Rajasthan

Jhunjhunun

398/2013

GOVERDHAN SINGH - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

ANIL KUMAR

12 Mar 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 398/2013
 
1. GOVERDHAN SINGH
UDAIPURWATI
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
UDAIPURWATI
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


तारीख
हुक्म
                                           परिवाद संख्या 398/13
                               हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
 गोरधन सिंह  बनाम  सहायक अभियंता (ओ एण्ड एम) अ.वि.वि.नि.लि.,उदयपुरवाटी तहसील
                   उदयपुरवाटी जिला झुंझुंनू(राज0)
                         नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
 
07.05.2015

                 
           परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री अनिल महरिया उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री राजेष खेदड़ उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने अपनेे  नाम से विपक्षी के यहां से विधुत कनेक्षन ले रखा है, जिसका खाता संख्या 2034-1611-0257 है। परिवादी द्वारा ही विपक्षी को विद्युत बिलों का भुगतान किया जा रहा है। इसलिए परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि विपक्षी द्वारा परिवादी को दिनांक 20.03.2013 को एक नोटिस 20824/-रूपये जमा करवाने मय जांच प्रतिवेदन संख्या 18032/28 दिनांक 12.03.2013 भिजवाया, जो गलत रूप से तैयार कर भिजवाया तथा उक्त राषि 7 दिवष में जमा नहीं करवाने पर परिवादी के विरूद्ध संबंधित विद्युत थाना में रिपोर्ट दर्ज करवाने की चेतावनी दी गई। परिवादी ने इस संबंध में विपक्षी के उच्च अधिकारियों से सम्पर्क किया परन्तु उसकी षिकायत का निवारण करने से इन्कार कर दिया। विपक्षी द्वारा अपने कार्यालय में बैठकर परिवादी के विरूद्ध झूंठी वी.सी.आर. भरी गई है। परिवादी ने नियमानुसार कृषि कनेक्षन प्राप्त करने के लिये पत्रावली जमा करवाई हुई है । इस प्रकार उपरोक्त वी.सी.आर. व नोटिस झूंठे हैं।
      अन्त में विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर वी.सी.आर नम्बर 18032/28 दिनांक 12.03.2013 निरस्त किए जाने का निवेदन किया है। 
       विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के परिसर की सतर्कता जांच अधिकारी/कनिष्ठ अभियंता (वि.सु.) द्वारा दिनांक 12.03.2013 को जांच की गई तो मौके पर पाया गया कि परिवादी ने अपने कुए के पास स्थापित विद्युत निगम की 1 फेज विद्युत लाईन पर सीधे केबिल डालकर कुए में 1 सिंगल फेज की 3 एच.पी. की विद्युत मोटर चलाकर विद्युत उपयोग कृषि कार्य के लिए करता पाया गया, जिस पर वी.सी.आर. संख्या 18032/28 भरी गई है जो राषि परिवादी द्वारा जमा कराये जाने योग्य है। परिवादी ने जिस घरेलु विद्युत कनेक्षन खाता संख्या 1611/0257 का उल्लेख करते हुये परिवाद दर्ज करवाया है उससे परिवादी की बदनियति साफतौर से जाहिर है। क्योंकि उक्त प्रकरण उक्त विद्युत कनेक्षन से संबंधित नहीं होकर उसके द्वारा दूसरी जगह विपक्षी विभाग की विद्युत लाईन से सीधी केबिल डालकर समीपवर्ती कुए में विद्युत गैर काननूनी रूप से उपयोग करने से संबंधित है। प्रकरण विद्युत चोरी का पाया जाने से वी.सी.आर भरी जाकर नोटिस जारी किया गया है तथा सतर्कता जांच अधिकारी द्वारा संबंधित पुलिस थाना में प्राथमिकी संख्या 223/13 दर्ज करवाई गई है। 
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी द्वारा विद्युत चोरी करने पर वी.सी.आर के मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस मंच को नहीं होना कथन करते हुए परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
        उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
        परिवाद में विद्युत चोरी के आरोप से सम्बंधित विवाद प्रकट होता है। माननीय राष्ट्रीय आयोग ने 2014 (3) सीपीआर, 534 - निर्मला देवी बनाम पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड एवं अन्य के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा न्ण्च्ण् च्व्ॅम्त् ब्व्त्च्व्त्।ज्प्व्छ स्प्डप्ज्म्क् - व्त्ै टेण् ।छप्ैभ् ।भ्ड।क् - ;2013द्ध 8 ैण्ब्ण्ब्ण् 491  में दिये गये आदेष का अवलम्बन लेते हुए यह अभिनिर्धारित किया है कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 126 एवं 135 से 140 तक सम्बन्धित प्रकरण जिला मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। उक्त न्यायिक विनिष्चयों की रोषनी में यह परिवाद विद्युत अधिनियम की उक्त धाराओं के अंतर्गत विद्युत चोरी से सम्बंधित होने के कारण इस मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। चूंकि यह परिवाद इस मंच के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।
      अतः परिवादी का परिवाद पत्र निरस्त किए जाने योग्य होने से खारिज किया जाता है ।
      आदेश आज दिनांक 07.05.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

 


       
    
    

 

 

 

 

 

 

 

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