Rajasthan

Jhunjhunun

417/2013

Kesaradev - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

Dvarka Prasad Varma

11 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 417/2013
 
1. Kesaradev
Nawalagadh,Jhunjhunu
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
Nawalagadh, Jhunjhunu
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

 परिवाद संख्या 417/13
तारीख
हुक्म
                                      
                      हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
केषरदेव  बनाम   अ.वि.वि.नि.लि., जरिए बनाम  सहायक अभियंता, मुकुंदगढ़ तहसील
                नवलगढ जिला झुंझुंनू (राज0)
                         नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
 
09.04.2015

                 
           परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री द्वारका प्रसाद वर्मा उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री राजेष खेदड़ उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के पिता के  नाम से विपक्षी के यहां से घरेलु विधुत कनेक्षन ले रखा है, जिसका खाता संख्या 2035-1865-0015 है। इसलिए परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी को विपक्षी द्वारा वी.सी.आर. नम्बर 15766/27 की प्रति मय नोटिस दिनांक 03.06.2013 जिसमें 2920/-रूपये प्रषमन राषि जमा करवाने तथा सिविल लाइबिलिटी राषि 12463/-रूपये वसूली की कार्यवाही का उल्लेख किया गया । विपक्षी का उक्त खाता पर स्वीकृत भार 1.46 कि.वा. है तथा कनेक्टेड लोड 1.46 कि.वा. बताया है। परिवादी ने कोई विद्युत चोरी नहीं की है तथा परिवादी को विपक्षी द्वारा झूठी वी.सी.आर. व गैर कानूनी नोटिस दिया है।
      अन्त में विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर नोटिस दिनांक 03.06.2013 मय वी.सी.आर नम्बर 15766/27 निरस्त किए जाने का निवेदन किया है। 
        विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के उपरोक्त घरेलु विद्युत कनेक्षन की मौके पर सतर्कता जांच के दौरान पाया गया कि परिवादी द्वारा मीटर की ट्रमिनल सील तोड़कर मीटर को बाईपास किया जाकर वि़द्युत चोरी की जा रही थी। जिसके संबंध में सर्तकता जांच दल द्वारा दिनांक        08.05.2013 को वी.सी.आर नम्बर 15766/27 भरी गई। परिवादी का प्रकरण विद्युत चोरी का पाया जाने से वी.सी.आर भरी गई है, जो राषि परिवादी द्वारा जमा कराये जाने योग्य है।
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 


       उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
        परिवाद में विद्युत चोरी के आरोप से सम्बंधित विवाद प्रकट होता है। माननीय राष्ट्रीय आयोग ने 2014 (3) सीपीआर, 534 - निर्मला देवी बनाम पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड एवं अन्य के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा न्ण्च्ण् च्व्ॅम्त् ब्व्त्च्व्त्।ज्प्व्छ स्प्डप्ज्म्क् - व्त्ै टेण् ।छप्ैभ् ।भ्ड।क्     - ;2013द्ध 8 ैण्ब्ण्ब्ण् 491 में दिये गये आदेष का अवलम्बन लेते हुए यह अभिनिर्धारित किया है कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 126 एवं 135 से 140 तक सम्बन्धित प्रकरण जिला मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। उक्त न्यायिक विनिष्चयों की रोषनी में यह परिवाद विद्युत अधिनियम की उक्त धाराओं के अंतर्गत विद्युत चोरी से सम्बंधित होने के कारण इस मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। चूंकि यह परिवाद इस मंच के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।
      अतः परिवादी का परिवाद पत्र निरस्त किए जाने योग्य होने से खारिज किया जाता है ।
      आदेश आज दिनांक 09.04.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

 


       
    
    

 

 

 

 

 

 

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