश आज दिनांक 12.05.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया  गया।

 

।बलवीर खुडखुडिया।    ।बृजलाल मीणा।   ।श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य।
    सदस्य                 अध्यक्ष            सदस्या

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya]
MEMBER

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