Rajasthan

Jhunjhunun

EA/30/2014

HAJI MOHAMMED ALI - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

DWARKA PRASAD

29 Aug 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. EA/30/2014
 
1. HAJI MOHAMMED ALI
JHUNJHUNU
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
JHUNJHUNU
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel PRESIDENT
 HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui MEMBER
 HON'BLE MR. Mr. Ajay Kumar Mishra MEMBER
 
For the Complainant:DWARKA PRASAD, Advocate
For the Opp. Party: L.B. JAIN, Advocate
Dated : 29 Aug 2016
Final Order / Judgement

      तारीख हुक्म
    .                               प्रिवाद संख्या 30/14
                               हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
हाजी मोहम्मद अली    बनाम     सहायक अभियंता, अ.वि.वि.नि.लि. (व्-ड)   
                             झुंझुनू तहसील व जिला झुंझुनू (राज0) 
                                नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए

29.08..2016                 प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 25 व 27 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम  
        प्रार्थी की ओर से वकील श्री द्वारका प्रसाद उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री एल.बी. जैन उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
        विद्वान् अधिवक्ता प्रार्थी ने प्रार्थना पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि प्रार्थी/परिवादी ने इस मंच के समक्ष एक परिवाद 430/12 पेष किया, जिसके निर्णय दिनांक 15.04.2013 के अनुसार आदेष दिया गया कि बकाया दर्षित राषि 34262.59 रूपये के लिए परिवादी को भारतीय विद्युत अधिनियम,1986 की धारा 126 के तहत निर्देषित किया जाता है कि विपक्षी/सक्षम अधिकारी के समक्ष आवेदन पत्र पन्द्रह दिन में प्रस्तुत कर विद्युत उपभोग का निर्धारण करावे। विपक्षी/सक्षम प्राधिकारी को निर्देषित किया जाता है कि परिवादी का आवेदन पेष होने पर उसका नियमानुसार एक माह में निस्तारण कर दिया जावे जब तक किसी बकाया की एवज में परिवादी का विद्युत सम्बन्ध विच्छेद ना किया जावे।
        विद्वान् अधिवक्ता प्रार्थी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी ने निर्देषानुसार विपक्षी के यहां राषि निर्धारण हेतु प्रार्थना पत्र पेष किया परन्तु विपक्षी ने आज तक माननीय न्यायालय के आदेष दिनांक      15.04.2013 की पालना नही की है। जो स्पष्टतया जिला मंच के आदेष/निर्णय की अवहेलना है। 
        अंत में प्रार्थी ने प्रार्थना पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर विपक्षी सेे मंच के आदेष की तुरंत पालना करवाई जाकर अप्रार्थी को नियमानुसार सजा से दण्डित किये जाने की प्रार्थना की है।
        विद्धान अधिवक्ता विपक्षी/अप्रार्थी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि मंच के आदेषानुसार परिवादी केा भारतीय विद्युत अधिनियम की धारा 126 के तहत 15 दिन में आवेदन विपक्षी के कार्यालय में प्रस्तुत करने के निर्देष दिये थे परन्तु परिवादी/प्रार्थी द्वारा निर्धारित समय में विपक्षी के कार्यालय में कोई आवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया। विपक्षी द्वारा दिनांक 24.05.2013 को इस संबंध में नोटिस के द्वारा भी परिवादी को सूचित किया गया । इस प्रकार परिवादी द्वारा 

विपक्षी/सक्षम अधिकारी के समक्ष आवेदन प्रस्तुत नहीं किये जाने के कारण आदेष की पालना नहीं की गई है। विपक्षी/अप्रार्थी द्वारा किसी भी प्रकार से माननीय न्यायालय के आदेष की अवहेलना नहीं की गई है। 
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
     उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
       प्रस्तुत प्रकरण में विपक्षी विभाग की ओर से अपने जवाब में परिवादी द्वारा माननीय न्यायालय के निर्णय दिनांक 15.04.2013 की अनुपालना में 15 दिन में प्रकरण निस्तारण बाबत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया हो, इस संबंध में विपक्षी द्वारा किसी प्रकार की दी गई सूचना परिवादी को प्राप्त हुई हो, ऐसा कोई अभिलेख पत्रावली पर उपलब्ध नहीं है। जबकि इसके खण्डन में प्रार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र मय शपथ पत्र में विपक्षी के यहां निर्धारित अवधि में आवेदन पेष किया जाना बताया गया है। विपक्षी विभाग द्वारा परिवादी की ओर से प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किये जाने के बावजूद आज तक प्रार्थी/परिवादी के प्रकरण का निस्तारण क्यों नहीं किया गया, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण विपक्षी द्वारा पत्रावली में पेष नहीं किया गया है। 
      अतः विपक्षी को हिदायत देते हुये यह आदेष दिया जाता है कि इस मंच के पूर्व आदेष की पालना नहीं करके अवज्ञात्मक रूप दर्षित न करें तथा उक्त पालना में किसी प्रकार की कोताही व हठधर्मिता नहीं बरतें । परिवादी के प्रकरण का पूर्व आदेषानुसार तुरंत निस्तारण किया जावे।  इस निर्देष के साथ प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
      आदेश आज दिनांक 29.08.2016 को लिखाया जाकर मंच द्वारा सुनाया गया। 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

    

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mr. Ajay Kumar Mishra]
MEMBER

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