Rajasthan

Jhunjhunun

CC/205/2016

Haji Ali - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

Vidhadhr Jakhar

05 Dec 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/205/2016
 
1. Haji Ali
Dundlod,Nawalgarh
Jhunjhunu
Rajasthan
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
Mukundgarh,Nawalgarh
Jhunjhunu
Rajasthan
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel PRESIDENT
 HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui MEMBER
 HON'BLE MR. Mr. Ajay Kumar Mishra MEMBER
 
For the Complainant:Vidhadhr Jakhar, Advocate
For the Opp. Party:
Dated : 05 Dec 2016
Final Order / Judgement


  तारीख   हुक्म
                                      परिवाद संख्या 205/16
                            हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
 हाजी अली मोहम्मद             बनाम     सहायक अभियंता अ.वि.वि.नि.लि. मुकुन्दगढ  
                                        तहसील नवलगढ जिला झुंझुनू वगैरह
                          नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
  
   05.12.2016
                 
          परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
        परिवादी की ओर से वकील श्रीमती मीना कुमारी उपस्थित। विपक्षीगण की ओर से वकील श्री राजेष खेदड़ उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने अघरेलु विद्युत सम्बन्ध विपक्षीगण से ले रखा है, जिसका खाता संख्या 0692-0118 है। परिवादी उक्त विधुत कनेक्षन का समय-समय पर विपक्षीगण को बिल जमा कराता आ रहा है। इसलिए परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह कथन किया है कि विपक्षी सहायक अभियंता, मुकुन्दगढ ने परिवादी का होली,2016 के चार दिन पहले विद्युत सम्बंध विच्छेद कर दिया। परिवादी ने सहायक अभियंता कार्यालय में सम्पर्क किया तो पता चला कि दिनांक 08.04.2015 को सिराजुदीन पुत्र अलीमोहम्मद के नाम से एक झूठी वी.सी.आर. भरी हुई है तथा परिवादी के विद्युत सम्बंध से सिराजुदीन का कोई संबंध नहीं है जबकि सिराजूदीन के नाम से झूंठी वी.सी.आर. भरने के कारण परिवादी का गलत रूप से विद्युत सम्बंध विच्छेद किया गया है। परिवादी का बिना कोई बकाया राषि विद्युत सम्बंध विच्छेद कर दिये जाने से मैरिज गार्डन बन्द पडा है। इस प्रकार विपक्षीगण का उक्त कृत्य सेवा में कमी की श्रेणी में आता है।  
         अन्त में विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर परिवादी का खाता संख्या 0692-0118 का विद्युत सम्बंध तुरंत चालु कराये जाने का निवेदन किया है। 
       विद्वान अधिवक्ता विपक्षीगण ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के पुत्र के विरूद्ध विद्युत चोरी निरोधक थाना झुंझुनू में भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 व 138 के अंतर्गत प्रथम सूचना संख्या 224/16 दर्ज करवाई जा चुकी है तथा सतर्कता जांच के दौरान उपभोक्ता ने अपने वैवाहिक स्थान (बाबा गार्डन) के पास से गुजर रही एल.टी. लाईन से सीधा तार लगाकर विद्युत उपभोग अघरेलु कार्य में करता पाया गया। मौके पर जांच प्रतिवेदन  संख्या 

20747/01 दिनांक 08.04.2015 भरी गई व विपक्षीगण द्वारा परिवादी को सूचना दी गई। बावजूद सूचना के राषि परिवादी द्वारा जमा नही करवाने पर उसके खाते में नामें दी गई है। जो निगम नियमानुसार सही है। 
         अन्त में विद्वान अधिवक्ता विपक्षीगण ने परिवादी द्वारा विद्युत चोरी करने पर वी.सी.आर के मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस मंच को नहीं होना कथन करते हुए परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
        उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी की ओर से न्यायदृष्टांत 2016(3) क्रि.ला.रि.(राज.) 1110 - स्वरूप सिंह बनाम राजस्थान राज्य व अन्य पेष किया गया।
       उक्त न्यायदृष्टांत में माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा जो सिद्धांत प्रतिपादित किये गये हैं, उनसे हम पूर्णतया सहमत हैं परन्तु हस्तगत प्रकरण के तथ्य व परिस्थितियां भिन्न होने के कारण उक्त न्यायदृष्टांत परिवादी को कोई मदद नहीं करता है। 
     
      परिवाद में विद्युत चोरी के आरोप से सम्बंधित विवाद प्रकट होता है। माननीय राष्ट्रीय आयोग ने 2014 (3) सीपीआर, 534 - निर्मला देवी बनाम पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड एवं अन्य के मामले में तथा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा U.P. POWER CORPORATION LIMITED & ORS Vs. ANISH AHMAD &  (2013) 8 S.C.C. 491 में दिये गये आदेष का अवलम्बन लेते हुए यह अभिनिर्धारित किया है कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 126 एवं 135 से 140 तक सम्बन्धित प्रकरण जिला मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। उक्त न्यायिक विनिष्चयों की रोषनी में यह परिवाद विद्युत अधिनियम की उक्त धाराओं के अंतर्गत विद्युत चोरी से सम्बंधित होने के कारण इस मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। चूंकि यह परिवाद इस मंच के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।
      अतः परिवादी का परिवाद पत्र निरस्त किए जाने योग्य होने से खारिज किया जाता है ।
      आदेश आज दिनांक 05.12.2016 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

 

 


    

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mr. Ajay Kumar Mishra]
MEMBER

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