परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986
:ः नि र्ण य:ः दिनांकः 3.2.15
परिवादी किषनाराम पुत्र भूणाराम ने अप्रार्थी अजमेर विधुत वितरण निगम लि0 के प्रबंध निदेषक,अधीक्षण अभियंता व सहायक अभियंता के विरूद्व एक परिवाद धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम,1986 के अंतर्गत पेष किया ।
2. परिवादी द्वारा पेष किये गये परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने घरेलू विधुत कनेक्षन हेतु अप्रार्थी संख्या 3 के कार्यालय में पत्रावली दिनांक 20.9.11 को मय राषि 4010 रू. जरिये रसीद संख्या 26/39476 जमा करवायी थी जिस पर अप्रार्थीगण द्वारा शीध्र ही विधुत कनेक्षन दिये जाने का आष्वासन दिया था। परिवादी के बार बार निवेदन करने पर अप्रार्थीगण ने दिनांक 18.7.12 को पत्र क्रमांक 2107 जारी होना बताया कि आपका परिसर गैर आबादी क्षेत्र में है तथा तकनीकी रूपसे साध्य नही है ,इसलिये निगम के आदेष क्रमांक 445 दिनांक 16.3.10 के अनुसार गैर आबादी क्षेत्र में साध्य नही होने से कनेक्षन नही दिया जा सकता ,इसलिये पत्रावली खारिज की जाती है।
3. अप्रार्थीगण ने पूर्णतया गलत,मनमाने व मनगढंत आधार पर परिवादी का परिसर गैर आबादी क्षेत्र में होना बताया है जबकि अप्रार्थीगण द्वारा परिवादी के पडौसी व परिवादी के बाद पत्रावली जमा कराने वालों एवं प्राथमिकता क्रम में परिवादी से नीचे क्रम रखने वाले सुखराम पुत्र दानाराम व श्रवण कुमार पुत्र भागीरथ को विधुत कनेक्षन प्रभाव में आकर जारी कर दिये है और परिवादी की पत्रावली को दुराषय से बिना किसी आधार के खारिज कर दिया है। दिनांक 23.7.12 को परिवादी ने अप्रार्थी सं0 3 को पत्र देकर मौके की जांच कर कनेक्षन दिये जाने हेतु निवेदन किया जिस पर अप्रार्थी सं0 3 ने अपने अधिनस्थ अधिकारी को मौके पर जांच कर रिपोर्ट पेष करने के लिए आदेष दिया परंतु अप्रार्थीगण द्वारा अभी तक परिवादी का विधुत कनेक्षन स्थापित नही किया गया है जिससे उसे गौर मानसिक संताप सहना पडा है , अप्रार्थीगण का यह कृत्य सेवा में न्यूनता की श्रेणी के अंतर्गत आता है,इसलिये अप्रार्थीगण को आदेषित किया जाये कि वे परिवादी को घरेलू विधुत कनेक्षन जारी करें तथा उसे मानसिक संताप व आर्थिक नुकसान की क्षतिपूर्ति तथा परिवाद व्यय की राषि दिलायी जाये ।
4. अप्रार्थीगण की ओर से अपने जवाब में कहा गया कि परिवादी का परिवाद गलत तथ्यों पर आधारित है। अप्रार्थीगण द्वारा कोई क्रम तोडा नही गया है। परिवादी ने घरेलू विधुत कनेक्षन हेतु आवेदन किया था परंतु क0 अभियंता ,लोसल द्वारा तकमीना बनाये जाने पर पाया कि परिवादी के परिसर पर कनेक्षन दिया जाना तकनीकी आधार पर साध्य नही था, इस कारण परिवादी को जरिये नोटिस संख्या 2107 दिनांक 18.7.12 व इससे पूर्व जारी नोटिस दिनांक 2922 दिनांक 21.11.11 द्वारा सूचित कर दिया गया था कि तकनीकी आधार पर कनेक्षन दिया जाना साध्य नही है। तत्पष्चात् परिवादी के द्वारा उच्चाधिकारियों को लिखा गया और उच्चाधिकारियों से स्वीकृति मिलने पर आदेष दिनांक 26.2.13 के तहत दिनांक 18.3.13 को परिवादी का विधुत कनेक्षन स्थापित कर दिया गया है। अप्रार्थी निगम के द्वारा कोई सेवा में कमी नही की गयी है बल्कि तकनीकी रूपसे विधत कनेक्षन साध्य नही होने के कारण विधुत कनेक्षन स्थापित नही किया जा सका ,इसलिये परिवादी का यह परिवाद सव्यय खारिज किया जाये।
5. हमने उभय पक्ष को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया ।
6. इस संबंध में कोई विवाद नही है कि परिवादी द्वारा परिवाद पेष किये जाने के उपरांत अप्रार्थी निगम ने एससीओ नं0 12538/85 दिनांक 26.2.13 के अंतर्गत दिनांक 18.3.13 को परिवादी का विधुत कनेक्षन स्थापित कर दिया है।
7. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह कथन है कि अप्रार्थी निगम के द्वारा परिवाद पेष करने के उपरांत यह विधुत कनेक्षन स्थापित किया गया है जिससे परिवादी को मानसिक संताप झेलना पडा है और परिवाद पर भी व्यय करना पडा है,इसलिये उसे क्षतिपूर्ति राषि दिलायी जाये ।
8. अप्रार्थी निगम अपने जवाब में यह बात स्पष्ट रूपसे कह कर आया है कि परिवादी को तकनीकी रूपसे विधुत कनेक्षन साध्य नही होने के कारण नही दिया जा सका और उच्चाधिकारियों से स्वीकृति मिलने पर परिवादी का विधुत कनेक्षन स्थापित किया गया है। अप्रार्थी निगम एक राज्य सरकार द्वारा स्थापित उपक्रम है जिसका कार्य नियमों के अधीन कार्य करना है। अप्रार्थी निगम के अधिकारियों के द्वारा परिवादी को विधुत कनेक्षन नही दिये जाने के संबंध में जो स्पष्टीकरण दिया गया है वह संतोषजनक प्रतीत होता है क्यों कि परिवादी की ओर से ऐसा कोई रिकार्ड पेष नही किया गया है जिससे यह बात प्रमाणित हो सके कि परिवादी का क्रम तोडकर सुखाराम व श्रवणकुमार को बिना किसी आधार के विधुत कनेक्षन दिये गये हों, अतः परिवादी का यह परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आ दे श
परिवादी का यह परिवाद सारहीन होने के कारण खारिज किया जाता है। परिस्थितियों को देखते हुए खर्चा पक्षकार अपना अपना स्वयं वहन करें।
निर्णय आज दिनांक 03.02.15 को सुनाया गया।